चुदाई की कहानी शबनम भाभी की-1
हाय दोस्तो, मैं रोहण आज लेकर अपनी कहानी आप सबके सामने हाजिर हूँ. मैं इलाहाबाद का हूँ और एक प्राइवेट जॉब करता हूँ. मेरी सैलरी भी ठीक ठाक है. मैं काफी शर्मीले मिजाज का आदमी हूँ, सो कभी गर्लफ्रेंड नहीं बना पाया. देखने में मैं ठीक ठाक हूँ.. लेकिन लड़कियों से बात करने की मेरी हिम्मत नहीं होती थी.
मैं इलाहाबाद में फ्लैट लेकर रहता हूँ. मेरे सामने वाले फ्लैट में एक परिवार रहता है, जिसमें एक महिला सदस्य और उसके सास-ससुर रहते हैं. महिला का नाम शबनम है और उसके शौहर दुबई के किसी अच्छी कंपनी में जॉब करते हैं, सो उसका यहां आना साल दो साल में एकाध ही बार हो पाता है.
उस धर्म की महिलाएं बला की खूबसूरत होती हैं, ये तो आपको पता ही है दोस्तो.. और शबनम भाभी की शादी हुए लगभग साल भर हो रहां था. सेक्सी तो वो मुझे पहले से ही लगती थीं.. और पड़ोसी होने के नाते उनके घर पे मेरा आना जाना भी होता था. लेकिन क्योंकि मैं शर्मीला था, तो उनसे कभी इधर-उधर की बातें नहीं करता था.
भले ही मैं लड़कियों से शर्मीला हूँ लेकिन खुद में बहुत माडर्न हूँ और सेक्स को लेकर ढेर सारी फैंटेसी मेरे दिमाग में घूमती रहती हैं. तो अपनी सेक्स की इच्छाओं की पूर्ति के लिए मैंने एक मेल मास्टरब्यूटर (सेक्स टॉय) खरीद रखा है आप इसे सेक्स टॉय के साइट पर देख सकते हैं.
एक दिन सुबह भाभी जान ने मेरे दरवाजे पे दस्तक दी, मैंने दरवाजा खोला तो कहने लगीं कि मेरे घर पे चीनी खत्म हो गई है, थोड़ी चीनी दे दो.
मैंने ध्यान से देखा कि वो अभी तुरंत नहा कर ही निकली थीं और उनके बाल भी खुले हुए थे. मैं उनको देखने में इतना लीन हो गया था कि पहली बार में उनकी बात को ठीक से सुन ही नहीं पाया.
मैंने कहा- भाभी अभी सोके उठा हूँ न.. तो दिमाग काम नहीं कर रहा.
मैंने उन्हें अन्दर लाकर दुबारा उनसे आने का कारण पूछा. फिर मैं उनको वहीं हॉल में छोड़कर किचन में चीनी लाने चला गया. वापस आकर देखता हूँ कि उन्होंने अपने हाथों में मेरा सेक्स टॉय पकड़ रखा है. गलती से पिछली रात को सेक्स टॉय यूज करने के बाद मैंने उसे हॉल में ही छोड़ दिया था.
उन्होंने मुझे देखते ही पूछा- ये तुम्हारा है?
मैं एकदम से सकपका गया.
उन्होंने बिना किसी भाव को प्रदर्शित किए हुए कहा- मैं तो तुम्हें बहुत शरीफ समझती थी रोहण.
मैंने कहा- भाभी मेरी कोई गर्लफ्रैंड नहीं है सो ऐसे ही टाइम पास के लिए एन्ड एडवेंचर के लिए..
वो बोलीं- कोई बात नहीं.. आज के जमाने में ये कॉमन है. मैंने तो इसलिए पूछी, क्योंकि मैं सोचती थी कि तुम्हारी कोई न कोई गर्लफ्रैंड होगी तो तुम्हें इसकी क्या जरूरत है?
मैंने चुप रहा तो भाभी बोलीं- अच्छा लाओ चीनी दो अब.. बहुत देर हो गई.
मैंने चीनी का कटोरा उनको थमा दिया. उसी दिन रात को वो फिर मेरे कमरे में कटोरा लौटाने के लिए आईं. मैंने उन्हें बैठने को कहा तो वो सोफे पे बैठ गईं.
