कामुकता की आग पर प्यार की बारिश-1

कामुकता की आग पर प्यार की बारिश-1

बारिश में भीगने के बाद मेरे स्कूल के सिक्योरिटी गार्ड में मेरी कामुकता की आग पर अपने प्यार की जो बारिश की… मैं धन्य हो गई…

मैंने अपना चश्मा निकाल के नीचे टेबल पर रखा और आँख मलने लगी। टाइम देखा तो शाम के 6:30 हो गए थे। काम करते वक़्त टाइम का ध्यान ही नहीं रहा। मेरा नाम नीतू है और मैं एक टीचर हूँ। मैं जिस स्कूल मैं पढ़ाती हूँ, उसके टीचर्स रूम में अकेली बैठी थी, स्कूल भी दोपहर को छूट गया था और दूसरे टीचर्स और स्टाफ भी चला गया था।

मैं स्कूल की परीक्षा के पेपर तैयार कर रही थी, मैं पढ़ाती हूँ उस विषय के और दूसरे टीचर्स के दो और विषय के!

मेरी बारहवीं के बाद मैंने अपने मनपसंद कोर्स डी.एड. का कोर्स किया और फिर घर वालों की मर्जी से एक किसान के पढ़े-लिखे लड़के के साथ शादी करके मुम्बई से गांव में आ गई।
शादी के एक महीने बाद ही मेरे पति पढ़ने के लिए अमेरिका चले गए। उन एक महीने में भी हमने सेक्स का आनंद सिर्फ 15 दिन ही उठाया, बाकी के दिन पैकिंग और तैयारी में ही निकल गए। उस 15 दिनों मैं मेरी सेक्स की भूख बहुत बढ़ गई थी पर समाज के बंधनों की वजह से मैंने अपने आप पर काबू रखा था। दिन भर स्कूल के कामों में अपने आपको व्यस्त रखा था और रात को हाथ की उंगलियां तो थी ही।

मेरी उम्र बीस साल है, मेरा रंग गोरा है मेरी हाइट 5’4″ है, मेरे बाल मेरी कमर तक लंबे हैं। हर रोज जॉगिंग ओर डांसिंग करने के वजह से मेरा शरीर बहुत सेक्सी कामुकता भरा है। मेरे बूब्स 32″ के हैं और बहुत टाइट हैं, ब्रा पहनने की भी जरूरत नहीं पड़ती, फिर भी निप्पल ना दिखें इसलिए पहन लेती हूं।

मेरे घर में मेरे ससुर जी हैं जो खेती के काम में ही व्यस्त रहते हैं, सास है जो मंदिर और पूजा पाठ में व्यस्त रहती है। इसलिए शुरू शुरू में घर में बैठे बैठे मैं बोर हो जाती थी, फिर 6 महीने पहले ससुरजी से बोलकर स्कूल मैं इंग्लिश पढ़ाने की परमिशन ले ली।
स्कूल मेरे घर से बहुत दूर था, एक घंटा बस से लग जाता था।

स्कूल में नरेन्द्र नाम का 45 साल का एक आदमी सेक्यूरिटी कम चपरासी के काम पर था। नरेन्द्र पहले मिल्ट्री में 15 साल काम करके रिटायर हुआ था। उसकी वाइफ से उसका तलाक हुआ था और उसी प्रोसेस में उसकी वाइफ और वकील ने उसको बहुत लूटा था इसलिए वो स्कूल में काम करता था।

आज मैं ओवरटाइम कर रही थी तो उसको भी स्कूल बंद करने के लिए मेरे साथ रुकना पड़ा।

वैसे तो मुझे पता था कि वो भी मुझे पसंद करता था, मुझे देखकर उसके आँखों में अजीब सी चमक आ जाती थीं।
दूसरी तरफ मुझे भी मिल्ट्री के लोगों का बहुत आकर्षण था। जब मुझे पता चला कि वह मिल्ट्री में काम कर चुका था तो मुझे भी उसके बारे में अजीब आकर्षण पैदा होने लगा था।

