गैर मर्द से जिस्मानी रिश्ता-2
मेरी इस रसभरी देसी हिंदी पोर्न स्टोरी के पिछले भाग
गैर मर्द से जिस्मानी रिश्ता-1
में आप सभी ने अब तक जाना था कि मेरे शौहर के साथ काम करने वाला लड़का मेरी चूत चाटने के बाद मुझे अपने आगोश में लिए हुए था. मेरी चूत ने एक बार संजय के मुँह पर रस छोड़ दिया था.
तभी मुझे मेरी बेटी की पुकार सुनाई दी. मैंने उसको आवाज देकर आने का कहा.
अब आगे..
अब मैं फ़ौरन नीचे भाग आई. इस वक्त मैं बहुत घबराई हुई थी. मैंने देखा घड़ी में 8 बज गए थे. शहजाद और बच्चे उठ चुके थे.
शहजाद- कहां गई थी?
मैंने डर के मारे अपनी नजरें झुकाते हुए कहा- ऊपर मेरा फोन लेने गई थी, आप जल्दी से तैयार हो जाइए, मैं चाय नाश्ता बना कर लाती हूँ.
ये कहती हुई मैं झट से किचन में चली गई. मैं किचन में जो कुछ मेरे साथ हुआ, वह सोच कर मन ही मन अपने आपको कोस रही थी कि ये मैंने क्या कर दिया. जान से ज्यादा प्यार करने वाले शौहर को धोखा दे दिया. मेरी आँखों से पछतावे के आंसू निकलने लगे.
इसी कशमकश में बहुत देर हो रही थी. मैं अपने आप को शान्त करके नाश्ता बनाने लगी, तब तक संजय भी नीचे आ चुका था और हॉल में मेरी बेटी के साथ खेल रहा था.
तभी शहजाद ने आवाज लगाई- अरे नसीम और कितनी देर लगेगी. ऑफिस का टाइम हो रहा है, लेट हो जाउंगा.
मैं- अभी लाई बस 5 मिनट..
तभी संजय बोला- अरे शहजाद भाई बेचारी भाभी अकेले कितना मैनेज करेंगी, चलो मैं जाकर उनकी कुछ हेल्प कर देता हूँ.
ये कहकर संजय किचन में आ गया. हमारा किचन कुछ इस तरह था कि हॉल से किचन में कुछ नहीं देख सकते थे. मेरे पीछे संजय के आने की आहट हुई, मैं पीछे मुड़ कर देखती, इससे पहले ही संजय ने पीछे से मुझे अपनी बांहों में भर लिया और मेरी गरदन को चूमने लगा. उसका तना हुआ लंड मुझे अपनी गांड के छेद में गड़ता सा महसूस हो रहा था.
मैं घबरा कर बोली- ये क्या कर रहे हो?
संजय ने मुझे अपनी बांहों में कस के भरते हुए और गरदन को चूमते हुए कहा- नसीम मेरी जान.. अब मुझे कब शांत करोगी.. हम हमारे अधूरे काम को कब पूरा करेंगे?
ये पहली बार था जब संजय ने मुझे नाम से पुकारा था. संजय मुझे लगातार किस कर रहा था और मैं अपने आपको उससे छुड़ाने की नाकाम कोशिश कर रही थी. संजय की मजबूत पकड़ से निकलना मुश्किल था. मैंने संजय की तरफ देखकर मना करना चाहा, पर मैं कुछ कहती उससे पहले उसने मेरे होंठों को अपने होंठों में भर के लिपलॉक कर लिया और चूसने लगा. वो दोनों हाथों से मेरे चूचों को मसल रहा था. मैं भी धीरे धीरे बहकने लगी थी, पर जैसे तैसे मैंने अपने आप पर क्नट्रोल करते हुए सख्ती से संजय को अलग कर लिया.
मैं- प्लीज़ संजय.. ये गलत हे हम ये सब नहीं कर सकते.. मैं किसी की बीवी हूँ, तुम मुझसे बहुत छोटे हो, मैं तुम्हें संजय भाई कहकर बुलाती हूँ.
पर संजय पर तो जैसे सेक्स का भूत सवार था. मैं ज्यादा कुछ बोलती, उससे पहले तो संजय ने मेरा हाथ खींच कर मुझे अपनी बांहों में भर लिया. वो मेरे होंठों को चूसने लगा और मेरी गरदन को पूरी लेन्थ में चाटने लगा.
संजय, एक औरत को कैसे शिड्यूस करना है, वो अच्छी तरह जानता था. कुछ ही पलों में मेरा विरोध सिस्कारियों में बदल गया और हम एक दूसरे को बेतहाशा चूमने लगे.
