चचेरी भाभी का प्यार और मेरी वासना
दोस्तो, मेरा नाम अमन सिंह है, मैं राजस्थान जिले के हनुमानगढ़ जंक्शन का निवासी हूँ। मैं साधारण सा दिखने वाला बन्दा हूँ.. मेरी बॉडी बिल्कुल फिट है, मेरे लण्ड का साइज़ भी ओके है।
यह कहानी मेरी और मेरे ताऊ जी के लड़के की पत्नी यानि मेरी भाभी की है जो अब हमारे ही शहर में हमारे घर से 2 किलोमीटर दूर रहते हैं।
बात आज से दो साल पहले की है.. जब मैं 12वीं के पेपर दे कर फ्री हो गया था। तब मेरे ताऊ के लड़के यानि मेरे भईया ने अपना बिज़नेस चेंज किया और उसके लिए उन्होंने गाँव से आकर हमारे शहर में घर ले लिया। उन्हें अपने व्यापार में दूसरे शहरों में जाकर माल लाना पड़ता था.. जिस वजह से मेरी भाभी घर पर अकेली रह जाती थीं।
भाभी हफ्ते में एक-दो बार हमारे घर पर जरूर आती थीं, देवर होने के नाते उनके साथ मेरा हँसी-मजाक चलता रहता था।
मेरी भाभी काफी सेक्सी और खूबसूरत हैं। वैसे भी भाभी चाहे जैसी भी हो.. देवर हमेशा उसको चोदने के सपने देखता है।
कुछ दिनों के बाद हमारे शहर में काफी चोरियाँ होने लगीं.. और उन्हीं दिनों भईया को 3 दिनों के लिए बाहर जाना था.. चोरों के डर से उन्होंने मेरे पापा से मुझे उनके घर पर सोने की बात कही.. तो मेरे पापा ने ‘ओके’ बोल दिया।
शाम को जब मुझे मेरी मम्मी ने उनके घर पर जाने को बोला.. तो मुझे बहुत ख़ुशी हुई।
मैं उनके घर पर गया.. तो उनके पड़ोस में रहने वाली एक लड़की उनके घर पर बैठी थी।
मैं उसे देखने लगा.. मेरे आ जाने से वो लड़की अपने घर जाने लगी।
वो लड़की काफी हसीन भी थी और कुछ मेरी प्लानिंग भी थी.. ताकि भाभी मुझे उसे देखते हुए नोटिस करें।
वही हुआ.. उन्होंने उसके जाते ही मेरे गाल खींच कर मुझसे कहा- ओ हो.. मेरे प्यारे देवर जी को वो लड़की पसंद आ गई क्या?
मैं हँस पड़ा और बोला- मैं क्यों बताऊँ.. आपको हमारी क्या फिकर है?
वो थोड़ा बनावटी नाराज होकर बोलीं- अच्छा.. तो मत बताओ..
उन्होंने दूसरी तरफ मुँह फेर लिया। मैंने उनको मनाते हुए कहा- ओके जी ओके.. सॉरी जी.. वैसे ये मेरे टाइप की नहीं है।
भाभी हँसते हुए बोलीं- अच्छा जी.. तो जनाब उसे घूर क्यों रहे थे।
मैंने कहा- वो तो मैं उसकी टी-शर्ट का ब्रांड देख रहा था।
मैंने यह बात अपनी जीभ निकालते हुए बोली..
तो भाभी बोलीं- ओके.. तो आपको किस टाइप की लड़की पसंद है?
मैंने कहा- बिल्कुल आपके जैसी सुंदर हो.. आप जैसी हसीन हो..
मैंने उनसे यह बात कहते हुए उन्हें एक आँख मार दी।
भाभी एकटक मेरी तरफ देखती रहीं.. तो मैंने भाभी का हाथ पकड़ा और बोला- क्या हुआ भाभी?
भाभी बोलीं- बड़ा शरारती हो गया है तू..
उन्होंने मेरे गालों पर हाथ फेरा और बोला- अच्छा एक काम कर.. तू नहा ले, फिर हम दोनों खाना लेते हैं।
मैंने भाभी को एक प्यार भरी स्माइल दी और नहा कर फ्रेश हो गया। फिर हम दोनों ने खाना खा लिया।
हम बातें करने लगे.. तो मैंने भाभी को बताया- मेरी एक गर्लफ्रेंड भी है।
भाभी ने मुझे च्यूंटी भरते हुए कहा- तुम तो बड़े छुपे रुस्तम निकले।
वो उसके साथ बात करने की जिद करने लगीं.. तो मैंने उनकी उसके साथ यानि मेरी गर्लफ्रेंड जिसका नाम सिमरन है.. से करवा दी।
उसके साथ बात करने के बाद भाभी ने मुझे गले लगा कर बधाई दी फिर उन्होंने मुझसे पूछा- कितने साल हो गए तुम दोनों को?
