चुत की चुदाई की तलब का इलाज
मैं पड़ोसन भाभी के साथ सेक्स का मजा ले चुका था. लेकिन हमें दोबारा चुदाई का मौक़ा नहीं मिल रहा था. मुझे भाभी को चोदने की तो भाभी को मेरे लंड की तलब थी.
मेरी पड़ोसन भाभी के साथ सेक्स का मजा कहानी के पिछले भाग
पड़ोसन भाभी की मस्त चिकनी चुत की चुदाई
में अपने पढ़ा कि कैसे मैंने भाभी की जल्दीबाजी में चुदाई कर ली थी. इस घटना को आप यूं भी कह सकते हैं कि मैंने अभी तिजोरी का ताला खोल दिया था, पर खजाना लूटना बाकी था.
अब मैं भाभी को दूर से निहारने की बजाये उनके घर ही चला जाता था, भाभी के साथ ज्यादा वक्त बिताने लगा था. मैं भाभी को छूने का कोई मौका जाने नहीं देता था. जब भी देखता कि हमारे आस पास कोई नहीं है, मैं भाभी को अपनी बांहों में पकड़ कर किस कर लेता, भाभी के स्तनों को भरपूर ताकत से दबा देता था, भाभी की चूत को भी सहला देता था.
मैं जब भी भाभी को पकड़ता, तो मेरा मन करता कि इन्हें अभी बिस्तर पर पटक कर भाभी की चूत चोद दूं. पर हम दोनों के पास समय की कमी थी, जिस वजह से मेरी और भाभी दोनों की वासना अधूरी थी.
हम दोनों की ही अब हालत खराब होने लगी थी. कभी कभी मैं ये भी नहीं देखता कि घर में भैया हैं. मैं भाभी को रसोई में ले जाता और उनके गर्म कामुक बदन के ऊपर ऊपर के मजे ले लेता.
हमारे काफी दिन ऐसे ही बर्बाद हो गए. मुझे भाभी को चोदने की तलब सी लगने लगी.
ऐसा नहीं था कि सिर्फ मैं ही पागल हो रहा था … भाभी का भी यही हाल था, वे भी मेरे लंड को अपनी चूत में लेकर अपनी अन्तर्वासना ठंडी करना चाहती थी. भैया भाभी को चोदते जरूर थे, पर वे उन को संतुष्ट नहीं कर पा रहे थे. इसलिए भाभी को मेरे लंड की बहुत जरूरत थी.
मैंने कई बार भाभी को बोला- किसी होटल में चलते हैं, खूब मजा करेंगे.
पर भाभी को होटल में जाने से डर लगता था. उनको लगता था कि कहीं वो पकड़ी गईं, तो सारा रायता फैल जाएगा.
इसी तरह दो महीने निकल गए.
फिर एक दिन भैया ने मुझे बुलाया और बोले कि उन्हें गांव जाना है. उनके गांव में किसी दोस्त के पिताजी की मौत हो गई है. इस वजह से आज ही निकलना होगा. ट्रेन के बाद उस गांव तक जाने का कोई सही इंतजाम है नहीं … इसलिए अकेले जा रहा हूँ. मुझे आने में पंद्रह दिन लग जाएंगे.
मैंने टोकते हुए बोला- तो भैया, इतने दिन तक इधर भाभी और बच्चे का क्या होगा. ये लोग यहां रात में अकेले कैसे रहेंगे?
इस पर भैया बोले- इसी लिए मैंने तुमको यहां बुलाया है.
मैं अपने मन की खुशी दबाता हुआ उनकी तरफ देखने लगा.
फिर भैया बोले- मैंने तुम्हारे पापा से बात कर ली है. तुम रात को यहां बाहर वाले कमरे में आकर सो जाना.
मुझे कुछ पल के लिए तो होश ही नहीं रहा. मैं सोचने लगा कि अब मन की मुराद पूरी हो जाएगी.
