जयपुर में मेरी और भाभी की कामवासना
मैं राहुल अपनी कामवासना से भरी कहानी आपके लिए पेश कर रहा हूँ, पढ़ कर मजा लें!
मैं 19 साल का हूँ. मुझे अन्तर्वासना की चुदाई की वो कहानियां अच्छी लगीं, जिसमें किसी के साथ सेक्स करने की सिचुयेशन अंजाने में बन गई और सेक्स का मजा ले लिया गया. ऐसी कहानियां पढ़ते समय मुझे अपनी कहानी याद आ गई.
यह घटना आज से 2 महीने पहले की है, जब मैं जयपुर में कम्पीटीशन के एग्जाम की तैयारी कर रहा था. मैं एक कमरे वाले किराये के मकान में फर्स्ट फ्लोर पर रहता था. उसी फ्लोर पर एक दो कमरे का सैट भी था, जिसमें एक फैमिली किराये पर रहती थी. उस परिवार में सुरेंदर भैया और उनकी वाइफ रजनी थीं और उन दोनों का एक साल का एक लड़का भी था सोनू.
सुरेंदर भैया एक प्राइवेट कंपनी में काम करते थे और रजनी एक हाउसवाइफ थीं. शुरू में कोचिंग क्लास जाते या आते समय उन लोगों से सामना होने पर बातचीत सिर्फ़ नमस्ते तक सीमित थी. धीरे धीरे सुरेंदर जी से मेरी बात होने लगी. उनका स्वभाव बहुत ही अच्छा था. वो भी मुझे अपने छोटे भाई की तरह मानने लगे और मैं भी उनको भैया कहकर संबोधित करने लगा.
सुरेंदर मुझे सन्डे की शाम को चाय पर बुलाते और तब भाभी से भी कुछ बात हो जाती थी. कुछ ही दिनों में हम लोग घुलमिल गए. कभी कभी तो मैं भाभी से हंसी मज़ाक भी करने लगा था. भाभी भी नहले पर दहला मार देतीं और हम सब हंस पड़ते.
एक दिन मैंने देखा कि सुरेंदर भैया और भाभी कहीं से आ रहे थे. भाभी की हालत ठीक नहीं लग रही थी.
मैंने भैया से पूछा तो उन्होंने बताया कि भाभी की तबीयत 4 दिन से खराब है. डॉक्टर ने कुछ टेस्ट करवाए थे और रिपोर्ट देखने के बाद बताया है कि वाइरल फीवर है.
मैंने अफ़सोस जताते हुए कहा कि मुझे क्यों नहीं बताया.. बुरे समय में ही तो पड़ोसी काम आते हैं और आप तो मुझे भाई की तरह मानते हैं.
इस पर भैया ने कहा कि आज मैं तुमसे बात करने ही वाला था क्योंकि 4 दिन से मैं ड्यूटी नहीं जा पा रहा हूँ. तुम तो जानते हो प्राइवेट जॉब में छुट्टी कितनी मुश्किल से मिलती है. अगर तुम्हें बुरा ना लगे तो कल से दिन में तुम भाभी और सोनू की देखभाल कर सको तो बड़ी मेहरबानी होगी.
मैंने कहा- कैसी बातें कर रहे हो भैया, इसमें बुरा मानने या मेहरबानी वाली कौन सी बात है. आप निश्चिंत हो कर ड्यूटी जाइए.. मैं सब संभाल लूँगा.
खैर, मैं हर तरह से भाभी और सोनू का ध्यान रखने लगा. कोचिंग क्लास आते जाते उनसे हाल समाचार पूछ लेता. कोई सामान बाहर से लाना हो तो ला देता था.
भाभी के कहने पर कभी कभी उनके घर में चला जाता और सोनू के साथ खेल लेता. मैं सोनू को संभालता तो भाभी अपना घर का काम कर लेती थीं.
तीसरे दिन शाम को सुरेंदर भैया आए तब भी मैं वहीं था.
भाभी ने उनसे कहा कि समीर ने दिन भर बहुत मदद की है, इसकी आज पढ़ाई भी ठीक से नहीं हो पाई होगी. अगर ये नहीं होता तो मैं परेशान हो जाती.
सुरेंदर भैया के चेहरे पर थैंक्स के भाव थे.
कुछ दिन ऐसे ही चलता रहा, जब तक भाभी की तबीयत ठीक नहीं हो गई.
एक दिन सुरेंदर भैया ने मुझसे कहा कि उनको 10 दिनों के लिए ऑफीशियल टूर पर जाना है और मैं उनके पीछे उनके घर का ध्यान रखूँ.
