चूत के दम पर नौकरी-1
दोस्तो, मैं आपकी एकलौती प्यारी चुदक्कड़ जूही एक बार फिर बार अपनी चूत की दास्तान लेकर प्रस्तुत हुई है।
आप लोगों ने जो मेरी पुरानी घटनाओं को सराहा उसके लिए मैं ‘झुक’ कर नमन करती हूँ। आशा है आप यों ही मेरी सराहना करते रहेंगे।
चलिए अब मुद्दे पर आते हैं।
बात करीब दो साल पहले ही है। हमारा बीकॉम का फाइनल ईयर था और कॉलेज में इंदौर की लोकल कम्पनीज प्लेसमेंट के लिए आने लगी थी।
मेरे मन में भी इच्छाएँ जाग गई थीं कि हम भी नौकरी करेंगे और पैसे कमाएँगे और ऐश करेंगे और क्या…!
मैंने एक कम्पनी का रिटन पास किया और फिर इंटरव्यू का इंतज़ार करने लगी।
दो दिन बाद मुझे उन्होंने अपने ऑफिस में इंटरव्यू के लिए बुलाया। मैं भी जोर-शोर से सब भूल कर इंटरव्यू की तैयारी में जुट गई।
मैं जैसे ही अन्दर गई, चार लोगों का पैनल मेरी गांड फाड़ने के लिए तैयार बैठा था, मेरा मतबल है कि वे लोग मेरा इंटरव्यू लेने के लिए तैयार बैठे थे।
मुझे बहुत डर लग रहा था क्योंकि यह मेरे लिए पहली बार था।
जैसे मैंने सोचा था, इंटरव्यू उसका ठीक उलट गया। जहाँ 3 मर्द थोड़ा बहुत पूछ रहे थे, वहीं एक औरत जो बैठी थी वो तो ऐसा लग रहा था ठान कर आई है कि गांड फाड़ ही देगी। सवाल पर सवाल पूछे जा रही थी और मेरे पास किसी का जवाब नहीं था।
आखिरी में उन्होंने मुझे कहा- ठीक है अगर आप सिलेक्ट हो गई तो हम आपको फ़ोन करके बता देंगे।
मैंने भी अपनी गांड उठाई और ‘ओके.. थैंक्यू’ करके निकल ली।
मैं बेसब्री से रिजल्ट का इंतज़ार करने लगी। वैसे तो मुझे उम्मीद थी कि वो लेने वाले नहीं हैं, पर दिल नहीं मान रहा था।
रात में मेल चेक कर रही थी तो मैंने देखा एक मेल किसी अनजान राजेश नाम के किसी लड़के का था।
मैंने मेल खोल कर देखा तो उसमें लिखा था- मुझे पता है तुम्हारा इंटरव्यू अच्छा नहीं गया है, मैं भी वहीं बैठा हुआ था। अगर आप चाहो तो मैं आपकी हेल्प कर सकता हूँ, मैं भी एच आर हूँ।
मुझे एक आशा की किरण दिखी, इसलिए मैंने बिना ज्यादा सोचे-समझे उससे बात करने की सोची। यह सोचा कि कोशिश करने में क्या जाता है।
मेल में नीचे उसका फ़ोन नंबर लिखा था, मैंने उसे अपना नाम लिख कर मैसेज कर दिया। थोड़ी देर में उसका कॉल आ गया। हम दोनों ऐसे ही बातें करने लगे और बातों में उसने मुझसे मिलने की इच्छा ज़ाहिर की।
मैंने भी ‘हाँ’ कर दी और अगले दिन हम ‘छप्पन’ दुकान पर मिले। वो मेरे पास आया मुझसे गले मिला और हम वहीं बैठ कर बातें करने लगे।
मैंने उसको बताया- मुझे नौकरी की बहुत जरूरत है, मेरी घर के हालात ठीक नहीं हैं।
फिर उसने कहा- मैं जॉब दिलवाने की कोशिश करूँगा!
