कुंवारी चूत चुदाई का आनन्दमयी खेल-3
Bhanji Ki Kunvari Choot Chudai ka Khel-3
उसका हाथ हटते ही मेरा लण्ड उसकी कुंवारी चूत के संपर्क में आ गया, जिसकी रगड़ उसको और मदहोश करती जा रही थी।
मैं धीरे से अपना एक हाथ नीचे सरका कर उसकी चूत का जायजा लेने लगा जो कि पूरी तरह से गीली हो चुकी थी।
मैंने जैसे ही अपना हाथ उसकी कुंवारी चूत पर रखा…
श्रेया बड़ी जोर से सिसिया उठी- ई…ई. ई…सस..
जैसे मैंने उसकी कमजोरी पर हाथ रख दिया हो।
श्रेया अपना पिछवाड़ा उचकाने लगी।
उसकी कुंवारी चूत काफी गीली हो चुकी थी।
मेरा लण्ड भी गुलाटें मारने लगा था।
मुझसे भी अब और बर्दाश्त नहीं हो रहा था।
मैंने उसकी कमर के नीचे एक तकिया रख उसकी कमर को थोड़ा ऊँचा उठा कर झट से अपने लण्ड को सुपारा उसकी छोटी सी सुरंग पर रख दिया।
सुपारे की गर्मी से श्रेया एकदम चिहुंक गई और मुझे कस कर पकड़ते हुए बोली- हाय मामा… ये क्या है.. तुम क्या कर रहे हो?
मैं भी अब तक काफी मदहोश हो चुका था, पूरी मस्ती के नशे में धुत्त हो कर बोला- हाय श्रेया.. अब तैयार हो जाओ… मैं अपना लण्ड तुम्हारी कुंवारी चूत में पेलने जा रहा हूँ.. आ आ आहह…
मैंने अपना लण्ड कुंवारी चूत में चाँप दिया।
करीब एक इन्च लण्ड ही अन्दर घुसा था कि श्रेया जोर से चीख उठी- उई माँ… मर गई… मामा बाहर निकालो.. बड़ा दर्द हो रहा है।
उसकी चीख इतनी तेज थी कि मैं भी डर गया।
मैंने झट से उसके मुँह पर हाथ रख दिया और उसे चुप कराते हुए बोला- श्रेया धीरे बोलो.. आवाज बाहर चली जाएगी।
मैंने उसका मुँह हाथ से बन्द कर दिया।
उसकी आवाज मुँह के अन्दर की दबी रह गई।
वो मुझे अपने ऊपर से धकेलने लगी।
मुझे लगा कहीं काम बिगड़ ना जाए..
मैं धीरे-धीरे धक्का लगा कर अपना लण्ड उसकी चूत की गहराई तक पहुँचाने की कोशिश करने लगा।
क्योंकि मैं जानता था कि पूरा लण्ड चले जाने के बाद दर्द तो अपने आप खत्म हो जाएगा।
श्रेया दर्द से छटपटाने लगी, पर मुँह पर हाथ रखने की वजह से उसकी आवाज बाहर नहीं निकल पा रही थी।
छेद अभी काफी छोटा था, इसलिए थोड़ी परेशानी तो मुझे भी हो रही थी, पर चार-पाँच बार के प्रयास के बाद मेरा पूरा लण्ड उसकी पूरी गहराई में घुस गया।
श्रेया दर्द से रोने लगी थी, उसकी आँखों से आंसू बह रहे थे।
मैं उसे समझाते हुए बोला- रोओ मत श्रेया.. अब दर्द नहीं होगा.. अब मजा आएगा..
मैंने अपने लण्ड को धीरे-धीरे अन्दर-बाहर करना चालू किया।
पहले तो मुझे भी थोड़ी तकलीफ हुई, पर जब उसकी चूत के रस ने मेरे लण्ड के रास्ते को आसान बना दिया तो लण्ड पेलने में मुझे मजा आने लगा।
अब मैं अपना लण्ड पूरा जड़ तक उसकी बुर में चांपने लगा।
श्रेया की आँखों से अभी आंसू बह रहे थे, पर उसने अब चीखना बन्द कर दिया था।
जिससे मुझे थोड़ी राहत मिली।
मैंने अपना हाथ जैसे ही उसके मुँह से हटाया तो वो धीरे से बोली- प्लीज मामा निकालो ना… बहुत दर्द हो रहा..
मैंने उसे समझाते हुए बोला- बस बेटा थोड़ा और बर्दाश्त कर लो.. अब तो मजा ही मजा है..
