काजल की चुदाई: दूध वाला राजकुमार-8
एक बार फिर मैं लव आप सभी प्यारे पाठकों का स्वागत करता हूँ अपनी कहानी ‘काजल की चुदाई’ के अंतिम भाग में।
कामवासना से भरपूर इस कहानी के पिछले भाग
काजल की चुदाई: दूध वाला राजकुमार-7
इस अब तक आपने पढ़ा कि रत्नेश भैया से किये वादे के अनुसार मैंने उन्हें बिल्डिंग वाली लड़की काजल से मिलवाया और चुदाई के लिए जगह का भी इंतज़ाम किया. और अब दोनों ही चुदाई में मशगूल होने लगे थे।
अब रत्नेश भैया ने अपनी पूरी उंगली उसकी चूत में डाल दी और इससे वह पागल सी हो गयी उसने रत्नेश भैया का जीन्स और अंडरवियर खोलकर खीरे जैसे मोटे लन्ड को आज़ाद कर दिया और सुपारे को आगे पीछे करने लगी और कहने लगी- इसको मेरी चूत में डाल दो जल्दी… प्लीज़ प्लीज़… अब मत तड़पाओ।
काजल के हाथ लन्ड पर लगने से रत्नेश भैया भी जोश में आ चुके थे और उन्होंने काजल की बनियान भी उतार दी… वाह क्या माल थी काजल… उसके बिल्कुल गोरे गेंद की तरह गोल और सख्त मम्मों पर गहरी काली निप्पल और पूरी नंगी चुदाई की आग में तड़पती काजल…
हाय!
रत्नेश भैया अब काजल के बूब्स को बेइंतहा मसलने और चूसने लगे और मानो वो आज पूरे बूब्स को खा ही जाने वाले थे। वो मम्मे को अपने मुँह में पूरा भर लेने की नाकामियाब कोशिश करने लगे थे और इधर काजल लन्ड को सहलाकर पागल हुए जा रही थी।
अचानक से काजल नीचे झुकी और रत्नेश भैया का कड़क फ़नफनाता लन्ड अपने मुँह में भर लिया और बेइंतहा चूसने लगी। काजल अभी मुश्किल से 10 बार भी नहीं चूस पाई थी लन्ड को तभी रत्नेश भैया ने काजल को गोद में उठा लिया और वहां बिछे सिंगल बेड पर लेटा दिया।
अब रत्नेश भैया ने काजल की पेंटी भी पूरी तरह से निकाल फेंकी और अपने कपड़े भी निकाल दिए।
वाह क्या नज़ारा था वहां का… दोनों ही बिल्कुल गोरे और खूबसूरत जिस्म।
रत्नेश भैया का बिल्कुल नंगा गठीला लंबा चौड़ा जिस्म जिस पर मोटा खीरे सा मोटा ताज़ा सीधा लन्ड वही कमसिन पतली कमर गोरा बदन, छोटे होंठ और बड़ी आंखों वाली काजल जिसकी चिकनी चूत पर बहुत ही हल्के बाल, पतली टांगें और छाती पर मस्त कड़क वाले बड़े बड़े बोबे… वाह… पूरी नंगी… और दोनों ही काम और चुदाई की आग में जलते तड़पते हुए।
बेड पर लिटाकर रत्नेश भैया ने अपनी जुबान काजल की चूत पर रख दी और अपने मुँह से गर्म हवा चूत छोड़ दी और अपनी तीखी जुबान को चूत में घुसा घुसा कर चाटने लगे. काजल की चूत से हल्का पानी आ रहा था जिसे रत्नेश भैया पी जा रहे थे और अब काजल बहुत ज्यादा गर्म होकर तड़प रही थी। अब काजल चूत में जुबान जाने पर बिस्तर से उछल जाती और जुबान को ज़्यादा से ज़्यादा अंदर तक ले जाने की कोशिश करती।
वास्तव में यार… रत्नेश भैया भी चुदाई के खिलाड़ी निकले, उन्होंने काजल को तड़पा दिया था।