मैंने कहा- अभी तो एक महीना ही हुआ है.. जहाँ मेरे पेपर थे.. वहीं इसके पेपर भी थे.. तो वहीं पर हमारा प्यार शुरू हुआ था।
ऐसे ही कुछ और बातें हुईं.. फिर हमने सोने की तैयारी कर ली।
मैंने पूछा- मैं कहाँ पर सोऊँगा?
भाभी ने कहा- हम दोनों एक ही बिस्तर पर सो जाते हैं।
मैं चादर के अन्दर मुँह करके मोबाइल पर अन्तर्वासना डॉट कॉम पर भाभी-देवर की चुदाई की स्टोरी पढ़ने लगा.. जिससे मेरे अन्दर की हवस जाग गई।
रात के करीब 12.30 के आस-पास मैं भाभी के पास खिसका और उनके पेट पर हाथ रखा। धीरे-धीरे मैंने अपना हाथ उनके मम्मों के ऊपर रखा और उन्हें सहलाते हुए दबाने लगा।
थोड़ी देर के बाद मैंने अपना हाथ उनकी सलवार की तरफ किया.. तो भाभी थोड़ी सी हिलीं.. मैंने अपना हाथ पीछे कर लिया।
जब भाभी कुछ नहीं बोलीं.. तो मैंने फिर से अपना हाथ उनके पेट पर रखा और चूचे सहलाते हुए उनकी सलवार का नाड़ा पकड़ कर खोलने लगा।
भाभी ने मेरा हाथ पकड़ कर दूर कर दिया और दूसरी और करवट लेकर सो गईं।
भाभी के इस विरोध से मैं डर गया और उनसे थोड़ा दूर हो गया। उनके बारे में सोचते-सोचते कब आंख लग गई.. पता ही नहीं चला।
सुबह 5 बजे पेशाब के कारण मेरी आंख खुली.. पेशाब करके आने के बाद मुझे भाभी की चुदाई की लगी और रात का सारा सीन सामने आ गया।
मैंने भाभी को चोदने का एक परफेक्ट प्लान सोच लिया।
सुबह 6.30 बजे भाभी उठीं.. चाय बना कर उन्होंने मुझे उठाया.. वो नॉर्मल लग रही थीं.. जैसे कल रात कुछ भी ना हुआ हो या वो उस बात को छेड़ना नहीं चाहती थीं।
मैंने चाय पीते-पीते अपने मोबाइल पर अन्तर्वासना की साईट खोल दी और उस पेज को खोल दिया.. जहाँ पर भाभी-देवर की कहानी ज्यादा थीं और मोबाइल को वहीं छोड़ कर भाभी को ‘बाय’ बोल कर चला आया।
शाम को जब मैं वापिस उनके घर गया.. तो भाभी ने कहा- जनाब ये संभालो अपना मोबाइल.. इसे यहीं भूल गए थे.. आपकी मैडम के कितने कॉल्स आए थे।
मैं हँस दिया और मोबाइल पकड़ कर वेब हिस्ट्री चैक की.. तो देखा भाभी ने काफी कहानियाँ पढ़ी थीं।
मैं मन ही मन खुश हुआ.. फिर वही बातें हुईं और खाना खा कर हम सोने लगे।
करीब 11 बजे मैंने भाभी के पेट पर हाथ रखा और उनके सूट को थोड़ा ऊपर करके नंगे पेट पर हाथ फेरने लगा। जब कोई आपत्ति नहीं हुई तो कुछ ही देर के बाद मैंने सूट के अन्दर से ही अपना हाथ भाभी के बोबों की तरफ बढ़ा दिया और भाभी के नंगे चूचे पकड़ लिए।
भाभी ने आज ब्रा नहीं पहनी थी.. मुझे थोड़ा डर लग रहा था.. पर डर कम था और हवस ज्यादा थी।
भाभी ने कोई विरोध नहीं किया.. तो मैंने अपना हाथ उनकी सलवार की तरफ किया और एक ही झटके में नाड़ा खोल दिया और भाभी की चूत पर हाथ फेरने लगा।
मेरा लण्ड एकदम सख्त होकर फटने जैसा हो गया।
भाभी सिसकारियाँ लेने लग गईं.. मैं समझ गया कि अब वो भी तैयार हैं और जाग रही हैं।
मैंने झट से अपनी कैप्री और अंडरवियर उतार दी और भाभी के ऊपर आ कर उनके होंठों पर किस करने लगा। भाभी भी रिस्पोंस देने लगीं.. पर उनकी आँखें अभी भी बंद थीं।