स्कूल में वो बहुत मृदु भाषी था, हमेशा मुझसे अच्छे से हंस कर बात करता। मैं जब भी काम के सिलसिले में देर तक रूकती तो वो खुल के मेरे साथ बात करता। कितनी बार बातें करते वक्त मैंने उसके पैंट में टैंट होता देखा था।
पर आज उसने मुझे डिस्टर्ब नहीं किया था।

थोड़ी देर बाद वो रूम के दरवाजे के पास आया और अंदर देखने लगा।
मेरी पिंक साड़ी ओर मैचिंग ब्लाउज में मेरे बदन को निहारने के बाद उसने मुझे पूछा- टीचर दीदी, आप कब निकलोगे?
सभी स्कूल के स्टूडेंट्स की तरह वो भी मुझे टीचर दीदी ही पुकारता था।
मैंने घड़ी के तरफ देखा, शाम के 6:45 बजे हुए थे, मेरे घर को जाने वाली बस अब छूट चुकी थी।

‘पता नहीं नरेन्द्र, थोड़ा सा काम बचा है, और मेरी बस भी छूट गई है। अब आठ बजे की बस है, तो यह सब काम खत्म करके ही जाऊँगी!’ मैंने कहा.
‘पर टीचर दीदी आपने आसमान की ओर देखा है क्या, बादल भर आये हैं, बहुत जोर से बारिश होने वाली है!’ वो इतना बोल पाता कि बारिश शुरू हो गई।

थोड़ी देर के बाद तेज हवा भी भी बहने लगी और बारिश भी तेज हो गई।
‘लगता है मैं यहाँ पर फंस गई!’ मैंने उसे मुस्कुराते हुए कहा.
मेरे मुस्कुराने का उस पे हमेशा ही तरह असर दिखने लगा.

तभी पूरे गांव की लाइट भी चली गई।
‘अब मैं अपना काम खत्म नहीं कर सकती!’ मैंने नाराज होते हुए कहा.
‘हाँ दीदी और गांव में लाइट चली गई तो कई कई घंटे तक नहीं आती, और अगर आंधी आई हो तो कोई भरोसा ही नहीं!’ वो बोला।
‘अब क्या करें?’ मैंने कहा।
‘मैं मोमबत्ती लेकर आता हूं, आपको अँधेरे में नहीं बैठना पड़ेगा, और इस अँधेरे में मैं तुम्हें देख भी सकता हूँ!’ कहकर वह चला गया।
नरेन्द्र जो बोला, उससे मैं सोच में पड़ गई। उसकी बातों से लग रहा था कि वह थोड़ा उत्तेजित हो गया है।

तभी नरेन्द्र एक मोमबत्ती का टुकड़ा ले के आया- सॉरी दीदी, इससे बड़ी मोमबत्ती नहीं मिली.
वो बोला, उसने मोमबत्ती को टेबल पे रख दिया।

मैं टेबल पर से पेपर्स समेटने लगी तब वो मेरे शरीर को ही निहारने मैं लगा था। पसीने से गीले हुए मेरे शरीर को वो मेरे कपड़ों के अंदर से इमेजिन कर रहा था। उसका असर उसके लंड पर हो
रहा था, वो अब खड़ा होने लगा था, उसको छुपाने के चक्कर मैं वो झट से सोफे पर मेरे बाजु में बैठ गया। उसकी इस हरकत से मैं थोड़ी डर गई, इस टेंशन में भी मैं उसकी तरफ देख कर हंस पड़ी।
उसने वो क्यों किया, यह वो बता भी नहीं सकता था तो वो भी सिर्फ हंसने लगा।

तभी ऐसा कुछ हुआ के हम दोनों की दुनिया एक पल में ही बदल गई।
कहीं पे जोर से बिजली कड़की ओर उसकी रोशनी स्टाफ रूम की खिड़की से पूरे रूम में फ़ैल गई। उसके तुरंत बाद ही कड़कड़ाने की आवाज जोर से सुनाई दी और जोर से बारिश शुरू हो गई, मैं डर कर एक छोटी बच्ची की तरह नरेन्द्र की गोद में जाकर के बैठ गई, उसके चौड़े सीने में मैंने अपना सिर छुपा लिया और उसे कस के पकड़ लिया, जैसे मेरी जान अब उसके ही हाथ में थी।

