चचेरे भाई की बीवी को ग्रुप सेक्स में शामिल किया -11
मधु बोली- मैंने इतना चुदवाया है आज कि मुझे थोड़ी थकान हो रही है, मुझे थोड़ी देर आराम करना है।
और बोलते बोलते मधु बिस्तर पर गिर गई, जल्दी ही वो सो गई।
हम सभी को 4 बजे का इंतज़ार था पर अभी एक घंटा था हब्शी के आने में, मैंने मधु को चादर उढ़ा दी और हम तीनों बाहर के कमरे में आ गये जिससे मधु की नींद में कोई विघ्न न आये।
बाहर के कमरे में आकर में सोफे पर बैठ गया और नीता मेरे बगल में नीलेश कालीन पर था और उसका सर मेरी जांघों से टिका हुआ था।
नीलेश बोला- यार, ये ज़िन्दगी के सबसे हसीं पल हैं कितना अच्छा होता कि अपन लोग साथ में ही रहते। मैं भी दिल्ली में ही नौकरी ढूंढ लेता हूँ।
मैंने कहा- हाँ, मेरी कंपनी में अप्लाई कर दे, वहाँ कुछ जुगाड़ भी लगा दूंगा मैं!
नीलेश बोला- अपन इसी मकान में साथ साथ रहेंगे, जब मर्जी आये नीता को चोदूँगा और जब मन करेगा भाभी को।
नीता भी बोली- हाँ, बहुत मज़ा आएगा, इससे पहले हम लोग सिर्फ रात को 20 मिनट के लिए बिस्तर पर जाने के बाद सेक्स करते और सो जाते थे, पता ही नहीं था कि इस सेक्स की दुनिया में इससे ज्यादा आनन्द भी लिया जा सकता है। पहले मन में अगर ऐसे ख्याल आ भी जाते थे तो यही सोचती रहती थी कि शायद नीलू को अच्छा नहीं लगेगा पर अब खुल के अपनी ज़िन्दगी जी सकती हूँ। किसी का भी लंड किसी भी जगह बिना किसी डर के ले सकती हूँ। पहले ये सब पाप लगता था।
नीलेश बोला- हाँ, मैं भी अब तुम्हारी मदद से किसी भी चूत को अपना बना सकता हूँ, तुम मेरे लिए किसी भी लड़की को मेरे बिस्तर तक लाने में मदद कर सकती हो।
बातें करते करते चार भी बज गए तब तक एक मधु भी एक नींद निकाल के बाहर के कमरे में आ गई और आते ही मेरी गोदी में बैठ गई और मुझे किस करने लगी।
नीता बोली- भाभी, आप सच में बहुत बहादुर हो, सबके सामने चुदते समय यह डर नहीं लग रहा था कि कोई और भी आपको चोद सकता है?
मधु बोली- जब तक राहुल मेरे साथ है, मेरी मर्जी के खिलाफ मुझे छूना तो दूर मेरी तरफ कोई आँख भी नहीं उठा सकता।
और अगर इनके होते हुए भी मेरी मर्जी के खिलाफ मुझे हाथ लगा जाता तो धत्त है ऐसे मर्द पे! जब इन्होंने कहा, तभी लोग मुझे देखकर मुठ मार पाये। मुझे भी अच्छा लग रहा था कि मेरे बदन को देखकर जवान और बूढ़े सभी मुठ मार रहे थे।
मैंने कहा- चल छोड़ डायलाग बाज़ी, और सब लोग कपड़े पहन लो, हब्शी आता ही होगा नीता की चूत मारने के लिए।
नीता बोली- भैया, अब वो तो मुझे चोदने ही आने वाला है तो कपड़े क्यूँ पहनने?
मैंने कहा- थोड़ी नजाकत से चुदवाओगी तो और आनन्द आएगा, भले ही वो तुम्हारे लिए रंडी ही है पर मजा तो तब है जब एक रंडी भी खुल के एन्जॉय करे और तुम्हें अपने चरम पर ले जाए, तुम्हें खुश करे।
नीता बोली- हाँ भैया, यह बात तो सही है।
सभी लोग कपड़े पहनने लगे, मैंने मधु से पूछा- डार्लिंग, तुम्हें भी चाहिए क्या उस हब्शी का लंड?
