चलती ट्रेन के गेट पर चुदाई का परम आनन्द
मैं राज दिल्ली से हूँ। मैं एक कंप्यूटर इंजिनियर हूँ, और यहाँ जॉब करता हूँ। यह नोन वेज स्टोरी मेरे जीवन की एक महत्वपूर्ण घटना है जिसे मैं आज आप सबके साथ शेयर करना चाहता हूँ। मैं पहली बार अपनी कहानी पेश कर रहा हूँ। आप मेरे किरदार और उनकी परिस्थिति को समझ सकें, उसके लिए बीच बीच में आस पास की चीज़ों का अंदाज़ा लगवाने की कोशिश मैं करूँगा।
यह कहानी सेक्स से लेकर जीवन का भी ज्ञान करती है.
मेरा घर देहरादून में है. एक बार मेरे पापा का फोन आया- बेटा, तुम्हें एक काम करना है, तुम जल्दी से घर आ जाओ। मैं घर पहुँचा और उनसे जाकर बात क़ी, उन्होंने बताया कि तुम्हें रीना (जो मेरी मामी लगती हैं) उन्हें भोपाल छोड़ कर आना है, मैं बहुत खुश हुआ।
अब मैं आप सबको उनका परिचय करा देता हूँ। रीना और मेरे मामा रवि बहुत ही अच्छे हैं और मुझसे हमेशा ओपन रहते हैं, रीना मामी का फिगर 32-28-36 हैं, अभी वो 24 साल की हैं और
रवि मामा 28 साल के हैं, वो भोपाल में जॉब करते हैं, उनका अभी ही ट्रान्स्फर हुआ है इसीलिए मुझे उन्हें भोपाल छोड़ के आना था, मैं बहुत खुश था।
अगले दिन सुबह ही हमने देहरादून से दिल्ली के लिए बस पकड़ी क्योंकि दिल्ली से ट्रेन थी. यह आइडिया मेरा ही था कि हम दिल्ली तक बस से जायें इससे मुझे रीना मामी के साथ टाइम ज्यादा मिलता!
हमें ड्रॉप करने पापा बस स्टैंड तक आए, उसके बाद हम जाकर अपनी सीट पर बैठ गये।
बस वातानुकूलित थी, बस चलने लगी तो रीना मामी मुझसे बात करने लगी, वैसे भी वो मुझसे 1 साल ही बड़ी थी तो हँसी मज़ाक करती रहती थी.
उन्होंने उस दिन हरे रंग की साड़ी पहनी हुई थी जिसमें वो बहुत ही माल लग रही थी, उन्होंने मुझसे पूछा- राज, दिल्ली में तो तुम पर बहुत सी लड़कियाँ मरती होंगी?
मैंने उनसे बोला- ऐसा कुछ भी नहीं है.
हम दोनों डबल सीट पर बैठे हुए थे जिससे वो मेरे टच हो रही थी, मैंने उनसे बोला- अब तो तुम भी भोपाल में मस्ती करने वाली हो, वहाँ तो तुम और सिर्फ़ रवि मामा होंगे तो मस्ती ही होगी.
ऐसा सुन कर मामी हंसने लगी और मुझे हल्की से कोहनी मारी और बोली- राज…!!
इसके बाद तो मैं उनसे और ज्यादा खुल गया, फिर मैं उनको देखने लगा, मेरी नज़र उनके बूब्स पर गयी, मैं उन्हें देखता ही रहा, एक बार तो उन्होंने इस हरकत को देख लिया लेकिन मुझे टोका नहीं… जिससे मेरी हिम्मत बढ़ गयी, मैंने उनसे बोला- बहुत प्यारे हैं ये!
तो मामी हंसने लगी.
फिर तो मेरी और हिम्मत बढ़ गयी। अब हम दिल्ली पहुँचने ही वाले थे, शाम को 7 बजे ट्रेन थी, हम 6:30 बजे स्टेशन पर आ गये थे, उसके बाद मैंने वहाँ से कुछ सामान लिया और फिर अपनी ट्रेन की तरफ चलने लगे।
मैंने पहले ही ए सी फर्स्ट में टिकट बुक करा दिए थे। हम अब अपने कोच में आ गये और अपनी सीट पर बैठ गये, तभी टीटी आया और मैंने टिकट चेक कराए, साथ ही मैंने टीटी से पूछा- इस केबिन मैं कोई और भी है क्या ?
तो उसने बताया- एक कपल है.
मैं तो बहुत खुश हो रहा था कि आज तो एक के साथ एक और आने वाली है.