अब तो काजल एक पल भी रुकना नहीं चाहती थी, उसने अपनी दोनों टांगें ऊपर उठाते हुए चौड़ी कर दी और बड़बड़ाने लगी- अब मत तड़पाओ रत्नेश राजा… मैं मर जाऊंगी… प्लीज़ जल्दी से इस अजगर लन्ड को घुस दो चूत में… फाड़ दो इसको… जानू…. यह बहुत तड़पती है… फाड़ो इसे…
रत्नेश भैया भी बहुत गर्म हो चुके थे और अब उन्होंने अपने लन्ड पर कॉन्डम लगाया… क्या मस्त लन्ड लग रहा था… ऐसा लग रहा था कि ये कॉन्डम लन्ड को झेल नहीं पायेगा और फट जाएगा. जब रत्नेश भैया कॉन्डम लगाने लगे तो काजल रोकने लगी, कहने लगी- जानू नहीं… ऐसा मत करो… लन्ड और चूत के बीच में ये दीवार मत लगाओ… आज मेरी चूत को तुम्हारा कामरस पी लेने दो!
लेकिन रत्नेश भैया ने बिना माने खीरे जैसे मोटे लन्ड पर कॉन्डम की परत चढ़ा दी, शायद प्रेगनेंसी, अबॉर्शन का लफड़ा पालना नहीं चाहते थे वे।
रत्नेश भैया ने अब अपने खीरे से मोटे लन्ड का माशरूम सा फूला हुआ सुपारा काजल की गीली चूत पर रखा और चूत पर 3-4 बार सुपारे को रगड़ा जिससे काजल छटपटाने लगी और काजल ने खुद ही लन्ड को अपनी चूत के बीचोंबीच रखा और लेटी अवस्था से बैठी हो गयी और एक झटके में आगे सरक गयी जिससे रत्नेश भैया के लन्ड का सिर्फ सुपारा ही चूत के अंदर गया और काजल को भयंकर दर्द हुआ।
दर्द के कारण काजल फिर से पीछे होने लगी लेकिन रत्नेश भैया ने अब काजल को अपनी बांहों में जकड़ लिया और काजल के गले और कान पर अपने होंठ रगड़ते हुए चूमने लगे जिससे काजल को एक बार फिर हिम्मत और जोश आया और उसने एक बार फिर से एक झटका आगे की तरफ दिया.
फिर दर्द बढ़ा और रत्नेश भैया ने अबकी बार काजल के होंटों को ही अपने होंटों में भर लिया।
अब क्या बाकी था… इतने सेक्सी जवान मर्द से यदि इतना प्यार मिले तब तो चूत ही क्या चाहे पूरा जिस्म फट जाए तो भी मंज़ूर होगा किसी लड़की को। काजल ने एक और झटका दिया और लगभग 50% लन्ड काजल की चूत में चला गया।
अब दोनों ही मानो मूर्ति बन गए, कोई हलचल नहीं थी. काजल की चूत को थोड़ा आराम मिले और लन्ड चूत में सेट हो जाए इसीलिए दोनों रुके हुए थे।
अब रत्नेश भैया ने अपने दोनों हाथों से काजल का चहरा पकड़ा और होंटों को चूमते हुए काजल को इशारा किया कि काजल धीरे धीरे खुद ही हल्के झटके शुरू करे, जिससे उसे दर्द कम हो और अच्छा भी लगे।
वास्तव में रत्नेश भैया जिस्म से कसरती पहलवान ज़रूर थे लेकिन प्यार और दूसरों के दर्द तकलीफ की बड़ी परवाह थी उन्हें, जो किसी को भी उनका दीवाना बना सकती थी।
अब काजल ने हल्के से झटके शुरू किये जिसके लिए रत्नेश भैया काजल को प्यार करके और चूमकर ओर भी प्रोत्साहित करने लगे। अब रत्नेश भैया ने काजल के बालों में अपनी उंगलियां डाल दी और काजल ने रत्नेश भैया की पीठ पर बने मसल्स के उभार और गड्ढों को अपनी उंगलियों से सहलाना शुरू कर दिया और दोनों के होंठ चुम्बन में मशगूल हो गए।