थोड़ी देर इधर उधर की बातें हुईं, फिर आखिरी में वो बोलीं- रोहण तुमसे एक बात करनी थी.
मैंने कहा- हां बोलिए न भाभी.
भाभी- देखो कुछ गलत न समझना तुम्हें तो पता है मेरे हजबैंड दुबई में रहते हैं.
मैंने बोला- हां भाभी मुझे पता है.
भाभी- तो मेरे लिए भी एक सेक्स टॉय (डिल्डो) मंगवा दोगे?
उन्होंने ये बहुत ही धीमी आवाज में मुझे बोला, जैसे उन्हें डर लग रहा था कि कोई उनकी आवाज सुन न ले.
कुछ देर तो मैं उनका मुँह ही ताकता रह गया. फिर मैंने उनकी नजरों को देखा. भाभी की नजरें एक उम्मीद में बरबस मुझे ही देखे जा रही थीं. मैंने कहा- बिल्कुल भाभी आपके लिए तो मेरी जान हाजिर है.
मेरी इस बात पे वो झेंप गईं.
तब मुझे भी लगा कि ऐसे तकल्लुफ से तो मैंने आज तक उनसे बात न की थी. इस बार मुझे भी लगा कि भाभी से खुल कर बोलने में कोई हर्ज़ नहीं है. इस तरह मेरी भाभी से बात करने में झिझक खत्म सी हो गई.
इसके बाद उन्होंने कहा कि कब तक मंगवा दोगे?
तो मैंने कहा- भाभी आज ही आर्डर कर देता हूँ. तीन चार दिनों में आ जाएगा.
इसके बाद से तो शबनम भाभी के लिए मेरे मन में एक अलग ही फीलिंग जागने लगी. मेरे दिल में उनके लिए प्यार जागने लगा. मैं सोचने लगा कि मेरे पास गर्लफ्रेंड नहीं और उनके पास उनका शौहर नहीं. हम दोनों ही दिल के साफ थे, वो अपने शौहर को धोखा नहीं देना चाहती थीं, इसलिए उन्होंने डिल्डो मंगवाया था. ये सोचकर मेरे अन्दर उनके लिए और प्यार उमड़ने लगा.
अब जब मैं अपने सेक्स टॉय के थ्रू मास्टरबेशन करता तो उनका चेहरा अनायस ही मेरे सामने आ जाता और मैं ‘भाभी आई लव यू, भाभी आह.. भाभी..’ कहते कहते झड़ जाता.
तीन-चार दिनों बाद उनका डिल्डो आ गया लेकिन मैंने उन्हें बताया नहीं. कुछ दिनों बाद ईद का त्यौहार था, तो मैंने सोचा कि ईद पर ही उनको गिफ्ट करूंगा. बीच में उन्होंने थोड़ा परेशान होते हुए मुझसे पूछा भी कि टॉय अब तक आया क्यों नहीं, तो मैंने बोला कि टॉय वाले से फोन पे बात हुई थी तो उसने कहा कि स्टाक अभी खत्म है, जैसे ही नया स्टाक आएगा, वो भेज देंगे.
ये सुनते ही भाभी थोड़ा उदास हो गई थीं. उनकी बेकरारी देखके मुझे अनायस ही हल्की सी हंसी आ गई और मैंने कहा- भाभी सब्र रखो.. सब्र का फल मीठा होता है.
तो मीठे से जैसे उन्हें कुछ याद आया और कहा कि परसों ईद है, तो तुम्हारा परसों का खाना हमारे घर पे ही होगा.
मैंने सहमति में सर हिला दिया.
वैसे आपको बता दूँ कि अंकल आंटी से भी मेरी अच्छी जान पहचान थी.. क्योंकि उनको कुछ भी काम होता था या बाहर से कुछ लाना होता था, तो मैं ही वो सारे काम करता था. सो यूं समझ लीजिए कि मैं उनके परिवार के सदस्य की तरह हो गया था. उनको मेरा नेचर भी पता था, तो वो मुझ पर बहुत विश्वास करते थे. उन दोनों की एज हो गई थी, तो वे लोग फ्लैट से ज्यादा बाहर भी नहीं निकलते थे.
