चुत चुदाई की चाहत में उसने मुझे घर बुलाया

चुत चुदाई की चाहत में उसने मुझे घर बुलाया

हैलो फ्रेंड्स, मैं पहली बार सेक्स स्टोरी लिख रहा हूँ!

वैसे अजय राज मेरा रियल नाम नहीं है, कुछ दोस्त, खास कर महिला मित्र मुझे अजय और कुछ राज के नाम से भी संबोधित करती हैं।

मैं अमदाबाद से हूँ.. मेरी हाइट 6 फुट है। मैं एक औसत और मजबूत शरीर का मालिक हूँ। मेरा औजार (लंड) कोई बहुत बड़ा नहीं है.. जैसे यहाँ के मेरे बाकी दोस्त लिखते हैं। मेरे औजार का साइज साधारण 6 इंच का ही है.. हाँ इसकी मोटाई जरूर औसत से कुछ ज्यादा है।

मैं अपने लंड के आकार पर अभिमान नहीं करता.. लेकिन इतना जरूर कह सकता हूँ कि मैं किसी भी औरत को पूरी तरह से संतुष्ट कर सकता हूँ। ये तो सभी जानते हैं कि किसी भी औरत को संतुष्ट करने के लिए लंड का साइज नहीं.. चुत चोदने का तरीका प्रभावित करता है।

अब आता हूँ इस कहानी की नायिका पर.. जिसका नाम निक्की है, जो एक मल्टीनेशनल कंपनी के सर्विस सेंटर में फ्रंट डेस्क पर काम करती थी।
उस कम्पनी का ऑफिस उसके घर के करीब भी था। वैसे उसकी कंपनी मेरी क्लाइंट भी थी। वो मेरे कैरियर का शुरूआती दौर था.. जो मैंने सर्विस में रह कर शुरू किया था।

मैं रेग्युलर सर्विस कॉल पर उस कम्पनी में जाता रहता था। इसी दौरान उससे मेरी दोस्ती हो गई। सब कुछ इतना आसान नहीं था.. क्योंकि वहाँ निक्की अकेली नहीं थी, उसकी एक और दोस्त भी थी.. जिसका नाम पम्मी था। वो किसी लड़के के साथ पहले से ही फंसी हुई थी।
असली दिक्कत यहाँ से शुरू हुई। यह भी बोल सकते हैं या यूँ भी कह सकते हैं कि एक पर दूसरी फ्री की जुगाड़ थी।

अब तो मेरा रोजाना का शेड्यूल कुछ ऐसा हो गया था कि जैसे मेरी एंट्री मेरे ऑफिस में होती कि तुरंत ऑफिस की रिंग बजती और ‘गुड मार्निंग’ ग्रीट करने के लिए निक्की मुझे कॉल करती।
धीरे-धीरे यह स्माइली वाली ‘हाय.. हैलो..’ आगे चलकर एक अच्छी दोस्ती में तब्दील हो गई, उसके कॉल बढ़ने लगे और मैं अपनी आदत के मुताबिक तारीफ करता और कमेंट पास कर देता।

एक दिन की बात है, जब मैं एक क्लाइंट की कॉल पर था, उसी वक्त उसका फोन आया- जब शाम को ऑफिस लौटो तो सीधा मेरे ऑफिस आना।
मैंने सोचा कुछ प्राब्लम हुई होगी.. मैं और मेरा एक और सर्विस इंजीनियर उसके ऑफिस में चले गए।

फ्रंट डेस्क पर पम्मी बैठी थी, सच में इस वक्त पम्मी एक सेक्सी माल लग रही थी।
मैंने उससे निक्की के लिए पूछा तो वो उसे अन्दर से बुला कर लाई।

आज तो निक्की भी बड़ी मस्त माल लग रही थी, उसे देखते ही मेरी नियत में खोट आ गई.. जो उसने भी भाँप लिया था।
उसने पम्मी को अन्दर भेज दिया और मुझसे बोला- मुँह खोलो।

जैसे ही मैंने मुँह खोला तो उसने मेरे मुँह में अपने हाथों से बनाया हुआ खजूर पाक डाल दिया और बोली- अब लो चख लो मेरे हाथों का स्वाद।