यह सब एकदम अचानक से हुआ, उसको समझ में नहीं आ रहा था कि वह अब क्या करे… उसने घबराते हुए उसके हाथों को मेरी पीठ पे ले जाते हुए मुझे गले लगा लिया।

लगातार बिजलियाँ चमक रही थी और कड़कड़ाहट की आवाजें सुनाई दे रही थी। हर तेज आवाज के साथ मैं डर कर कांप रही थी और उसे जोर से गले लगा रही थी। एकदम छोटी बच्ची जैसा बर्ताव करते देख उसने मेरा हौसला बढ़ाने के लिए मेरे गर्दन पर एक किस कर दिया।
उसे नहीं पता था कि वो मेरे बॉडी पे जितने कामुक पॉइंट्स थे उनमें से एक था।

मैं उस किस से स्तब्ध रह गई। मुझे मेरे शादीशुदा होने का अहसास हुआ। मुझे मेरी जांघों के बीच उसके लंड का कड़कपन भी महसूस हो रहा था। मैंने अपने आप को उसकी बांहों से छुड़ा लिया। मेरा मुँह अब शर्म से लाल हो रहा था। मोमबत्ती के उजाले में मेरे चेहरे की लाली वो देख सकता था। मैं शरमा के अपना सर नीचे झुका के मुस्कुराई।

मैं कुछ बोल पाती, तब तक नरेन्द्र ने मेरे गाल पर भी एक किस कर दिया। मुझे अब कुछ भी समझ में नहीं आ रहा था। मैं एक शादीशुदा लड़की थी। मुझे इस बात का ख्याल भी था कि अगर ये ऐसा ही चलता रहा तो हालात काबू से बाहर निकल जाएंगे।
पर दूसरी तरफ मेरा शरीर मेरे विचारों के बिल्कुल विरुद्ध था, मेरी पैंटी में मुझे गीलापन महसूस हो रहा था। मुझे ऐसी कामुकता का अहसास अपने पति के साथ भी कभी नहीं हुआ था।
नरेन्द्र मेरे गालों पे हल्के हल्के किस करते हुए मेरे होंठों की ओर बढ़ने लगा।

‘नरेन्द्र म..मु..मुझे.. नहीं लगता हमें ये क…र..ना…’ तब तक नरेन्द्र ने अपने होंठ मेरे होंठों पे रख दिए, मैं बाकी के शब्द उसके होंठों में ही बड़बड़ाई और शांत हो गई।
नरेन्द्र की जीभ मुझे अपने होंठों पे महसूस होने लगी थी।
कुछ देर के संकोच के बाद मैंने अपने होंठों को जरा सा खोल दिया और नरेन्द्र को अपना काम करने दिया।

नरेन्द्र ने हल्के से अपनी जीभ मेरे जीभ पर घुमाई। यह सब हो रहा था लेकिन मैं पूरी स्तब्ध थी।
थोड़ी देर के बाद डरते हुए ही मैंने अपनी जीभ उसके मुंह में घुसा दी। वो मजे से मेरी जीभ को चूस रहा था। मेरी पैंटी अब मुझे और भी गीली लगने लगी थी।

नरेन्द्र ने अब अपनी किस रोक दी, उसकी तो जैसे साँसें ही थम गई थी। किसी बच्चे को चॉकलेट मिलने जैसा वो खुश हुआ और हंसने लगा- टीचर दीदी, मैंने ऐसा किस अब तक किसी का भी नहीं लिया!
वो बोला, तभी उसे एहसास हुआ कि उसे ऐसा नहीं बोलना चाहिए था।

मैंने अपनी नजर झुका दी और हल्के से मुस्कुरा दी।
‘मुझे नहीं लगता कि ये टीचर दीदी नाम मुझे आपके मुँह से अच्छा लगेगा!’ मैंने कहा.
‘क्या कहना चाहती हो टीचर दीदी?’ उसने घबराते हुए पूछा।
‘आप मुझे अब नीतू ही बुलाया करो!’ मैंने कहा।
‘मैं याद रखूँगा टीचर दी… नीतू… वॉव तुम्हारा नाम जोर से लेने में कितना मजा आता है!’