पर मुझे मेरी जॉब दिखने लगी, इसलिए मैंने फट से उसका हाथ पकड़ कर कहा- कोशिश मत करो प्लीज… मेरी जॉब लगा दो, आप जो भी कहोगे… मैं करूँगी।
अब उसका लंड फड़कने लगा था, यह मुझे उसके चेहरे और बोलने के तरीके से लगने लगा था।
बारिश का मौसम था, मैंने कहा- चलो कहीं घूमने चलते हैं।
उसने अपने गाड़ी उठाई और हम लोग तिंछा फाल घूमने चले गए।
मैं उसके साथ बाइक पर ऐसे बैठ गई, जैसे एक जोड़ा बैठा रहता है। उसने भी ऐतराज़ नहीं किया, ऐसा लग रहा था हम दोनों बॉयफ्रेंड-गर्लफ्रेंड हैं। हम दोनों तिंछा फाल पर हाथों में हाथ डाल कर घूमने लगे और मौसम का मज़ा लेने लगे।
शाम हो गई थी, इसलिए हम लोग वापस आने लगे, पर इसी बीच बारिश शुरू हो गई और हम दोनों बहुत भीग गए थे इसलिए हमने जल्दी से घर जाने में ही भलाई समझी।
राजेश का घर पास में ही खंडवा नाके के पास था इसलिए हम दोनों वहीं चले गए।
दोनों बहुत भीग गए थे और सलवार-सूट में से मेरी तो ब्रा और पैंटी तक दिखने लगी थी क्योंकि मेरे कपड़े बहुत गीले हो गए थे, पूरा बदन पानी से भीग गया था।
राजेश ने तो फटाफट कपड़े बदल लिए क्योंकि घर तो उसी का था, पर दिक्कत तो मुझ जैसे अबला नारी की थी वो क्या करे..!
राजेश ने मुझे अपनी शर्ट दी और कहा- तुम इसे पहन लो !
पर मेरे तो अन्दर से लेकर बाहर तक सारे कपड़े गीले थे, क्या-क्या बदलती। पर बदलना तो था मैंने सारे कपड़े उतार दिए और राजेश की टी-शर्ट और लोअर पहन लिए।
फिर हम दोनों वहीं बैठ कर बातें करने लगे। मुझे थोड़ी ठण्ड भी लग रही थी इसलिए मैं राजेश के पास सट कर बैठ गई।
राजेश ने अपने हाथों को मेरी कमर से लगा कर मुझे अपने और करीब ले लिया। मैंने भी ज्यादा संकोच नहीं किया और चिपक कर बैठ गई।
अब मौसम के साथ दिल भी बेईमान हो गया था। जैसे-जैसे हमारी नजदीकी बढ़ी, हमारी सांसें भी तेज होने लगीं, दिल तेजी से धड़कने लगा।हमारे होंठ एक-दूसरे के होंठों की मदिरा के लिए तरस रहे थे। अब ज्यादा देर इनका अलग रह पाना संभव नहीं था। मैंने भी बिना सोचे विचारे दोनों का गठबंधन कर दिया।
अब हम दोनों एक-दूसरे के होंठों का जी भर के रसपान करने लगे। हम दोनों ने एक-दूसरे को कस कर पकड़ लिया और चूमने लगे।
और कुछ ही पलों के भीतर राजेश का हाथ मेरी शर्ट के अन्दर जा घुसा और मेरी मासूम सी नग्न चूचियों को मसलने लगा और मेरी साँसें और तेज होने लगीं।
धीरे-धीरे राजेश तरक्की करने लगा और पहले एक हाथ और फिर दोनों हाथ घुसा कर मेरी चूचियों की जान निकालने लगा।
अब ज्यादा देर भला शर्ट भी कहाँ टिकने वाली थी, उसे भी उसने निकाल फेंका और चूचियों को चकनाचूर करने लगा। थोड़ी ही देर में उसने मुझे लिटा दिया और मेरे पूरे बदन को चूमने लगा। मेरा बदन बारिश में भीगने की वजह से ठंडा था ऊपर से उसके गरम-गरम होंठ और जीभ की छुअन मेरे अन्दर एक अजीब सी झुनझुनी पैदा कर कर रहे थे।
मैं लेटी रही, तभी राजेश मेरे ऊपर आ गया और मेरे मम्मे पकड़ कर साइड में लेट गया। राजेश मेरे से चिपक गया और मुझे चूमने लगा और मेरे मम्मे भी दबा रहा था। मैंने भी उसका साथ दिया और उसे चूमने लगी।
फिर राजेश ने तेजी दिखाई और अपना एक पैर मेरे पैरों के ऊपर रख दिया और उसका चूमना जारी रहा। उसके बाद वो अपने हाथ मेरी जाँघों पर फेरने लगा, तो मैंने अपना हाथ पीछे से उसके पीठ पर रख दिया और सहलाने लगी।
