कुंवारी लड़की की चूत चटवाने की ख्वाहिश
नमस्कार दोस्तो, मेरा नाम समीर है. मैं अन्तर्वासना का नियमित पाठक हूँ और पिछले कई साल से अन्तर्वासना पर प्रकाशित कहानियां पढ़ रहा हूँ. आज मैं अपनी सच्ची कहानी आपके सामने ला रहा हूँ. उम्मीद है आप सब दोस्तों को ये पसंद आएगी.
मेरा पूरा नाम नाम समीर यादव है. मैं मुंबई में वेस्टर्न इलाके में रहता हूँ. मेरी उम्र तेईस साल है, हाइट पांच फुट नौ इंच है. मैं रोज जिम जाता हूँ, इसी लिए मेरे शरीर में अच्छा ख़ासा भराव है. मैं दिखने में भी ठीक ठाक हूँ. हालांकि मुझे अपने मुँह से अपनी तारीफ करना पसंद नहीं है तब भी परिचय के लिए इतना लिखना आवश्यक है. मेरा लंड लगभग छह इंच लम्बा और दो इंच मोटे पाइप जितना है. ये इतना मस्त है कि किसी भी लड़की या औरत की इच्छा पूरी कर सकता है. मेरे लंड के बारे में एक और ख़ास बात ये है कि मैं लगातार तीन घंटे तक सेक्स कर सकता हूँ. इतना स्टेमिना मुझमें है … मेरी इस मजबूती को कभी भी चैक किया जा सकता है. मुझे चुत चोदने के अलावा चाटना भी पसंद है. चुदाई में मेरी प्राथमिकता शादीशुदा औरतें हैं. मतलब मुझे अनुभवी औरतों को चोदना ज्यादा पसंद है. आंटी, भाबी, तलाकशुदा और विधवा औरतें, जिनकी उम्र चालीस साल तक हो … मेरे लंड से बड़ी संतुष्ट रहती हैं.
मेरी और दीपाली की मुलाकात एक प्रशिक्षण केंद्र (ट्रेनिंग सेंटर) में कुछ इस तरह हुई थी.
मैंने अभी मेरी पढ़ाई खत्म की है और नौकरी की तलाश में इंटरव्यू आदि दे रहा हूँ. ऐसे ही मैंने एस.ब़ी.आई. में परीक्षा के बाद एक इंटरव्यू दिया, जिसमें मेरा सिलेक्शन हो गया और मेरी नौकरी तय हो गई. कॉल लैटर मिलने के बाद मुझे अगले दिन प्रशिक्षण के लिए प्रशिक्षण केंद्र जाना था. ये प्रशिक्षण पूरे चार दिन चलने वाला था.
मैं अगले दिन सुबह उठ कर तैयारी करके घर से निकल गया. मुझे प्रशिक्षण केन्द्र पहुंचने में कुछ देर हो गई थी. मैं प्रशिक्षण केंद्र के अन्दर पहुंचा, तो वहां करीब तीस लड़के और लड़कियां एक साथ बैठे हुए थे. देर से आने के कारण प्रशिक्षक मुझ पर बहुत गुस्सा हो गए. पर जैसे तैसे मैंने सॉरी बोल कर उनको शांत किया. फिर मुझे एक लड़की के बगल की सीट पर में बैठने की जगह मिली.
अब असली कहानी यही से शुरू होती हैं.
चूंकि पहला दिन था, तो पहचान ना होने के कारण मैंने किसी से भी बात नहीं की थी. जैसे ही पहला दिन ख़त्म होने को आया, तब क्लास खत्म होने के बाद दीपाली ने मुझसे मेरा नाम पूछा.
दीपाली- हाय.
मैं- हैलो!
दीपाली- मैं दीपाली.
मैं- मैं समीर.
