खूबसूरत मानवी भाभी को चोदा
दोस्तो, एक बार फिर से आप सब को नमस्कार. मेरी पिछली कहानी
अपनी मां की चुदाई की हसरत
को आप सबने बहुत पसंद किया और मुझे खूब प्यार दिया. मैं अब आपके सामने अपनी ज़िंदगी की एक और घटना के बारे में बताने जा रहा हूँ.
यह कहानी बिल्कुल भी काल्पनिक नहीं है. यह कहानी मेरे जीवन का हिस्सा है और बिल्कुल सच है.
यह बात तब की है, जब हमारे घर नया नया शादी का जोड़ा घर के ऊपर वाले फ्लोर पर किराए के लिए रहने आया था. दोनों पति पत्नी रोपड़ के रहने वाले थे और दोनों काम की तलाश में चंडीगढ़ आए थे. लड़के का नाम सुनील था, वो दिखने में बहुत कमज़ोर और काले रंग का था, उसका कद होगा कोई पांच फीट चार इंच… और लड़की का नाम मानवी था, वो दिखने में एकदम पटाखा माल थी. उसका कद भी पांच फीट चार इंच तो होगा ही, उसकी फिगर 34-28-34 का था और उसका रंग एकदम दूध जैसा सफेद था. उन दोनों की जोड़ी दिखने में बिल्कुल भी अच्छी नहीं लग रही थी.
जब मैंने लड़की को देखा तो मेरा मन ललचा गया और उसकी चुत चुदाई के बारे में सोचने लगा.
फिर मैंने उनसे दोस्ती करने की तरकीब सोची, जिससे मैं उसके और करीब जा सकूं और उसके साथ सेक्स कर सकूं.
इसके कुछ ही दिनों बाद मेरी 12 वीं क्लास के पेपर खत्म हुए थे और मैं रोज़ दोपहर को घर पर अकेला होता था. माँ हर रोज़ की तरह अपने बुटीक चली जातीं और उस किरायेदारनी का पति, जिनको मैं सुनील भैया कह कर बुलाता था, वो भी अपने काम पर चले जाते.
मैं हर दोपहर को ऊपर मानवी भाभी के पास जाने के नए नए बहाने ढूँढता रहता.
एक दिन दोपहर को टीवी देख रहा था और मानवी खुद नीचे आ गई और मुझसे कहने लगी- भैया, प्लीज़ आप मेरे साथ ऊपर चलेंगे?
मैं- क्या हुआ भाभी?
मानवी- सफाई करते वक़्त मेरे से टीवी का रिमोट बेड के नीचे गिर गया है और अब मुझसे निकल नहीं रहा. क्या आप रिमोट निकाल देंगे?
मैं- हां चलिए भाभी.. मैं निकाल देता हूँ.
हम दोनों ऊपर चले गए और मैंने डण्डे की मदद से रिमोट बाहर निकाल दिया.
तभी मानवी भाभी बोली- आपने मेरी हेल्प की इसलिए आज से हम दोनों दोस्त हैं.
उसने हाथ मिलाने के लिए मेरी तरफ अपना हाथ बढ़ाया. मेरे मन में तो लड्डू फूट रहे थे, मैं हंसने लगा और हाथ मिलाने लगा.
फिर जैसे जैसे दिन बीतने लगे हमारी दोस्ती और अच्छी होने लगी.
एक दिन मानवी नहा रही थी और मैं हर रोज़ की तरह मानवी से मिलने ऊपर चला गया. तभी मानवी भाभी बाथरूम से नंगी ही बाहर तौलिया लेने निकली, मैं उसे देखता ही रह गया, मेरा लंड कस के एकदम टाइट हो गया. मानवी भाभी शरमा रही थी, उसने जल्दी से तौलिया उठाया और बाथरूम में वापिस चली गई.
मैं भी नीचे अपने कमरे में वापिस आ गया और उसके मादक शरीर के बारे में सोच कर मेरी कामुकता बढ़ने लगी और मुठ मारने लगा. फिर मैं दो दिन तक ऊपर नहीं गया. लेकिन मुझे चुल्ल हो रही थी तो मैं ऊपर जाने का बहाना ढूँढने लगा.
मैंने ऊपर जाकर भाभी से कहा- मुझे बहुत भूख लग रही है और नीचे खाने के लिए कुछ भी नहीं है.
मानवी भाभी ने मुझे खाना खिलाया और पूछने लगी- खाना कैसा बना है?
मैं मस्का लगाते हुए बोला- भाभी बहुत टेस्टी खाना है, मैंने आज तक इतना अच्छा खाना नहीं खाया.
मानवी ने हंसते हुए कहा- चल झूठा.. फालतू में मस्का मत लगा.
मैंने हंसते हुए कहा- सच में भाभी, बहुत मस्त खाना बना है.
फिर मैंने अपना खाना खत्म किया. प्लेट उठाते वक़्त भाभी के गोल गोल मम्मे दिख रहे थे, जिससे मेरा लंड खड़ा हो गया और वो पैन्ट के ऊपर से मेरे लंड को देखने लगी.
शायद मानवी भाभी समझ चुकी थी कि मुझे क्या चाहिए.