उसके ऐसे कहने से मैं और भी शर्मा गई और मैंने फिर से उसके बांहों में अपना सर छुपा लिया। वो मेरे गर्दन पर अपने गाल घिसने लगा। फिर उसने अपने होंठों को मेरे होंठों पे रख दिया। इस बार मैं आक्रामक हो गई। मुझे अब किसी बात की परवाह नहीं थी, मेरे तन में अब अजीब सी आग लगी थी जो केवल नरेन्द्र ही ठंडी कर सकता था।
इस बार की किस बहुत ही रोमांटिक थी।

बहुत देर के बाद हम अलग हुए। मेरे चेहरे की लाली अब और बढ़ गई थी। मैंने मोमबत्ती की ओर देखा तो वो भी खत्म होने को आई थी।
‘मोमबत्ती खत्म हो जायेगी अब!’ मैंने उसे कहा।
‘ह..हा… हमें जल्द ही कुछ करना चाहिए!’ उसने कहा।
उसके मुंह से यह सुनकर मैं फिर से मुस्कुराई, ‘हमें क्या करना चाहिए?’ मैंने उसे पूछा।

‘देखो, बहुत जोर से बारिश हो रही है, इस हालत मैं तुम अपने घर नहीं जा सकती. अगर जा भी सकती तो भी मैं तुम्हें नहीं जाने देता!’
मैं फिर से मुस्कुराई.

‘मैं ये रूम लॉक करता हूँ, तब तक तुम प्रिंसीपल के ऑफिस में जाकर अपने घर में फ़ोन करो, फिर हम आराम से मेरे घर जाकर रह सकते हैं।’
‘ह्म्म .. आईडिया तो अच्छा है!’ मैंने कहा।

वो उठ के खड़ा हुआ, उसके पैंट में तंबू अब साफ़ साफ़ दिखाई दे रहा था पर इस बार उसने उसको छुपाने की कोशिश भी नहीं की।

हम रूम के बाहर आ गए, उसने रूम को लॉक किया तब तक मैंने घर पर फ़ोन किया और ‘मैं एक लेडी टीचर के घर रुक रही हूँ’ बोला।
घर वालों ने भी इजाजत दे दी।
फिर उसने सारे रूम्स लॉक कर दिए। उसका घर स्कूल के ठीक पीछे था, हमारे पास छाता भी नहीं था
‘नरेन्द्र, आपके घर पर जाते हुए मैं तो पूरी भीग जाऊँगी.’ मैंने कहा।
‘तो क्या अभी तुम भीगी हुई नहीं हो क्या?’

मैं फिर से शर्मा गई.
‘देखो अगर दौड़ के गये तो ज्यादा नहीं भीगेंगे.’ उसने कहा।

हम दौड़ के उसके घर तक गये पर उससे ज्यादा फर्क नहीं पड़ा, उसके घर पहुंचने तक हम सर से पैर तक पूरे भीग गये थे।
उसने दरवाजा खोला और अंदर जाकर घासलेट का दिया जलाया, मैं उसके रूम में पहुंची। मुझे उस रूम में मर्दाने पसीने की और वीर्य की गंध महसूस हुई, पर वो गंध भी मुझे कामुक लगी। अब तक नरेन्द्र अपने पूरे कपड़े उतारकर अपने बदन पर एक लुंगी पहने हुए था, उसने टॉवल से अपने बदन को सुखाया, मैं उसके अधनंगे शरीर को निहार रही थी।

‘तुम्हें भी अपने कपड़े बदलने चाहिएँ, नहीं तो बीमार पड़ जाओगी!’ उसने मुझे कहा।
‘हाँ, पर आपके पास लड़की के कपड़े होंगे तो बदलूंगी, नहीं तो में ऐसी ही ठीक हूँ.’ मैंने उसे कहा।
वो मुस्कुराया और मुझे टॉवल देते हुए कहा- तुम अपने आप को सुखा लो, मैं कुछ इंतजाम करता हूँ।