इस तरह हम दोनों के बीच परिचय हुआ. कुछ औपचारिक बातें हुई और ट्रेनिंग का दिन खत्म होने पर हम सभी नीचे आ गए. फिर कुछ लोग बस के लिए गए और कुछ लोग ऑटो पकड़ कर चले गए. हम कुछ चार से छह लोग स्टेशन की ओर चलने लगे. उसमें दो लड़कियां यानि दीपाली और उसकी फ्रेंड आगे चल रहे थे और हम चार लड़के उनके ठीक पीछे चल रहे थे.
उस समय दीपाली बार बार पीछे मुड़ मुड़ के देख रही थी और मैं उसको नोटिस कर रहा था.
फिर हम सभी लोग स्टेशन पहुंच गए. मैंने, दीपाली ने और एक लड़की ने विरार की ट्रेन पकड़ी. बाकी लोगों ने चर्चगेट की. दीपाली और वो दूसरी लड़की ल़ेडीज कम्पार्टमेंट में चढ़ गए और मैं जेंट्स मैं. उसके बाद मैं ध्यान दे रहा था कि दीपाली कौन से स्टेशन पर उतरती है. मैं मीरा रोड का रहने वाला हूँ तो मैं मीरा रोड उतर गया … पर दीपाली अभी तक उतरी नहीं थी. उसने मुझे हाथ दिखा कर बाय किया. मैं ट्रेन निकलने तक वहीं खड़ा रहा था. दीपाली भी ट्रेन जाने तक सिर्फ मुझे देख रही थी. तो मैंने उसे स्माइल दी और बाय करके निकल गया.
फिर मैं रात भर उसके ही बारे में सोचता रहा था. मैं सोच रहा था कि ये मिल जाए तो बहुत चोदूंगा साली को. उसकी चुदाई का सोच कर मैंने रात को मुठ मार ली और सो गया.
फिर अगले दिन फिर से सुबह के ग्यारह बजे हम लोग प्रशिक्षण केंद्र में मिले. उस दिन भी हम दोनों अगल बगल में ही बैठे हुए थे. आज भी हम दोनों कुछ बात कर रहे थे.
मैं- हाय कैसी हो?
दीपाली- मैं ठीक … और तुम?
मैं- मैं भी एकदम मस्त हूँ.
दीपाली- तुम मीरा रोड में रहते हो?
मैं- हां … और तुम कहां रहती हो?
दीपाली- मैं भायंदर में रहती हूँ.
मैं- तो हम कल से एक ही ट्रेन पकड़ कर एक साथ आएंगे तो कैसा रहेगा?
दीपाली- हां आईडिया अच्छा है. तुम मुझे कॉल कर लेना, फिर हम दोनों एक साथ ही आएंगे.
मैं- ठीक है तुम मुझे अपना नंबर दे दो, मैं तुम्हें कॉल कर लूँगा.
दीपाली- अच्छा ठीक है.
फिर हमने एक दूसरे का नंबर एक्सचेंज किए. उसके बाद ट्रेनिंग हुई और दिन खत्म हुआ. हम लोग अपने अपने घर पहुंचे.
हम दोनों अब रोज ही साथ साथ आने जाने लगे. एक हफ्ते में ही हम दोनों एक दूसरे से बेहद खुल गए थे.
एक रात को करीब बारह बजे मैंने दीपाली को व्हाट्सैप पर मैसेज किया. वो जाग रही थी. हम दोनों ने हाय हैलो जैसी बातें की.
उसके बाद मैंने उससे पूछा- तुम कहां से हो?
दीपाली- मैं साऊथ इंडियन हूँ. डैड की जॉब के वजह से मुंबई में रहती हूँ.
मैं- तुम्हारा कोई ब्वॉयफ्रेंड है?
दीपाली- हां, पर वो साऊथ इंडिया में रहता है.
मैं- उससे मिलने का मन तो करता होगा ना?
दीपाली- हां, वो तो बहुत करता है.
मैं- मैं तुमसे एक पर्सनल बात पूछना चाहता हूँ.