मैंने भैया से पूछा कि आपकी कब की ट्रेन है?
तो उन्होंने बताया- आज रात की है.
मैं तो खुश हो गया कि आज से भाभी की चुत चोदना चालू.
भैया को में ही स्टेशन पर छोड़ कर घर आ गया. आते वक्त बहुत टाइम हो गया था, तो मैं सीधा भाभी के पास आ गया. भाभी भी मेरा ही इंतजार कर रही थीं.
मैं जाते ही उन पर टूट पड़ा और भाभी की गुलाब जैसी पंखुड़ियों का रस पीने लगा.
भाभी ने मुझे रोकते हुए कहा- अब हमें कौन रोकने वाला है, अभी बहुत रात हो गई है. मैं भी थकी हूँ. अभी तुम आराम करो, कल मजे से चुदाई कर लेना.
मैंने भी सोचा भाभी ठीक बोल रही हैं, पर लंड को चैन कहां था. मैंने भाभी को अपनी ओर खींचते हुए अपने ऊपर लिटा लिया और बोला- आप यहीं सो जाओ.
भाभी भी मान गईं. हम दोनों ऐसे ही चिपक कर सो गए. सुबह उठ कर देखा तो भाभी रसोई में कुछ बना रही थीं.
मैंने वहीं जाकर उन्हें पीछे से पकड़ लिया और अपना लंड भाभी की गांड में घुसेड़ने लगा.
भाभी ने फिर से रोक दिया. इस बात पर मुझे गुस्सा आने लगा और मैं जाकर सोफे पर बैठ गया.
ये बात भाभी भांप गईं. उन्होंने कहा- अरे मेरा प्यारा देवर नाराज हो गया … मैं तो मजाक कर रही थी.
इतना बोलते हुए वो आकर मेरी गोद में बैठ गईं.
भाभी जैसे ही आकर मेरी गोदी में बैठीं, मैं शुरू हो गया. मैंने भाभी के होंठों पर होंठ रख दिए.
उन्होंने भी मेरा साथ देना शुरू कर दिया.
हम दोनों एक दूसरे में खो गए. कभी मैं उनके मुँह में अपनी जीभ दे देता, तो कभी वो मेरे मुँह में.
अब एक हाथ मेरा कभी भाभी की चूचियों को नापता, तो कभी उनकी चूत की फांकों को सहलाता. हम दोनों वहीं पर सुध बुध खोए एक दूसरे के मजे लेने लगे. मैंने धीरे धीरे भाभी के कपड़े उनके बदन से अलग करना शुरू कर दिए. देखते ही देखते भाभी सिर्फ ब्रा और पैंटी में रह गईं.
टू पीस में आने के बाद भाभी ने मुझे रोकते हुए बोला- अब मेरी बारी है.
मैंने भी इशारा कर दिया.
उन्होंने मेरे सारे कपड़े उतार दिए सिवाए अंडरवियर के.
फिर भाभी बोलीं- चलो कमरे में चलते हैं.
भाभी मुझे कमरे में ले आईं, मैं भी एक वफादार कुत्ते की तरह उनके पीछे पीछे आ गया. कमरे में आकर हम दोनों ने एक दूसरे को चूसना और चूमना चालू कर दिया. मैंने भाभी को बेड पर धक्का देते हुए लेटा दिया और भाभी के पैरों को चूमते चाटते ऊपर को बढ़ने लगा. भाभी की जांघों को निचोड़ते भंभोड़ते हुए मैं भाभी की चूत तक आ पहुंचा.
भाभी की चूत पानी से तरबतर हो गयी थी. उनकी पैंटी से उनकी चुत का रस बाहर बह रहा था. मैं भाभी की पैंटी के ऊपर से ही चुत चूमने लगा. फिर धीरे से पैंटी को निकालते हुए मैंने भाभी की चूत को आजाद कर दिया.