मैंने उस टॉवल को थोड़ी देर देखा। किसी पराये मर्द ने इस्तमाल किया हुआ टॉवल अब मैं इस्तमाल करने वाली थी… इस बात से मैं और उत्तेजित होने लगी। आज रात को मेरे लाइफ में आने वाले पराये मर्द के बदन की खुशबू मैं अपने बदन पे मल रही थी। मैं जैसे खुद को उसकी वाइफ बनने के लिए तैयार कर रही थी।

थोड़ी देर बाद नरेन्द्र एक धोती लेकर आया- तुम गीले कपड़े निकाल दो और ये धोती साड़ी की तरह पहन लो। इससे तुम अपना बदन तो ढक ही सकती हो.
मैंने उससे वो धोती ली और अंदर के रूम में कपड़े बदलने चली गई।

अंदर जाकर मैंने अपनी साड़ी उतारी और जमीन पे फेंक दी, उसके बाद पेटीकोट उतार कर साड़ी पर फेंक दिया।
अब मैंने ब्लाउज के बटन खोलने शुरू कर दिए और वो भी निकाल कर साड़ी पे फेंक दिया।

मैं सिर्फ बारिश से गीली हुई ब्रा में और खुद के पानी से गीली हुई पैंटी में थी।
मैंने टॉवल से मेरा बदन पोछा। फिर मैंने अपनी ब्रा निकाल कर जमीन पे फेंक दी।

मैंने अपने स्तनों की तरफ देखा, मेरे निप्पल खड़े हो गए थे। मैंने अपनी पैंटी भी खींच के उतार दी, मेरी चुत अभी भी पानी छोड़ रही थी। मैंने उस धोती को साड़ी की तरह अपने बदन पे पहना, पर उसके नीचे कुछ भी नहीं पहना था।

मैं अब बाहर आ गई। नरेन्द्र ने मुझे देखा और बस देखता ही रह गया। घासलेट के दिये की हल्की रोशनी में मेरे बदन और भी कामुकता बिखेर रहा था।
वह धोती मेरे गोल स्तनों को मुश्किल से ढक पा रही थी। मेरे स्तन धोती की साइड से बाहर निकले हुए थे। वह धोती मेरे चॉकलेटी निप्पल को छुपाने में भी असमर्थ थी और मेरे निप्पल धोती के ऊपर उभरे हुए साफ़ दिखाई दे रहे थे।

मैंने अपने बाल भी खुले छोड़ दिए थे, मुझे देखकर उसके मुँह से शब्द ही नहीं निकल रहे थे।
‘मुझे मेरे लाइफ में मिली तुम सबसे खूबसूरत लड़की हो!’ उसने मुझसे कहा।
मैंने मुस्कुरा के उसको रिप्लाई दिया- थैंक्स नरेन्द्र… अब हम आगे क्या करेंगे?
‘आ? मतलब? क्या करेंगे हम?’ वो अभी भी मुझे निहारने में व्यस्त था।

‘वो… तुम्हारी लुंगी में इतना बड़ा तम्बू देखते ही मुझे समझ में आ गया है कि आपका कुछ अच्छा प्लान जरूर होगा!’ उसके टेंट की ओर देखते हुए मैंने कहा.
‘पर पहले कुछ खा लेते हैं, उससे आप के प्लान को सफल बनाने में ताकत मिलेगी और आप थकोगे भी नहीं।’ मैंने उसे आंख मारते हुए कहा।
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मैं उसकी किचन ने गई और खाना बनाने लगी। मुझे खाना बनाने में लगभग एक घंटा लगा। नरेन्द्र पूरे टाइम मुझे ही निहार रहा था। मैं जब भी नीचे झुकती तो वो मेरे गोल गोल नितम्बों को निहारता। दिए की हल्की रोशनी में वह मेरे हर अंग का शेप देख सकता था।
पसीने से मेरा पूरा शरीर चमक रहा था। वो एक घंटा उसके लिए बहुत मुश्किल समय था।