तभी हमारे सामने एक कपल आया, उसमें जो लेडी थी वो 24-25 साल की थी और उसका पति मुश्किल से 26 साल का होगा। भाभी का नाम आरजू था और उसके पति का नाम विनीत था. उसने लाल रंग का टॉप पहना हुआ था और नीचे जीन्स थी, वो बहुत ही हॉट लग रही थी.
फिर हमने अपना केबिन लॉक कर लिया और वो हमसे परिचय करने लगे।
परिचय होने के बाद हम एक दूसरे को अच्छे से जान गये थे, उसके बाद वो अपनी सीट पर बैठ गये और ट्रेन भी चलने लगी.
विनीत ने रीनू से बात की और उसके बारे मैं पूछने लगा, मैंने भी मौका देखा और आरजू से बात स्टार्ट की, धीरे धीरे मुझे पता लगा कि वो दोनों बहुत ही ओपन हैं।
आरजू ने विनीत से कहा- अब यहाँ तो कोई और है ही नहीं, तो मैं नाइट सूट पहन लूं क्या?
तो वो बोला- ठीक है!
उसके बाद जब वो चेंज करके आई तो बहुत ही हॉट लग रही थी, वो दोनों ऊपर एक ही सीट पर चले गये.
अब 8:30 बजने वाले थे. मैंने ऊपर देखा तो आरजू विनीत के ऊपर लेटी हुई है और विनीत को किस कर रही है. मैंने मामी को ये नजारा दिखाया तो वो शर्मा गयी। उसके बाद विनीत ने अपना एक हाथ उसके नाइट सूट में डाल दिया जिससे अब मैं आरजू की एक चुची को देख सकता था.
तभी अचानक रीनू मामी उठी और बाथरूम चली गयी लेकिन वो दोनों ऐसे ही रहे, अब तो मैं उन्हें देख रहा था कि अचानक आरजू ने मुझे देखते हुए देखा और सिर्फ़ मुस्कुरा दी.
इसके बाद विनीत ने उसकी दूसरी चुची को बाहर निकाल दिया और चूसने लगा, जिससे आरजू की हल्की हल्की आवाज़ आने लगी- आह हाह हह हहाहा हा…
और आरजू को मैं ऐसे ही देखता रहा.
लेकिन वो तो ऐसे थी कि जैसे कुछ हुआ ही ना हो!
फिर रीनू आ गयी और वो भी मेरे साथ उन दोनों को देखने लगी, मेरी तो पहले ही हालत खराब हो चुकी थी. आरजू और विनीत अपने आप में मस्त थे, मैं और रीनू मामी उन दोनों को देख रहे
थे लेकिन हम एक दूसरे की तरफ बिल्कुल भी नहीं देखा. अब तो उनकी हिम्मत और ज्यादा बढ़ती जा रही थी, विनीत ने हमारे सामने ही आरजू का एक बूब बाहर निकाला और उसे अपने मुख में लेकर ज़ोर ज़ोर से चूसने लगा. मेरी तो हालत खराब हो रही थी और रीनू मामी भी कुछ ठीक नहीं लग रही थी.
मैंने देखा कि अब आरजू ने अपना टॉप निकाल दिया और लाल रंग की ब्रा पहने हुए थी और अब उन्हें डर भी नहीं था कि यहाँ कोई और भी है। हम दोनों अपनी नीचे वाली बर्थ पर थे.
पता नहीं विनीत को क्या हुआ, उसने आरजू के कान में कुछ कहा और वो मुस्कुरा दी, ऐसा होने के बाद आरजू ने अपना फेस हमरी तरफ कर लिया और बात करने लगी, अब विनीत उसके पीछे आ गया और उसकी जीन्स को भी उतार दिया और उसकी चूत को किस करने लगा, जिससे आरजू की आवाज़ और ज्यादा आने लगी और वो रीनू से भी बात कर रही थी.
अचानक क्या हुआ कि उसकी ज़ोर से चीख निकल गयी, मैंने पूछा- क्या हुआ?
तो बोली- कुछ नहीं।
और विनीत फिर से लग गया. अब मैंने मामी को बोला- आप सो जाओ!
और वो अपनी सीट पर जाकर लेट गयी. वो आरजू वाली सीट के नीचे थी तो वो कुछ देख नहीं सकती थी लेकिन मैं सब कुछ देख सकता था.
अब विनीत ने आरजू के शरीर पर से सब कुछ निकाल दिया, वो बिल्कुल नंगी थी और उसे कोई फ़र्क भी नहीं था, इसके बाद विनीत ने अपना लंड निकाला और आरजू के सामने कर दिया, लगाबह्ग साढ़े पांच इंच का लंड जिसे आरजू ने अपने हाथों से पकड़ा और सकिंग करने लगी. विनीत ने हमें देखा तो उसे लगा की हम सो गये हैं, उसने आरजू को नीचे उतरने के लिए कहा.
