कॉल सेंटर में सीखी चुदाई

कॉल सेंटर में सीखी चुदाई

प्रेषक : मिहिर रोहण

दोस्तो, मेरा नाम रमेश है, मैं एक छोटे शहर का रहने वाला था। मैं पहले पढ़ने के लिए और बाद में नौकरी के लिए बड़े शहर में गया, तो मैं यहीं रचबस गया।

मैंने पढ़ते-पढ़ते ही नौकरी शुरू कर दी थी और मैंने एक कॉल सेण्टर में काम करना शुरू कर दिया था। लड़का होने के कारण मुझे रात की शिफ्ट में काम करना पड़ता था, रात को मैं काम करता था और दिन में कॉलेज जाता था।

रात में कॉल सेण्टर में ज्यादा लोग नहीं होते थे, केवल 4-5 लोग ही होते थे। एक मेरी बॉस शीला और एक दूसरे विभाग के सर सोहन, मैं, मेरे साथ काम करने वाली लड़की नीता और एक-दो लोग और।

रात में ज्यादा काम नहीं होता था, सिर्फ़ थोड़ा बहुत देखरेख का काम था, इसलिए हम सब काफी मस्ती करते थे।

एक दिन मैं बाथरूम गया, तो मुझे लेडीज़ बाथरूम के बाहर जाने पर उसके अंदर से कुछ आवाजें सुनाई दीं।आआआआ….ऊऊऊ…आआ.ह्ह्ह….ऊओह्ह्ह…

और जब मैंने बाथरूम के दरवाजे के बाहर से झिर्री में से झांककर देखा तो पाया कि शीला मैम और सोहन सर एक दूसरे से लिपटे हुए थे और दोनों ही एक दूसरे को चूम चाट रहे थे, उन दोनों के अंग आपस में टकरा रहे थे। मुझे यह सब देखकर मज़ा आ रहा था और तभी मैंने अपना लंड में कड़ापन महसूस किया और मैंने जिप खोल कर लण्ड बाहर निकाल कर देख तो मेरे लंड से कुछ चिपचिपा निकलने लगा।

यह सब देखकर मुझे थोड़ा अजीब सा लगा, लेकिन इस कोशिश में मैंने नीता को नहीं देखा जो काफी देर से मुझे बाथरूम में झांकते हुए देख रही थी और मेरे खड़े लंड को देखकर अपने होठों ऊपर जीभ फिरा रही थी।

तो यह देख कर मैंने अपने खड़े लंड को अपने हाथों से छुपाने की कोशिश की। मैंने अपने खड़े हुए लंड को छुपाने लगा, लण्ड को पैंट के अन्दर कर लिया।

लेकिन नीता ने वो सब देख लिया और मुझे बोलने लगी- क्यों छुपा रहे हो, यह तो मेरे बड़े काम है। आ जा मेरे पास, आज की रात मुझे भी मज़े दिलवा दे।

यह सुनते ही मेरे लंड ने सुकड़ना शुरू कर दिया, मुझे लगा यह सब मेरी शर्म के कारण है लेकिन मुझे डर लग रहा था और मेरी गांड में हिम्मत नहीं थी कि मैं नीता को चोद सकूँ।

मैंने नीता को बोला- मैंने आज तक सेक्स नहीं किया और मुझे उसके बारे में कुछ नहीं मालूम।

नीता ने बोला- कोई बात नहीं ! आज की रात मैं तुम्हें पूरा सेक्स का ज्ञानी बना दूँगी।नीता ने सर से कुछ कहा और मुझे लेकर एक बाथरूम में घुस गई और मेरे सारे कपड़े उतार कर मुझे नंगा कर दिया। मेरा लंड कोई खास बड़ा नहीं था और झटके मारकर खड़े होने की कोशिश कर रहा था और कुछ चिपचिपा पानी उसमें से रिस रहा रहा था। यह देखकर नीता हंस पड़ी और एक ही बार अपने कपड़ उतार फेंके। उसका गोरा बदन और मस्त चूचे देखकर मेरे लंड ने अब वास्तव में फुदकना शुरू कर दिया और मुझसे उसका कड़ापन नहीं संभल रहा था।

नीता के चूचे काफी बड़े और मोटे थे और उन मोटे चूचों पर गुलाबी निप्पल देखकर मेरे मुँह में पानी आने लगा और मेरी जीभ से लार टपकने लगी।

फिर नीता ने बड़ी ही बेचैनी में मचलना शुरू कर दिया- आआआ…ऊऊओ…मोरे राजा…आजा…..ऊऊ…मेरी चूत को फाड़ दे……मेरी प्यास बुझा दे … नीता मेरे पास आई और उसने मेरे मुँह को पकड़ा और अपने चूचों पर लगा दिया और मुझे चूचे चूसने के लिए बोला।

मैं किसी बच्चे की तरह उसके चूचे से जैसे दूध चूस रहा था और वो मस्ती में कसमसा रही थी- आआ आआ… ऊऊ… व्वा.. ह्ह्ह्ह…. और फिर नीता ने मेरे लंड को पकड़ लिया और उसको मस्ती में खींचने लगी। मेरे मुँह से भी आआ….ओऊ….मस्ती में कामुक आवाज़ें निकलने लगी और मेरे लंड में से कुछ निकलने को बेताब था। मेरी गांड की मस्ती देखकर, नीता समझ गई कि मैं झड़ने वाला हूँ और नीता ने सब कुछ छोड़कर मेरा लंड अपनी चूत पर रगड़ना शुरू कर दिया और एक ही जोरदार झटके में अपनी चूत को आगे झटककर मेरे लंड को अपनी चूत के अंदर घुसा लिया।

मेरा लंड नीता की चूत में ऐसे घुसा जैसे कटोरी में चम्मच। नीता काफी चुदक्कड़ थी और काफी लोगों से चुदवा चुकी थी और मेरा लंड भी थोड़ा छोटा था।

कुछ ही झटकों में मैंने पानी छोड़ दिया और मेरा लंड सुकड़ कर एकदम छोटा हो गया। नीता को मेरा छोटा लंड देखकर बड़ी निराशा हुई और जब मैंने जल्दी पानी छोड़ दिया, तो वो मुझे गालियाँ देने लगी क्योंकि वो संतुष्ट नहीं हो पाई थी।

मैंने अपने लंड को उठाने की काफी कोशिश की लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। नीता ने अपनी उंगलियों से अपने आप को चोदकर तृप्त किया। मुझे उस दिन बड़ी शर्मिंदगी उठानी पड़ी और उसके बाद मैं काफी दिन नीता से नज़र नहीं मिला पाया।

चाहे वो कैसा भी संभोग था, लेकिन नीता ने मुझे चुदाई के बारे में सिखा दिया और अब जब लड़कियों को चोदता हूँ तो वे मेरे लंड की दीवानी हो जाती हैं।

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प्रकाशित : 8 अप्रैल, 2013

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