आह मेरे सामने रस से भरी भाभी की चुत खुली पड़ी थी. मैंने नाक से लम्बी सांस लेते हुए भाभी की चुत की मादक गंध का आनन्द लिया और चुत पर झुक गया.
पहले पहल मैंने चुत पर एक प्यार भरा चुम्बन किया, फिर आराम से उनकी चूत में अपनी जीभ को अन्दर बाहर करने लगा और चुत चूसने लगा. अपनी चुत पर अपने देवर की जीभ का स्पर्श पाते ही भाभी की हालत खराब होने लगी. उनकी कामुक आवाजों से कमरा गूंज रहा था.
भाभी जोर जोर से आवाज करने लगीं- आहहह जान … कितना मस्त चूसते हो … आह और जोर से चूसो मेरी जान … उम्मम और जोर से.
मैं उनकी आवाजों का मजा लेते हुए चुत के रस को चाटे जा रहा था. ऐसे ही मैं भाभी की चुत को 5 मिनट तक चूसता रहा. साथ ही मैं चुत में अपनी एक उंगली को अन्दर बाहर कर रहा था. इससे भाभी कुछ देर बाद झड़ गईं.
मैं चुत से मुँह हटाना चाहता था, लेकिन भाभी ने अपनी टांगों से मेरे सर को पकड़ लिया और हाथों से चुत पर दबा दिया.
ना चाहते हुए भी मैं भाभी की चुत का सारा माल पी गया.
बहुत ही टेस्टी रस था, मुझे क्या पता था कि आगे ये मेरी आदत बन जाएगी.
फिर भाभी उठीं और मेरे लंड को चड्डी के ऊपर से ही चाटने लगीं. तभी उन्होंने एक झटके से मेरा लंड चड्डी से आजाद कर दिया और लगीं चूसने.
मैं भाभी के मुँह को चोद मस्ती से रहा था.
सच में भाभी के मुँह को चोद कर बड़ा ही मस्त सुख मिल रहा था. भाभी भी कभी लंड को मुँह में रखतीं, तो कभी टट्टों को.
कुछ ही देर में मैं भाभी के मुँह के भीतर ही झड़ गया. भाभी भी मेरे माल की प्यासी थीं … सब पी गईं और मेरे लंड को चूसते रह कर उसे दुबारा तैयार करने में लगी रहीं.
कुछ ही देर में लंड फिर से टनटना गया और अब वो भाभी की सुरंग में जाने को तैयार था.
मैंने भाभी को लिटाया और उनकी गांड के नीचे तकिया लगा दिया. भाभी ने भी टांगें फैला कर चुत का मुँह खोल दिया था. उनकी चुत की लालिमा मेरे लंड को और भी ज्यादा खूंखार बना रही थी. मैं अपना लंड भाभी की चूत पर रगड़ने लगा.
भाभी चुदाई के लिए तड़प रही थीं और बोले जा रही थीं- आह साले कमीने जल्दी से अन्दर डाल दे.
पर मैं भाभी को अभी थोड़ा और तड़पाना चाहता था. भाभी मेरे लंड के लिए तड़प रही थीं, ये देख कर मुझे बहुत मजा आ रहा था. भाभी अपनी गांड उठा कर लंड लीलने की कोशिश कर रही थीं.
फिर अचानक से ही मैंने एकबार ही आधे से ज्यादा लंड भाभी की चूत की गहराई में उतार दिया.
भाभी को इसकी उम्मीद नहीं थी. लंड घुसते ही उनकी एक बड़ी सी चीख निकल गयी.
वे मुझे गालियां देते हुए बोलीं- भोसड़ी के मादरचोद … ऐसे कौन करता है.
मैं रुक गया और बोला- सुबह से कितना नौटंकी कर रही थी तू मादरचोद .. तब मेरे बारे में नहीं सोचा था. अब रुक जा तुझे तो क्या साली, मैं तेरा पूरा खानदान चोद दूंगा … बहुत तड़पा हूँ.
