कुट्टी सर के साथ यादगार पल-1
लेखिका : शालिनी
मेरे ऑफिस के प्रबंधक एक दक्षिण भारतीय सज्जन थे। हम सब लोग उन्हें कुट्टी सर कह कर बुलाते थे। ऊँचा लंबा कद, चौड़े कंधे, बलिष्ठ शरीर और बहुत ही पढ़े लिखे कुल मिला कर कुट्टी सर एक शानदार व्यक्तित्व के मालिक थे। कुट्टी सर रोज़ सूट पहन कर आते थे पर कभी किसी शनिवार को जींस और टी-शर्ट पहन कर आते तो ऑफिस की हर लड़की की नज़र उन पर होती थी। टी-शर्ट में उनकी फूली हुई छाती पर उनके मर्दाना चुचुक और उनकी बाँहों की माँसपेशियाँ किसी भी लड़की को उनका दीवाना बना सकती थी। मैं तो कई बार कुट्टी सर से चुदने के सपने देखते हुए रातों को अपनी चूत उंगली से शांत कर चुकी थी।
एक बार ऑफिस में हमारे मुख्यालय से चेन्नई की एक व्यावसायिक प्रदर्शनी के लिये निमंत्रण पत्र आया। कुट्टी सर ने सब को बुलाया और अपनी अपनी राय बताने को कहा। कुछ समय बाद यह तय हुआ कि कुट्टी सर तीन सहकर्मियों के साथ चेन्नई जायेंगे जिनमे मेरा नाम भी था।
कुट्टी सर ने कहा कि चूँकि वहाँ उनके बहुत से मित्र हैं इसलिए सब के लिये होटल का प्रबंध वे स्वयं करेंगे। हम चारों लोग नियत दिन सुबह वायुयान से चेन्नई पहुँच गये। कुट्टी सर के लिये एक पाँच सितारा होटल में और हम तीनों के लिये एक तीन सितारा होटल में ठहरने की व्यवस्था की गई थी। हवाईअड्डे से हम होटल में गये और अपना अपना सामान रख कर प्रदर्शनी में चले गये। प्रदर्शनी चार दिन तक चलने वाली थी।
पहले दिन तो हम दूसरी शाखाओं के अपने सहकर्मियों से मिलने और प्रदर्शनी में आने वाले व्यापारियों एवं दर्शकों के साथ बहुत व्यस्त रहे। दूसरे दिन भी हम चारों सुबह समय पर वहाँ पहुँच गये और पिछले दिन की भांति व्यस्त रहे। कुट्टी सर भी वरिष्ठ प्रबंधकों के साथ व्यस्त थे।
दोपहर के समय किसी काम के कारण मैं कुट्टी सर को ढूँढने लगी तो मैंने देखा कि सर फोन पर किसी से बात कर रहे थे। मैं उन्हें बाधित नहीं करना चाहती थी इसलिए उनसे कुछ दूर खड़े हो कर उनकी प्रतीक्षा करने लगी। भीड़ के कारण शोर बहुत था और कुट्टी सर जोर जोर से बात कर रहे थे कि मुझे लगा कि वे किसी लड़की के बारे में बात कर रहे हैं तो मैं उनके थोड़ा और पास जाकर खड़ी हो गई और उनकी बातें सुनने की कोशिश करने लगी।
कुट्टी सर अपनी भाषा में बात कर रहे थे और बीच बीच में अग्रेज़ी में भी वाक्य बोलते हुए किसी से रात को एक लड़की लाने के लिये बात कर रहे थे। मैं समझ गई कि आज रात को कुट्टी सर लड़की चोदने की योजना बना रहे हैं। सर उस आदमी को कह रहे थे कि उन्हें वहाँ की लड़कियों की गांड मारने में बहुत आनंद आता है इसलिए लड़की थोड़ी बड़ी गांड वाली होनी चाहिये।
मैं जल्दी से लौट कर अपनी जगह पर आकर खड़ी हो गई और कुट्टी सर के आने की प्रतीक्षा करने लगी। जब वे वापिस आये तो मैंने उनसे काम के बारे में बात की और फिर व्यस्त हो गई।
थोड़ी देर के बाद एक आदमी कुट्टी सर से मिलने आया। उसके साथ में एक सुंदर सी लड़की थी तो मैं समझ गई कि आज रात को कुट्टी सर इसी लड़की को चोदने वाले हैं। मैंने आह भरी कि होटल में साथ वाले कमरे में मेरे दो दो सहकर्मी हैं परंतु उनके बड़बोलेपन के कारण मैं उनमें से किसी के साथ भी चुदाई नहीं कर सकती, काश तरुण या और दूसरा कोई सहकर्मी साथ में होता तो मैं भी रात को लंड की सवारी करती।
शाम को प्रदर्शनी के बाद हम अपने होटल में चले गये और खाना खाकर सो गये। रात को मैं कुट्टी सर के लंड के बारे में सोचती रही और अगले दिन की प्रतीक्षा करने लगी।
