चूत की चुदाई की तड़प: माँ की चुदाई होते देखी
यह कहानी मेरी माँ की चूत की चुदाई के लिए तड़प की है, मैंने अपनी विधवा माँ की चुदाई पड़ोसी से होते देखी.
दोस्तो नमस्ते, मेरा नाम स्नेहल है। मैं औरंगाबाद से की रहने वाली हूँ। मैं आप लोगों के साथ अपनी जिंदगी की भयावह घटना को आपके साथ शेयर कर रही हूँ। मुझे आशा है कि आप लोगों को मेरी कहानी पसंद आयेगी। हालाँकि अब मेरी शादी हो चुकी है और मैं अपने जिंदगी में बहत खुश हूँ।
मैंने अन्तर्वासना में बहुत सी कहानियाँ पढ़ी हैं, मैंने सोचा कि आप लोगों के साथ मैं अपनी कहानी शेयर करूँ।
मेरी मम्मा की बहुत ही कम उम्र में शादी हो चुकी थी। मेरी माँ दिखने में बहुत ही खूबसूरत थी। जब मेरी छोटी बहन मीना का जन्म हुआ तब मेरे पिता चल बसे।
अब मेरी माँ अकेले ही हम दोनों का ध्यान रखती थी।
कुछ साल ऐसे ही गये। तब हमारे बाजु का घर एक पुलिस वाले ने खरीदा। वो अपने फॅमिली के साथ हमारे घर के बाजु में रहता था। जब उस आदमी ने मेरी माँ को देखा तो माँ को देखता ही रह गया।
उसकी गंदी नीयत मेरी माँ पर आ गई।
आई क्यों ना, क्योंकि जब मेरा जन्म हुआ तब माँ सिर्फ 19 साल की थी और अभी भी वो जवान हैं।
आये दिन वो मेरी माँ को घूरता रहता था।
उस आदमी को आये हुए एक महीना हो चुका था।
फ़िर एक दिन की बात है जब रात के 11 बज चुके थे, मुझे नींद नहीं आ रही थी तो मैं टहलने के लिये बाहर आ गई।
तभी मैंने देखा कि मेरी माँ और वो आदमी बातें कर रहे थे।
मैं छुप कर उनकी बातें सुनने लगी।
मेरी माँ की आँखों में आँसू थे। उनकी बातें सुन कर मुझे धक्का सा लगा।
उस आदमी का नाम विशाल था, शादी होने से पहले माँ का बॉयफ्रेंड था।
फ़िर मम्मा रोते हुए उसके सीने से चिपक गई और कहने लगी- मैं 13 साल से प्यासी हूँ विशाल… मेरी प्यास बुझा दो!
विशाल अंकल ने मेरी माँ को दीवार से चिपकाया और दोनों ही एक दूसरे के गले और होंठों को चूमने लगे।
अंकल मेरी माँ को कमरे में ले गये, कमरे में जाते ही अंकल ने चड्डी को छोड़कर अपने सारे कपड़े उतार दिये। अब उन्होंने माँ को दीवार से चिपका दिया और उन्होंने माँ की नाइटी उतार दी।
अब माँ सिर्फ ब्रॉ और पैंटी में थी। फ़िर अंकल मेरी माँ गांड और जंघा को हाथों से सहलाने लगे।
माँ मादक आहें भरने लगी।
फ़िर अंकल ने उनकी पैंटी निकाल दी। माँ की गुलाबी चूत देख कर अंकल ने कहा- तुम्हारी चूत पूरी टाइट है, मजा आयेगा इसे फाड़ने में!
माँ ने कहा- अब बातें मत करो, मेरी प्यास बुझा दो, बहुत सालों से प्यासी हूँ।
फ़िर उन्होंने अपनी एक उंगली माँ की चूत के अंदर डाली।
जैसे उंगली अंदर तक गई, माँ चिल्ला उठी और कहने लगी- उह्ह्ह… आराम से विशाल, दर्द हो रहा है!