मैंने खाना परोस दिया, वो जल्दी जल्दी खाना ख़त्म करने लगा। उससे अब रुका नहीं जा रहा था। खाना खाने के बाद मैं सारे बर्तन उठा के बर्तन मांजने चली गई तो वो बेचैन हो गया।
मैं उसको जानबूज कर सता रही थी।
बर्तन धोते वक्त मेरे बदन की हलचल से वो भी उत्तेजित हो गया।

अब वह भी बदला लेने के बारे में सोचने लगा और मेरे पीछे आकर खड़ा हुआ। घुटनों में थोड़ा नीचे झुककर उसने अपने हाथों को आगे लाकर मेरे स्तनों को धोती के ऊपर से ही पकड़ लिया। अचानक हुए इस हमले से मैं थोड़ा चौंक गई और थोड़ी देर बाद संभलकर फिर से बर्तन धोने लग गई।
मैं अब शरमाते हुए हल्के से मुस्कुरा रही थी। मेरे गाल भी अब शर्म से लाल हो गए थे.

वो अपना सर मेरे पीठ के पास ले जाकर मेरे बालों को सूंघ रहा था, मेरे बालों की खुशबू अपने नथुनों में भर रहा था।
मुझे अब मेरे नितम्बों पे नरेन्द्र के पतली सी लुंगी से बाहर निकलने को मचलता हुआ लंड चुभ रहा था। उसकी आगे की हरकतों की राह देखते हुए मैं सिर्फ मुस्कुराई।

नरेन्द्र अब अपना हाथ मेरी धोती के अंदर ले जाते हुए मेरे स्तनों पे ले आया। बहुत दिनों से मेरे स्तनों को मेरे अलावा किसी ने नहीं छुआ था।
बहुत मुश्किल से मैंने अपना काम जारी रखा पर मेरी हाथों की थरथराहट उसे दिख रही थी। नरेन्द्र ने अपने मर्दाने हाथों से मेरे स्तनों को सहलाया फिर अपना हाथ मेरे स्तनों के नीचे ले जाकर
उनको टटोला जैसे वो मेरे स्तनों को तोल रहा हो।

उसका लंड अब पूरा खड़ा होकर कठोर हो गया था। वो अब मेरी पीठ पे, गर्दन पे जहाँ जगह मिली वहाँ चूमने लगा। अपने हाथों से मेरे स्तनों को प्यार से तोलना और दबाना जारी रखा।
मैं भी अब उसके हाथों का मजा ले रही थी। मेरी गर्दन पे कामुक जगह पर हो रहे हमले अब मुझे सहन नहीं हो रहे थे। कामुकता से मेरी चुत अब फिर से गीली होने लगी थी। मैं थोड़ा सा पीछे झुकी और अपना पूरा भार नरेन्द्र पे डाल दिया।

उसने भी मेरे बाल मेरे गर्दन पे से हटाए और मेरे गर्दन पे किस करने लगा। मैंने अपना सर पीछे घुमाकर अपने होंठों को उसके होंठों के नजदीक लेकर आ गई। उसने अपने होंठ मेरी गर्दन से उठाकर मेरे होंठों पे रख दिए।
इस बार मैंने पहल करते हुए मेरी जीभ उसके मुँह में डाल दी और उसके जीभ से खेलने लगी। वह चुम्बन बहुत ही उत्तेजक था।
लम्बे चले उस किस की वजह से हमारी लार एक दूसरे के मुँह में घुल मिल रही थी। उसका मेरे स्तनों को सहलाना चालू ही था। वो मेरे तेज दिल की धड़कनों को महसूस कर सकता था। हम दोनों की साँसें तेज चल रही थी।