मैं थोड़ा चौंक सा गया.. फिर मुझे ध्यान आया कि मेरे साथ एक और बंदा भी है। तो मैंने थोड़ा ठीक होते हुए ‘थैंक्स..’ बोला और मैं वहाँ से अपने ऑफिस के लिए निकल आया चूंकि हम दोनों का ऑफिस एक ही बिल्डिंग में है।

शाम को ऑफिस से छूटने के बाद उससे फोन पर बात हुई और पता चला कि वो घर पर अकेली थी। क्योंकि उसका हस्बैंड टूर पर गया हुआ था।
मुझे मौका अच्छा लगा तो मैंने बातों बातों बातों में कह दिया- अकेली हो तो कंपनी देने आ जाऊँ?
इधर आप भी कह सकते हो कि मेरा नसीब अच्छा था तो उसने कह दिया- हाँ आ जाओ।

मैंने उसका पूरा एड्रेस लिया, ऑफिस के दोस्तों से अलग हुआ और उसके घर पहुँच गया।

उसके घर के दरवाज़े पर पहुँच कर मैंने घंटी का बटन दबाया और उसने दरवाजा खोल दिया।
हाय.. क्या माल लग रही थी वो.. लंड एकदम से उछल कर खड़ा हो गया साला।

अब मैं आपको उसकी कातिल फिगर के बारे में भी बता दूँ। निक्की एक 5’8″ लंबी अच्छे और भरे हुए शरीर की मालकिन है। उसके चूचों की साइज 34बी है.. 28 इंच की कमर और 36 इंच के उठे हुए हाहाकारी चूतड़.. कुल मिला कर वो पूरी मस्त फुलझड़ी थी।

जब मैं उसके घर पहुँचा तो उसने सिल्क का गाउन पहना हुआ था.. गाउन लाइट पिंक शेड का था और उस गाउन में देख कर साफ़ लग रहा था कि पट्ठी ने अन्दर ब्रा नहीं पहनी है।

अब जो बातें हमारे बीच हुईं.. वो मैं वैसे ही बयान कर रहा हूँ।

मैं- क्या बात है.. बुलाया तो खाने पर है.. पर तुम तो क्या बिजली ढा रही हो.. कहीं नजर ना लग जाए।
निक्की- अच्छा जी.. फिर शुरू हो गए.. चलो अन्दर आओ।

मैं- क्या कोई खास बात है.. जो इस तरह कहर ढा रही हो, या कुछ और प्लान है या कोई आ रहा है?
निक्की- नहीं यार.. बस ऐसे ही, तुम जो खाने पर कंपनी देने आ गए.. बस!
मैं- तुम्हें ऐसे देख कर तो खाना छोड़ तुम्हें खाने का मन करने लगा है।
निक्की- बहुत उछलो मत.. और बातें तो बाद में भी हो सकती हैं, तो चलो पहले खाना खा लेते हैं।
मैं- ठीक है।

उसको देख कर तो यह साफ लग रहा था कि वो पूरी तरह से चुदासी है। बस सही वक्त पर सही वार कर दिया.. तो आज तो मैं उसे बिना चोदे नहीं जाने वाला था।
वो मौका उसने मुझे खाने के बाद दे भी दिया।

मैं इतना तो जानता था कि वो मुझे कुछ हद तक पसंद करती है और वो प्यासी भी रहती है.. क्योंकि उसका रजिस्टर्ड लंड यानि हस्बैंड महीने में 20 दिन बाहर रहता था।

खाना खत्म करके हम लोग बैठे और थोड़ी यहाँ-वहाँ की बातों में से ही एक टॉपिक निकला। जिस पर उसने मुझसे पूछा- तुम्हें राकेश पता है ना.. वो मेरे ऑफिस वाला..!
मैं- हाँ.. जानता हूँ.. उसका क्या?
निक्की- मैंने उसे एक दिन ए सी ठीक करने के लिए अपने घर बुलाया था। वो ए सी ठीक करने के बाद थोड़ा ऐसे ही बैठ गया.. और बदतमीज़ी करने लगा।
मैं- बदतमीज़ी.. मतलब?
निक्की- हाँ यार.. साला यहाँ वहाँ छूने लगा.. इससे मुझे गुस्सा आ गया.. तो मैंने उसे जाने को बोल दिया।
मैं- अच्छा.. और मैं? मुझे तो तुमने कंपनी देने बुलाया है.. तो बोलो खाने की कंपनी तो दे दी और अब कौन सी दूँ?
यह बोल कर मैंने उसकी जांघ पर हाथ रखा और उसकी पट सहलाने लगा।