अगले दिन हमारी कंपनी ने प्रदर्शनी में आने वाले व्यापारियों के लिये रात्रिभोज का आयोजन किया था इसलिए उस दिन कुट्टी सर के लिये लड़की बुलाना संभव नहीं था। मैंने सोच लिया कि आज रात में ही कुछ करना पड़ेगा क्योंकि अगला दिन प्रदर्शनी का अंतिम दिन था और बहुत सम्भावना थी कि उसी शाम हम दिल्ली लौट जायें।
रात को पार्टी में सब लोग खा पी रहे थे। कुट्टी सर ने पहले से ही हम तीनों को उनके आस पास ही रहने को कहा हुआ था। कुछ समय के बाद उसी दिन वाला आदमी और वही लड़की हम लोगों को मिले और वे लोग आपस में बात करने लगे। कुछ देर बाद कुट्टी सर ने हम तीनों को कंपनी की गाड़ी से होटल भेज दिया क्योंकि उन्हें बाकी सब शाखाओं के प्रबंधकों के साथ रुकना था।मैंने उसी समय सोच लिया कि भले ही नौकरी छोड़नी पड़े या मैं कुट्टी सर की नज़रों में गिर क्यों ना जाऊँ उनके साथ चुदाई करनी ही है।
मैंने होटल पहुँच कर कुट्टी सर के मोबाइल पर सन्देश भेजा कि जब आप अपने साथ इतनी सुंदर बड़ी गांड वाली लड़की लाए हैं तो दूसरी लड़की की क्या आवश्यकता है?
जब सुबह तक कुट्टी सर का कोई फोन या संदेश नहीं आया तो मैंने सोचा कि शायद अब दिल्ली पहुँच कर ही कुछ कहेंगे। अगले दिन मैं तैयार होकर अपने सहकर्मियों की प्रतीक्षा करने लगी तो मेरा एक सहकर्मी आया और उसने कहा कि कुट्टी सर ने कहा है कि हम तीनों अपना सामान साथ ही लेकर चलें क्योंकि हमें शाम को ही दिल्ली लौटना है।
कुछ ही समय में हमारी चेन्नई शाखा का एक सहकर्मी आया और उसने हमारे होटल के बिल भरे और हम तीनों उसके साथ प्रदर्शनी में चले गये। मैंने कुट्टी सर को देख कर अपनी आँखें झुका कर नमस्ते कहा तो उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया। कुछ देर बाद उन्होंने मेरे दोनों सहकर्मियों को बुलाया और उनसे बात करने लगे।
बातों के दौरान कुट्टी सर ने एक दो बार मेरी ओर देखा तो मुझे लगा कि शायद कल के सन्देश के कारण सर कोई भी महत्वपूर्ण बात मेरे सामने नहीं कर रहे हैं और अब मुझे दूसरी नौकरी के बारे में सोचना शुरू कर देना चाहिए।मेरे एक सहकर्मी ने मुझे बताया कि कुट्टी सर ने उन दोनों को चेन्नई घूमने के लिये एक दिन दिया है और उन दोनों के लिये रात में रुकने के लिए होटल की व्यवस्था भी कर दी है। वे सर के एक मित्र के साथ शाम को घूमने फिरने निकल जायेंगे और अगले दिन शाम को दिल्ली पहुँचेंगे।
कुट्टी सर को ऑफिस से बुलावा आ गया तो मुझे सिर्फ इतना ही बोले कि मैं ऑफिस की बैठक में जा रहा हूँ। शाम को कोई पाँच बजे कंपनी का ड्राईवर आया और उसने मुझे कुट्टी सर का सन्देशा दिया कि वह मुझे होटल में छोड़ने के लिये गाड़ी लेकर आया है। मैं उसके साथ गाड़ी में बैठी तो वह मुझे उसी होटल में ले गया जहाँ कुट्टी सर रुके हुए थे।
मैंने स्वागत अधिकारी को अपना नाम बताया और चाभी लेकर अपने कमरे में चली गई। मेरे मोबइल पर कुट्टी सर का सन्देश आया कि सात बजे उनके कमरे में उनसे मिलूँ। मैंने समय देखा छह बजे थे तो मैंने चाय मंगवा ली और फिर नहा कर तैयार हो गई। कुछ ही समय बाद कुट्टी सर का एक और सन्देश आया, “अपनी गांड को अच्छी प्रकार से चिकना करके आना आज मैं उसका स्वाद चखने वाला हूँ।”
और मेरा दिल जोर से धड़कने लगा कि अंततः आज कुट्टी सर के साथ चुदाई का मेरा सपना पूरा होने वाला था।
मैंने ठीक सात बजे उनके कमरे का दरवाज़ा खटखटाया। कुट्टी सर ने दरवाज़ा खोला, “आओ आओ शालिनी, मैं तुम्हारा ही इंतज़ार कर रहा था, आओ बैठो।”
मैं उनके साथ सोफे के दूसरे किनारे पर बैठ गई। कुट्टी सर ने कमीज़ पहनी हुई थी और नीचे लुंगी बांध रखी थी। कुछ देर तक हम दोनों सामान्य बातें करते रहे कि कुट्टी सर ने पूछा,”शालिनी तुम क्या पीना पसंद करोगी? कुछ ठण्डा पेय या!!!”