मैंने भाभी का सूट और सलवार उतार कर उन्हें पूरी नंगी कर दिया। भाभी ने अभी भी अपनी आँखें नहीं खोलीं.. और ना ही मुझे कुछ बोलीं.. तो मैंने भाभी के दोनों कबूतरों को पकड़ लिया और उन्हें मसलने लगा।
अब मैं भाभी को हर जगह पर चूमाचाटी करने लगा, भाभी जोर-जोर से सिसकारियाँ लेने लगीं।
मेरा लण्ड उनकी चूत से टकरा रहा था, भाभी की चूत बिल्कुल गीली हो चुकी थी। मैं थोड़ा नीचे की तरफ आया और मैंने भाभी की चूत पर एक हल्की सी पुच्ची की.. जिससे भाभी ने अपने दोनों हाथों से बिस्तर की चादर को कस के पकड़ लिया।
अब मैंने अपना लण्ड भाभी की चूत पर रखा और छेद पर सैट करके जोर का एक धक्का लगाया.. जिससे मेरा आधा लण्ड भाभी की चूत में चला गया।
भाभी को इस बात का एहसास था, उन्होंने अपना मुँह जोर से भींच लिया और तड़फ कर बिस्तर की चादर को खींच लिया।
मैं रुक गया और भाभी के मम्मों को चूमने-चूसने लगा। भाभी का दर्द कुछ कम हुआ.. तो वो सिसकारियाँ लेने लगीं।
मैंने भाभी से पूछा- भाभी आगे चलूँ?
भाभी कुछ नहीं बोलीं और आँखें बंद रखते हुए ही मुस्कुराने लगीं।
मैंने भी भाभी की चूत से लण्ड निकाला और भाभी को चुम्बन करने लगा। भाभी ने मुझे अपने दोनों हाथों से कस के जकड़ लिया।
मैंने फिर से भाभी से पूछा- भाभी और आगे चलूँ?
भाभी फिर चुप रहीं.. तो मैंने 69 की पोजीशन में आने के बारे में सोचा। मैं उल्टा हो कर भाभी की चूत को चूसने लगा.. मेरा लण्ड भाभी के मुँह के आस-पास टकरा रहा था.. पर उन्होंने उसे चूसा नहीं। एक मिनट में ही भाभी की चूत ने पानी छोड़ दिया.. तो मैंने चुदास के जोश में सारा पानी पी लिया।
अब मैं सीधा हुआ भाभी के होंठों पर किस करते हुए बोला- भाभी ‘गेट रेडी’..
मैंने लण्ड को उनकी चूत के साथ लगाया और रुक गया.. मैंने जब कुछ नहीं किया तो भाभी ने आंख खोली और बोलीं- क्या हुआ?
मैं हँस पड़ा और जोर से एक घस्सा लगाया.. मेरा आधा लण्ड उनकी चूत में चला गया।
यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !
वो झटके के साथ बैठ गईं.. और मुझे पकड़ लिया और मेरे होंठों पर किस करते हुए बोलीं- आह्ह.. आराम से करो ना..
वो फिर से बिस्तर पर लेट गईं.. मैंने एक और झटका देते हुए धक्कों की स्पीड बढ़ा दी और 2-3 मिनट में ही भाभी के साथ ढेर हो गया और भाभी के ऊपर ही गिर गया।
थोड़ी देर बाद मैंने भाभी से कहा- भाभी आई लव यू..
भाभी मुस्कराते हुए मेरे सिर में हाथ फेरते हुए बोलीं- आई लव यू टू..
मैंने भाभी के मम्मों को चूमते हुए किस करना शुरू कर दिया। मेरा लण्ड फिर से खड़ा हो गया था। मैं बिस्तर से खड़ा हुआ बड़ी वाली लाइट को जला दिया और भाभी को कुतिया जैसे बनने को कहा। भाभी ने वैसा ही किया और मैंने अपना लण्ड पीछे से उनकी चूत में डाल कर उनको चोदने लगा।
अबकी बार काफी देर तक चुदाई के बाद मैं और भाभी दोनों झड़ गए और एक-दूसरे की बाँहों में नंगे ही सो गए।
सुबह 6.30 बजे मेरी आंख खुली.. तो मैंने भाभी को किस किया और उठाया। उसके बाद मैंने उस लड़की को भी भाभी की मदद से चोदा।
यही है मेरी सच्ची कहानी।
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