चूत एक पहेली -45 – Antarvasna
अब तक आपने पढ़ा..
कुछ दिन बाद संजय सुनीता और रॉनी को अपने साथ घर ले आया, उसने उनसे कहा- अब तुमको यहीं मेरे साथ रहना है।
ऊपर का एक कमरा रॉनी को मिला.. तो बाकी दो पुनीत और पायल के थे।
सुनीता को नीचे का कमरा दिया गया। कुछ दिन ऐसे ही गुज़रे। एक रात अनुराधा जागरण में गई हुई थी। बच्चे सोए हुए थे.. तो संजय चुपके से सुनीता के कमरे में गया। उसको सोया हुआ पाकर उसके होंठों पर उंगली फेरने लगा।
सुनीता ने एकदम से जागते हुए कहा- भाई साहब आप.. इस वक़्त यहाँ क्या कर रहे हो?
अब आगे..
संजय- सुनीता मुझसे तुम्हारा दर्द देखा नहीं जाता.. अरे आकाश नहीं है तो क्या हुआ.. मैं हूँ ना.. तुम बस ‘हाँ’ कह दो.. तुम्हें इतनी खुशियाँ दूँगा कि तुम सब गम भूल जाओगी।
सुनीता- यह आप क्या बोल रहे हो.. मेरी कुछ समझ में नहीं आ रहा है।
संजय ने सुनीता के गालों को सहलाते हुए कहा- मैं जानता हूँ.. आकाश के जाने बाद तुम अकेली तड़प रही हो.. मगर अब मैं तुम्हें प्यार दूँगा.. तुम्हारी जरूरत को पूरा करूँगा।
सुनीता एक झटके से खड़ी हो गई- आपको शर्म आनी चाहिए.. ऐसी बातें करते हुए.. मैं आपको भाई कहती हूँ और आप मुझ पर नियत खराब कर रहे हो?
संजय- अगर बहन तेरी जैसी हो.. तो अच्छे अच्छों की नियत बिगड़ जाती है। अब ज़िद ना करो.. मान जाओ मेरी बात.. मुझे बहनचोद बनना मंजूर है। बस एक बार मेरी बाँहों में आ जाओ।
सुनीता- छी: कैसी गंदी बातें कर रहे हो आप.. चले जाओ यहाँ से.. नहीं तो मैं शोर मचा दूँगी.. सब को आपकी ये कुत्सित सच्चाई बता दूँगी।
संजय- आ जा साली.. ज़्यादा नखरे मत कर.. अगर मेरी बात ना मानी ना.. तो साली तुझको दर-दर की ठोकरें खाने पर मजबूर कर दूँगा। तेरे बेटे से भीख मंगवाऊँ मैं.. तुझे शायद पता नहीं.. सारा काम.. बैंक मनी.. और जायदाद सब मेरे नाम पर है.. तुम माँ-बेटे को इस घर से दूध में से मकखी की तरह निकाल फेंकूगा।
संजय की बात सुनकर सुनीता रोने लगी, उसकी खूब मिन्नतें की.. मगर संजय पर वासना का शैतान सवार था.. वो कहाँ मानने वाला था।
सुनीता- प्लीज़ भाई साहब.. मुझ पर रहम करो.. आप एक बेटी के बाप हो.. आपको भगवान से डरना चाहिए। कल को उसके साथ ऐसा हो गया.. तो क्या होगा? मैं भी किसी की बेटी हूँ.. एक बेटे की माँ हूँ.. प्लीज़..
संजय- चुप साली.. मुँह बन्द कर अपना.. मेरे बेटे और बेटी के बारे में एक शब्द भी मत कहना.. नहीं तो तेरी ज़ुबान खींच दूँगा.. अब जल्दी सोच ले.. मेरी बात मानेगी.. या घर से धक्के खाकर जाएगी?