निक्की हँस कर बोली- तुम ना बड़े बदमाश हो.. और यह तुम क्या कर रहे हो?
मैं- क्यों.. तुम्हें नहीं पता? शादीशुदा हो तो तुम्हें तो यह अच्छे से पता होना चाहिए ना। तेरे हस्बैंड ने कुछ नहीं किया क्या तुम्हारे साथ?
ये बोल कर मैं हँस पड़ा और फिर बोला- तुम्हें सहला रहा था यार.. क्यों क्या तुमको अच्छा नहीं लगा?
निक्की- नहीं यार ऐसा कुछ भी नहीं है।
मैं- तो मतलब अच्छा लगा ना?
निक्की- हम्म.. हाँ अच्छा लगा।

अब मैं चाहता था कि वो थोड़ा गर्म हो तो मैंने उसका घर देखने की इच्छा जताई।
वो मुझे अपने साथ घर दिखाने लगी, घर को देखते हुए हम दोनों उसके बेडरूम में पहुँच गए, हम दोनों उसके बेड पर बैठ कर बातें करने लगे। मैं हौले-हौले उसे कभी हाथों पर तो कभी जाँघों पर.. तो कभी पीठ पर सहलाने लगा।

अब उसके भी अरमान जागने लगे, वो मेरे थोड़ा करीब आ कर बोली- क्या इरादा है?
मैं- प्यार करने का इरादा है।

यह मैंने अपनी आदत के मुताबिक कमेंटिंग करते हुए कहा और मेरा तीर बिल्कुल निशाने पर लगा।
निक्की- तो करो.. मना किसने किया है?
मैं- डरता हूँ.. कहीं राकेश की तरह घर से निकाल दिया तो कोई गारंटी है कुछ.. कि मुझे भी नहीं निकालोगी और नाराज भी नहीं हो जाओगी?

निक्की ने मुझे प्यार से धकियाते हुए कहा- चुपचाप बिस्तर पर लेट जाओ और आँखें बंद कर लो.. बहुत बोलते हो।

मैंने बिल्कुल वैसे ही किया और वो थोड़ी सी हवा में रह कर मेरे ऊपर आ गई और मेरे लबों पर एक प्यारी सी पप्पी जड़ दी। इससे मेरी आँखें खुल गईं।

मैं- यह क्या था.. और यह कर रही हो?
निक्की- गारंटी दे रही हूँ।
यह कह कर वो मेरी आँखों में वासना भरी निगाहों से देखने लगी।

दोस्तो, अब तक मेरा लंड बिल्कुल कड़ा हो गया था, मैंने थोड़ा उसे एड्जस्ट किया और निक्की को बांहों में ले लिया। उसके लबों से अपने लबों को मिला दिया और हम एक दूसरे के लबों को चूसने और थोड़ा सा काटने भी लगे।

हम दोनों एक-दूसरे के मुँह में एक-दूसरे की जीभ डालते और जीभों को चूसने लगे। सच में बहुत मजा आ रहा था। इसी बीच मैंने उसका गाउन भी निकाल दिया, तो वो सिर्फ़ पेंटी में रह गई। जैसा कि मैंने सोचा था.. उसने ब्रा नहीं पहनी थी।

उसने भी मेरी शर्ट खोल दी और निकाल दी। अब वो धीरे-धीरे नीचे की ओर आई और मेरे गले से होते हुए मेरे चौड़े सीने पर अपने लबों से अपनी मुहर लगाने लगी। साथ ही वो मेरी छाती की घुंडियों को भी अपने होंठों में दबाते हुए हौले से चूसने लगी। घुंडियों को दबाने से मुझे सुरसुराहट सी होने लगी। वो भी बीच-बीच में थोड़ा दांतों से मेरी घुंडियों को काट भी लेती.. जो मेरी उत्तेजना को काफ़ी बढ़ा देता।

अब वो धीरे-धीरे और नीचे की ओर बढ़ने लगी। उसने मेरी पैंट की बेल्ट खोली और फिर पैंट खोल कर निकाल दी। मैंने भी अपनी टाँगों को उठा कर पैंट निकालने में साथ दिया।