मधु बोली- मैं देखने के बाद ही फैसला करुँगी… वैसे पिछले कुछ दिनों में इतना सेक्स कर लिया है कि अभी तो फिलहाल ऐसा कोई मन नहीं है।
सभी लोग घर के नार्मल कपड़ों में आ गये, मैंने और नीलेश ने बनियान और बरमूडा पहन लिया, नीता ने टॉप और जीन्स, मधु ने सूट।
तभी घंटी बजी, नीलेश ने दरवाज़ा खोला, सामने के भयानक काला और डरावना आदमी खड़ा था।
उसने विनम्रता से पूछा- Can I talk to राहुल?
मैंने अंदर से ही आवाज़ लगाकर बोला- हाँ मैं हूँ राहुल, तुम्हें हिंदी नहीं आती क्या?
दरवाज़े के बाहर से ही उसने बोला- आता है पर थोड़ा थोड़ा।
मैंने कहा- ठीक है, अंदर आ जाओ।
उसको सोफे पर बैठने के लिए इशारा किया। सोफे पर बैठकर बेचारा इधर उधर बगलें झांकता सा दिख रहा था।
मैंने कहा- पैसे पहले लोगे या बाद में?
वो बोला- कैसा भी चलेगा।
मैं थोड़ी दबंग आवाज़ में बोला- नीता!
जब तक नीता बाहर आये, मैंने पूछा- तुम्हारा नाम क्या है?
वो कालू बोला- मेरा नाम देंयल जॉन है। लोग मुझे डी जे बुलाते है।
नीता बाहर आई, बोली- हाँ भैया?
मैंने कहा- देख लो, ये है वो!
डी जे थोड़ा हक्का बक्का था पर चुप था।
नीता थोड़ा शर्माते हुए नज़रें झुका के बोली- हाँ अच्छा है।
मैं थोड़ा गुस्सा दिखाते हुए बोला- अरे शादी के लिए थोड़े ही दिखा रहे है जो ऐसे शर्मा कर बोल रही है। उसके करीब जाओ उसके बदन को छू कर आजमा लो सब सामान चेक कर लो।
नीता ने नजरें उठाई और जाकर उसकी गोदी में बैठ गई, उसकी टी-शर्ट को ऊपर से गले के अंदर झाँक कर देखा, फिर बोली- नाइस, तुम्हारी छाती पर बाल नहीं है।
डी जे ने अपने हाथ हवा में ऐसे उठा रखे थे जैसे चेकिंग के लिए हाथ उठा लिए जाते है, वो नीता को कहीं भी छू नहीं रहा था।
नीता ने डी जे के जीन्स पर हाथ फेरते हुए मेरी तरफ देखकर बोली- हाँ, भैया चलेगा ये!
नीता उसकी गोदी से उठी, तब तक मधु भी आ गई बाहर के कमरे में, मैंने कहा- मधु देख ये आया है नीता को चोदने!
मधु आँखें बड़ी करके बोली- अरे बाप रे… यह तो इंसान ही नहीं लग रहा।
मैंने थोड़ा धीरे से कहा- उसे हिंदी आती है।
डी जे बोला- सर कोई बात नहीं!
मैंने कहा- तो फिर क्या है, हो जा शुरू… जाओ नीता इसे अंदर ले जाओ।
नीता ने उसका हाथ पकड़ा और उसे सोफे से उठाने के लिए बड़ी अदा से अंदर ले जाने लगी। नीलेश बिल्कुल चुपचाप यह सारा नज़ारा देख रहा था।
मैं नीलेश की ख़ामोशी तोड़ने के लिए बोला- नीलेश भाई, तुझे अगर तेरी बीवी नीता के लिए वो कालू पसंद नहीं आया हो तो बता, अपन कोई और बुला लेंगे।
नीलेश थोड़ा गहरी मुस्कान के साथ बोला- नहीं यार, ऐसी कोई बात नहीं है।
मैंने कहा- फिर इतना शांत क्यूँ खड़ा है, तेरी फंतासी पूरी होने जा रही है, तुझे कोई ख़ुशी नहीं हो रही?
तब तक डी जे और नीता ने कमरा बंद कर लिया था, मैंने आवाज़ लगाई- नीता!
जल्दी ही नीता बाहर आई और बोली- हाँ भैया?