ईद के दिन अंकल-आंटी से सलाम-दुआ हुआ, ईद की बधाई दी, मैंने उनकी खैरियत पूछी और वहीं हॉल में हम लोग टी.वी. देखते हुए बातें करने लगे.
उस दिन भाभी नए सलवार-समीज में गजब लग रही थीं. उनके बाल खुले हुए थे, सामने की लटें बार बार सामने आ जातीं तो भाभी काम की उलझनों का भाव अपने चेहरे पे लाते हुए उनको पीछे की ओर धकेल देतीं. उनकी सलवार समीज चुस्त थी, तो शरीर की सारी बनावट साफ साफ समझ में आ रही थी. उनकी सामने की दो हेडलाइट्स (स्तन) काफी उभरी हुई थीं, जैसे वो मुझे आमंत्रण दे रही हों कि इसी को खाने के लिए ही तो तुम्हें दावत पे बुलाया गया है. उनकी कमर सुराही की तरह पतली थी और नीचे को जाते ही वो धीरे धीरे चौड़ी होती जा रही थी. कुल मिलाकर उनके पीछे का पार्ट यानि उनकी डिग्गी पीछे को निकली हुई.. मांस से परिपूर्ण थी.. मतलब भाभी एकदम गद्देदार माल थीं.
मैं बार-बार उनकी खूबसूरती को ही देखे जा रहा था. वो बीच-बीच में मुझे देखतीं और मुस्कुरा देतीं. आज न जाने क्यों मुझे उनपे बड़ा प्यार आ रहा था.
खैर.. भाभी ने बड़े प्यार से खाना खिलाया. उस दिन मुझे गर्लफ्रेंड न होने का बहुत अफसोस हुआ. अगर गर्लफ्रेंड होती तो इसी तरह वो मेरा ख्याल रखती, कभी कभी अपने हाथों से मुझे खाना खिलाती.
फिर रात में मैं डिनर करने नहीं गया, मुझे पता था भाभी जी बुलाने जरूर आएंगी. रात में उन्होंने बेल बजाई, मैंने जाके दरवाजा खोला और उन्हें अन्दर ले आया.
मैंने सेक्स टॉय का पैकेट उनके हाथों में थमाते हुए कहा- भाभी ये रही आपकी ईदी.
वो चौंक गईं. उन्होंने पूछा- ये क्या है?
मैंने कहा- खोल के देख लीजिए.
उन्होंने पैकेट खोला और सेक्स टॉय देखते ही हल्की सी हंसी उनके सारे चेहरे पे फैल गई.
उन्हें आज इसकी उम्मीद न थी तो पूछा कि ये सब आज ही.. मतलब क्या है?
मैंने मुस्कुराते हुए कहा- आपके सब्र का फल.. वो भी मीठा वाला.
कुछ देर तो वो सेक्स टॉय का पैकेट देखती रहीं, फिर जैसे अचानक से उन्हें कुछ ख्याल आया और कहने लगीं- चलो, अम्मी अब्बू तुम्हारा डिनर के लिए इन्तजार कर रहे हैं और इसको अभी अपने पास में रखो, मैं रात में आऊँगी तो ले जाऊँगी.
मैंने सेक्स टॉय को एक जगह रखा और भाभी के साथ डिनर करने चला गया. मैं जब तक भाभी के साथ रहा, न उन्होंने वहां कुछ बात की, न मैंने. बस हम दोनों की नजरें ही बीच बीच में मिलतीं और जब नजरें मिलतीं तो मैं मुस्कुरा देता. बदले में वो भी मुस्कुरा देतीं.
कुछ देर बाद खाना समाप्त हुआ और मैं अपने फ्लैट पे वापस आ गया. अब मैं शबनम भाभी का इंतजार करने लगा. मैं शबनम भाभी के इंतजार में बेसब्र हुआ जा रहा था और शबनम भाभी थीं कि आ ही नहीं रही थीं. तो मैंने सोचा सब्र कर रोहण.. सब्र का फल सेक्स भी हो सकता है. अब मेरे अन्दर शबनम भाभी को पाने की आशा जग रही थी.