अब माहौल कुछ ऐसा था कि मैं सिर्फ़ अंडरवियर में था और वो पेंटी में थी। हम दोनों वासना की आग से झुलस कर एकदम चुदासे और मस्त हो गए थे। एक दूसरे को चूमने में कामाग्नि भड़कती ही जा रही थी।

इसी के साथ मैं उसके मदमस्त भरे हुए चूचों को भी मसल रहा था। मैं उसके चूचों पर अकड़ दिखा रहे निप्पलों को भी बड़ी जोर से मरोड़ रहा था.. जिसकी वजह से वो आउट ऑफ कंट्रोल हो गई। मुझे जब तक कुछ समझ आता तब तक वो जोर-जोर से हाँफती हुए झड़ गई।

मैंने मजाक करते हुए कहा- अभी तो सिर्फ़ शुरूआत हुई है रानी.. और तुमने हथियार डाल दिए?
तो उसने कहा- एक बार हथियार गिरने से क्या होता है.. और तुमने किया ही कुछ इस तरह से.. कि मैं खुद को रोक नहीं पाई और इतने दिनों से प्यासी भी थी, सो झड़ गई।
मैं- तो अब मेरा क्या होगा?
‘अब तुम्हारा मर्डर होगा राजा..’

उसने हँसते हुए मुझे लेटा दिया और अपना निप्पल मेरे मुँह में दे दिया। मैं बारी-बारी से उसके दोनों लाल निप्पलों को मस्ती से चूसे जा रहा था और साथ ही पेंटी के अन्दर हाथ डाल कर उसकी चुत में भी उंगली कर रहा था।

उसने मुझसे विपरीत दिशा में घूमने को कहा। जैसे ही में 69 वाली पोज़िशन में आया.. तो उसने मेरा अंडरवियर निकाल दिया और मेरा लंड मुँह में ले लिया।

मैंने भी देर ना करते हुए उसकी पेंटी उतार दी और उसकी चिकनी चुत मेरे मुँह के सामने सजी थी।

उसकी चुत पर हल्की मगर बहुत ही पैनी झांटें थीं.. जैसे 2-3 दिन पहले ही साफ की गई हों।

मैं अपने पूरे उफान पर था.. तो जल्द ही झड़ने के करीब हो गया था। अभी उसे कुछ चेताता कि अचानक से उसके मुँह में ही झड़ गया और उसने मेरा सारा पानी मुँह में ले लिया।

जब मेरे लंड का सारा पानी निकल गया तो वो जल्दी से उठी और लंड के माल को बाथरूम में जा कर थूक आई।

उसके हाथों के द्वारा थोड़ी देर सहलाने के बाद मेरा लंड फिर हरकत में आने लगा था। उसने अपने अनुभव का इस्तेमाल करते हुए उसे पूरा कड़ा कर दिया। इसी बीच हम दोनों के मुँह से काफ़ी सीत्कारें भी निकल रही थीं।

जब वो मेरा लंड चूस रही थी.. तो मैं कहे जा रहा था- आह.. और जोर से चूसो.. आह्ह.. और जी भर के चूसो इसे रानी..
वो भी साली किसी रंडी की तरह बोलने लगी- आज तो इसे नहीं छोड़ूँगी कमीने.. साले बहुत परेशान किया है.. तो आज तो तेरा और तेरे लंड का पूरा रस निचोड़ लूँगी.. आहह.. क्या मजा आ रहा है.. हुम्म.. आहह्ह..
फिर जब मेरा पूरी तरह से कड़ा हो गया तो उसने कहा- अब देर मत करो यार.. जल्दी से पेल दो।

मुझे भी सही लगा। मैं जैसे ही उसकी टाँगों के बीच में आया.. तो उसने अपनी टांगें फैला दीं और मैंने उसकी चुत पर लंड सैट करके धक्का लगा दिया।

वो कुछ कहती.. उससे पहले ही आधा लंड उसकी चुत में पेवस्त हो गया। लंड की धमक इतनी तेज थी कि उसके मुँह से हल्की सी चीख निकली- उई..ई..माँ.. मर गई.. भूतनी के भेनचोद.. मार दिया.. थोड़ा आराम से नहीं डाल सकता था क्या.. उम्म्ह… अहह… हय… याह… कमीने चुत फाड़ दी साले.. आह्ह..