तभी राजेश ने एक हाथ से अपने बेल्ट को खोला और अपने कपड़े उतार कर मेरे ऊपर लेट गया। अब उसने मेरे दोनों हाथ अपने हाथों से पकड़ लिए और मुझे चूमने लगा।
मुझे नीचे उसका लंड महसूस हो रहा था जबकि उसने अभी सिर्फ बेल्ट खोला था और चुम्बन करते-करते वो मेरी गरदन को चूमने लगा। फिर वो मेरे ऊपर से उठा और साइड में लेट गया तो मैंने भी अपने घुटने ऊपर किए, वो बहुत भारी लग रहे थे।
अब राजेश मेरे बगल में लेटे-लेटे ही मुझे फिर से चूमने लगा, मैं भी उसे चूमने लगी और दोनों हाथों से उसकी पीठ को जकड़ लिया। राजेश ने भी मुझे अपने आगोश में पकड़ कर अपनी टाँगों के बीच में जकड़ लिया और अपने हाथ मेरी पीठ पर फिराने लगा।
हमारी चूमा-चाटी जारी रही।
चूमते-चूमते राजेश का हाथ मेरे पजामे के नाड़े पर गए और उसने नाड़ा खोल दिया। मैंने अपने घुटने ऊपर कर लिए और राजेश के बालों को अपने दोनों हाथों से पकड़ कर चूमती रही।
थोड़ी देर बाद राजेश फिर से मेरी गांड पर हाथ फेरने लगा, थोड़ी ही देर में राजेश मेरे लोअर को नीचे सरकाने लगा।
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राजेश अब उठ गया और मेरे पीछे बैठ गया। अब वो मेरी पीठ पर हाथ फेरने लगा और फिर मुझे कमर से पकड़ कर खींच कर अपनी गोद में बिठा लिया और फिर से मेरी नरम नरम चूचियों को मसलने लगा, मैंने उसने हाथ रोकने चाहे, पर वो नहीं माना और मुझे फिर से चूमने लगा और साथ ही साथ अपने हाथों से मेरी चूचियों को भी दबाता रहा।
फिर उसने मुझे गोद से उठाया और मैं बिस्तर पर लेट गई।
वो उठ कर बैठे और मेरा लोवर नीचे करके निकाल दिया और फिर उसने अपनी टी-शर्ट निकाल दी। फिर अपनी पैंट और अंडरवियर भी उतार दी।
अब हम दोनों नंगे थे।
मैं जहाँ लेटी हुई थी वहीं वो अभी भी बैठा था। राजेश मेरे पास आ गया और मेरी चूत चाटने लगा और अपनी जीभ को मेरी चूत की पँखुड़ियों के बीच में लगा कर अन्दर-बाहर करने लगा।
मुझसे सिसकारियां आने लगीं ‘आआह्हह् ऊऊऊह्ह्!’
थोड़ी देर तक वो इसी मुद्रा में मेरी चूत चाटता रहा और फिर मेरे पास लेट गया और मुझे फिर से चूमने लगा।
अब वो मेरे बगल में आकर लेट गया और उनका लंड खड़ा था। मैंने अपने लेफ्ट हैण्ड से उसका लंड पकड़ा और सहलाने लगी, तो राजेश ने भी अपने हाथ मेरी चूत पर रख दिए और उसमें उंगली करने लगा।
मैं उसका लंड हिलाती रही और उसको देखती रही। फिर मैंने उसी पोजीशन में उसके लंड को कंडोम पहनाया, फिर वो मेरे पास चिपक कर कमर के बल लेट गया और अपने लंड को मेरी चूत के मुहाने पर लगा कर हिलाने, लगा कभी वो अपने लंड से मेरी चूत को छुआता करता तो कभी मेरे नाभि को।
फिर राजेश उठा, मेरे पैर फैलाए और और मेरी टांगों के बीच आकर बैठ गया और मेरी टाँगें अपने घुटनों के ऊपर रख लीं और अपना लंड मेरी कोमल चूत के पास ले गया।
अचानक ही उसने जोर से करके अपने लंड से एक झटका मारा और चूत के आंसू छूट गए। मुझे बहुत दर्द हुआ, आप मेरे दर्द का एहसास इसी बात से लगा सकते है कि मैं गांड और कमर उठा ली, इतनी ज़ोर का दर्द हुआ। दर्द इतना था कि बार-बार मेरी छाती ऊपर उठ जा रही थी।
मेरे मुँह से ‘ऊऊह्ह्ह आआह्हह अस्स्स्स्स आआईईईईए’ की आवाजें आ रही थीं। उधर राजेश ने अपना लंड निकाल लिया और फिर से अन्दर डाला मैं फिर से उसी हालत में पहुँच गई।
“ऊऊईईई ऊऊओह्ह आआअह्ह!”
