चचेरी बहन के साथ ओरल सेक्स फिर चुत चुदाई
दोस्तो, मैं आज आपसे अपनी आपबीती शेयर करना चाहता हूँ.
मेरा नाम मोहित है, मेरी उम्र 36 साल है, मैं शादीशुदा और दो बच्चों का पिता हूँ. मेरी पत्नी सुन्दर और बहुत ही सुशील है और मेरा बिस्तर में पूरा साथ देती है. परन्तु मुझे अपनी पत्नी के अलावा भी और किसी से सेक्स करने की इच्छा होती है, खासकर अपनी रिश्तेदारी में कमसिन और कुंआरी लड़कियां से.
आज मैं अपने साथ हुई इसी पर आधारित एक सच्ची घटना को आपसे शेयर करना चाहता हूँ.
मैं एक दिल्ली की मल्टिनेशनल कंपनी में काम करता हूँ और उसी कंपनी में मेरी बहन सरिता जो कि मेरे सगे चाचा जी की लड़की है, वो भी अलग डिपार्टमेंट में काम करती है. उसकी उम्र लगभग 22 साल की है.. वह बहुत ही आकर्षक है.
चाचा जी उसकी शादी के लिए लड़का देख रहे हैं. वह मेरे घर से 3 किलोमीटर पहले एक कॉलोनी में अपनी एक सहेली के साथ, जो कि उसके साथ ही कंपनी में काम करती है, एक डबल रूम फ्लैट में रहती है. दोनों एक साथ ही ऑटो से आना जाना करती हैं. सरिता कभी कभी वीकेंड में हमारे साथ समय बिताने घर आ जाती है.
बात जब की है सर्दियों की छुट्टियों के चलते मेरी पत्नी बच्चों को लेकर अपने मायके गई हुई थी. मैं अकेला ही घर पर रह रहा था तो मैंने सोचा क्यों न घर पर आज कोई कॉलगर्ल बुला लूँ. कुछ टेस्ट चेंज हो जाइगा.
उसी दिन ऑफिस में मेरे इण्टरकॉम पर मेरी बहन सरिता का फ़ोन आ गया कि भैया आज मुझे ऑफिस के बाद रास्ते में घर पर ड्राप कर देना.
मैंने पूछा- आज तुम अपनी फ्रेंड के साथ नहीं जाओगी क्या?
उसने बताया कि उसकी फ्रेंड की माँ की तबियत ख़राब के कारण वो अपने घर चली गई है.
मैंने कहा- ठीक है शाम को मैं तुम्हें घर छोड़ दूंगा.
शाम को ऑफिस की छुट्टी के बाद वो मुझे ऑफिस के नीचे मिली. मैंने देखा आज मौसम काफी सर्द और बारिश का सा था. वो मेरे पीछे बाइक पर दोनों तरफ पैर करके आराम से बैठ गई. अभी हम थोड़ा आगे ही चले थे कि आगे एक ट्रैफिक जैम में फँस गए और अचानक तेज बारिश शुरू हो गई. हम जैम में फंसे होने के कारण पानी हमको भिगोने लगा और कुछ ही देर में हमारे कपड़े पूरी तरह भीग चुके थे. ऊपर से सर्दी का मौसम कहर ढा रहा था. किसी तरह धीरे धीरे बाइक आगे बढ़ रही थी. सरिता का भीगा बदन और उसकी तनी हुई चूचियाँ मेरी पीठ को पीछे से छूकर अन्दर ही अन्दर मेरी सेक्स की भावना को भड़का रही थीं.
मेरा लंड उत्तेजित होकर मेरी पैंट से बाहर आने को तैयार हो उठा था. किसी तरह हम सरिता के फ्लैट पर पहुंचे, तो उसने घर में चलने को कहा.
मैंने मना कर दिया क्योंकि मेरा मंन आज किसी कॉलगर्ल को बुलाने का था.
मैं सरिता को उतार कर अभी कुछ आगे गया ही था कि सरिता का फ़ोन आ गया और उसने बताया कि उसके फ्लैट की चाभी ऑफिस की टेबल पर ही छूट गई है और बारिश तेज होने के कारण चाभी ऑफिस से लाना मुश्किल है.
तभी मेरे मन में एक ख्याल आया कि क्यों न आज कॉल गर्ल की जगह सरिता की जवानी का स्वाद चखा जाए. यही सोचकर मैंने सरिता को अपने साथ अपने फ्लैट पर चलने को कहा और वो तैयार हो गई.
मैं वापस लौट कर उसे अपने साथ फिर से बाइक पर बैठा कर अपने घर की तरफ चल दिया. अबकी बार मैंने बाइक के ब्रेक जानबूझ कर ज्यादा लगाए ताकि मैं उसकी चुचियों को ज्यादा अपनी पीठ पर रगड़वा सकूं.