“सर पहले आप बताइये आप क्या लेंगे?” मैंने पूछा।
“मेरे एक दोस्त ने कल विदेशी जिन की एक बोतल भेंट की थी इसलिय मैं वही लूँगा। तुम क्या पीना चाहती हो बताओ, अभी मंगवा लेते हैं!”
“ठीक है सर, मैं भी आपके साथ जिन लूँगी।” मैं बोली।
कुट्टी सर ने पीने के साथ के लिये खाने का सामान मंगवा लिया और हम दोनों के लिये जिन के पैग बनाने लगे।
“सर मेरे लिये बिल्कुल थोड़ी सी डालना !” मैं एकदम बोली।
तभी वेटर आकर खाने का सामान रख गया और हम दोनों खाने पीने लगे। मैंने जब तक दो पैग पीये थे, कुट्टी सर चार पाँच बड़े पैग खत्म कर चुके थे और मैं सोचने लगी कि कहीं ऐसा ना हो कि अब सर सो जायें और मुझे रात को उंगली से काम चलाना पड़े।
तभी कुट्टी सर उठे और बाथरूम हो कर आये। बाहर आकर कुट्टी सर ने एक लिफाफा खोला और उसमें से कुछ कपड़े निकाल कर मुझे बोले, “शालिनी क्या तुम मेरे लिये इन कपड़ों को पहन सकती हो?”
मैं उन कपड़ों को लेकर बाथरूम में गई और मैंने देखा कि उसमें एक पेटीकोट और एक लंबा ब्लाउज़ जैसा था, बिल्कुल वैसा जैसे दक्षिण भारतीय लड़कियाँ पहनती हैं। मैंने अपने कपड़े बदले और एक बार स्वयं को शीशे में निहार कर बाहर आ गई।
कुट्टी सर दरवाज़े के बाहर ही खड़े थे। मेरे बाहर निकलते ही उन्होंने मुझे अपनी बाँहों में भर लिया,”ओह शालिनी मैं नहीं जानता था कि तुम इतनी सुन्दर हो !”