सुनीता ने बहुत मना किया.. मगर संजय ना माना। आख़िर सुनीता को संजय की बात माननी पड़ी.. मगर उसने एक शर्त रखी कि रॉनी को वो सगे बेटे की तरह रखेंगे.. तभी वो उनकी हर बात मानेगी।
संजय पर हवस का भूत सवार था, उसने सब बात मान ली और सुनीता के साथ चुदाई करने लगा।
सुनीता जवान थी… उसके लिए भी ये शुरू में गंदा था.. मगर चुदाई का चस्का उसको भी लग गया। अब अपने ही पति के बड़े भाई की रखैल बनकर वो रहने लगी।
कुछ दिन विधवा बनी रही.. उसके बाद रंगीन साड़ी पहन ली.. पढ़ी-लिखी थी तो काम में भी संजय का साथ देने लगी.. या यूँ कहो कि अपने पति की जगह अब वो संजय की पार्ट्नर बन गई।
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तो यह थी सुनीता की दास्तान.. अब इनकी चुदाई दिखाती.. तो कहानी लंबी हो जाती.. इसलिए शॉर्ट में आपको इनकी पिछली जिंदगी के बारे में बता दिया।
चलो अब यहाँ कुछ नहीं है.. वापस सन्नी के पास चलते हैं जहाँ आपके काम की बात है।
रॉनी के जाने के बाद सन्नी ने किसी को फ़ोन किया और उसको कहा कि जल्दी कैफे में आ जाए.. वो यहीं उसका वेट करेगा।
कुछ देर बाद एक आदमी जो करीब 40 साल के आस-पास का होगा.. वो कार से वहाँ आया। उसका नाम क्या था ये तो किसी को पता नहीं.. मगर सब उसको बिहारी कहते थे।
सन्नी- अरे आओ आओ बिहारी.. मैं तुम्हारा ही वेट कर रहा था। ये लो तुम्हारे पैसे.. मैंने कहा था ना.. तुम्हारे पैसे समय से पहले तुमको मिल जाएँगे।
बिहारी- अरे मिलेगा कैसे नहीं.. साला हम काम भी तो समय से पूरा करता हूँ ना.. और किसी की का मज़ाल जो बिहारी का पईसा खा जाए।
सन्नी- अच्छा ठीक है.. जानता हूँ तुमको.. और तुम्हारी ताक़त को.. अब सुनो ये कम बड़ी सावधानी से करना.. नहीं तो मैडम नाराज़ हो जाएगी।
बिहारी- का बात करत हो.. हम कोई बच्चा हूँ का.. जो बार-बार समझाना पड़ेगा.. हम कह दिया हूँ ना.. तुम एक बार इस बिहारी को काम दई दो.. उसके बाद भूल जाओ.. हम सब जानता हूँ.. कब क्या और कईसे करना है..
सन्नी- अच्छा ठीक है.. सुनो.. अब तक तुमने जो किया.. वो बस खेल की शुरूआत थी.. अब असली खेल का समय आ गया है.. इसमें कोई चूक हुई तो समझो.. अब तक किया सारा कम चौपट हो जाएगा और हमारी सारी मेहनत गई पानी में..
बिहारी- अरे टेन्शनवा ना लो.. हम हूँ ना.. सब संभाल लूँगा.. बस आप तो समय पर हमको पईसा देते रहो।
सन्नी ने उसको विश्वास दिलाया कि उसको समय पर पैसे मिलते रहेंगे। बस वो काम ठीक से करे।
उसके बाद बिहारी वहाँ से चला गया और सन्नी अपने रास्ते निकल लिया।
दोपहर तक ऐसा कुछ खास नहीं हुआ.. जो आपको बताऊँ।
लंच के समय पायल और पुनीत आमने-सामने बैठे थे वहाँ भी पायल ने थोड़ी गरम शरारत की.. रॉनी ने कुछ महसूस किया.. मगर बोला कुछ नहीं। हाँ.. इस दौरान काका ने दोबारा वही गोली पायल को फिर से दे दी.. शायद वो पायल के सर से नशा उतरने ही नहीं देना चाहते थे।
लंच के बाद पायल अपने कमरे में गई.. मगर वहाँ एसी ना होने के कारण वो पुनीत के पास चली गई।
पुनीत- क्या हुआ.. तुम तो सोने वाली थी ना.. यहाँ क्यों आ गई?
लंच के समय पायल और पुनीत आमने-सामने बैठे थे वहाँ भी पायल ने थोड़ी गरम शरारत की.. रॉनी ने कुछ महसूस किया.. मगर बोला कुछ नहीं। हाँ.. इस दौरान काका ने दोबारा वही गोली पायल को फिर से दे दी.. शायद वो पायल के सर से नशा उतरने ही नहीं देना चाहते थे।
लंच के बाद पायल अपने कमरे में गई.. मगर वहाँ एसी ना होने के कारण वो पुनीत के पास चली गई।
पुनीत- क्या हुआ.. तुम तो सोने वाली थी ना.. यहाँ क्यों आ गई..?