ये कहते हुए अपनी कमर ऊपर उठा कर एक हल्के झटके के साथ अपना लण्ड फिर चांप दिया।
इस बार श्रेया के मुँह से एक हल्की सी हिचकी निकली और आँखें बन्द हो गईं।
मैं समझ गया कि इस बार उसे आनन्द का अनुभव हुआ है, तो मैं धीरे-धीरे अपने लण्ड को आगे-पीछे करने लगा।
मेरी इस क्रिया से श्रेया को एक नया अनुभव मिल रहा था क्योंकि वो अपने दोनों होंठों को अपने मुँह के अन्दर दबा कर अपनी आँखें कस कर मूंदने लगी थी, साथ ही साथ उसकी दोनों बाँहें मुझे कसने लगी थीं।
उसके चेहरे के तनाव भरे भाव बता रहे थे कि उसे इस समय जो अनुभव मिल रहा था उसके लिए बिलकुल नया है।
कुछ पल रूक कर मैंने उससे पूछा- श्रेया अब कैसा लग रहा है?
तो श्रेया बोली- मामा तकलीफ तो अभी हो रही है.. पर अच्छा भी लग रहा है।
यह बात उसने थोड़ा शर्माते हुए बोली।
मैं तो खुशी से झूम उठा।
मैंने कहा- बस देखती जाओ.. सारा दर्द खत्म हो जाएगा.. बस मजा ही मजा आएगा।
मैंने जोश में एक जोरदार धक्का जड़ दिया, श्रेया चीख उठी- मामा… क्या करते हो… दर्द होता है.. धीरे-धीरे करो ना…
‘ओह सारी….मैं जरा जोश में आ गया था।’
‘जोश में मेरी जान ही निकाल दोगे क्या?’
‘अरे नहीं मेरी रानी… डोन्ट वरी.. अब प्यार से पेलूँगा..’
मैं उसके एक मम्मे को हौले से दबाने लगा।
श्रेया के मुँह से मीठी सिसकारी फूट पड़ी।
‘सीसी…सी.मामाअअअआ..’
श्रेया ने मेरी पीठ पर हल्के से मुक्का मारते हुए बोली- तुम बड़े शैतान हो।
मैंने मुस्कुरा कर पूछा- लो… भला मैंने क्या शैतानी की?
मैंने मासूम सा चेहरा बना कर बोला।
श्रेया खिलखिला कर हँस पड़ी और अपने दोनों पैरों को मेरी कमर में कस कर बाँध लिया।
साथ ही मेरे चेहरे पर चुम्बन की झड़ी लगा दी।
मैं भी खुशी से झूम उठा और खुशी से उसकी दोनों चूचियों को हॉर्न की तरह दबाते हुए धक्के की गति थोड़ी बढ़ा दी।
जिससे श्रेया का आनन्द भी बढ़ गया क्योंकि उसकी सिकारियाँ अब तेज होने लगी थीं।
‘आआहहह… ओह माँ…. मामा…आ..सी. ई…’
श्रेया की मस्ती को देख कर मेरी मस्ती भी दुगनी होने लगी थी।
श्रेया की सिसकारी हर पल बढ़ने ही लगी थी उसके साथ ही मेरे लण्ड की गति भी बढ़ती जा रही थी।
‘आहहह… आहहह… उई.. हाय ये क्या हो रहा है मामा..’
‘यही तो जिन्दगी का असली मजा है मेरी जान…आहहह….मुझे तो बहुत मजा आ रहा है…हाय श्रेया तुमको कैसा लग रहा है?’
‘हाय मामा..आह्ह.. बहुत मजा आ रहा है… आआहहह… ऐसा मजा तो पहले कभी किसी चीज में नहीं मिला आआआहहह…’
अब तक तो मेरी मस्ती भी अपनी चरम सीमा को छूने लगी थी। श्रेया के साथ मेरे मुँह से भी मस्ती भरे स्वर निकलने लगे थे।
‘सच श्रेया मैं अब तक न जाने कितनी लड़कियों को चोद चुका हूँ.. पर तुम्हारी चूत को चोदने में जो मजा आ रहा है, मुझे पहले कभी नहीं मिला… हाय श्रेया बहुत मजा आ रहा है…’
‘आहहहह….मामा मुझे भी बहुत मजा आ रहा है।’
मैं उसके चेहरे पर चुम्बन करने लगा तो श्रेया भी मुझे चूमने लगी।
अब तक श्रेया की चूत काफी पानी छोड़ चुकी थी क्योंकि अब मेरा लण्ड बड़ी आसानी से अन्दर-बाहर आ जा रहा था।
साथ ही ‘फच.. फच’ की ध्वनि भी उभर रही थी।
जो चुदाई के इस माहौल को और मोहक बनाने लगी थी।
कुछ देर पहले जिस कमरे में खामोशी थी। अब चुदाई के मधुर संगीत से गूंज रहा था।
जहाँ एक ओर घर के सारे लोग गहरी नींद में सो रहे थे, वहीं दूसरी ओर मामा-भाँजी की चुदाई का खेल चल रहा था।