उनको न आता देखकर मैंने सेक्स टॉय का पैकेट खोला और उसे हाथ में लेकर देखने लगा, तभी अचानक डोर खुला और भाभी सामने हाजिर हो गईं.
मैं सोफे पे बैठे बैठे ही उनके चेहरे का दीदार करने लगा. मेरे हाथों में सेक्स टॉय देखके वो मुस्कुराते हुए बोलीं- बरखुरदार, ये आपके काम की चीज नहीं है.
मैं भी होश में आते हुए और खड़े होते हुए बोला- भाभी वैसे तो ये आपके भी काम की चीज नहीं है, जब प्राकृतिक संसाधन उपलब्ध हैं, तो कृत्रिम संसाधन की क्या जरूरत.
पता नहीं वो समझ पाईं या नहीं.
मैंने भी बात को मोड़ते हुए कहा- आपने बड़ी देर कर दी आने में?
भाभी- अरे अम्मी अब्बू को सुलाने के बाद आ रही हूँ.
मैं- खैर लीजिए अपना गिफ्ट.
मैंने सेक्स टॉय को पैकेट में रखते हुए कहा. तो उन्होंने रोकते हुए कहा- अरे मुझे केवल आम चाहिए, गुठली (पैकेट) अपने पास रखो. मेरे हाथ से सेक्स टॉय लेते हुए भाभी हँसने लगीं.
मैं उनके इस अंदाज पे अपनी हंसी रोक नहीं पाया. फिर मैंने उन्हें बैठने के लिए कहा.
वो सोफे पे अपने चौड़े से तशरीफों को रखते हुए बोलीं- तुम्हारी ये ईदी मुझे पंसद आई.. तो ये बताओ ये कितने का पड़ा, पैसे मैं लेके आई हूँ.
उनकी बातों को मैंने समझते हुए कहा- ईदी के भी कोई पैसे लेता है क्या?
उसके बाद उन्होंने मेरी कोई गर्लफ्रैंड न होने के बारे में पूछा. तो मैंने वही पुराना डायलॉग मार दिया कि आपकी जैसी हसीन मोहतरमा हमें मिली ही नहीं.
तो उन्होंने कहा- अच्छा जी, मेरी तारीफ कर रहे हो या फ्लर्ट!
मैंने कहा- अपनी बदकिस्मती बता रहा हूँ जी.
भाभी- अरे कोई न सब्र का फल मीठा होता है, तुम्हें भी कभी न कभी ‘मीठा डिल्डो..’ ओह सारी ‘मीठा फल..’ मिल जाएगा.
ये सब भाभी ने ‘डिल्डो’ को देखते हुए कहा और जोर से हँस पड़ीं.
उनके मीठे डिल्डो की बात पे मुझे भी हंसी आ गई.
इसके बाद कहने लगीं- रोहण अब मैं चलती हूँ.. काफी लेट हो गया है.
ये कह कर भाभी जाने लगीं, मैं भी उनके पीछे पीछे उनको दरवाजे तक छोड़ने गया. वो जब अपना डोर बंद करने लगीं.. तो मुझे हाथ हिलाके बाय-बाय करने लगीं. मुझे उनकी इस हरकत पे हंसी सी आ गई क्योंकि उनके उस हाथ में डिल्डो भी था और हाथ हिलाते हुए ऐसा लग रहा था, जैसे वो मुझे अपना डिल्डो दिखा रही हों. उनको भी अपनी गलती का एहसास हुआ और झट से हाथ नीचे करके तुरंत दरवाजा बंद कर दिया.
मैं भी अपने बेड पे गया और भाभी के बारे में सोचने लगा. उनके और मेरे बीच में जो कुछ चल रहा था, वो सामान्य नहीं था. मुझे लग रहा था कि आगे चलकर हमारे बीच एक नया रिश्ता बनने वाला है. यही सब सोचते सोचते मेरी आँख लग गई और मैं नीद के आगोश में चला गया.
आप भी इंतजार कीजिए अगली कड़ी का, मैं जल्द ही हाजिर होऊंगा लेकर आगे की कहानी, रोहण की जुबानी!
नीचे दिए ई-मेल पे आप मुझे अपना संदेश भेज सकते हैं.
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कहानी का अगला भाग: चुदाई की कहानी शबनम भाभी की-2
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