मेरे दिन बहुत मुश्किल से कट रहे थे, कामुकता की आग के कारण मैं हर रोज़ मुठ मारता या अपनी माँ को चोदता और सो जाता. पर मेरे मन तो अब मानवी भाभी पर था मुझे माँ के साथ मजा नहीं आ रहा था.
फिर अगले दिन मानवी भाभी ने मुझे ऊपर कैरमबोर्ड खेलने के लिए बुलाया. मैं अन्दर से सोचने लगा कि आज तो इसको चोद कर ही दम लूँगा चाहे जो हो जाए.
हम दोनों खेलने लगे. खेलते खेलते लाइट चली गई और एसी बंद हो गया. मानवी को बहुत गर्मी लग रही थी और वो पसीने से भीग चुकी थी. तभी वो उठी और बाथरूम में जा कर हल्के कपड़े पहन कर आ गई. अब मुझसे उसे ऐसा देख कर रहा नहीं जा रहा था.
शाम के 5 बज चुके थे और भाभी खाने के लिए कुछ बनाने लगी. हम दोनों खाना खाने लगे और वो खाना खाते वक़्त मुझसे मेरी गर्लफ्रेंड के बारे में पूछने लगी.
भाभी- क्या तुम्हारी कोई गर्लफ्रेंड नहीं है?
मैं- एक थी पर वो..
भाभी- वो क्या?
मैं शरमाते हुए कहने लगा- नहीं भाभी कुछ नहीं.
भाभी- बता ना.. तू मुझे अपनी दोस्त नहीं मानता.
मैं- नहीं भाभी, ऐसा नहीं है.
भाभी- अच्छा बुरा जो भी है, बोल दो, दोस्तों के बीच सब कुछ चलता है.
मैं- वो मेरे साथ सेक्स नहीं करती थी.
भाभी ने जानबूझ कर चौंकते हुए कहा- अच्छा.. तुझे ये सेक्स वगैरह के बारे में सब पता है?
मैंने झिझकते हुए कहा- हां भाभी, थोड़ा बहुत दोस्तो से सीखा है.
भाभी ने इंटरेस्ट लेते हुए कहा- अच्छा सच सच बता.. क्या तूने कभी सेक्स किया है?
मैंने झूठ बोलते हुए कहा- नहीं भाभी!
भाभी ने हंसते हुए कहा- क्या तेरा मन करता है या सिर्फ़ हाथ से हिला कर सो जाता है?
मैं भाभी के मुँह से ये शब्द सुन कर हैरान हो गया, पर अन्दर ही अन्दर खुश भी बहुत हो रहा था कि चलो बात तो बन रही है.
मैं- मन तो बहुत करता है पर…
भाभी- पर.. आगे भी बोल.. शर्मा मत मैं किसी को नहीं बताऊंगी.
इतना सुनते ही मैंने अपनी और भाभी की प्लेट साइड में की और उन्हें बेड पर लिटा कर चूमने लगा.
भाभी ने झूठ मूठ का नाटक करते हुए कहा- यह क्या कर रहा है?
भाभी ने मुझे धक्का दिया और खुद बेड से खड़ी होकर कोने में चली गई- हरामी बताती हूँ तेरी माँ को रुक.. साले!
पर मेरे मन में तो भाभी को चोदने की वासना सवार चुकी थी. मैंने भाभी को कोने से खींच कर बेड पर ज़बरदस्ती लिटा दिया और उसके होंठों पर अपने होंठ रख दिए. करीब 5 मिनट का लम्बा स्मूच करने के बाद मैंने उसकी सलवार खोल दी और चुत में उंगली करने लगा. कुछ मिनट उंगली करने के बाद भाभी भी मेरा साथ देने लगी और हांफने लगी.
मैं उसकी दोनों टाँगों के बीच आ गया और उसकी चुत को चाटने लगा. उसने मेरा सिर ज़ोर से दबा दिया और मुझसे कहने लगी- ले चाट ले मेरी चुत.. आआ.. मर.. गययई.. बहुत मजा एयेए.. रहा.. हाय.. मेरेईए राआज्जजजा..
फिर उसकी पूरी बॉडी टाइट हो गई थी और उसने अपनी टाँगें एकदम से कस ली थीं. मैं समझ गया था कि अब यह झड़ने वाली है.
तभी वो झड़ गई और मैं भाभी की चुत का सारा नमकीन पानी चाट कर पी गया.
फिर मैं खड़ा हुया और मैंने अपना काला लंड बाहर निकाला. भाभी मेरे लंड को देख कर डर गई और बोली- हाय राम इत्ता बड़ा.. आज तो मैं मर ही जाऊंगी.. मुझे माफ़ कर मुझे बहुत दर्द होगा.. इतना बड़ा तो तेरे भैया का भी नहीं है.. हे भगवान आज बचा ले इस हरामी से..
मैंने हंसते हुए लंड हिलाया और कहा- चल साली रंडी मादरचोद, आज तो तेरी चुत फाड़ के ही रहूँगा.. आज कोई नहीं बचा सकता तेरे को मेरे लंड से… ले पकड़ साली इसको.. और डाल अपने मुँह में..