नरेन्द्र ने अचानक से मेरे कड़े निप्पल को उंगलियों में पकड़ा और दोनों निप्पल को एक साथ मसल दिया। मेरे मुँह से कामुकता भरा ‘उम्म्ह… अहह… हय… याह… आहऽऽऽऽ स्स्स स्स्स’ निकल गया।
मैंने अपने होंठों को उसके होटों से हटाया तो उसको लगा कि मुझे बहुत दर्द हुआ है।
‘सॉरी, बहुत दर्द हुआ क्या?’ उसने पूछा।
‘नहीं… नहीं हुआ… बिल्कुल भी दर्द नहीं हुआ… मुझे तो बहुत…’ मैं फिर से शर्मा गई।
‘क्या?’ उसने पूछा।
‘मुझे अच्छा लगा, मुझे बहुत पसंद आया आप जो कर रहे थे!’

वो सुन के मुस्कुराया और फिर से मेरे निप्पलों को मसलना शुरू कर दिया।
‘सच… तुमको अच्छा लग रहा है मेरा तुम्हारे निप्पलों से खेलना?’ उसने मेरे निप्पलों को छेड़ते हुए पूछा.
‘ह… हाँ… रुको ना… प्लीज… मत सताओ ना!’ मेरे मुँह से शब्द नहीं निकल रहे थे।

‘तुम भी तो दो घण्टों से मुझे अपना बदन दिखा कर सटा रही थी.’ उसने मेरे निप्पलों को जोर से मसला।
‘आह… नहीं… प्लीज…’ मैं चिल्लाई- प्लीज मेरे राजा, मुझे थोड़ा टाइम दो। मैं हाथ धोकर आती हूँ ना आपके पास!’ मैंने उसे रिक्वेस्ट की।

मेरे मुँह से राजा सुनकर वो बहुत खुश हुआ। उसने सर को हाँ में हिलाया और वहाँ से हट गया। उस गड़बड़ में धोती जो मैंने पल्लू की तरह ओढ़ रखी थी वो निकल गई और मेरे स्तन उसके सामने नंगे हो गए।
थोड़ी देर मेरे स्तनों को देखने के बाद वो अपनी आगे की तैयारी को लग गया। उसने गद्दे को जमीन पर बिछाया, फिर उस पर नई बेडशीट डाल दी। फिर वो उस पे बैठ के मेरी राह देखने लगा। थोड़ी देर के बाद उसने अपनी लुंगी भी खोल दी और अपने हाठों से अपना लंड हिलाते हुए लेट गया।

मैंने भी झट से सारे काम निपटाए फिर दिया लेकर रूम में पहुंची और दिए को नीचे रखकर मैं नरेन्द्र के सामने खड़ी हुई।
मेरी नजर अब उसके लंड पे पड़ी और मैं स्तब्ध हो गई। मैंने पहली बार किसी पराये मर्द का लंड देख रही थी। उसका लंड किसी लोहे के रॉड की तरह खड़ा था और मेरे पति के लंड से लंबा भी था और थोड़ा मोटा भी था। मेरे पति ने और मैंने लगभग 20 बार सेक्स किया था तब भी मेरे पति का लिंग मुझे बहुत बड़ा लगता था। नरेन्द्र का लंड देख कर मैं थोड़ा डर ही गई पर मेरे और पति के सेक्स की याद आते ही मेरी चुत ने पानी छोड़ना शुरू कर दिया।

मैंने नरेन्द्र की ओर देखा तो उसने आंखों में मिलन की बेकरारी दिखी।
उसको देखकर मैं थोड़ा मुस्कुराई और उसके आंखों में देख कर धीरे धीरे धोती को उतारने लगी।

शुरुआती शर्म अब कम होने लगी थी, मैं उसकी तरफ पीठ करके खड़ी हुई और धोती पूरी खोल दी। फिर एक हाथ से अपने स्तनों को ढक लिया और दूसरे से मेरी चुत को ढका और उसकी तरफ मुड़ी।
वो आंखें बड़ी करके मेरा रूप निहार रहा था। हल्की सी रोशनी मैं भी वो मेरे जाँघों पे गीलापन देख सकता था। वो चुत की तरफ देख रहा था तो मैंने अपना हाथ धीरे से वहाँ से हटाया। वो मेरी पिंक चुत देख कर पागल हो गया।