अंकल धीरे धीरे उंगली अंदर बाहर करने लगे, माँ को बड़ा मजा आ रहा था। माँ की चूत पूरी पानी पानी हो गई थी।
थोड़ी देर बाद अंकल अपने दोनों हाथों को माँ की कोमल गांड पर रखकर उसे दबाने लगे, फ़िर अंकल अपने मुँह से चूत को चाटने लगे। अंकल इतने मजे से चाट रहे थे कि माँ भी अंकल के सर को पकड़कर अपनी गांड को हिला रही थी।
कमरे में माँ की मादक सिसकारियां मुझे पागल कर रही थी। मैं अपने पैंटी के अंदर हाथ डालकर चूत को उंगली से सहला रही थी।
थोड़ी देर बाद माँ की चूत ने अपना रस निकाल दिया जिसे अंकल पूरा पी गये।
फ़िर माँ ने हँसते हुए कहा- आह्ह… मजा आ गया!
अंकल- और भी मजा आयेगा जब मेरा मोटा लंड तुम्हारी चूत को फ़ाड़ता हुआ अंदर जायेगा।
माँ- तो किस बात की देर है? लोहा गर्म है हथौड़ा मार दो।
माँ पलंग पर लेट गई और उन्होंने अपनी टांगें चौड़ी करके फैला दी। अंकल माँ के ऊपर आ गये और लंड को चूत पे सेट किया।
तभी माँ बोली- जल्दी करो जान! फाड़ दो इसे… उम्म्ह… अहह… हय… याह… बहुत सालों से प्यासी है मेरी चूत!
अंकल ने एक जोर का झटका मारा और लंड माँ की चूत को फ़ाड़ता हुआ पूरा अंदर चला गया।
माँ जोर से चिल्ला उठी और कहने लगी- विशाल निकाल लो इसे, नहीं तो मैं मर जाऊँगी।
विशाल- शांत हो जाओ सीमा… थोड़ी देर बाद तुम्हारा दर्द अपने आप कम हो जायेगा।
माँ ने रोते हुए कहा- बहुत दर्द हो रहा है विशाल!
माँ के आँखों से आँसू गिर रहे थे।
अब अंकल फ़िर से माँ के गले और होठों को चूमने लगे, बूब्स को मुँह में लेकर चूसने लग गये। फ़िर थोड़ी देर बाद मेरी माँ का दर्द कम हुआ तो माँ अपनी गांड को ऊपर नीचे करने लगी। फ़िर अंकल भी धीरे धीरे लंड को अंदर बाहर करने लगे।
अब माँ आहें भरने लगी- उह्ह्ह उह्ह्ह… आह्ह… विशाल आराम से… हहहह्हा विशाल… अंदर तक डालो… उह्ह्ह… आराम से… दर्द हो रहा है… आह्ह… उह्ह्ह… ईस्स्ज… विवि… विशाल तेजी से… मजा आ रहा है…
विशाल- आह्ह… क्या मुलायम चूत है… इसे तो आज फाड़ कर ही रहूंगा… उह्ह्ह… ये ले कुत्ती… अंदर तक ले ले… आह्ह्ह… तेजी से ले ले…
फ़िर अचानक अंकल ने धक्कों की गति तेज कर दी। कमरे माँ की सिसकारियां गूँज रही थी- उह्ह्ह… आह… उह्ह्ह… और तेज… उह्ह्ह फाड़ दो इसे… ईस्स्स बहुत मजा आ रहा है… ईह्ह्ह्ह… उह्ह्ह… आज तो मर ही जाऊँगी… उह्ह्ह… मेरा आने वाला है… और तेज… उह्ह्ह… अह्ह्ह अआ… कमा ऑन फास्ट फक विशाल… उह्ह्ह… तेज विशाल… निकल गया… उह्ह्ह… आह्ह्ह… मजा आ गया। अब बस भी करो विशाल… मुझे दर्द हो रहा है।
विशाल- हुउउउन… तुमने तो अपना पानी निकाल दिया लेकिन मुझे अभी बहुत टाइम है।
माँ- थोड़ी देर रुक जाओ जान… तुम्हारा लंड बहुत सख्त है, इतनी आसानी से नहीं थकता।
अब विशाल अंकल ने मेरी माँ को खड़ा किया और एक पैर पलंग पर तो दूसरा पैर ज़मीन पर रख दिया, विशाल अंकल ने अपना लंड माँ की चूत पर रखा और जोर जोर से लंड अंदर बाहर करने लगे।