जहाँ एक ओर घर खामोशी थी, वहीं दूसरी ओर हम दोनों मामा-भाँजी की मस्ती भरी सिसकारीयाँ कमरे में गूँज रही थीं।
मैंने तो कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि मुझे श्रेया जैसी माल की कुंवारी चूत को चोदने का ऐसा मौका भी मिलेगा।
इस पल हम दोनों ही मस्ती के अथाह सागर में गोते लगा रहे थे, जिसका कोई वर्णन नहीं किया जा सकता।
हर पल हमारी चुदाई की गति बढ़ती ही जा रही थी।
करीब बीस मिनट तक मैं श्रेया को ऐसे ही चोदता रहा साथ उसकी मस्त दूध जैसी चूचियों को भी दबाता मसलता रहा।
श्रेया भी मस्ती में पागल हो चुकी थी। वो अब खुल कर मेरा साथ दे रही थी।
अचानक श्रेया की सिसकारी और तेज हो गई और वो चिल्ला कर बोली- हाय मामा मुझे न जाने ये क्या हो रहा है आआहहह… जैसे मेरी चूत से कुछ निकल रहा है..आहहहहह…
उसने मुझे कस कर पकड़ लिया।
मैं समझ गया कि श्रेया अपनी चरम सीमा को पार कर गई है।
अब मेरी बारी थी, मैंने भी अपनी रफ्तार बढ़ा दी।
करीब 6-7 कड़क धक्के लगाने के बाद ही मैंने भी अपना पूरा का पूरा लण्ड श्रेया की चूत में पेल दिया और पूरी तरह से उसके ऊपर ढह गया।
मेरा लण्ड अपने गरम-गरम वीर्य का गुबार श्रेया की चूत में छोड़ने लगा।
वीर्य की गर्मी मिलते ही श्रेया एकदम गनगना गई और मुझसे कस कर चिपक गई।
मैंने भी उसे कस कर जकड़ लिया।
हम दोनों एक-दूसरे को इस कदर कस कर पकड़े हुए थे, जैसे एक-दूसरे में ही समा जाएँगे।
हम दोनों की सांसें इतनी तेज चल रही थीं जैसे हम दोनों कोई लम्बी दौड़ लगा कर आए हों।
करीब 5 मिनट के बाद जब हम थोड़ा सामान्य हुए तो एक-दूसरे से अलग हुए।
श्रेया अपनी बुर को खून से सना देख कर डर गई, पर जब मैंने उसे समझाया कि पहली चुदाई में खून निकलता ही है, अब दुबारा नहीं निकलेगा.. तो वो सामान्य हुई।
मैंने जब धीरे से उसके कान में पूछा- क्यों श्रेया मजा आया या नहीं?
तो वो शर्मा गई।
‘धत…’
और दौड़ कर बाथरूम में भाग गई।
मैं वैसे ही बिस्तर पर पड़ा रहा।
थोड़ी देर में जब वह वापस आई और मुझे वैसे ही नंगा लेटे देखा तो बोली- क्या मामा.. आपने अभी कपड़े नहीं पहने।
मैंने धीरे से कहा- अभी एक बार और तुम्हें चोदने का मन कर रहा है।
दुबारा चोदने के नाम पर श्रेया ने शर्मा कर गर्दन झुका ली और शर्मा कर बोली- मामा.. अब बस भी करो ना…
मैंने कहा- बस एक बार… बस एक बार और चोदने दो ना.. मेरा मन अभी नहीं भरा…
एक बार चुदाई का मजा मिलने के बाद उसका भी मन भी झूम उठा था।
इस बार श्रेया ने कुछ नहीं बोला।
मैंने उसे अपनी बाँहों में उठा कर एक बार फिर बिस्तर पर लिटा दिया और उसके कामुक अंगों के साथ खेलना शुरू कर दिया।
वो पहले थोड़ी देर शर्माती रही, पर जैसे-जैसे उसे मजा मिलता गया, वो भी मेरा साथ देने लगी।
फिर क्या था पल भर में एक बार फिर से पूरा कमरा हम दोनों मामा-भाँजी की मस्ती भरी सिसकारियों से गूंजने लगा।
इस तरह मैंने उस रात अपनी भाँजी की चार बार चुदाई की।
दीदी के घर गया था सिर्फ दो दिन के लिए और पूरा एक महीना रह कर आया।
पहले एक-दो दिन तो वो थोड़ा शर्माती रही, पर उसके बाद वो मेरे साथ पूरी तरह से खुल गई।
अब वो खुल कर मेरे साथ चुदाई की बातें करने लगी थी।
जब भी मौका मिलता तो वो खुद मुझे चोदने को लिए कहती।
इस तरह पूरे एक महीने में मैंने दिन-रात जब भी मौका मिला, मैंने श्रेया को जी भर कर चोदा।
मुझे आप अपने विचार यहाँ मेल करें।
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