दीपाली- हां यार, बिंदास पूछ ना, जो भी पूछना है.
मैं- तुमने कभी सेक्स किया है?
दीपाली- नहीं मैं वर्जिन हूँ. सिर्फ किस बहुत बार किया है.
मैं- तुम्हारा सेक्स करने का मन नहीं करता?
दीपाली- करता तो है.
मैं- फिर क्या करती हो?
दीपाली- इन्टरनेट पर पोर्न देख लेती हूँ.
मैं- और क्या करती हो?
दीपाली- कभी कभी फिंगरिंग कर लेती हूँ, पर उससे थोड़ा दर्द होता है.
मैं- वर्जिन हो ना, इसी लिए दर्द होता है.
फिर इस तरह हम लोगों ने सेक्स चैट करना शुरू कर दिया.
मैं- तुम्हें पोर्न में सबसे अच्छा क्या लगता है?
दीपाली- जो चुत चाटते हैं ना, वह बहुत पसंद है मुझे.
मैंने उससे सीधे सीधे पूछ लिया- अगर कोई तेरी चुत चाटे, तो कैसा लगेगा तुझे?
दीपाली- हां मुझे एक बार एक्सपीरियंस तो करना है.
मैं- मैं तेरी चुत चाट लूँ, तो तुझे पसंद आएगा.
दीपाली- हां, अगर तुझे भी पसंद हो तो तू चाट सकता है.
मैं- चुत चाटना मुझे बहुत पसंद है. ऐसी चुत चाटूंगा तेरी कि तू कभी भूल नहीं पाएगी. फिर तुझे ऐसे चोदूंगा कि तू आगे से सिर्फ मुझसे ही चुदवाएगी.
दीपाली- नहीं … मुझे सिर्फ चुत ही चटवाना है, क्योंकि मेरी वर्जिनिटी सिर्फ मेरे बॉयफ्रेंड की है.
मैं- अच्छा ठीक है, मैं सिर्फ चुत चाटूंगा.
दीपाली- तो तुझे टाइम कब है? और हम लोग कहां मिलेंगे?
मैं- आज का लेक्चर बहुत बोरिंग था, तो कल हम छुट्टी कर लेते हैं … चलेगा तुम्हें?
दीपाली- हां ठीक है … कल तेरे घर पर मिलेंगे. तू मुझे एक बजे मीरा रोड स्टेशन पर लेने आ जाना, फिर तेरे घर जाएंगे.
मैं- अच्छा ठीक है … एक बात तो बताओ.
दीपाली- क्या?
मैं- तुमने अभी पहना क्या है?
दीपाली- नाईटी.
मैं- और अन्दर क्या पहना है?
दीपाली- कुछ नहीं … अन्दर से नंगी हूँ. तेरा इन्तजार कर रही हूँ कि कब तू आएगा और मेरी चुत चाटेगा.
मैं- मैं देख रहा हूँ … नाईटी में तू बहुत सेक्सी लग रही है.
दीपाली- तो सिर्फ देखेगा कि कुछ करेगा भी?
मैं- मैंने तेरी नाईटी ऊपर कर ली है.
दीपाली- ले मैंने भी पैर खोल दिए, अब क्या करेगा?
मैं- तेरी झांटें और चुत को सहला रहा हूँ.
दीपाली- हां … और आगे बढ़ जल्दी.
मैं- मैं अपनी जीभ से तेरी चुत को सहला रहा हूँ और तेरी क्लिट को छेड़ रहा हूँ.
दीपाली- आह … हां मैं उंगली डाल कर तुझे फील कर रही हूँ.
मैं- मैं अब फिंगरिंग कर रहा हूँ तेरी चुत में.
दीपाली- आह … उह … बस हो गया … यार तूने तो बात बात में ही मेरी चुत का पानी निकाल दिया. अब मुझे नींद आ रही है. बाकि कल करेंगे … अब सो जाते हैं.