मैंने भी उन्हें जोर से अपनी बाँहों में भर लिया। कुट्टी सर ने मेरे गालों को चूम लिया। उन्होंने मुझे चूमते हुए घुमा लिया और पीछे से हाथ डाल कर मेरे मोम्मे दबाने लगे और पेटीकोट ऊपर उठा कर मेरी पैंटी के ऊपर से मेरी चूत को सहलाने लगे। उनका लंड मेरी गांड से टकरा रहा था तो मैंने अपनी गांड को पीछे करके धीरे से उनके लंड पर दबा दिया।
सर मेरे ब्लाऊज़ के बटन खोलने लगे और जब उनसे बटन नहीं खुला तो उन्होंने नशे में ब्लाऊज़ के बटन तोड़ते हुए उसे उतार दिया और मेरी ब्रा के ऊपर से मेरे मोम्मे चूसने लगे। मैंने अपना पेटीकोट नीचे कर उतार दिया और कुट्टी सर के कमीज़ के बटन खोलने लगी। तब उन्होंने अपनी कमीज़ उतार कर फ़ेंक दी और मुझे जोर से अपने साथ दबा लिया।
मैंने देखा कि उनका लंड खड़ा हो कर लुंगी में तम्बू बना रहा था। मैंने उनकी लुंगी उतार दी और देखा कि उनकी टाँगों के बीच में घोड़े के लंड जैसा एक बहुत मोटा और लंबा काला भुजंग लंड फुँफकार रहा था। उस लंड को देख कर मेरे मुँह में पानी आ गया। कुट्टी सर ने मुझे फिर अपनी बाँहों में ले लिया और मेरे होठों पर अपने होंठ रख दिये। मैं उनके लंड को अपने हाथ में पकड़ कर दबाने लगी उनका लंड किसी लोहे की पाइप की तरह सख्त था।
“इसे ज़्यादा मत हिलाओ शालिनी कहीं मैं झड़ ना जाऊँ !” कुट्टी सर मेरे कान में फुसफुसा कर बोले।
“कोई बात नहीं सर ! अगर झड़ने के बाद बैठ भी गया तो मैं इसे चूस चूस कर खड़ा कर दूँगी।” मैंने कहा और उनका लंड जोर जोर से हिलाने लगी।
कुट्टी सर ने मेरे पीछे हाथ कर के मेरी ब्रा के हुक को खींच कर तोड़ दिया और मेरी ब्रा उतार कर फ़ेंक दी। मेरे उन्नत वक्ष देख कर कुट्टी सर तो जैसे पागल हो गये और जोर जोर से मेरे मोम्मों को दबाते हुए चूसने लगे। मेरी जोर जोर से आहें निकल रहीं थी। उनका एक हाथ मेरी पैंटी के अंदर था और मुँह मेरे दोनों मोम्मों के बीच में था।
मैंने उनका चेहरा पकड़ उन्हें ऊपर किया और उनके मर्दाना चुचुक सहलाने लगी।
“सर मैं आपका लंड चूसना चाहती हूँ…..” मैं धीरे से बोली। उनके होठों को चूम कर मैं नीचे की ओर जाने लगी और उनके लंड को पकड़ कर चूमने लगी। उनके लंड के सिरे पर वीर्य की बूँद चमक रही थी जो मैंने चाट कर साफ़ कर दी। मैंने धीरे धीरे पूरा का पूरा लंड अपने मुँह में ले लिया और अपना सिर ऊपर नीचे करने लगी। कुट्टी सर के मुँह से आह निकली। मुझे उनका बड़ा लंड चूसने में मज़ा आ रहा था। मैंने लंड के गुलाबी सिरे को चूमा और मशरूम जैसे मोटे सिरे को अपने दातों से हल्का सा काट लिया। फिर लंड को ऊपर से नीचे तक चाटती हुई उनके बड़े बड़े टट्टे चूसने लगी।
कुट्टी सर मेरे सिर को दबाते हुए मेरे बालों को सहला रहे थे। मैं लंड को पूरा अपने मुँह में लेती फिर मादक आवाजें करती हुई बाहर निकाल कर हिलाती। कुट्टी सर का लंड मेरे गले के अंदर तक जा रहा था,”ओह शालिनी तुम कितना बढ़िया लंड चूसती हो ! तुम असली में लंड चूसना जानती हो !” कुट्टी सर आनंद से बोल रहे थे।
मैं जानती थी कि कुट्टी सर सच बोल रहे हैं क्योंकि मैंने अपने अनुभव से लंड चूसने में महारत हासिल की है।
“आह ! शालिनी बहुत मज़ा आ रहा है ! और जोर से चूसो !” कुट्टी सर बोले।
मैंने लंड चूसने की गति बढ़ा दी और अब लंड अपने मुँह में डाल कर अपने सिर को जोर जोर से ऊपर नीचे करने लगी। तभी कुट्टी सर ने अपना लंड बाहर खींचना चाहा पर मैंने उसे नहीं छोड़ा सिर्फ मुँह से बाहर निकाल कर जोर जोर से हिलाने लगी और उनके लंड से वीर्य की अनगिनत पिचकारियाँ निकल कर मेरे बालों और चेहरे को भिगोने लगीं। एक बार जब उनके लंड से वीर्य की अंतिम बूँद भी निकल गई तो कुट्टी सर सोफे पर निढाल हो कर बैठ गए। मुझे अपने साथ खींच कर बिठा कर मेरा सिर अपने कंधे से लगा कर बोले, “शालू तुम लाजवाब हो!” और मेरे गालों को चूमने लगे।
कहानी जारी रहेगी।
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