मैं- अगर आराम से करता.. तो तुम मुझे भूल जातीं.. अब यह चीख हमेशा तुम्हें मेरी और मेरे लंड की याद दिलाती रहेगी।
यह कह कर मैंने एक और बार लंड बाहर खींचा और एक ही धक्के में पूरा लंड उसकी चुत में घुसेड़ दिया।
इस बार वो फिर से जोर से चीख पड़ी ‘ओई.. भोसड़ी के मार डालेगा आज तो.. आहह.. उफ़.. उम्मह..’
वो चुत की तड़फ से खुद को थोड़ा एड्जस्ट करने लगी।

कुछ देर बाद मुझे लगा कि अब सब सही हो गया है.. तो मैं उसकी चुत में धक्के मारने लगा। साथ ही उसके निप्पल अपने होंठों में दबा कर चूसने लगा।
अब वो भी लंड का पूरा मजा ले रही थी, बेडरूम में सिर्फ़ तीन आवाज़ें थीं.. मेरी ‘आहह.. आहह..’ की और उसकी ‘उम्म्म आहह.. ऊहह.. यस यस.. फक मी.. हार्डर.. अह.. बहुत मजा आ रहा है.. और जोर से चोदो.. और जोर से.. और स्पीड से चोद दे..’ और तीसरी आवाज थी चुदाई की.. लंड और चुत के धक्कों से आने वाली ‘फॅक.. फॅक..’ की।

हम दोनों की गरमागरम चुदाई पूरे जोश में चल रही थी। वो इतनी उत्तेजित हो गई थी कि उसने मेरी पीठ में अपने नाख़ून से कुछ निशान तक बना दिए थे।

निक्की- और जोर से चोदो.. बड़ा मजा आ रहा है.. उन्न्ह्ह.. और जोर से उउउंम्म.. आहहहा.. यस यस.. कम ऑन हाँ.. बस ऐसे ही.. ओह्ह.. मार दिया.. और जोर से चोदो मेरे राजा.. आह्ह..
मैं- आहह.. ले.. खा ले मेरा लंड.. पूरा ख़ा ले साली कुतिया..

वो अब झड़ने के करीब थी और मैं भी चरम पर आने वाला था।

मैंने उससे कहा- मैं कुछ ही देर में आ जाऊँगा.. तो कहाँ निकालूँ?
निक्की- थोड़ा कंट्रोल करो ना.. मेरा भी हो रहहा है.. आह्ह..

सो मैंने थोड़ा सा अपनी भावनाओं पर काबू पाने की कोशिश की।

मैं- पर यह तो बताओ कि निकालूँ कहाँ?
निक्की- मेरे अन्दर छोड़ देना.. पूरे का पूरा अन्दर.. आह्ह.. और अब जोर से चोदो.. मैं बस आ रही हूँ।
वो जोर से चीखी- आअहह.. जोर से चोदो.. मेरा निकलने वाला है.. अया आहहा ऊहह उउम्म्म्म..

तभी वो एकदम से अपने शरीर को ऐंठते हुए झड़ गई।

उसके झड़ने के कुछ ही धक्कों बाद मैं भी उसकी चुत में ही झड़ गया। मैं तब तक उसके ऊपर पड़ा रहा.. जब तक मेरा लंड खुद सिकुड़ कर बाहर नहीं आ गया।

उसके बाद थोड़ी देर हम लेटे रहे और फिर साथ में नहाने चले गए। बाथरूम में शावर के नीचे नहाते हुए मैंने उसको पीछे से झुका कर एक बार और चोद दिया।
फिर हम दोनों नहा कर निकले और तैयार हो गए। हम दोनों के चेहरों पर पूरी संतुष्टि थी। वो बहुत दिनों के बाद हुई इस चुदाई से बहुत खुश थी।

इसके बाद हम दोनों ने कई बार चुदाई की, ख़ासकर जब उसका हस्बैंड टूर पर गया होता.. तो हमारा खेल शुरू हो जाता। उसके बाद उसने मुझे पम्मी की चुत भी दिलाई। हम तीनों ने काफ़ी बार साथ में थ्री-सम सेक्स भी किया। वो सब मैं फिर कभी बताऊँगा।

यह मेरे जीवन की वास्तविकता है जो कहानी के स्वरूप में मैंने आपके सामने रखी है।

इसलिए दोस्तो, आप अपने विचार जरूर प्रेषित करें कि आपको मेरी सेक्स कहानी कैसी लगी।
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