करीब 2 मिनट के किसिंग के बाद मैंने कहा- बस बस, कोई आ जाएगा, छोड़ो मुझे प्लीज़..
संजय- एक शर्त पर…
मैं- क्या?
संजय- बच्चों के स्कूल जाने के बाद तुम मेरा फेवरेट ड्रेस पहन कर ऊपर मेरे कमरे में आओगी.
मैं- क्यों? आज तुम ऑफिस नहीं जाओगे?
संजय- नहीं.. कुछ बहाना बना के मैं छुट्टी ले लेता हूँ.. तुम आओगी ना?
मैंने थोड़ा गुस्से से कहा- नहीं.. मैं नहीं आऊँगी!
मैं अब भी संजय की बांहों में थी. मैं उसे मना कर रही थी, पर मेरी आंखें उसे साफ साफ हां में जवाब दे रही थीं.
संजय ने मुझे हल्की सी लिप-किस करते हुए कहा- मुझे पता है, तुम जरूर आओगी.. वो भी मेरा फेवरेट ड्रेस पहन कर..
मैं- तुम्हारा फेवरेट.. कौन सा?
संजय- वही ब्लैक ड्रेस, जिसमें मैंने तुम्हारी पेंटिंग बनाई है.
मैं- नहीं.. मैं नहीं आऊँगी..
संजय ने मुझे फिर लिप-किस किया कुछ पल के लिए मैं भी उसमें समा गई.
संजय- मैं इंतजार कर रहा हूँ.
यह कहकर संजय किचन से बाहर चला गया. फिर मैं नाश्ता लेकर गई, तब तक संजय शहजाद से कुछ बात कर रहा था.
मेरे जाते ही शहजाद ने कहा- नसीम, आज संजय की तबीयत ठीक नहीं है, तो वो ऑफिस नहीं आ रहा.
मैंने थोड़ा नाटक करते हुए कहा- क्यों क्या हुआ?
शहजाद- क्या पता.. कह रहा है पेट में कुछ दर्द सा है और बुखार जैसा लग रहा है, तो मैंने भी उसे छुट्टी के लिए कह दी और कहा है कि दवाई ले लेना. मैं ऑफिस में बात कर लूँगा..
संजय मेरे सामने देखते हुए नॉटी सी स्माइल कर रहा था. फिर सबने नाश्ता किया और शहजाद ऑफिस के लिए निकल गए. मैं किचन में काम कर रही थी. कुछ देर बाद बच्चे भी स्कूल चले गए. मैं नहा कर रेडी हो रही थी, पर मेरा दिल जोरों से धड़क रहा था. मैं मन ही मन सोच रही थी कि क्या करूँ? ऊपर जाऊं कि नहीं? एक तरफ मेरी मर्यादा मुझे रोक रही थी, पर मेरा दिल और जिस्म संजय की तरफ खिंचा जा रहा था.
आखिरकार मैंने अलमारी से संजय का फेवरेट ब्लैक ड्रेस निकाल कर पहन लिया. आज एक पतिव्रता बीवी, जिसने कभी किसी गैर मर्द की तरफ आंख उठा कर भी नहीं देखा, वो आज गैर मर्द को अपना सब कुछ सौंपने जा रही थी.
मैंने हल्का सा मेकअप किया और ऊपर संजय के कमरे की तरफ चली गई. कमरे का डोर खुला था तो मैं अन्दर चली गई. संजय मेरी पेंटिंग को देख रहा था.
मेरी तरफ देखकर उसने कहा- मैंने कहा था ना कि तुम जरूर आओगी.
मैं बस शर्म के मारे नजरें झुकाए खड़ी थी. संजय मेरे करीब आया तो मेरे दिल की धड़कनें बढ़ गईं.
संजय ने मेरा हाथ पकड़ा और मुझे खींच कर अपनी बांहों में भर लिया. हम दोनों एक दूसरे में सिमट रहे थे.
करीब 2 मिनट के बाद संजय ने मेरे होंठों से होंठ मिलाए और हमने फुल स्लीव किस की. संजय मेरी गरदन को जैसे खाए जा रहा था. मैं भी मस्ती के साथ उसका साथ दे रही थी. संजय ने किस करते हुए ही मेरे कपड़े निकाल दिए. मैं अब सिर्फ ब्रा और पेन्टी में थी.
संजय- मेरी जान, इसे तो अब अपने हाथों से उतार दो.
मैं- क्यों? सब कुछ तो तुमने उतार दिया है?
संजय- हां, पर मैं तुम्हें ऐसे देखना चाहता हूँ.