मैंने उन्हें आश्वासन दिया और कहा- आप निश्चिंत हो कर जाइए.
वो अगले दिन चले गए.
मैं कभी कभी उनके घर जाता और सोनू के साथ खेलता और भाभी से भी बातचीत और हँसी मज़ाक करता रहता.
एक दिन मेरी कोचिंग क्लास की छुट्टी थी तो मैं दोपहर में भाभी के घर चला गया और हमेशा की तरह सोनू के साथ खेलने लगा.
तभी भाभी बोली- तुम सोनू के साथ खेलो, तब तक मैं नहा लेती हूँ.
और वो बाथरूम में चली गईं. मेरा बहुत मन कर रहा था कि मैं भाभी को नहाते हुए देखूं, लेकिन मन मसोस कर रह गया.
थोड़ी देर में बाथरूम का दरवाजा खुला, मेरी नज़र उधर चली गई और जो देखा वो देख कर मैं हैरान रह गया. भाभी एक तौलिया लपेटे हुए बाथरूम से निकलीं. तौलिया उनके पूरे बदन को ढकने की नाकाम कोशिश कर रहा था. उनके दोनों चूचे आधे से ज़्यादा तौलिया के बाहर दिख रहे थे, जिसे वे हाथ से छुपाने का प्रयास कर रही थीं.. नीचे उनकी गोरी गोरी चिकनी टाँगें जाँघों तक खुली थीं.
मैं देखते ही जैसे पागल सा हो गया. मैं बिना पलक झपकाए उन्हें देख रहा था.
भाभी मेरे पास आईं और मुस्कुराते हुए पूछा- ऐसे क्या देख रहे हो?
मैंने झेंपते हुए कहा- कुछ नहीं.
वो मुस्कुराते हुए बेडरूम में चली गईं.
थोड़ी देर बाद भाभी तैयार होकर बाहर निकलीं और मेरे पास बैठ कर इधर उधर की बातें करने लगीं.
तभी सोनू रोने लगा तो उन्होंने मुन्ने को गोद में लिया और अपने ब्लाउज के दो हुक खोलकर एक चुची बाहर निकाली और उसे दूध पिलाने लगीं लेकिन उन्होंने अपनी साड़ी के पल्लू से अपनी चूची को छुपाने का कोई प्रयास नहीं किया. उनकी गोरी गोरी चुची मुझे दिख रही थी.
भाभी मुझसे सामान्य रूप से बात करने लगीं. मैं भी उनसे बात करता रहा और कभी कभी मेरी नज़र उनकी चुची पर चली जाती थी. मैं कभी कभी सोनू का सर सहला देता था, लेकिन मेरी हिम्मत नहीं हुई कि उनकी चुची को छू सकूँ.
थोड़ी देर बाद मुन्ना दूध पीते पीते सो गया तो भाभी ने अपनी चुची को ब्लाउज में डाला और सोनू को लेकर बेडरूम में चली गईं. मैं भी पीछे पीछे चला गया.
सोनू को सुलाने के बाद भाभी ने कहा- तुम मेरे सर में जरा विक्स लगा दो.
मैं विक्स लेकर आया और भाभी के माथे पर मलने लगा.
फिर भाभी ने कहा- बहुत अच्छा लग रहा है, थोड़ी सी विक्स मेरी पीठ पर भी लगा दो.
बस उन्होंने इतना कहा और पलट गईं. मैं उनकी पीठ में ब्लाउज के अन्दर तक हाथ डाल कर विक्स लगाने लगा. मुझे जोश आने लगा, मेरी कामवासना जोर मरने लगी और पैन्ट में अकड़न सी महसूस होने लगी.
तभी भाभी पीठ के बल लेट गई और गर्दन पर भी विक्स लगाने को बोल कर अपना पल्लू हटा दिया. मैं तो दंग रह गया क्योंकि इस तरह से लेटने की वजह से उनकी दोनों चुची कुछ ज़्यादा ही बाहर की तरफ आ गई थीं.
फिर भी मैंने थोड़ा विक्स लिया और उनकी गर्दन पर लगाने लगा. उनकी चुचियों को देख कर मेरी पैन्ट टेंट बन गया था. मैंने थोड़ी हिम्मत की और हाथ उनकी गर्दन से थोड़ा नीचे की ओर सरका कर उनकी चुचियों को छूने की कोशिश करने लगा. मेरा मन अब बहकने लगा था, मैं अपने पर काबू नहीं रख पा रहा था, मुझे बहुत मज़ा आ रहा था, मन कर रहा था कि भाभी को अपनी बांहों में ले लूँ और उनकी चुचियों को मसल दूँ.