मैं धीरे धीरे चल कर नरेन्द्र के नजदीक आ गई। जिंदगी में पहली बार मैं अपने से दुगने उम्र के आदमी के साथ बेड पे लेटी थी।

उसने जरा भी देर ना करते हुए अपने होंठ मेरे निप्पल पर रख दिए मैं उस अहसास से आहें भरने लगी। उसने मेरे दूसरे स्तन को हाथ से सहलाना चालू किया। उसने धीरे से मेरे चॉकलेटी एरोला पे जीभ गोल गोल घुमाना चालू किया और फिर धीरे से मेरे निप्पल पे जीभ घुमाई तो मैंने जोर से आह भरी।

अब उसको पता चल गया कि मुझे उसमें मजा आ रहा है तो उसने अपनी जीभ से मेरे निप्पल्स को चूसना चालू रखा। मैं अब उसका सर मेरे वक्ष पे दबा रही थी।
अब उसने भी अपने चूसने की स्पीड बढ़ा दी। और जब उसका मन भर गया तो ‘पॉप’ की आवाज निकालते हुए उसने मेरा निप्पल अपने मुँह से बाहर निकाल दिया।

मैं कुछ बोलने ही वाली थी, तभी उसने मेरा दूसरा निप्पल अपने मुँह में लिया और पहले जैसे ही चूसना चालू कर दिया।
अब मेरा खुद पर से कण्ट्रोल छूट गया था।
उसने मेरे स्तनों को छोड़ा और वासना भरी निगाहों से मुझे देखने लगा। मैं उसकी नजरों से नजरें नहीं मिला सकी और मैंने अपनी आंखें बंद कर ली। उसने फिर से मेरे निप्पल को उंगलियों में पकड़ा और हल्के से दबा दिया।

मेरा बदन एकदम से अकड़ गया मेरी चुत का रस मेरी जांघों से चादर को भिगोने लगा।

उसे अब पता चल गया था कि उसका मेरे निप्पल्स से खेलना मुझे और उत्तेजित कर रहा था। वो मेरे निप्पल और जोर से दबा देता। हर बार मेरा दर्द झट से उत्तेजना में बदल जाता और चीखें सिसकारियों में बदल जाती!

नरेन्द्र अब और भी जंगली हो गया था। वो अब लगभग मेरे निप्पल्स खींच के जोर से मसल रहा था। मेरी आँखें बंद थी और मेरा मुख खुला हुआ था। पर मेरे मुह से सिसकारियों के अलावा कुछ भी नहीं निकल रहा था।

अब नरेन्द्र ने मेरे होंठों पे कब्ज़ा कर लिया, उसकी जीभ मेरी जीभ से कुश्ती लड़ने लगी, फिर वही हुआ, मेरी चुत से रस की नदी बहने लगी नरेन्द्र ने सिर्फ मेरे स्तनों से खेल कर मुझे झड़वा दिया था।
उसको भी इस बात पर आश्चर्य हुआ पर फिर वो खुश भी हुआ। मैं जब तक झड़ रही थी तब तक उसने मेरे स्तनों से खेलना जारी रखा।

झड़ने का जोर जब खत्म हुआ तब मैंने आँखें खोली। वो मेरी तरफ ही देख रहा था मैंने उसको अपनी आगोश में लिया और उसको चूमने लगी जैसे वो मेरा आखिरी चुम्बन हो। उस किस में अजब सी कशिश थी। मैं अपनी जीभ उसके मुँह में घुसेड़ के लम्बे समय तक किस करती रही।
जब मैंने किस रोकी तो मेरी साँस तेजी से चल रही थी.
‘नरेन्द्र… मेरे राजा… मैं सच कह रही हूँ, लाइफ में पहली बार मैं ऐसी तृप्त हुई हूं, वो भी मेरी चुत को छुए बिना!

मैं थकान और तृप्ति से पीठ के बल लेट गई.

कामुकता से भारी यह कहानी जारी रहेगी.
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कामुकता की आग पर प्यार की बारिश-2

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