मैंने कहा- मुझे तो ऐसा लग रहा है जैसे तुम्हारी फंतासी पूरी होने जा रही है।
नीता बोली- नहीं, ऐसी तो कोई बात नहीं है।
तो मैंने कहा- तो नीलेश की फंतासी के हिसाब से तो तुम्हें नीलेश के सामने उस कालू से शारीरिक सम्बन्ध बनाने हैं।
नीता बोली- मुझे तो आप लोगों से कोई दिक्कत नहीं है पर वो आदमी कैसे ये सब करेगा इसलिए अंदर गई तो उसने दरवाज़ा बंद कर लिया।
मैंने कहा- उसकी चिंता मत करो, वो तो साला रंडी है, जो कहेंगे वो करना पड़ेगा।
मैंने आवाज़ लगाई- डी जे!
वो बाहर के कमरे में आ गया।
मैंने उससे कहा- तुम्हें जो भी कुछ करना है, यहीं करना है।
मैं थोड़ा रूककर बोला- चलो, अपनी टी-शर्ट उतारो।
काले सांड ने अपनी टी-शर्ट उतारी, उसका शरीर देखने लायक था। उसके पूरा बदन गठीला, एक एक मांशपेशी और नस नस दिखाई पड़ रही थी।
नीलेश बोला- अब क्या हर चीज़ बोलनी पड़ेगी, नीता को खुश करो, तुम जैसे भी कर सकते हो।
डी जे कुछ नहीं बोला और नीता को गोद में उठा लिया जैसे कोई दो साल की बच्ची को उठाता है और उसे सोफे पर बैठा दिया।
फिर कालू खड़ा हुआ और जैसे स्ट्रिप टीज़र करते है वैसे अपने जीन्स का बटन खोलने लगा। मैंने जल्दी ही माहौल समझा और पिटबुल के गाने लगा कर आवाज़ बढ़ा दी।
डी जे ने मुझे आँखों से ही थैंक्स बोला।
मैंने बोला- मधु तुम भी नीता के बगल में जाकर बैठ जाओ।
नीलेश बोला- हाँ भाभी, जैसे लड़कियों की पार्टी में स्ट्रिप टीज़र डांस होता है वैसा ही लगेगा जाओ न!
मधु भी नीता के बगल में जाकर बैठ गई।
अब धीरे धीरे गाने की धुन पर डी जे अपने जीन्स की ज़िप खोलते हुए अपनी गांड मटकाता हुआ लड़कियों के लिए स्ट्रिप टीज़ करने लगा।
दोनों लड़कियों को उसने इतना उकसा दिया कि मधु ने उसके जीन्स के ऊपर से ही हथियार की धार देखने की कोशिश करने लगी और नीता भी कालू की गांड पे चपेट लगा देती।
जैसे ही जीन्स कालू के शरीर से अलग हुई, कालू ने एक स्टेप में अपनी चड्डी को थोड़ा उठा के अंदर का हथियार दिखाया और फिर बंद कर दिया जैसे उन्हें दिखा के चिढ़ा रहा हो।
मैं और नीलेश सिगरेट के धुएं के साथ खड़े खड़े ये तमाशा देख रहे थे।
कालू ने दोनों लड़कियों को इशारा किया कि वो भी अपने कपड़े उतार लें।
नीता ने तुरंत अपना टॉप उतार फेंका, मधु कपड़े बिना उतारे ही बस एक टक कालू को देख रही थी।
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डी जे ने नीता के दोनों बूब्स अपने दोनों बड़े बड़े हाथों से पकड़े और हल्की हल्की मसाज देने लगा।
इधर नीलेश ने अपने कपड़े उतारना शुरू कर दिया।
डी जे ने नीता को खड़ा किया और उसके जीन्स का बटन अपने मुंह से खोल दिया, ताकतवर दांतों से ज़िप भी नीचे करता जा रहा था और नीता की गांड भी सहला रहा था।
मधु अपने पैर के अंगूठे के नाख़ून से कालू के सीने के निप्पल को छेड़ने लगी। डी जे भी दिखा रहा था कि हाँ उसे अच्छा लग रहा है।
तभी मेरे बरमूडा नीचे सरका, मैंने पीछे देखा तो नीलेश ने सरकाया था। मैं भी कपड़े उतार के नीलेश की तरह नंगा हो चूका था।
डी जे ने अब तक नीता को पूरी तरह नंगी कर दिया था। मधु ने अब तक अपना बदन ढक कर रखा था पर हाँ वो अपने पैर के अंगूठे के नाख़ून से डी जे के छाती ही नहीं अब उसके औजार पर भी वार कर रही थी।
डी जे ने नीता को सोफे पर बैठाया और अब धीरे धीरे अपनी बॉक्सर को उतारना शुरू किया।
कभी दांई तरफ से बॉक्सर नीचे करता कभी बांई तरफ से और फिर रोक देता।
कालू के बदन पर अब तक एक भी बाल नहीं दिखा था।
इंतज़ार की घड़ियाँ समाप्त हुई और डी जे ने अपना लम्बा और काला लौड़ा दोनों औरतों के सामने कर दिया।
नीलेश बोला- नीता चूस इसका लंड!