मैं कामुकता में इतनी मदहोश हो चुकी थी कि संजय की हर बात को माने जा रही थी. मैंने धीरे धीरे अपनी ब्रा पेन्टी को निकाल दिया. अब मैं एक गैर मर्द के सामने पूरी नंगी खड़ी थी. संजय लगातार मेरे पूरे बदन को घूरे जा रहा था. मेरी हालत खराब थी, मेरा हलक सूख रहा था.
संजय की आँख के एक इशारे पर मैं दौड़ती हुई जाकर उसकी बांहों में समा गई. संजय मेरे पूरे बदन को चूम रहा था, मुझ पर वासना इतनी हावी हो चुकी थी कि मैंने संजय के शर्ट के सारे बटन तोड़ दिए और उसकी शर्ट उतार फेंकी. संजय ने अपनी पेन्ट और निक्कर भी उतार दिए. उसका तना हुआ लंड मेरी नाभि के नीचे टच हो रहा था. उसके लंड की लम्बाई तो शहजाद के लंड जैसी ही थी, पर वो शहजाद के लंड से काफी मोटा था. संजय ने मुझे अपनी गोद में उठा कर बेड पर डाल दिया और मेरे ऊपर आ गया.
मैं उसकी प्यार और हवस भरी आंखों में देखकर शर्म से मरी जा रही थी क्योंकि मैं बिस्तर पर संजय के साथ नंगी पड़ी थी. संजय मेरे होंठ गाल गरदन कान हर जगह चुम्बनों की बौछार कर रहा था- नसीम मेरी जान.. आज तो मैं तुम्हें खा जाउंगा.. जब से तुम्हें देखा है, मैं तुम्हारे नाम की मुठ मार रहा हूँ.
मैं उससे लिपटती हुई बोली- ओह्हह.. संजय खा जाओ मुझे आहह.. आहहहह मैं अब तुम्हारी हूँ.. जैसे चाहो, जो चाहो.. वो करो.. आहह आह.. आहह..
संजय मुझे पागलों की तरह चूमे जा रहा था. मैं भी पूरा साथ दे रही थी. संजय ने मेरे एक चूचे के निप्पल को मुँह में लेकर चूसना काटना शुरू किया.
‘आहहहह.. आह्ह्ह्हे.. इह्ह्ह्.. सिस्स्स्स..’ मैं भी उसका साथ देती हुई चूची चुसाई का मजा ले रही थी. संजय अपनी उंगलियों से मेरी चुत को सहला रहा था. मैं अपने हाथ को उसके सर में डालकर चुत की तरफ खींचे जा रही थी.
फिर संजय नीचे मेरी चुत की तरफ चला गया और एक हल्की किस के साथ फुल लेन्थ में मेरी चुत को चाटना शुरू कर दिया.
‘ओह्ह्ह्ह आह्ह्ह्ह्ह मम्म्म..’
संजय ने मेरी चुत चाटते हुए कहा- ओह नसीम.. क्या चिकनी ओर मखमली चुत है तुम्हारी.. अम्म्म्मं..
मैं- चाटो संजय.. आह आह और चाटो.. खा जाओ इसे.. आह आह्ह्ह्ह्हह आह
संजय- शहजाद भाई नहीं चाटते?
मैं- नहीं.. उन्हें ये सब अच्छा नहीं लगता.
फिर संजय घूम कर मेरे ऊपर आ गया. अब हम 69 पोजीशन में थे. संजय का मोटा लंड मेरे होंठों को टच हो रहा था. मैं उसे अपनी हथेली में लेकर सहला रही थी
संजय- नसीम चूसो इसे..
मैंने कभी ऐसा नहीं किया था तो मैंने मना कर दिया, पर संजय मेरी चुत को इस तरह चाट रहा था कि मैं अपने आप पर कन्ट्रोल नहीं कर पाई और मैंने संजय के मोटे लंड को सहलाते हुए मुँह में ले लिया, जिसकी एक्साइटमेन्ट से संजय ने अपनी जीभ मेरी चुत में अन्दर तक डाल दी.
‘उम्म्म आहहह उम्म्ह… अहह… हय… याह… इह्ह्ह..’ मेरी आंखें बड़ी हो गईं. अब मैं संजय का पूरा लंड अपने मुँह में लेकर चूस रही थी. संजय भी अपनी जीभ को मेरी चुत में अन्दर तक डाल रहा था.