अपने फ्लैट पर पहुंचने से पहले मैंने रास्ते से कुछ सामान रात को खाने का और अपने लिए एक बोतल व्हिस्की की ले ली, साथ में सरिता के लिए भी वोदका ले ली.
हम मेरे फ्लैट पर पहुंचे तो सरिता ने देखा की फ्लैट पर ताला लगा है, तो उसने पूछा कि भाभी और बच्चे किधर हैं?
तो मैंने बताया कि वो तो अपने नाना नानी के घर गए हैं.
हम फ्लैट में अन्दर गए, तब तक हम दोनों पूरी तरह भीगे हुए थे. मैंने सरिता को एक तौलिया दे दिया और जिस रूम में उसे कपड़े बदलने थे, उसमें मैंने चुपचाप जाकर एक छोटा सा कैमरा फिट कर दिया और सरिता को अपनी बीवी की एक पतली सी ट्रांसपेरेंट नाइटी दे दी.
झीनी सी नाइटी देख कर वो मेरी तरफ देख कर हल्के से मुस्करा उठी और वो उस कमरे को लॉक करके कपड़े चेंज करने लगी. मैं दूसरे कमरे में अपने अन्दर फिट किये कैमरे को लैपटॉप से जोड़ कर सरिता को कपड़े चेंज करते देखने लगा.
सरिता ने पहले अपनी जींस और टॉप उतारा. उसे केवल ब्रा और पेंटी में देख कर मेरा लंड सलामी देने लगा. इसके बाद उसने अपनी ब्रा और पेंटी भी उतार दी और पूरी तरह नंगी हो गई. कैमरा जो कि मैंने कमरे में ऐसे एंगल से छुपाया था कि सब कुछ साफ नज़र आ रहा था.
सरिता जो कि मेरी चचेरी बहन थी, उसे नंगी देख कर मेरा लंड जबरदस्त हिचकोले खाने लगा. मुझे अपने आप पर यकीन नहीं हो रहा था कि मैं उसे कभी इस तरह नंगी देख पाऊँगा. उसकी चूत पर हल्के हल्के बाल नज़र आ रहे थे, जैसे उसने अभी कुछ दिन पहले ही चूत की झांटें साफ़ की हों. उसका गोरा बदन और गोरी गोरी चूचियां देख कर मुझसे रहा नहीं गया और मैं फटाफट अपना लंड निकाल कर सरिता को ध्यान करके मुठ मारने लगा.
जैसे ही मेरे लंड ने माल फेंका, इतने में सरिता भी नाइटी पहन कर बाहर आ गई. शायद सरिता ने मुझे देख लिया था, पर उसने इग्नोर कर दिया.
मैंने देखा सरिता नाइटी में बहुत खूबसूरत लग रही थी और नाइटी पारदर्शी होने के कारण उसका गोरा बदन साफ नज़र आ रहा था. मैं तिरछी नज़रों से सरिता को निहार रहा था और ये बात सरिता ने भी नोटिस की थी, पर उसने हल्की स्माइल के साथ मुझे अनदेखा कर दिया.
अब हम दोनों सोफे पर बैठ कर बात करने लगे. बीच बीच में मेरा ध्यान बार बार सरिता की पारदर्शी नाइटी के अन्दर जा रहा था. ये बात सरिता नोट कर रही थी और साथ में स्माइल भी कर रही थी.
फिर मैंने सरिता से खाने के बारे में पूछा तो बोली- आप खाना तो लाए हो ना.
मैंने कहा कि हां लेकिन अभी रात के 8 बजे हैं और मैं तो लेट खाता हूँ.
उसने कहा- कोई बात नहीं.
मैंने कहा- सरिता अगर बुरा नहीं मानो तो मैं अभी व्हिस्की के 2-3 पैग लगाऊंगा.
सरिता बोली- ठीक है आप पैग लगा लो, जब तक मैं टीवी देख लेती हूँ और खाना साथ में खा लेंगे.
मैंने कहा- ठीक है.. मैं अपने पैग लगा लेता हूँ और अगर बुरा ना मानो तो अगर तुम भी 1-2 पैग व्हिस्की या वोडका के ले सकती हो, इधर कोई टोकने वाला नहीं है.
पहले तो सरिता कुछ सकुचाई, फिर उसने कहा- ठीक है भैया 1-2 पैग वोडका चल जाएगी.
मैंने टेबल पर अपने लिए व्हिस्की और सरिता के लिए वोदका के पैग बनाए और पैग पीने लगे, साथ साथ इधर उधर की बात करने लगे.
हम दोनों 2-2 पैग लगा चुके थे और हम दोनों को सुरूर आने लगा था. सुरूर के साथ अब हमारी बातों का विषय भी बदलने लगा.