राजेश मेरे ऊपर आकर लेट गया और मेरी गरदन अपने हाथों में पकड़ लिया और फिर उसने अन्दर-बाहर करना आरम्भ कर दिया। मुझे अभी भी दर्द हो रहा था। इसलिए राजेश उठा फिर से उसने लंड मेरी चूत के पास लेकर आया और अन्दर-बाहर करने लगा।
जहाँ एक तरफ मेरी मुँह से ‘आआअह्ह् आआआईईए ऊऊओईस्स्स..!’ जैसी आवाजें आ रही थीं, उधर दूसरी तरफ से ‘फ्फ्फऊछह्ह फफूऊ ह्हह्हह..’ की आवाजें आ रही थीं।
ये लंड के अन्दर और बाहर आने के कारण आ रही थीं।
राजेश मेरे ऊपर आकर लेट गया और मेरे होंठों पर अपने होंठ रख दिए और अपनी चुदाई जारी रखी।
करीब दो मिनट बाद मेरा दर्द कम होने लगा और अब लंड के अन्दर-बाहर होने से मज़ा आ रहा था।
मैं अपने हाथ राजेश के कमर पर रख कर चुदाई का मज़े लेने लगी। जैसे ही राजेश को इसका एहसास हुआ, उसने स्पीड और तेज़ कर दी और मेरा मज़ा भी दोगुना हो चला।
मैंने अपने हाथों से राजेश की पीठ को जोर से पकड़ लिया और अपनी टांगें उसकी टाँगों के ऊपर रख कर दबा लिया। राजेश जहाँ मुझे जी भर कर चोद रहा था, वहीं साथ में वो मुझे लगातार चूम भी रहा था, ताकि मुझे दर्द का अहसास न हो।
थोड़ी देर बाद उसने स्पीड कम कर दी, पर हमारा चूमना जारी रहा। थोड़ी देर बाद जब मेरा दर्द बहुत कम हो गया, तो मैंने अपनी टांगें सीधी कर लीं।
यह देख कर राजेश भी अपनी टांगें सीधी करके मेरे ऊपर सीधे लेट कर चुदाई करने लगा।
मैंने अपने हाथ राजेश की गांड के ऊपर रख लिए और चुदाई का आनन्द लेने लगी।
थोड़ी देर बाद राजेश उठा, उसने अपने दोनों हाथों मेरे कन्धों पर रखे और उसने हाथ के बल पर उकडूँ हुआ और फिर मुझे उसी पोजीशन में चोदने लगा।
थोड़ी देर बाद जब हम थक गए तो वो मेरे ऊपर लेट गया और मुझे चूमने लगा और उसका लंड अभी भी मेरी चूत में ही था।
मैंने राजेश की कमर को दोनों हाथों से पकड़ रखा था। थोड़ी देर बाद जब राजेश की ताकत वापस आई, तो वो फिर उठा और फिर से हाथ मेरे कन्धों पर रख कर और इंक्लीन्ड पोजीशन में जैसे कि किसी पहाड़ होता है उस पोजीशन में मुझे चोदने लगा और मुझे चूमता रहा।
थोड़ी देर में वो फिर थक गया और मेरे ऊपर लेट गया।
फिर से कुछ सेकण्ड्स बाद उसने लेटे-लेटे चूत चोदना शुरू कर दिया और स्पीड तेज़ कर दी।
करीब 5 मिनट तक वो ऐसे ही मुझे चोदता रहा और फिर वो मेरे ऊपर से उठा और मुझे अपने ऊपर बिठा लिया।
अब मेरी बारी थी, मैंने दोनों टांगें उसकी टाँगों के बाहर कीं और अपनी चूत में उसका लंड घुसाया और उसके ऊपर लेट गई और चूमने लगी और साथ ही साथ अपनी गांड ऊपर-नीचे करने लगी।
मैं चुदाई में व्यस्त थी। थोड़ी देर बाद जब मैं रुक गई, तो राजेश ने अपने हाथ मेरी गांड के छेद में उंगली डाली और उंगली करने लगा। उसके बाद मैं चूमने लगी।
फिर राजेश ने मुझे नीचे लिटाया और फिर थोड़ी देर बाद उसने अपना कंडोम निकाला और फिर उसने अपना लंड चूत की बजाए गांड के छेद में घुसा दिया।
और कहा- अब शुरू हो जाओ… मैंने अपने दोनों घुटने बिस्तर में रख कर उसके दम पर उछलने लगी और लंड मेरी गांड के अन्दर-बाहर होने लगा।
यह मैंने करीब दस मिनट तक अलग-अलग तरीके से किया। जैसे ही कभी मैं नीचे की तरफ बढ़ती और ऊपर-नीचे करती तो कभी सीधे ऊपर-नीचे करती थी।
जब मैं थोड़ी थक गई, तो मैं इधर-उधर करने लगी और थोड़ी देर बाद ही अलग-अलग पोजीशन में गांड की चुदाई जारी रखी। उसके बाद जब मैं थक गई तो कर राजेश के ऊपर लेट गई।
थोड़ी देर बाद राजेश ने कहा- बस तुम घुटने के बल ऐसे ही रहना, अब मैं घुसाता हूँ..!
अब मैं उसी पोजीशन में स्थिर थी और वो अभी कमर उठा कर लंड मेरी गांड के अन्दर-बाहर करने लगा। जब हम थक गए तो पास पास लेट गए।
इस भाग में इतना ही अगले भाग में मैं आपको बताऊँगी कि कैसे मैंने नई जॉब हासिल की।
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कहानी का अगला भाग: चूत के दम पर नौकरी-2
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