भाभी मेरी भाषा सुनकर चौंक गई थीं और मेरी तरफ ही एकटक देख रही थीं.
मैंने पूरी झींक लगाते हुए फिर से लंड का झटका मारा, तो भाभी की आह निकल गई और मेरा पूरा लंड उनकी चुत में खो गया.
एक मिनट के दर्द के बाद भाभी थोड़ा सा हंसते हुए बोलीं- सच में बड़ा हरामी है तू … लेकिन लंड बड़ा मस्त है. अन्दर तक चैन मिल गया. तू मुझे चोद ले फिर तू मेरे सब खानदान को चोद दियो. पर भोसड़ी वाले … अभी तो तू मुझे तो चोद माँ के लौड़े … साले चुत बड़ी चुनचुना रही है.
मैंने भी भाभी की चूचियां पकड़ीं और उनकी चुत पर पिल पड़ा. लंड चुत के अन्दर चलने लगा.
मैंने शुरुआत में धीरे धीरे धक्के मारे और पूरा लंड भाभी की चूत में बच्चेदानी तक उतारने लगा. फिर जैसे जैसे भाभी की आंखें मस्त होने लगीं मैं तेज होता गया.
अब भाभी के मुँह से सिर्फ ‘उम्म्ह … अहह … हय ओह …’ के अलावा कुछ नहीं निकल रहा था.
कुछ मिनट की चुदाई में भाभी का पानी झड़ गया. मगर जब उनका पानी झड़ा, तो उसके पहले वो खूब तड़फीं, खूब चिल्लाईं … उन्होंने बिना किसी की परवाह किए खूब शोर मचाया. चूंकि अभी सिर्फ हम दोनों ही घर पर थे, तो किसी बात की फिक्र नहीं थी. बच्चा छोटा था तो उसका कोई डर नहीं था.
भाभी की चुत ने अपना लावा उगल दिया था. मगर अभी मेरा बाकी था. मैं और तेज तेज धक्के देने में लग गया. भाभी मस्ती से लंड ले कर ‘हा हा हू हू …’ कर रही थीं उनकी टांगें हवा में उठ गई थीं और मेरे लंड की चोटें सीधे गहराई में जाकर लग रही थीं.
कुछ देर में मेरा लंड भी छूटने को हुआ. तो मैंने पूछा- भाभी मेरा होने वाला है … कहां निकलूं?
तो उन्होंने बोला कि अन्दर ही निकाल दे. मैं तुझे अन्दर तक महसूस करना चाहती हूँ.
मैंने कुछ और धक्के लगाए और मेरा वीर्य पिचकारी देते हुए भाभी की चूत के अन्दर तक चला गया.
जब मैंने लंड निकाला, तो देखा कैसे मेरा और भाभी का रस मिल कर चुत से रिस रहा था. मगर बात सिर्फ यहीं तक नहीं रुकी.
उस दिन मैंने तीन बार भाभी को चोदा और वो तो शायद 6-7 बार स्खलित हुईं. हर बार उन्होंने बिना किसी शर्म के खूब शोर मचा कर अपनी चुदाई का मजा लिया.
इसके बाद जब तक भैया नहीं आए, मैंने दिन रात भाभी की जम कर चुदाई की.
हम दोनों देवर भाभी की चुदाई को एक दिन किसी ने हमें देख भी लिया, पर उस से मुझे ही फायदा हुआ. वो कौन थी, जिसने देवर भाभी की चुत चुदाई देख ली थी और उसके साथ क्या किस्सा हुआ, वो सब मैं अगली बार एक मस्त सेक्स कहानी लिख कर बताऊंगा.
आपको मेरी पड़ोसन भाभी के साथ सेक्स का मजा कहानी की आपबीती कैसी लगी, जरूर बताना.
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