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माँ विशाल की बाहों में समा गई, माँ की फिर से कमरे में सिसकारियां गूँज उठी- उह्ह्ह… आह्ह… फक मी विशाल… उह्ह्ह उह्ह… इस्स्ड… उह्ह… चूत के अंदर तक… आह्ह्ह… मर्रर गई रे रे… उह्ह्ह उह्ह्ह… जोर से…
विशाल- उह्ह्ह… और जोर से ले… क्या चूत है तुम्हारी… चूत के अंदर तक… आह्ह आह्ह… क्या मजा आ रहा है… मेरा पानी आने वाला है… कहाँ निकालूँ जल्दी बोलो…
माँ- मुझे तुम्हारा वीर्य पीना है, मेरे मुँह में निकाल दो।
फ़िर माँ घुटनों के बल बैठ गई और अंकल के लंड को हाथों से सहलाने लगी।
कुछ ही सेकेंड में अंकल ने अपनी वीर्य की धार माँ के मुँह में निकाल दी जिसे माँ पूरा पी गई और पलंग पर लेट कर हाँफने लगी।
फ़िर थोड़ी देर में माँ ने अपने कपड़े पहन लिये और मैं भी अपने कमरे में जाकर सो गई।
उस दिन के बाद मेरी सेक्स में दिलचस्पी बढ़ने लगी।
एक और दिन जब मैं सुबह उठी तो मैंने देखा कि मेरी माँ की कमरे से आह्ह… गच्गच्गच… की आवाजें आ रही थी। फ़िर मैंने खिड़की में से झाँक कर देखा कि अंकल मेरी माँ की पीछे से गांड को चोद रहे थे और अपने हाथों से जोर जोर से बूब्स को दबा रहे थे.
माँ आहें भर रही थी- आह्ह्ह… इस्स्स्स… विशाल तेज करो… बहुत मजा आ रहा है…
विशाल- उह्ह्ह उह्ह्ह… ये ले मेरी जान गांड के अंदर तक ले…
माँ- आह्ह्ह… और तेज कुत्ते… फाड़ दे मेरी गांड को… उह्ह्ह… आईए… ईह्ह्ह… आज तो मर ही जाऊँगी… तेज करो मेरी जान…
एक तरफ़ विशाल तेजी से माँ की गांड मार रहा था तो माँ भी उसको गाली देकर अंकल का हौंसला बढ़ा रही थी। फ़िर थोड़ी देर में दोनों ने अपना माल निकाल दिया।
तभी विशाल अंकल ने पूउउउ… पर्रर… करके पाद मारा और पूरे कमरे में उनके पादने की बदबू फैल गई।
तभी माँ अपना मुँह अंकल के गांड के सामने ले गई और अंकल की बदबूदार गांड को सूँघने लगी और कहने लगी- नाइस खुशबू!
विशाल- और निकालूँ क्या… हा हा हा हा हा…
माँ- पूरा माल ही निकाल लो… मैं माल को भी सूंघ लूँगी! हा हा हा हा हा…
विशाल- तो चलो बाथरूम में… मैं तुम्हें मलाई खिलाता हूँ।
फ़िर दोनों बाथरूम चले गये। अब दोनों बाथरूम में जाकर क्या करने वाले हैं, वो मुझे लिखने की ज़रूरत नहीं है, वो आप खुद समझ जाओ।
दोस्तो, इस दिन के बाद मेरी सेक्स में रुचि बहुत ज्यादा बढ़ गई और मेरा भी मन हुआ कि कोई मुझे चोदे। लेकिन एक बात से डरती भी थी कि अगर मम्मा को पता चलेगा तो वो मेरी जान ही ले लेगी। इसी कारण मैं इन सबसे दूर रहती थी।
ऐसे करते करते 3 साल बीत गये, विशाल अंकल और मेरी माँ का रिश्ता गहरा होता गया। अब अंकल हमेशा हमारे घर आते जाते और मौका देखकर माँ को घपाघप चोद कर चले जाते।
मैं उनकी चुदाई देख देख कर गर्म होकर भी प्यासी, असंतुष्ट रह जाती।
दोस्तो, आपको चूत चुदाई की प्यास से बेचैन मेरी माँ की चुदाई की कहानी कैसी लगी, अपनी राय भेजिये।
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