पायल- आपको पता है ना.. मेरे कमरे का एसी नहीं है.. तो वहाँ पर कैसे आराम करूँगी?
पुनीत- ओह्ह.. सॉरी भूल गया था.. ऐसा करो.. तुम यहाँ आराम करो.. मैं रॉनी के पास चला जाता हूँ.. थोड़ा काम भी है मुझे..
पायल ने अभी टी-शर्ट और बरमूडा पहना हुआ था.. वो नाईटी उसने पहले ही बदल ली थी। अब दवा का असर तो आप देख ही चुके हो.. पायल के मन में बस पुनीत ही आ रहा था।
पायल- अरे क्या भाई.. इतनी हसीन बहन को छोड़कर कहाँ जा रहे हो?
पुनीत- नॉटी गर्ल.. कहीं नहीं जा रहा हूँ.. तुम आराम करो.. बस अभी वापस आ जाऊँगा.. ओके..
पुनीत ने किसी तरह पायल को समझाया और वहाँ से रॉनी के पास चला गया।
रॉनी- अरे आओ भाई.. क्या चल रहा है.. हो गई शॉपिंग?
पुनीत चुपचाप उसके पास आकर बैठ गया। वो अभी भी पायल के बर्ताव के बारे में ही सोच रहा था।
रॉनी- हैलो भाई.. कहाँ खोए हुए हो.. मैंने कुछ पूछा आपसे?
पुनीत- कुछ नहीं यार.. यह पायल को क्या हो गया है.. कल से ही बहुत अजीब तरह से पेश आ रही है।
रॉनी- ऐसा क्या हुआ और अजीब से आपका क्या मतलब है भाई?
पुनीत- लगता है.. हॉस्टल में किसी बिगड़ी हुई लड़की के साथ रहकर आई है.. तभी ऐसी हरकतें कर रही है।
रॉनी- अरे भाई.. क्या पहेलियाँ बुझा रहे हो.. सीधे से बताओ ना.. क्या हुआ और पायल कैसी हरकतें कर रही है?
पुनीत- अरे यार.. वो थोड़ी बोल्ड हो गई है.. मेरे साथ शॉपिंग माल में गई.. कपड़ों के साथ ब्रा और पैन्टी भी ली.. मुझे कुछ अजीब सा लगा..
रॉनी- हा हा हा अरे भाई.. आप कब से इतने सीधे हो गए.. वैसे ये कोई बड़ी बात नहीं है.. हम मॉर्डन फैमिली के हैं ऐसी शॉपिंग कभी कभी हो जाती है.. जस्ट चिल..
पुनीत को समझ नहीं आ रहा था.. कि वो रॉनी को पूरी बात बताए या नहीं.. फिर उसने चुप रहना ही ठीक समझा।
रॉनी- अच्छा भाई वो सन्नी बता रहा था.. बुलबुल पार्टी में एंट्री के लिए शाम को वहाँ जाना होगा।
पुनीत- हाँ ठीक है.. साथ चलेंगे.. वैसे शाम को पायल को क्लब भी ले जाएंगे ताकि उसको खेल के लिए बता सकें.. क्यों क्या कहते हो तुम?
रॉनी- भाई मेरे हिसाब से तो ये खेल का आइडिया ही बेकार है। भले आप जीत जाओ.. मगर ज़रा सोचो.. पायल को पता तो लग ही जाएगा कि वहाँ क्या होने वाला है।
पुनीत- देखो रॉनी.. अच्छा तो मुझे भी नहीं लग रहा.. मगर तुम जानते हो मेरा एक डायलॉग फिक्स है कि पुनीत खन्ना ने ज़ुबान दे दी मतलब दे दी.. अब उसको बदलने का सवाल ही नहीं.. अब अगर में ना कहूँ.. तो टोनी मेरी इज़्ज़त का भाजी-पाला कर देगा.. समझा तू?
दोस्तो, उम्मीद है कि आपको कहानी पसंद आ रही होगी.. तो आप तो बस जल्दी से मुझे अपनी प्यारी-प्यारी ईमेल लिखो और मुझे बताओ कि आपको मेरी कहानी कैसी लग रही है।
कहानी जारी है।
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