आरजू ऐसे ही नंगी मेरे सामने खड़ी थी और विनीत भी एकदम नंगा था, उसने आरजू को वहाँ घोड़ी बनने को कहा और आरजू तो उसकी बात ऐसे मान रही थी जैसे कोई रंडी चुद रही हो.
उसने आरजू को वहीं चोदना शुरू कर दिया। आरजू की मादक आवाजें मुझे मदहोश कर रही थी, ऐसा मन कर रहा था कि अभी मैं आरजू को पकड़ कर चोद दूँ।
आरजू की चुचियाँ हवा में झूल रही थी, और वो इतनी तेज आवाजें निकाल रही थी कि दूर वाला भी कोई सुन सकता था पर मैं और रीनू मामी एकदम शांत होकर उनकी चुदाई देख रहे थे.
आरजू ‘अहह हह हहहा आहहा आआअ विनीत आआह हहह हहहा आराम से करो!’ बोले जा रही थी.
वो आरजू को ऐसे ही 20 मिनट तक ऐसे ही चोदता रहा, आख़िर विनीत ने आरजू की चूत में ही पानी छोड़ दिया और फिर वो ऊपर जाकर लेट गया लेकिन आरजू ऐसे ही नंगी मेरी सीट पर बैठ गयी और अपनी चूत को मसलने लगी और ‘अह्ह्हाआ उहह…’ की आवाजें कर रही थी.
मैं उठा और उससे पूछा- क्या हुआ?
तो एकदम सकपका गयी और अपनी चुची ढकने लगी लेकिन मैं बोला- डरो नहीं, बताओ क्या हुआ?
वो मुझसे लिपट गई, मुझे किस करने लगी और बोली- ये ऐसे ही जल्दी से करके सो जाते है और मैं हमेशा अधूरी रह जाती हूँ.
उसे नंगी देख कर मेरी पैंट में एक तंबू सा बनने लगा, मैंने मामी की ओर देखा तो लगा कि वो सो गयी हैं, मैंने इस बात का फ़ायदा उठाया और उसे किस करने लगा, उसने मेरा लंड बाहर
निकाला और उसे किस करने लगी.
मैं अपनी सीट से खड़ा हो गया और उसका सर पकड़ के ज़ोर ज़ोर से उसके मुंह को चोदने लगा, मैंने अपना लंड उसके मुँह में डाला जिससे वो सांस भी नहीं ले पा रही थी, उसकी आवाज़ बंद हो गयी थी “गुपप्प्ग प्प्प हहहा आअक ककक काह हहहाआ सीईई ईईई…”
अब मैंने देर ना करते हुए अपना लंड उसकी चूत पर रखा और रगड़ने लगा जिससे उसकी आवाजें और बढ़ने लगी, वो सब कुछ भूल चुकी थी बस चुदने का मज़ा ले रही थी.
मैंने अब उसे अपनी बाहों में उठाया और अब वो इस स्थिति में थी कि उसको मैंने अपनी दोनों बाहों में उल्टा पकड़ा हुआ था जिससे उसकी चूत मेरे सामने थी और मेरा लंड उसके मुख के पास था. मैंने उसकी चूत को किस किया और फिर उसे घोड़ी बना कर वहीं पर बहुत बुरी तरह चोदने लगा, मैंने उसके दोनों हाथ मामी वाली सीट पर लगवा दिए और फिर पीछे से उसे चोदने लगा.
रीनू मामी भी पूरी पक्की थी, वो ऐसे ही सो रही थी जबकि उनके सामने एक नंगी औरत रंडियों की तरह चुद रही थी.
मैंने मोके का फ़ायदा उठाया और उसे ज़ोर से धक्का मारने लगा जिससे उसका मुँह मामी की चूत तक जा रहा था, मैं रीनू मामी का चेहरा देख सकता था उनके चहरे पर पसीना आ रहा था, मैंने और तेज धक्का मारा इस बार आरजू का मुँह सीधा मामी की चुत पर गिरा और जैसे ही उसने उठना चाहा, मैंने उसे उठने नहीं दिया जिससे उसकी जीभ मामी की चूत को ऊपर से ही गर्म कर रही थी.
अब मैंने उसे बहुत तेज तेज चोदना स्टार्ट कर दिया, आरजू इतने में पानी छोड़ चुकी थी, अब मैं उसे ऐसे ही चोदता रहा, उसकी आवाजें गूँज रही थी अह्ह हाआ आह्ह्ह्ह्हा आआ आअह्ह ह्ह्हाआअ हीयी यआइ यआ इय आइय आइयी यीययी फक मीईई ईईई ईईईई… अहहां.. आआ!