इस तरह धीरे धीरे झटकों से 70% लन्ड चूत में चला गया लेकिन इस तरह के छोटे मोटे झटकों से रत्नेश भैया का लन्ड भला कैसे शांत होता। अब काजल को भी दर्द से राहत मिल चुकी थी और काफी समय बीत चुका था। रत्नेश भैया का लन्ड भी अब अपनी पिचकारी की बौछार से चूत के आंगन को गीला करना चाहता था।
अब भैया ने काजल को आहिस्ता से फिर से लेटा दिया और अपने लन्ड को चूत से बाहर नहीं आने दिया। रत्नेश भैया ने अब फिर से काजल की टांगों को ऊपर करते हुए पकड़ लिया और अब बिल्कुल सही चुदाई की पोजिशन बन चुकी थी… अब काजल को बड़े लन्ड के नुकसान पता चलने वाले थे।
रत्नेश भैया ने धीरे धीरे झटके मारना शुरू किये जिससे काजल को हल्के दर्द की साथ मज़ा भी आने लगा। रत्नेश भैया की गर्मी बढ़ती जा रही थी और साथ ही साथ झटके की तीव्रता भी बढ़ती जा रही थी. अब रत्नेश भैया ने आंखें बन्द कर ली थी और मस्त ठुकाई में जुट गए थे, आखिर कब तक वो काजल के दर्द का ध्यान रख पाते।
काजल को हल्के आंसू आने लगे थे लेकिन मुस्कुराते हुए वह एक जवान ग्रामीण मर्द की चुदाई का आनन्द ले रही थी। अब तो 85-90% लन्ड अंदर जा चुका था और मस्त घप घप की आवाज़ के साथ चुदाई चल रही थी।
काजल इसके बीच एक बार झड़ चुकी थी लेकिन गर्म लन्ड के झटकों ने उसे एक बार फिर से गर्म कर दिया था और अब रत्नेश भैया भी जबरदस्त चुदाई कर रहे थे जिससे काजल हांफने लगी थी और अब चेहरे की हंसी दर्द और दुख में बदल गयी थी क्योंकि पूरा लन्ड अब चूत में जा चुका था और अब हर झटके में लन्ड पूरा बाहर तक आता और फिर बिल्कुल जड़ तक जाता।
मतलब अब चूत की चटनी बनने लगी थी लन्ड के मूसल से…
लेकिन अब ओखली में सर दिया तो मूसल से क्या डरना…
यही सोचकर काजल दर्द, आंसू, मुस्कुराहट, गुस्से के बीच आनन्द ले रही थी।
काजल अब दर्द से थोड़ी आवाजें कर रही थी उम्म्ह… अहह… हय… याह… जिसे बाहर किसी के सुन लेने का डर मुझे लग रहा था। मैं लगातार मुआयना कर रहा था घूमते हुए कि कहीं कोई आसपास है तो नहीं, मैंने खिड़की दरवाजे बिल्कुल पैक कर दिए थे ताकि आवाज़ बाहर नहीं जाए। हालांकि इस पांचवें और छठे फ्लोर के सभी फ्लैट खाली ही थे।
चुदाई चलते हुए भी अब लगभग 25 मिनट हो चुके थे लेकिन रत्नेश भैया झड़ने का नाम ही नहीं ले रहे थे। अब काजल का दर्द भी बर्दाश्त से बाहर होने लगा था। मुझे काजल की हालत देखकर तरस आ रहा था। अब तो मैं भी एकटक काजल को ही देख रहा था कि आखिर क्या होने वाला है आगे।
मैं अब जोश जोश में काजल के चेहरे के पास ही पहुंच गया कि कहीं ये अब और ज़ोर से चिल्लाने न लगे… और आखिर कब तक ये खेल चलेगा।