करीब पन्द्रह मिनट तक हम एक दूसरे को ऐसे ही मजा देते रहे. फिर संजय उठा और मेरे ऊपर चढ़ गया और मेरे होंठों को मुँह में लेकर कस के चूसने लगा. उसका तना हुआ लंड मेरी जांघों पर टहल रहा था. मैं उसके लंड को अपनी चुत में लेने के लिए तड़प रही थी. आज पहली बार मेरे शौहर के अलावा किसी और का लंड मेरी चुत की सैर करने जा रहा था. वो भी एक गैर मज़हबी जवान लड़के का लंड.
मैंने दोनों पैर फैलाकर संजय के लंड का स्वागत किया. संजय अपने मूसल लंड को मेरी चुत पे रख कर रगड़ने लगा. उसका मोटा सुपारा मेरी चूत की गीली फांकों में सरक रहा था.
मैं- ओह संजय अब मत तड़पाओ प्लीज़..
वैसे भी मेरी चुत काफी गीली हो चुकी थी तो संजय के लिए रास्ता काफी आसान था. संजय ने एक ही झटके में अपना 7 इंच लंबा और मोटा लंड मेरी चुत में डाल दिया.
‘ओहह.. आह्ह्ह्ह्ह्.. आहहहह.. मरी..’
मेरे मुँह से जोर से चीख निकल पड़ी. मुझे बहुत दर्द हुआ, शहजाद से 12 साल से सेक्स करने के बावजूद मेरी सील आज ही टूटी हो, मुझे ऐसा महसूस हो रहा था. सच में संजय का लंड बहुत ही मोटा था. मेरी हालत देखकर संजय कुछ पल के लिए रुक गया और मुझे लिपकिस करने लगा.
कुछ देर बाद मेरे ठीक होने पर संजय ने अपना लंड धीरे धीरे अन्दर बाहर करना शुरू किया. कुछ ही देर में मेरा दर्द मजा में बदल गया और मैं फुल मस्ती में आ गई. अब मैं अपनी कमर उठा उठा कर संजय के हर धक्के को अपने अन्दर तक ले रही थी.. जिससे संजय का मजा दुगना हो रहा था. संजय का लंड मेरी बच्चेदानी तक महसूस हो रहा था. मेरी ऐसी चुदाई पहले कभी नहीं हुई. पूरा कमरा ‘पच पच.. और आहहहह.. आह्ह्ह्हे..’ की आवाज़ से गूँज रहा था.
तभी अचानक मेरे फोन की रिंग बजी, जो पलंग पर मेरे पास ही पड़ा था. मैंने फोन में देखा तो वो शहजाद का कॉल था. मेरे तो जैसे होश ही उड़ गए. मेरे हाथ पैर कांपने लगे, मैं डर गई थी कि शहजाद को कुछ पता तो नहीं चल गया. संजय ने मेरी चुत से अपनी नजर ऊपर उठाई तो मैंने फोन की स्क्रीन उसकी तरफ घुमा दी. उसने इशारे से मुझे फोन उठाने को कहा, मैंने कांपते डरते हुए फोन उठाया.
मैं- हल्ल्ल्ल् ल्ल्ल्लो..
शहजाद- हल्लो नसीम!
मैं धीमी और कांपती आवाज में बोली- हां शहजाद कहिए?
शहजाद- क्या हुआ संजय खाना खाने के लिए नीचे उतरा या नहीं?
मैंने सुकून की सांस ली कि शहजाद को कुछ पता नहीं चला था. उन्होंने तो बस ऐसे ही संजय की तबीयत पूछने के लिए फोन किया था.
मैं- नहीं, अभी तक उतरा नहीं है.
शहजाद- ओह.. लगता है उसकी तबीयत ठीक नहीं हुई है, तुम जरा जाकर देख तो लो.. ऐसा करो उसका खाना ऊपर ही ले जाओ और उसे दवाई भी दे देना.
मैं- हां ठीक है.
अब मैं उन्हें क्या बताती कि उनका संजय जिसकी वो इतनी फिक्र कर रहे हैं, वो बिस्तर पे उन्हीं की खूबसूरत बीवी की नंगी चुत में अपना मोटा लंड डाले पड़ा है और उनकी पतिव्रता बीवी, जिससे वो बहुत प्यार और भरोसा करते हैं, वो अपनी नंगी चुत का उसको हकदार बनाए उसके मोटे लंड से चुद रही है.
मेरे चेहरे की राहत देख कर संजय भी समझ गया कि कोई दिक्कत नहीं है और खुश होते हुए उसने मेरी चुत को जोरों से चोदना शुरू कर दिया. मैं अपने आप पर जैसे तैसे काबू रखते हुए शहजाद से फोन पर बात कर रही थी और इधर संजय मेरी चुत में अन्दर तक लंड पेल रहा था.
मैंने अपने मुँह को हवा से फुला लिया और हाथ से मुँह जोर से दबा दिया ताकि मेरी चीख ना निकल जाए.