मैं- ओके ठीक है … चलो बाय जान.
दीपाली- बाय मेरा बेबी.
मैं- गुड नाईट, लव यू..
दीपाली- गुड नाईट और लव यू टू.
हम सेक्स चैट करके करीब तीन बजे सो गए. दीपाली से बात करने के बाद मेरा छह इंच बड़ा लंड खड़ा हो गया था. मैंने सोचा कि मुठ मार के शांत हो जाता हूँ. फिर मेरा दिल बोला कि आज थक जाऊंगा, तो कल कुछ नहीं कर पाउँगा. इसी लिए मैं ऐसे ही सो गया.
अब सुबह हो गयी. हम आज एक बजे मीरा रोड स्टेशन पर मिलने वाले थे. पर मेरी नींद ही एक बजे खुली. मोबाइल में देखा, तो दीपाली के 17 मिस्ड काल पड़े थे.
मैंने उसे काल किया. दीपाली बोली- मैं मीरा रोड स्टेशन पर हूँ. तुम कहां हो?
मैंने कहा- मैं बस अभी निकल रहा हूँ. बस दस मिनट में पहुंच जाऊंगा.
दीपाली ने कहा- ठीक है … मैं इन्तजार करती हूँ … जल्दी आना. मैं जल्दी से नहा धो कर दो बजे वहां पहुंचा.
दीपाली बोली- मुझे नींद आ रही थी, मैं फिर से घर लौट जाती.
फिर मैंने उससे सॉरी बोला और हम लोग मेरी गाड़ी पर मेरे घर आ गए. घर में जाते ही मैंने घर के दरवाजे और खिड़की बंद कर दी और दीपाली को कहा- तू पहले जाकर फ्रेश होकर आ जा. तू अपनी चुत को साफ़ कर के आना.
दीपाली बोली- मैंने झांटें नहीं निकाली हैं. मुझे झांटें साफ़ करना नहीं आता. मुझे ब्लेड से लगने का डर लगता है.
मैंने बोला- ठीक है.तुम फ्रेश होकर चुत को अन्दर से ठीक से साफ़ करना … बाकी बाद में मैं तेरी झांट के सब बाल निकाल दूंगा.
उसने कहा- ठीक है.
फिर वो फ्रेश होकर बाहर आई और मुझे बोली- तू भी फ्रेश होकर और झांट निकाल कर आना.
मैंने कहा- ठीक है … तब तक तू आराम कर.
मैं फ्रेश होके बाहर आया और देखा, तो दीपाली सोफे पर लेटी हुई थी. मैं उसे उठाने के लिए उसके नजदीक गया और उसे आवाज़ दी, तो उसने झटके से मुझे अपने ओर खींच लिया और मेरे होंठ पर अपने होंठ रख कर फ्रेंच किस करने लगी.
वह सोफे पर लेटी हुई थी और मैं जमीन पर अपने घुटने के बल बैठ के उसे किस कर रहा था. किस करते समय मैंने उसके चुचे दबाना शुरू कर दिया, इससे वो बहुत गर्म हो गयी. वो इतनी गर्म हो गयी थी कि उसने मुझे कस के अपनी ओर खींच लिया था. वो अपने चुचे पर मेरे सर को दबा रही थी.
मैं उसके ऊपरी होंठ चूस रहा था और वो मेरे नीचे के होंठ चूसे जा रही थी. फिर मैंने अपनी जीभ उसके मुँह में दे दी और उसने भी अपनी जीभ मेरे मुँह में दे दी. अब हमारी जीभें एक दूसरे को लपेट के मजे ले रहे थे.