अब रत्नेश भैया के झटके और भी तेज़ होने लगे और काजल बुरी तरह से पूरी की पूरी हिलने और तड़पने लगी क्योंकि रत्नेश भैया तो कसरती मज़बूत जिस्म और लन्ड वाले थे, वहीं काजल एक शहरी कमसिन लड़की।
काजल की हालत ऐसी हो चुकी थी मानो उसे मिक्सर में एक मिनट घुमा दिया हो। बाल कहीं जा रहे थे, आंखों का काजल भी फैल गया, होंटों से पानी बाहर आ चुका और आंखें बन्द।
इसके अलावा चूत की जड़ तक जाते झटकों से अब काजल का सर भी पीछे दीवार से टकराने लगा था।
अब तेज़ झटकों के साथ रत्नेश भैया ने भी आह… आह… उम्मह… सी..सी… की आवाज़ की और बहुत तेज़ झटके चूत में दिए जिससे काजल की चीख निकल गयी, मैंने तुरंत काजल के मुँह पर अपना हाथ रख दिया और मुंह दबा दिया ताकि आवाज़ बाहर ना जा सके।
इसी के साथ रत्नेश भैया का काम रस काजल की चूत में छूट गया और 6-7 बड़े झटकों के बाद रत्नेश भैया शांत हुए और मैंने काजल के मुँह से अपना हाथ हटाया।
काजल बिल्कुल बेहोश सी हो चुकी थी। करीब 2-3 मिनट के बाद रत्नेश भैया ने अपना लन्ड चूत से बाहर निकाला।
इतने में काजल भी सामान्य हुई और उसने अपने हाथों से रत्नेश भैया के लन्ड पर लगा कॉन्डम निकाला और कॉन्डम में भरे हुए नमकीन वीर्य में एक उंगली डालकर उसे चाट लिया और बाकी का वीर्य कॉन्डम में ही अपनी मुट्ठी में दबा लिया।
अब मेरा लन्ड भी तनकर झटके मार रहा था जिसे मैंने बाथरूम में जाकर मुठ मारकर शांत किया।
मेरा वादा और ज़िम्मेदारी दोनों पूरी हो चुकी थी। मेरे बाथरूम से आने तक दोनों ने अपने कपड़े पहन लिए थे।
मैंने दोनों को वहीं बैठने के लिए कहा और मैं पूरी बिल्डिंग का मुआयना करके आया कि कौन कहाँ है और कोई खतरे की घंटी तो नहीं है।
तब जाकर फ्लैट में ताला लगाकर हम लोग नीचे आये और दोनों ने ही दिल से मुझे थैंक यू कहा और रत्नेश भैया दुकान वापस चले गए, वहीं काजल अपने घर।
इसके बाद मैं और इन सभी मामलों में उलझना नहीं चाहता था. इसके अलावा मेरा समय भी खत्म हो चुका था इसलिए मैं इंदौर से लौट आया।
रत्नेश भैया, सर्वेश और काजल के मोबाइल नम्बर भी थे मेरे पास जो समय के साथ कहाँ गए, मुझे भी नहीं पता।
मेरे भैया ने भी वह फ्लैट बेच कर अपना प्लॉट लेकर खुद का घर बना लिया था। इसके बाद उस जगह जाने का मौका भी नहीं मिला और ये कहानियां जीवन की यादें बनकर रह गयी।
उम्मीद करता हूँ कि आठ भागों की यह कहानी आपको पसंद आयी होगी।
एक नई श्रृंखला के साथ फिर लौटूंगा।
पाठको, आप द्वारा मुझे मिल रहे मेल उनके प्यार को दर्शाते हैं, आपका प्यार ही प्रेरणा है।
मुझे बतायें कि मेरी सेक्सी कहानी कैसी लगी आपको!
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