उधर फोन पर शहजाद- नसीम, तुम अपने हिसाब से देख लो और संजय का ख्याल रखना.
मेरा एक हाथ फोन पे और एक हाथ संजय की पीठ में था. संजय अपने लंड को जोरदार झटके देते हुए मेरी चुत में डाल रहा था. मुझसे रहा नहीं जा रहा था- हां ठीक है, मैं यहां सब देख लूँगी.
यह कह कर मैंने फोन काट दिया, उधर संजय मेरी चुत में अन्दर तक लंड डालकर भरपूर चुदाई कर रहा था.
बड़ा अजीब मंजर था वो.. एक पतिव्रता बीवी और दो बच्चों की माँ अपने शौहर से बेवफाई करके उसी के घर में एक गैर मर्द, जो गैर मज़हबी भी था, उसके साथ चुदाई करवा रही थी. इधर संजय भी अपने से दस साल बड़ी और थोड़ी मोटी औरत को जोरों से चोद रहा था.
शहजाद कभी भी साथ आठ मिनट से ज्यादा नहीं टिक पाते थे, पर संजय पूरे बीस मिनट से मेरी चुत को चोद रहा था.. या यूं कहूँ कि मेरी चुत फाड़ रहा था. मेरी चुत इतनी देर में दो बार झड़ चुकी थी, पर संजय रुकने का नाम नहीं ले रहा था. पूरा कमरा मेरी ‘आह्ह्ह आह्ह्ह..’ की चीखों और ‘पच पच पच..’ की आवाज से भर गया था. असली चुदाई क्या होती है, ये आज मुझे समझ आया था.
संजय ने अपने धक्के और तेज कर दिए, जिससे मैं समझ गई कि वो भी अब झड़ने वाला है. मैंने उसको कसके अपनी बांहों में समेट लिया.
संजय ने मेरे होंठों को चूसते और काटते हुए चार छह धक्कों के बाद अपने गरम लावा से मेरी चुत को भर दिया. हम दोनों कुछ देर तक लिपकिस करते रहे. फिर धीरे से संजय ने अपना लंड मेरी चुत से बाहर निकाल लिया.
ओहहह…
संजय- मजा आया नसीम मेरी जान?
मैंने शरमाते हुए अपनी नजरें झुका लीं.
संजय- नहीं ऐसे नहीं.. सही सही बताओ मजा आया कि नहीं?
वह भी जानता था कि मुझे कितना मजा आया था, पर वह मेरे मुँह से बुलवाना चाहता था. मैंने उससे नजरें मिलाते हुए एक हल्की सी लिपकिस की.
मैं- बहुत मजा आया.. संजय तुमने मुझे सच में आज औरत बना दिया. आज से मैं हमेशा के लिए तुम्हारी हो गई.
यह कहते हुए हमने फिर लिपलॉक कर लिए. संजय ने मेरे हाथ को लेकर अपने लंड पर रख दिया. मैं लंड को सहलाने लगी. कुछ ही देर में संजय का लंड मुझे चोदने के लिए तैयार हो गया.
इस बार उसने मुझे अपने ऊपर लेकर चोदा और शाम चार बजे तक संजय ने मुझे 3 बार बेड पर चोदा. फिर बाथरूम में नहाते वक्त भी संजय ने मुझे घोड़ी बना कर चोदा. संजय में गजब का स्टेमिना था. उसने मेरी तो हालत खराब करके रख दी थी. हर बार आधे घंटे तक मेरी जोरों की चुदाई की.
फिर मैं शाम तक नीचे आ गई क्योंकि बच्चों के स्कूल से आने का वक्त हो गया था. दर्द के मारे मुझसे चला नहीं जा रहा था. संजय मेरी हालत को देखकर मन ही मन मुस्कुरा रहा था.
बस फिर तो क्या था.. संजय हर बार मेरी इसी तरह चुदाई करता है, ऊपर उसके रूम में.. कभी हमारे बेडरूम में.. कभी किचन में.. मतलब घर का कोई कोना ऐसा नहीं छूटा, जहां संजय ने मेरी चुदाई ना की हो. अब तो मैं भी संजय की दीवानी हो चुकी हूँ. शहजाद अब सिर्फ मेरे नाम के ही शौहर हैं, कभी कभी तो शहजाद की मौजूदगी में भी कुछ बहाना बना कर मैं संजय के कमरे में चली जाती हूँ और हम चुदाई का भरपूर आनन्द लेते हैं. छह महीने से जब भी मौका मिलता है, हम सेक्स का भरपूर मजा ले रहे हैं.
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