मुझे कुछ ज्यादा नशा चढ़ चुका था और नशे में मैंने सरिता से कहा- सरिता तू बड़ी सेक्सी है.
सरिता भी बोली- हां, वो मैं आपकी नज़रों में देख चुकी हूँ.
हम दोनों धीरे धीरे बातों में खुलने लगे और मैंने नशे में बोल दिया कि सरिता यार तू मेरी बहन है, पर क्या आज बहन के अलावा कुछ और बन जाएगी?
सरिता बोली- बोलिए ना क्या बन जाऊं?
मैंने कहा- यार तेरी भाभी को गए कई दिन हो गए और मुझे बहुत आग लगी है.
सरिता बोली- कोई बात नहीं भैया, आज मैं आपकी प्यास बुझा दूंगी.
उसके इतना कहते ही मैंने उठ कर सरिता के होंठों पर अपने होंठ रख दिए और चूसने लगा. सरिता भी मेरा साथ देने लगी.
मैंने उसको सोफे पर ही लिटा दिया और होंठ से होंठ चूसने लगा. साथ ही एक हाथ उसकी नाइटी के अन्दर डालकर उसके मम्मों को दबाने लगा और एक हाथ नीचे ले जाकर उसकी चूत पर रगड़ने लगा.
सरिता आह आह करने लगी- आह.. भैया और रगड़ो भइया.. आह.. मजा आ रहा है.
हम दोनों दस मिनट एक दूसरे से चिपट कर मजे लेते रहे. फिर सरिता बोली- भैया और पैग बनाओ, कुछ मजा आएगा. मगर अब मेरे लिए भी व्हिस्की का पैग ही बनाना.
इसके बाद हमने 3-3 पैग और लगाए. इसके बाद मैं सरिता को उठा कर बैडरूम में ले आया और बिस्तर पर पटक कर अपने सारे कपड़े उतार दिए. सरिता की नाइटी भी उसकी जांघों से ऊपर कर दी.
सरिता की कुंवारी चूत अब मेरे सामने थी, जिस पर हल्के रोयें जैसे बाल थे
मैंने सरिता की जांघों को ऊपर की तरफ उठा कर उसकी चूत के होंठों को फैलाया और अपने होंठ सरिता की चूत के ऊपर रखकर चूसने लगा. साथ ही साथ बीच बीच में अपनी जीभ उसकी चूत में अन्दर तक डाल कर रगड़ देता था. मेरी बहन सरिता इस तरह उसकी चूत चूसने चाटने से बिल्कुल पागल सी हो गई और ‘उम्म्ह… अहह… हय… याह…’ करने लगी.
वो बड़बड़ाने लगी- आह भैया मजा आ रहा है और अच्छी तरह चूसो..
वो मेरा सिर अपने हाथों से पकड़कर अपनी चूत पर रगडने लगी. उसकी चूत ने भी पानी छोड़ना शुरू कर दिया था. मैंने उसकी चूत से निकले सारे पानी को अपनी जुबान से चाट लिया. मेरी बहन सरिता तो जैसे पागल हो गई. उसने अपने एक हाथ से मेरा लंड पकड़ लिया और आगे पीछे करने लगी.
जल्द ही हम दोनों 69 की पोजीशन में आ गए और एक साथ ओरल सेक्स करने लगे . मैंने उसकी चूत पूरी तरह चाट चाट कर लाल कर दी और मेरी बहन मेरे लंड को चूसने में लगी थी.
बस अगले कुछ मिनट में मैंने उसको सीधा किया और उसकी चूत खोल कर अपना लंड लगा दिया. उसने मेरी तरफ आँख मारी तो मैंने धक्का लगा दिया.
सरिता की चीख निकल गई.. उसने मुझे रोकने की बहुत कोशिश की लेकिन मेरे ऊपर तो चुदाई का भूत सवार था. कुछ देर बाद सरिता की चुत लंड खाने की अभ्यस्त हो गई और धकापेल शुरू हो गई.
करीब बीस मिनट तक मैंने सरिता की चुत की चुदाई अपने अनुभव के आधार पर रुक रुक कर की और अंत में अपना लंड का रस उसके मम्मों पर निकाल दिया. इसके कुछ देर बाद फिर से दो दो पैग लगाए और फिर से लंड चूत की कुश्ती शुरू हो गई.
सारी रात चुदाई हुई. मैंने उसकी गांड मारने की भी सोची लेकिन उसने कहा कि कल गांड का उद्घाटन करवा लूँगी.
दोस्तो, ये थी मेरी चुदाई की पोर्न कहानी, आपको कैसी लगी, प्लीज़ मेल कीजिएगा.
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