क्रिसमस पर भाभी चुदवाने आ गई-2

क्रिसमस पर भाभी चुदवाने आ गई-2

Christmas Par Bhabhi Chudwane Aa Gai-2

सभी दोस्तों और प्यारी लड़कियों को मेरा नमस्कार।

मेरी कहानी आप सभी को बहुत पसंद आई.. मुझे कई ईमेल मिल रहे हैं.. आप सभी का बहुत धन्यवाद।

तो मैं आगे की कहानी आपके सामने लेकर आया हूँ। जैसा कि मैंने आपको बताया था कि क्रिसमस पर पल्लवी भाभी को मैंने कैसे चोदा था।

अब मेरा और भाभी का लगभग रोज का चुदाई का प्रोग्राम बनने लगा था.. दिन में जब भैया ड्यूटी पर होते तो भाभी मेरे कमरे में आकर चुदती थीं और रात की ड्यूटी पर होते तो मैं भाभी के कमरे में जाकर उनको उनका पति बन कर उन्हें खूब हचक कर चोदता था।

ऐसे ही दिन कटते रहे और इस सब से मेरे घर में मेरे मम्मी-पापा को शक हो गया और पहली मंजिल पर रहने वाली किरायेदार पायल भाभी को भी पता ही चल गया था। उन्होंने तो एक-दो बार देख भी लिया था। पल्लवी भाभी को मम्मी ने कमरा खाली करने को कह दिया और होली से एक हफ्ता पहले उन्हें घर से रफा-दफा कर दिया।

मैं दु:खी तो बहुत था.. पर कुछ कर नहीं सकता था।

पल्लवी भाभी ने कहा था जब भी मौका लगेगा.. वो मुझे अपने नए कमरे पर बुला लेगी।

खैर.. मैंने भी पढ़ाई पर ध्यान देना शुरू किया.. पर अब लंड बहुत परेशान करता था, इसको चूत का चस्का लग चुका था।
मैं अब पायल भाभी को पटाने की सोचने लगा कि उन्हें कैसे चोदूँ।

मैं पायल भाभी के बारे में बता दूँ.. वो थोड़े छोटे कद की.. पर भरे हुए शरीर की मालकिन हैं.. थोड़ी सांवली हैं.. 34 की ब्रा पहनती हैं.. अधिकतर डीप गले का सूट पहनती हैं जिससे उनकी चूचियों की घाटी साफ़ दिखती हैं और वो अक्सर अपने बाल खोलकर रखती है।

जब पायल भाभी चलती हैं तो उनकी मोटी गांड मेरा लंड खड़ा कर देती है। अब मेरा अगला शिकार वही थीं।

वो थोड़े आलसी मिजाज़ की औरत थीं.. दिन भर सोती रहती थीं।

उनके पति किसी बैंक ATM में गार्ड की रात की ड्यूटी करते थे.. तो अधिकतर भाभी रात को जाग कर टीवी देखती रहती थीं।

मैं उनको चोदने के लिए बहुत बेचैन रहने लगा था।

वो छोटी होली की रात थी.. मैं ‘मैजिक मूमेंट वोदका’ का एक हाफ ले आया था, मैंने अपने कमरे में बैठकर पीनी शुरू की और लैपटॉप पर ब्लू-फिल्म लगा ली।
फिल्म देखते हुए और लवड़े पर हाथ फेरते हुए मैंने आधा हाफ खत्म कर दिया।

अब मुझे चढ़ गई थी और मेरा लंड भी अब लोहे की रॉड जैसा तन गया था।

अब मुझे पायल भाभी के अलावा कुछ नहीं सूझ रहा था.. मैं भाभी के कमरे के पास गया.. चुपके से उनके कमरे में झाँका तो उनके कमरे की लाइट बंद थी, बस एक जीरो वाल्ट का बल्ब जला हुआ था.. बिल्कुल हलकी रोशनी थी।

अभी रात के करीब दो बजे थे.. जब मेरी नज़र भाभी पर गई.. तो मेरी हालत ख़राब हो गई।
उन्होंने बिलकुल सुर्ख लाल रंग की जाँघों तक की पारदर्शी नाईटी पहनी हुई थी और वो बिलकुल डीप गले की थी.. जिसमें से उनकी लाल ब्रा भी चमक रही थी और उनकी सांवली जाँघें देख कर ही किसी नामर्द का भी लंड दहाड़ मार कर खड़ा हो जाए।

मैं ये सब देखकर अपना आपा खो बैठा था.. मैं चुपचाप कमरे में गया.. दरवाजा और जीरो वाल्ट का बल्ब बंद कर दिया। अब कमरे में बिलकुल घुप्प अँधेरा हो गया। मैं चुपचाप भाभी की बगल में लेट गया.. हलकी ठण्डक तो थी ही.. सो मैंने कम्बल अपने ऊपर डाल लिया और धीरे-धीरे भाभी के शरीर पर हाथ फेरने लगा।

उनके पेट पर.. उनकी चूचियों पर.. जाँघों पर.. हर जगह मेरे हाथ उनके जिस्म को सहला रहे थे।

मैंने सिर्फ अंडरवियर और टी-शर्ट पहनी हुई थी। मेरा लंड तन गया था।

इतने में भाभी ने मेरे लंड पर हाथ रख दिया और नींद में ही मेरी तरफ पलट कर बोली- आ गए जानू..? सुबह हो गई क्या?