उन्हें अगले स्टेशन पर उतरना था, वहाँ पर ट्रेन का स्टॉप 5 मिनट का था और मैं आरजू को एकदम नंगी करके चोद रहा था.
विनीत उठा और उसने हमें देखा लेकिन कुछ नहीं बोला और ऐसे ही नीचे आ गया. अभी भी मेरा लंड आरजू की चूत में था और आरजू का मुँह रीनू मामी की चूत पर था.
मैंने देखा कि रीनू मामी की चूत गीली हो रही थी क्योंकि उनका पानी उनके कपड़ों पर आ रहा था.
अब विनीत आरजू से बोला- अब बस करो, उतरना है.
तो आरजू उससे बोली- मादरचोद, तुझसे तो कुछ होता ही नहीं है!
अब विनीत चुप हो गया और आरजू ऐसे ही चुदती रही और विनीत से बोली- मुझे कपड़े पहना दो, जब तक मेरा ट्रेन में एक भी पैर है, मेरी चूत में राज का लंड रहेगा।
विनीत ने उसे कपड़े पहनाए लेकिन मेरा लंड उसकी चूत में ही रहा. अब ट्रेन स्टेशन पर रुक गयी, वहाँ काफ़ी अंधेरा था हमारे कोच में!
आरजू ने विनीत से बोला- बाहर देखो, कोई है क्या?
विनीत ने अच्छी तरह देखा और बोला- कोई नहीं है!
तब आरजू मुझसे बोली- गेट तक ऐसे ही चलो!
वो एकदम कुतिया बन गयी, मेरा लंड उसकी चूत में था और वो बाहर गेट तक ऐसे ही आई, मुझे शर्म लग रही थी पर अच्छा भी लग रहा था कि एक पति के सामने उसकी पत्नी दूसरे का
लंड ले रही थी.
अब हम गेट पर आ गये और विनीत नीचे उतर गया लेकिन आरजू अभी भी मेरी बाहों में थी, ट्रेन ने हॉर्न दिया तो मैं बोला- अब जाओ!
तो वो रोने लगी.
ट्रेन ने एक और हॉर्न दिया लेकिन मेरा लंड अभी भी आरजू की चूत में ही था, आरजू ने विनीत को बोला- मुझे गोदी में ले लो ! और मेरी चूत राज के लंड पर सेट कर दो, जब तक ट्रेन नहीं चलती!
विनीत ने आरजू को अपनी गोदी में लिया और उसकी चूत को मेरे लंड पर सेट कर दिया और अपने हाथों से धक्का भी लगा रहा था, मानो ऐसा लग रहा था की आज सिर्फ़ मैं राजा हूँ, एक पति
अपनी पत्नी को स्टेशन पर ट्रेन के गेट पर अपनी गोदी में चुदवा रहा था.
ट्रेन चलने लगी तो मेरा लंड उसकी चूत से निकल गया, जब ऐसा हुआ तो आरजू रोने लगी लेकिन अचानक कुछ दूर चल कर ट्रेन रुक गयी और मैं गेट पर ही था और मेरा लंड भी बाहर था जो 7″ का था, जब ट्रेन रुकी तो आरजू ने विनीत को बोला और फिर विनीत आरजू को अपनी गोद में लेकर मेरी तरफ आने लगा.
अब तो ऐसा देख कर मुझे बहुत अच्छा लग रहा था कि एक पति अपनी पत्नी को चुदवाने के लिए दौड़ रहा हो.
वो जैसे ही मेरे पास आया तो उसने देखा कि मेरा लंड बाहर ही है, आरजू उसकी गोदी में थी, अभी भी और जब मेरे पास आया तो उसने आरजू की चूत को मेरे लंड पर रख दिया फिर मैं उसे चोदने लगा।
आरजू मुझसे लिपट गयी और रोने लगी, मानो उसे प्यार हो गया हो, वो मुझे लिप किस करने को बोली. मैंने उसे किस किया.
अब ट्रेन ने हॉर्न दिया, तो मैंने आरजू से कहा- मैं बस आने वाला हूँ.
तो उसने बोला- तुम मेरे अंदर ही झर जाओ.
लेकिन ट्रेन धीमे धीमे चलने लगी तो उसने विनीत से बोला की मुझे ट्रेन के साथ साथ लेकर चलो, जब तक राज मेरे अंदर ना झर जाए।
ट्रेन चलने लगी और विनीत आरजू को लेकर चलने लगा, आरजू ज़ोर ज़ोर से हिल कर मेरे लंड पर धक्के लगाने लगी और बोली- राज मुझे तृप्त कर दो!
तभी मैं उसकी चूत में झर गया और ट्रेन तेज हो गई थी, हम बिछुड़ गए.
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