किस करते करते मैंने अपने हाथ को उसकी चूची से हटाकर उसकी पजामी के अन्दर डाल दिया. हाथ अन्दर डालते ही उसने एक बड़ी ‘स्स्स्स उफ़ …’ की सिसकारी भर दी. क्योंकि मैंने मेरे हाथ की बीच की उंगली को सीधा उसके क्लिट पर रगड़ना शुरू कर दिया था. मेरा ऐसा करने से दीपाली इतनी गर्म हो गयी थी कि उसके बाद दीपाली सोफे पर ही अपना पजामा उतारने लगी.
मैंने उसे ऐसा करने से रोका और उसको कहा- यहां नहीं … बेडरूम में चलते हैं.
हम दोनों बेडरूम में आ गए और फिर से हम लोगों ने किस करना शुरू कर दिया. मैंने अपनी शर्ट उतारी और सिर्फ लोअर पर आ गया था. दीपाली सलवार कमीज पहने हुए थी. मैं किस करते हुए उसके चुचे दबा रहा था.
फिर मैंने उसकी कमीज ऊपर की … और अन्दर हाथ डालने की कोशिश की, पर उसकी कमीज बहुत ही ज्यादा टाइट थी.
मैंने उससे कमीज उतारने को कहा, तो उसने झट से उतार दी. कमीज के अन्दर उसने समीज और ब्रा दोनों पहनी हुई थी. मैंने दीपाली से कहा कि पहले सारे कपड़े उतार देते हैं, फिर खेल शुरू करते हैं.
दीपाली ने कहा- ठीक है.
अगले एक मिनट से भी कम समय में उसने फटाफट अपने कपड़े उतार दिए. उसकी बेताबी बता रही थी कि उसे सेक्स करने की बहुत ज्यादा तलप लगी थी. वो बहुत दिनों से प्यासी थी. वो इस तरह से कपड़े उतार रही थी. मैं उसके पास बैठकर उसके जिस्म को घूरता रहा. जब वो एक एक कपड़े उतार रही थी, तब मानो जैसे आग लगने वाली थी.
दीपाली इतनी हॉट और सेक्सी दिख रही थी कि बस मेरा लंड तो एकदम से खड़ा हो गया. उसके बड़े बड़े चुचे उसकी कमर और उसकी मोटी गांड एकदम से उठी हुई. उसकी फिगर 36-32-38 के साइज़ की थी. मुझसे कण्ट्रोल नहीं हुआ, तो मैंने उसे झट से लिटा दिया और उसके ऊपर जाके उसकी चूची चूसने लगा.
वो भी मेरी इस हरकत से गर्म होने लगी थी ‘अह्ह्ह्ह स्सस्सस्स..’ की उसकी गर्म आवाजें कमरे में गूंज रही थीं.
बीच बीच में हम पागलों की तरह फ्रेंच किस भी कर रहे थे. दीपाली बोली- सिर्फ किस और चूची ही चूसोगे या और भी कुछ करोगे.
मैंने अपना हाथ सीधा उसकी चूची से हटा कर उसकी चुत पर रख दिया. मुझे हाथ रखते ही पता चल गया था कि उसकी चुत बहुत पानी छोड़ चुकी थी. उसकी चुत पूरी गीली थी. मैं काफी देर तक उसकी चूत सहलाता रहा था.
अह्ह्ह … दोस्तो क्या गर्म एहसास हुआ उसकी गीली चूत का … जिस पर हल्के से बाल भी महसूस हुए, जो कि दीपाली साफ करके नहीं आई थी. फिर मैंने उसकी चूत में उंगली की, तो उसने दर्द के मारे ‘ऊईईइई उम्म्ह… अहह… हय… याह… मर गई..’ ऐसी आवाज़ निकाली.
मैंने खूब देर तक उसकी चूत में उंगली की और वो भी अपनी गांड उठा उठा कर मेरा साथ दे रही थी.
वो बोली- जैसे तूने बोला था कि चुत चाटेगा, वो तो तू कर ही नहीं रहा है.
मैंने कहा- ठीक है … अब तेरी चुत चाटूंगा.