मैं कुछ नहीं बोला.. मैंने उनके होंठों पर अपने होंठ रख दिए और चूसना चालू कर दिया.. भाभी ने मेरी कमर में हाथ डालकर सहलाना शुरू कर दिया और मेरी अंडरवियर नीचे सरका दी।

मैं उनके मुँह का रस पी रहा था.. साथ-साथ उनकी मोटी चूचियाँ भी दबा रहा था.. वो भी मेरा साथ दे रही थीं।

जब मेरे लंड को उन्होंने अपने हाथ में पकड़ा.. तो वो कुछ चौंक सी गईं.. पर कुछ बोली नहीं और फिर सामान्य होकर मेरा साथ देने लगी।

अब मैं उनके कानों की लौ को किसी कुत्ते की तरह जीभ निकाल कर घुसा-घुसा के चाटने और चूसने लगा।

मैं इसके साथ ही उनकी गर्दन पर.. कन्धों पर.. चूमने और काटने लगा।

वो सिस्कारियां ले रही थीं.. पर मेरा विरोध बिलकुल नहीं कर रही थीं।

अब मैंने उनकी नाईटी उतार दी.. और ब्रा खींचकर अलग कर दी। पैन्टी उन्होंने नहीं पहनी थी.. उनकी चूचियों को मैं पागलों की तरह चूसने-चाटने और काटने लगा।

वो भी मस्त हुए जा रही थीं.. बड़बड़ा रही थीं- हाय मार डाला.. आज मुझे मेरी जान.. दूध निकालोगे क्या आज इनमें से?

मैंने नीचे सरकते हुए उनकी नाभि में अपनी जीभ घुसा दी और खूब चूसी।

अब मैं नीचे चूत पर पहुँच गया.. वहाँ मुझे उनकी झाँटों के लम्बे-लम्बे बाल महसूस हो रहे थे और चूत गीली भी बहुत थी.. पर गंध बहुत तीखी आ रही थी।

मैंने दारू के नशे में उनकी चूत को अपने मुँह में भर लिया और जोर से चूसने लगा। वो सिहर गई और मचलते हुए झड़ गई.. उसका इतना सारा नमकीन सा रस मेरे मुँह में आया कि मैं सारा पी गया।

तभी भाभी बोली- हाय जानू आज मार डालोगे क्या?

मैं कुछ नहीं बोला.. बस चूसता रहा। थोड़ी देर कसमसाने के बाद भाभी मिन्नतें करने लगीं।

‘जानू.. अब रहा नहीं जा रहा जल्दी से चोद दो मुझे…’

मैं उनकी टांगों के बीच बैठ गया.. उनकी टाँगें अपने कन्धों पर रखीं.. और लंड चूत के छेद पर लगाने की कोशिश की.. पर लगा नहीं पा रहा था.. कमरे में घुप्प अँधेरा था।

तभी चुदासी हो चुकीं भाभी ने अपने हाथों से लंड पकड़ा और अपने छेद पर लगा कर बोली- अब डालो..

मैंने सुनते ही जोरदार एक झटका लगाया ही था कि लंड चूत की गहराइयों में जा कर बच्चेदानी से जा टकराया होगा।

भाभी के मुँह से चीख निकली- मारेगा क्या मुझे.. भोसड़ी के..

मैं चुपचाप रहा और भाभी के ऊपर लेट कर धक्के लगाने शुरू कर दिए।

‘फच.. फच.. फच..’

कमरे में सिर्फ ये ही आवाजें आ रही थीं। मैंने भाभी के होंठों को अपने होंठों की गिरफ्त में ले रखा था और मेरी आँखें मजे में मिची हुई थीं।

हाय.. क्या मज़ा था.. मैं तो मानो स्वर्ग में उड़ रहा था..

हर धक्के में मेरा लंड मस्त हो रहा था। मैं मन ही मन सोच रहा था.. पता नहीं इस रंडी भाभी को पता भी है.. या नहीं कि ये किससे चुदवा रही है।

अब भाभी ने अपने होंठ छुड़ा लिए और बड़बड़ाने लगी- हाय.. और जोर से करो जी.. आज क्या गोली खा कर आए हो.. हाय.. आउव्च आह.. हुम्म.. जोर से आआ.. आआआआआअ.. धीरे.. आह्ह मर गई…

ऐसे करते-करते वो झड़ गई और मुझसे कस कर चिपक गई।

बोली- बस करो जी.. बस करो.. प्लीज ..

मैंने उसकी एक ना सुनी और चुपचाप धक्के मारता रहा.. और अब तो मैं धक्के तेज़-तेज़ मारता ही जा रहा था।

मेरा लंड उनकी चूत में जाकर जो मस्त अहसास दे रहा था.. वो मैं आपको बता नहीं सकता। करीब और 15 मिनट चोदने के बाद मेरा लौड़ा अब झड़ने वाला था.. तो मैंने और तेज़ झटके लगाए और उनकी चूत में ही अपना सारा वीर्य भर दिया।

हाय.. कितना मज़ा आया.. उनकी चूत में वीर्य झाड़ने में..

मैंने उनको चिपका लिया अपने से.. और फिर पूरा शरीर ढीला हो गया। भाभी भी निढाल होकर पड़ी थी।

कह रही थी- आज तो जी.. मेरा शरीर तोड़ दिया आपने.. आज गोली खाई है क्या..? मैं तो चार बार झड़ गई जी..

मैं चुपचाप लेटा रहा.. कुछ नहीं बोला, भाभी भी ऐसे ही पड़ी रही और शायद सो भी गई थीं।

लगभग सुबह 4 बजे मैं चुपचाप उठकर अपने कमरे में आ गया और सो गया।

अब अगला दिन रंग की होली का था.. अब आगे जल्द ही बताऊँगा आपको कि क्या भाभी को पता था कि रात को उनको किसने चोदा और रंग खेलते हुए कैसे मैंने भाभी की मोटी गांड भी चोदी और उनसे कैसे रात की पूरी बात निकलवाई।

आपको कहानी पसंद आई हो… तो मुझे मेल कीजिएगा।

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