डी जे का लंड अभी पूरी तरह खड़ा ही नहीं था तब भी वो कम से कम 9 इंच तो होगा ही।
मधु बोली- ये आदमी का है या गधे का? नीलेश भैया, आदमी ही क्यूँ बोला, बोल देते गधे से चुदवाना है नीता को।
नीलेश बोला- भाभी मैंने सपने में कई बार इसको ऐसे ही काले लंड से चुदते हुए और मस्ती करते हुए इसी को चोदा है। जब हम चुदाई करते थे तो हम अपने मन में कोई कहानी से अपने आपको उकसा कर अपना लंड खड़ा करता था। यह ऐसी अचूक कहानी है जिसमें मेरा लंड हमेशा ही खड़ा हो जाता था और मैं नीता को कभी कभी 40-45 मिनट तक चोदता रहता था।
तब तक नीता ने कालू के लौड़े को चूसना शुरू कर दिया था। इधर मधु भी धीरे धीरे मूड में आरही थी, उसने भी एक एक करके अपने बदन से कपड़े अलग करना शुरू कर दिए थे।
मधु ने डी जे के बॉल्स सहलाना शुरू किये इधर नीलेश भी मेरी जांघें और लंड को छूना शुरू कर चुका था।
डी जे जमीन में लेट गया और नीता को अपने मुंह पर बैठा लिया, मधु सोफे पर बैठे बैठे अपने पैर के पंजों से डी जे के लंड की मुठ मारने लगी। नीता भी अपनी चूत पर कालू की जीभ का पूरा मज़ा ले रही थी, अपने हाथों से अपने बूब्स दबा कर नीलेश और मुझे दिखा रही थी, बता रही थी कि वो इस फंतासी को पूरी तरह जी रही है।
नीलेश बोला- यार, यहाँ कब तक खड़े खड़े तमाशा देखेंगे, चलो अंदर चलते हैं, बिस्तर पर सभी लोग मस्ती करेंगे।
नीता बोली- नीलू, थोड़ी देर रुको न, अभी इसकी जीभ सही जगह पर छू रही है, थोड़ा मज़ा ले लेने दो, फिर चलूंगी।
नीलेश बोला- रंडी कैसी कालिये की जीभ के मजे ले रही है, ले मजे और मजे ले बेन की लोड़ी।
हम तीनों मैं, मधु और नीलेश बैडरूम में चले गए।
8-10 मिनट के बाद नीता हमारे कमरे में आई, तब तक हम तीनों एक दूसरे के बदन से खेल रहे थे।
नीता आकर बोली- मुझे इस कालू पर मूतना है, उस दिन आप सब मेरे ऊपर मूते थे। आज मैं इस पर मूतना चाहती हूँ।
बाथरूम में कालू को लिटा कर वैसे ही उसके मुंह पर नीता बैठ गई और डी जे के मुंह पर मूतने लगी। डी जे भी एक्सपर्ट था, वो भी नीता को पूरा आनन्द देने के लिए आराम से अपने ऊपर मुतवाता रहा। नीता का मूत पीता, कभी उसके मूत को मुंह में भरकर नीता के पेट तक उसी का कुल्ला कर देता।
नीता ने पूरा मूतने के बाद भी लगभग 5 मिनट और कालू के मुंह पर बैठकर अपने कूल्हे मटका मटका के अपनी चूत को चटवाया। फिर दोनों साथ में शावर लेने लगे, बाथरूम का दरवाज़ा एक मिनट के लिए भी बंद नहीं किया गया।
नीता नहा कर बदन पौंछ कर बिस्तर के बिल्कुल बीच में लेट गई, अपनी टांगें हवा में उछाल कर डी जे को अपनी चूत में अपना लंड डालने को निमंत्रण दे दिया।
डी जे प्रोफेशनल तो था ही, तुरंत अपना लौड़ा हाथ में लेकर आगे बढ़ा और नीता के चूत के द्वार पर रख दिया। उसने पहले अपने लंड के टोपे से नीता की चूत इतनी रगड़ी कि नीता लंड लेने के लिए लगभग पागल और भूखी शेरनी जैसी हो गई।
नीता खुद ही उछलने लगी जिससे उसका लंड थोड़ा अंदर चला जाए, वो डी जे को पकड़ कर हिलाने की कोशिश कर रही थी पर वो सांड कहा हिलने वाला था।
जब डी जे पूरी तरह संतुष्ट हो गया कि अब नीता को ज्यादा दर्द नहीं होगा उसने थोड़ा सा लंड नीता की चूत में ठेल दिया।
मेरे और नीलेश के लंड के मुकाबले इस लंड का मोटापा काफी था। नीता ने तकिए का कोन पूरी ताकत से अपनी मुट्ठी में भर लिया और अपने मुंह को दबा लिया जिससे उसकी चीख न निकल जाए।
नीलेश तुरंत उठकर गया और अपनी बीवी नीता का सर गोदी में रखकर बोला- नीता जान, अपने आप को रोको मत… चीखो, चिल्लाओ कोई बात नहीं।
नीता बोली- इसने तो मेरी चूत फाड़ डाली, मैं मर जाऊँगी जान!