भाभी- नहीं यार.. ये सब मुझे बहुत गंदा लगता है.. मैं लंड नहीं चूसूंगी.
मैंने मानवी भाभी के मुँह पर एक चपत लगाई और उसके मुँह में अपना औज़ार जबरदस्ती डाल दिया. लंड बड़ा होने के कारण मानवी भाभी से ठीक से सांस भी नहीं ली जा रही थी और उसकी आँखों से पानी निकलने लगा.
कुछ मिनट लंड चुसवाने के बाद मैंने अपना लंड उसकी चुत की दरार पर रखा. मानवी की चुत एकदम मुलायम और साफ थी, जैसे आज ही सफाई की हो.
अब मानवी भाभी से रहा नहीं जा रहा था. वो मीठी आवाज़ में बोलने लगी- आह.. बना ले मुझे अपनी रांड चोद दे मुझे.. फाड़ मेरी चुत..
भाभी के मुँह से ऐसे बोल सुन कर में और उत्तेज़ित हो गया और अपना लंड अन्दर डालने की कोशिश करने लगा. पर भाभी की चुत बहुत टाइट थी ऐसा लग रहा था जैसे उसकी चूत की सील अभी तक बंद हो. मेरा लंड अन्दर जा ही नहीं जा रहा था.
फिर भाभी खड़ी हुई और बाथरूम से ऑयल ले आई और खुद ही अपनी चुत और मेरे लंड पर लगाने लगी. फिर भाभी ने मेरा तेल से सना काला लंड पकड़ा और अपनी कोमल सी चुत की फांकों में फंसा कर रख लिया. मैंने मौके का फ़ायदा उठाते हुए थोड़ा सा ज़ोर लगा कर सुपारा अन्दर किया तो भाभी छटपटा गई और कहने लगी- आराम से पेल भैनचोद.. मैं कहीं भागी नहीं जा रही.. चोद ले अपनी मानवी को.. चोद चोद कर बना दे इस चूत का चबूतरा..
मैंने फिर एक तेज झटका लगाया और इस बार मेरा लंड भाभी की चुत की गहराई तक पहुँच गया. भाभी की ज़ोर से चीख निकल गई- आह.. मर गई.. आराम से चोद हरामी.. आआह.. म्माआअ.. मर.. गई… मादरचोद.. साले फ्री की चूत समझ कर पेल रहा है.. उईई.. बहुत मोटा लंड है तेराआआ.. साले बहुत दर्द हो रहा है.
फिर मैंने धीरे धीरे झटके देना शुरू कर दिया. भाभी से दर्द सहा नहीं जा रहा था और वो चीखने लगी. मैंने अपने होंठ भाभी के होंठों से कस कर लगा दिए और साथ में झटके देता रहा.
करीब 5 मिनट के बाद वो भी मेरा साथ देने लगी और अपनी कमर हिलाने लगी.
मैं- क्यों साली रांड आ रहा है मजा..!
भाभी- हां मेरे राजा, आज के बाद तू ही मुझे चोदेगा और मेरी प्यास बुझाएगा.
फिर हम दोनों हंसने लगे, मैंने अपनी स्पीड बढ़ा ली और ज़ोर ज़ोर से झटके देने लगा. अब भाभी मीठी आवाज़ में सीत्कार कर रही थी- आ… और ज़ोर से चोद.. बना दे बुर का भोसड़ा.. आआहा..
कुछ देर की धकापेल चुदाई के बाद मैंने भाभी को खड़ा किया. अब मैं बेड पर लेट गया और भाभी मेरे ऊपर आ कर लंड पर चूत फंसा कर बैठ गई.
भाभी ज़ोर ज़ोर से मेरे लंड पर टप्पे खा रही थी. मेरा लंड भाभी की बच्चेदानी से टकरा रहा था.
भाभी- आहह.. मैं आ रही हूँ मेरे राजा…
इतने में ही भाभी झड़ चुकी थी और उसका सारा पानी चादर पर निकल गया.
मैंने भाभी को खड़ा किया और दीवार के साथ लगा कर उनकी चूत में ज़ोर ज़ोर से झटके देने लगा. कुछ मिनट की चुदाई में भाभी 2 बार अपना पानी निकाल चुकी थी और मैं एक बार भी नहीं झड़ा था. मैंने उसको बेड पे पीठ के बल लिटाया और उसके मम्मे अपने हाथों में लेकर चुत चोदने लगा. दस मिनट चुत चोदने के बाद मैंने अपना लंड भाभी की चूत से खींचा और और भाभी के मुँह में पानी छोड़ दिया.
भाभी सारा पानी गटक कर पी गई.
भाभी- आज तो मजा आ गया.
मैं- हां मेरी रानी तेरी चुत तो बहुत मस्त है.
फिर मैंने भाभी को गोद में उठाया और बाथरूम में ले गया.
यह थी मेरी भाभी संग मस्त देसी चुदाई की कहानी. अगर कोई मेरे साथ अपने सेक्स अनुभव शेयर करना चाहता है या मेरी कहानी पसंद आई तो मुझे मेल जरूर करें.
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