मैं उसके पैर फैलाकर उसकी टांगों के बीच आया और अपना मुँह अन्दर डाल कर कुत्तों की तरह उसकी चूत को चाटने लगा.
अब उसे भी मज़ा आने लगा था और वह ‘श्ह्ह्ह्ह स्स्स्स..’ की आवाज़ निकाल रही थी. कुछ ही देर में उसने अपना चूत रस छोड़ दिया और मैं उसे गटक गया. मैंने उसकी झांटों को भी चूसा.
करीब 15 मिनट तक मैंने उसकी चुत चूसी.
मैंने अपना लोअर उतारा और मैंने दीपाली से कहा- दीपाली मेरा लंड चूसो.
उसने तुरंत ही मेरा लंड अपने हाथ में पकड़ा और मेरे लंड को देखकर बोली- बाप रे समीर. … इतना बड़ा लंड, ये तो बहुत बड़ा है … मेरे मुँह में नहीं आएगा.
मैंने कहा- तू कोशिश तो कर.
फिर दीपाली ने मेरा लंड पकड़ा और अपने मुँह में भरकर चूसने लगी. मेरा लंड चुसवाने का यह पहला अनुभव था, मुझे बहुत मज़ा आ रहा था.
मैंने उसका सर पकड़ लिया और लंड अन्दर बाहर करने लगा. दीपाली ने भी करीब पांच मिनट तक मेरा लंड चूसा. उसने मेरे अंडकोष भी चाटे. मुझे बहुत अच्छा लगा.
फिर मैंने उसे रोका, पर वह रुकी नहीं और जोर से मेरा लंड चूसने लगी. मैंने उसकी गर्दन पकड़ ली और उसे रोक लिया.
अब मैंने उसे किस करना शुरू किया और चुत में उंगली भी करने लगा. मेरी इस हरकत से दीपाली बहुत गर्म हो चुकी थी. उसकी चुत से बहुत सारा पानी निकल रहा था.
मेरे ख्याल से वो फिर से झड़ चुकी थी. फिर भी मैं उसकी चुत में लगातार उंगली करता रहा. मेरी उंगली करने की प्रक्रिया को गांड उठा उठा कर मेरा साथ दे रही थी.
उसके बाद मैंने दीपाली के कान में धीरे से उससे पूछा- दीपाली क्या मैं तुझे चोद दूँ?
उसने सिसकारी लेते हुए कहा- हां मेरे राजा … जल्दी से चोद दे … मैं मरी जा रही हूँ … तेरे लंड से अपनी चुत की प्यास बुझाने के लिए … जल्दी अपना लंड मेरे चुत में डाल के मुझे अपनी रंडी बना ले.
दीपाली के ऐसे शब्द सुन कर मुझमें और जोश आने लगा. फिर मैंने दीपाली की टांगों के बीच आके उसकी टांगें फैला दीं.
अब दीपाली की चुत मेरे सामने खुली थी. मेरे पास कंडोम नहीं था. पर चुत देखते ही कण्ट्रोल नहीं हुआ. इसी लिए दीपाली की चुत पर मुँह रख के बहुत जोर से चूसा और ढेर सारा थूक उसकी चुत पर मल दिया.
अब मैंने अपना छह इंच बड़ा लंड दीपाली की चुत के मुँह पर रखा और अन्दर डालने की कोशिश की, पर सिर्फ मेरे लंड का सुपारा ही उसकी चुत में घुस पाया.
दीपाली की चुत इतनी टाईट थी कि दर्द के मारे उसने ‘ऊउइ … उफ़्फ़्फ़ … अम्मा … मर गई..’ करके मुझे पीछे धकेल दिया.
वो कहने लगी- बस अब मत करो.
पर मेरी जवानी में तो आग लगी पड़ी थी. मुझे कुछ भी करके आग को बुझाना था. इसी लिए मैंने झट से दीपाली के हाथ पकड़े और अपना लंड फिर से दीपाली के चुत पे रख दिया.