नीलेश बोला- तू मेरा लंड चूस, ये तेरी चूत मारेगा तुझे दर्द नहीं होने देगा।
मधु ने ऐसी बातें सुनी तो सरसों का तेल उठा लाई, बिना किसी से कुछ बोले डी जे के पास गई उसके लंड को पकड़ा और बाहर निकाल दिया और उसके लंड पर ढेर सारा तेल मल दिया, थोड़ा सा तेल लेकर नीता की चूत पर भी लगा दिया और थोड़ा ऊँगली नीता की चूत के अंदर डाल के तेल अंदर तक लगा दिया।
नीता बोली- थैंक यू भाभी! अब शायद इसका लौड़ा लेना आसान हो जायेगा।
मधु मुस्कुरा कर बोली- एन्जॉय करो डियर, थैंक्स की क्या बात है।
नीता पलट गई और घोड़ी बन गई, कालू भी घुटने के बल बैठ गया, नीता का मुंह अब नीलेश के लंड पर था।
कालू ने धीरे धीरे अपना लंड नीता की चूत में पेलना शुरू कर दिया। नीलेश इस तरह सीधा लेटा था जैसे वो नीता का तकिया हो, नीता के एक हाथ की तरफ नीलेश के पैर थे और दूसरे हाथ की तरफ उसका मुंह।
नीलेश ने मुझे अपनी तरफ बुलाया और मेरा लंड चूसने लगा।
मैंने भी मधु को सीधा लिटा दिया और उसकी चूत चाटने लगा और मधु का मुंह नीता और कालू के लंड के पास पहुंच चूका था तो वो भी कालू के बॉल्स और सहला और चाट रही थी।
पूरा गोला बना लिया था हम लोगों ने जिसमें सभी एक दूसरे को पूरा आनन्द दे रहे थे।
नीता की चूत में अब जोरदार धक्का लगा जिससे डी जे का पूरा लंड अब नीता की चूत में घुस गया था, नीता चीख उठी, बोली- ये माँ का लौड़ा चूत से डाल के मुंह से निकालेगा।
नीता के मुंह से गाली सुनकर बहुत अच्छा लगा, सभी लोग हंस दिए।
नीलेश बोला- तू बस ये बता… मज़ा आ रहा है या नहीं?
नीता कुछ नहीं बोल सकी, बस आह उन्हह ओह्ह्ह आंहह ओह्ह्ह्ह करती ही रह गई।
मैंने मधु से कहा- बोल, अगर तुझे भी चाहिए ऐसा लंड तो ले ले।
मधु बोली- मुझे चुदने का शौक है पर इतने बड़े लंड से अपनी चूत नहीं फड़वानी… मेरे लिए तो आप दोनों के ही लंड बहुत हैं कोई और पसंद आएगा तो मैं ज़रूर बताऊँगी।
मैं बोला- डी जे, मेरी बीवी को भी खुश कर यार, उसे भी ओरल का मज़ा दे दे।
डी जे बोला- यस सर!
डी जे ने नीता को लिटा दिया, पीछे से चोदता रहा और नीता और डी जे के बीच जो जगह बनी उसमें मधु को लिटा लिया और उसकी चूत को चाटने लगा।
नीता और मधु की पीठ एक दूसरे से टकरा रही थी। नीलेश मधु के बूब्स मसलने और चूसने लगा वही में नीता की तरफ जाकर नीता के बूब्स के साथ खेलने लगा।
नीता और मधु पूरी पसीने में तरबतर थी।
नीता बोली- भैया, यह राक्षस अपना पानी छोड़ेगा या नहीं?
मैंने कहा- तू उसकी क्यूँ चिंता करती है, वो तो रंडी है न, जब तक तेरा मन है लिए रह लौड़ा अपनी चूत में… जब तेरा हो जाये तो निकलवा देना। घर जाकर हिलाता रहेगा या कोई दूसरी ग्राहक पे निबट लेगा।
नीता हँसते हुए बोली- भैया, मैं तो 2 बार अपना पानी छोड़ चुकी हूँ। बस एक और बार निकाल लूँ, उसके बाद इस लंड को जाने दूंगी। भैया आपका लंड चूसती हूँ आप अपना पानी मेरे मुंह में निकाल देना। मुझे थोड़ा पानी पीना है।
नीता अब और ज्यादा मज़ा ले रही थी, वो अब कालू के लंड पर उछल रही थी, मेरे लंड को वो गले तक लेकर चूस रही थी। इससे पहले कि मैं अपना पानी उसके मुंह में छोड़ता, नीता पानी छोड़ने लगी।
नीता इतना मज़ा ले रही थी कि वो बोली- फाड़ दे मेरी चूत, निकाल दे मेरा पानी, मादरचोद मुझे खा जा। चोद साले मुझे चोद, मसल डाल मुझे।
मैं उसके बूब्स मसल रहा था और डी जे पूरी ताकत से नीता को पेल रहा था।
नीता के झड़ने के बाद डी जे बोला- मैं भी आ रहा हूँ।
डी जे ने अपना लंड बाहर निकाला और जोरों से हिलाने लगा।
मधु भी नीता के बिल्कुल बगल में मुंह लगा कर बैठ गई।
मैंने पहली बार अपनी बीवी को लंड से निकलने वाले पानी के लिए इतना उतावला देखा था।
डी जे की मलाई निकलने लगी, उसने इतना मलाई निकाली कि दोनों औरतें पूरी तरह उसकी मलाई में भीग गई।
नीलेश ने डी जे को पैसे दिए और थैंक्स बोल कर तौलिया लगा कर गेट तक छोड़ कर आया।
तब तक नीता और मधु एक दूसरे को स्मूच करके एक साथ नहाने चली गई।
शाम के 7 बज चुके थे, सभी लोग थके हुए थे, भूख भी लग रही थी, मधु और नीता ने खाना बनाया, खाना खाकर सभी लोग एक साथ सो गए।
सभी इतने थके हुए थे कि आज की रात किसी ने किसी को भी नहीं चोदा लेकिन अगले दिन हमारे पास समय नहीं था चुदाई का इसलिए मैं नीता की बाँहों में और नीलेश मधु की बाँहों में ही सोते रहे !
और अब यह तो स्पष्ट ही था कि हमने कपड़े नहीं पहने हुए थे।
अगली सुबह 10 बजे हमारी ट्रेन थी भोपाल जाने की… सभी लोग सुबह 7 बजे उठ कर नहा धोकर तैयार हो गए और हम 9:40 पर स्टेशन पहुंच गए थे।
अभी ट्रेन लग ही रही थी, नीलेश ने पूछा- भाई, अपना सीट नंबर और बोगी कौन सा है?
मैंने कहा- यार कहीं जगह नहीं थी, मैंने फर्स्ट क्लास में बुकिंग कर ली है। बस प्रॉब्लम यह है कि 2 सीट एक कम्पार्टमेंट और बाकी 2 अलग अलग कम्पार्टमेंट में मिली है। अब अंदर ही कुछ जुगाड़ करना पड़ेगा।
ट्रेन आई मैंने TT से बात की तो उसने हमारी चारों सीट एक ही कम्पार्टमेंट में करवा दी।
मुझे बुकिंग करते वक़्त से लेकर अभी तक कोई अंदाज़ा नहीं था कि यह सफर इतना सुहाना भी हो सकता है।
आगे के सफर के लिए इंतज़ार करें, जल्दी ही महिला पाठिकाओं की पैंटी गीली और पुरुष पाठको के पैंट में तम्बू बनाएंगे।
आगे की कहानी एक नए नाम से!
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