दीपाली मुझसे दया की भीख मांगने लगी- नहीं समीर प्लीज ऐसा मत करो, छोड़ दो मुझे … नहीं तो मैं चिल्लाऊँगी … देख लेना..
अब मुझे पता था कि दीपाली दर्द से चिल्ला उठेगी, इसी लिए मैंने अपने होंठ से दीपाली के होंठ को बंद कर दिया. उसके होंठ अपने अपने होंठों से पकड़ के रखे और ठोकर मार दी. एक ही झटके में मेरा पूरा छह इंच लम्बा और दो इंच मोटा लंड दीपाली की चुत में पूरा अन्दर तक घुस गया. कामुकता की वजह से मेरे होंठ उसके होंठ से अलग हो गए.
उसी वजह से दीपाली तड़प उठी और उसकी चीख निकल गई- आआह … अम्म्म्म्माआआ … मर ग्ग्गईइ रेए.
ऐसी आवाज निकाल कर वो तड़पती रही. मुझे पता था कि उसे दर्द हो रहा होगा इसी लिए लंड अन्दर ही रहने दिया और कुछ देर रुक गया.
जब दीपाली का दर्द कम हुआ, तब उसने अपनी गांड उठा कर आगे बढ़ने का इशारा दिया. दीपाली का इशारा मिलते ही मैंने उसे जोर जोर से चोदना शुरू कर दिया.
अब दीपाली भी चुदाई का मजा ले रही थी. ‘आअह्ह्ह स्स्स्स्स् … ऊफ़्फ़्फ़..’ जैसी आवाज निकाल कर वो मजे ले रही थी. चुदाई करते समय दीपाली दो बार झड़ चुकी थी.
अब झड़ने की बारी मेरी थी. मैं झड़ने ही वाला था, मैंने दीपाली से पूछा- कहां निकालूँ?
दीपाली बोली- ये मेरा पहला सेक्स है, तू अपना माल मेरी चुत में ही निकाल कर भर दे मेरी चुत को.
उसके ऐसा कहते ही मैंने जोर के झटके दिए और अपना पूरा माल उसकी चुत में छोड़ दिया. दीपाली दर्द और कामुकता के वजह से ‘आऔऊउच स्स्स्स स्स्स्स आआह्ह्ह …’ करके शांत हो गयी.
मैं झड़ने के बाद पांच मिनट तक दीपाली के ऊपर ही पड़ा रहा. फिर मैंने दीपाली की चूत से अपना लंड बाहर निकाला, तो दीपाली की चुत, मेरा लंड और मेरी चादर खून से ख़राब हो चुकी थी.
खून देख कर दीपाली डर गयी. फिर मैंने उसे समझाया और शांत किया.
उसके बाद खून साफ़ करने के बाद हम लोगों ने एक बार और सेक्स किया. इस बार मैं दीपाली के मुँह मैं झड़ गया था, तो दीपाली मेरा वीर्य पी गयी थी.
फिर हम दोनों ने कपड़े पहन के थोड़ी देर आराम किया और शाम होते ही दीपाली अपने घर लौट गयी.
अब दीपाली की चुत में जब भी खुजली होती है, वो मुझे कॉल कर देती है … और हम दिन भर चुदाई का खेल खेलते हैं. अब तो मैंने दीपाली की गांड भी चोदना शुरू कर दी है.
मेरा सेक्स करने का सफ़र बढ़ता ही गया और जैसे मैंने शुरूआत में बताया था कि मुझे शादीशुदा औरतें चोदना पसंद हैं. आंटी, भाबी, तलाकशुदा और विधवा मुझे बहुत ज्यादा पसंद आती हैं.
आपको मेरी और दीपाली की चुदाई की कहानी कैसी लगी, मुझे ज़रूर बताएं, मैं आपके मेल्स का इंतज़ार करूँगा.
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