तभी अचानक मुझे लगा कि ये ग़लत हो रहा है और मैं उठकर अपने कमरे में आ गया.
अब सबसे पहले बाथरूम में जा कर मुठ मारी और उसके बाद सो गया.
शाम को भाभी के पास गया और थोड़ी देर बातचीत करने के बाद वापस आ गया.
अगले दिन मैं अपने आपको भाभी की चुचियां देखने और छूने के लालच से रोक नहीं पाया और कोचिंग क्लास से बंक मार कर भाभी के घर चला गया. भाभी उसे समय सोनू को दूध पिला रही थीं. मैं उनके पास जा कर बैठ गया और बात करने लगा. भाभी शायद समझ गई थीं कि मैं क्यों आया हूँ.
भाभी मेरे सामने ही अपनी दूसरी चुची को भी निकाल कर सोनू को दूध पिलाने लगीं. साथ ही उन्होंने मुझसे बात करते हुए पहले वाली चुची को ब्लाउज के अन्दर कर लिया. भाभी की दोनों चुचियों को देख कर मैं मन ही मन बहुत खुश हुआ.
थोड़ी देर बाद जब सोनू सो गया तो उसे मेरे पास सुला कर बोलीं कि वो नहाने जा रही हैं और तब तक मैं सोनू का का ध्यान रखूँ.
वो चली गईं.
मैं सोचने लगा कि कैसे भाभी को नहाते हुए देखूं, लेकिन कोई उपाय नज़र नहीं आया तो फिर मन मसोस कर टीवी देखने लगा.
थोड़ी देर बाद भाभी बाथरूम से निकलीं, मेरी नज़र बाथरूम की तरफ चली गई तो देखा कि भाभी ने तौलिया को सर पर बालों में लपेटा हुआ था और नीचे पेटीकोट को चुचियों तक चढ़ा रखा था, जिससे उनकी पीठ खुली हुई थी और टाँगें घुटनों तक दिख रही थीं. वो मेरी ओर देखकर मुस्कुराते हुए बेडरूम में चली गईं.
थोड़ी ही देर में भाभी ने आवाज़ लगाई और कहा कि मैं सोनू को बेडरूम में ही सुला दूँ. मैं फिर खुश हुआ और सोनू को रूम में बेड पर सुला दिया और जाने लगा.
भाभी ने बुलाया और कहा- थोड़ा सा बॉडीलोशन मेरी पीठ पर लगा दो? मेरे हाथ वहां तक नहीं पहुचते हैं.
भाभी अभी भी पेटीकोट में ही थीं तो उनकी पीठ खुली हुई थी. मैंने थोड़ा बॉडीलोशन लिया और उनकी पीठ पर लगाने लगा. मेरे हाथ में बॉडीलोशन ख़त्म हो चुका थे, फिर भी मैं उनकी पीठ पर हाथ फेर रहा था.
मैं फिर से बहकने लगा था. मेरा मन कर रहा था कि उनको नंगा देखूं लेकिन संकोचवश कह नहीं पा रहा था. मैंने उनकी पीठ पर फेरते हुए एक हाथ से उनके पेटीकोट को थोड़ा सा अलग कर अन्दर झाँका तो उनकी गोरी और गोल गोल गांड दिख गई.
भाभी ने पेंटी नहीं पहनी थी.
मैं जोश में आने लगा. फिर थोड़ा सा बॉडीलोशन लेकर उनकी पीठ के ऊपर गर्दन पर लगाने लगा और धीरे धीरे हाथ को आगे की तरफ ले जाने लगा. मुझे डर भी लग रहा था लेकिन भाभी ने कुछ नहीं कहा बल्कि अपना हाथ ऊपर कर अपने बाल संवारने लगीं. इससे मेरी हिम्मत थोड़ी बढ़ गई. उनकी गर्दन के नीचे सहलाते हुए मैंने अपना हाथ थोड़ा नीचे की तरफ बढ़ाने लगा तो उनका पेटीकोट मेरे हाथ से थोड़ा नीचे की ओर खिसकने लगा और उनकी चुचियां धीरे धीरे नंगी होने लगीं.
मेरी धड़कन बढ़ने लगीं. मैं अपने हाथ नीचे की तरफ बढ़ाता रहा और उनका पेटीकोट भी नीचे सरकता रहा. अचानक उनका पेटीकोट उनकी चुचियों पर से पूरा सरक गया तो उनका पेटिकोट नीचे गिर गया. वो मेरे सामने बिल्कुल नंगी हो गईं.
मैं एकदम से घबरा गया.
भाभी ने भी थोड़ा गुस्सा दिखाते हुए कहा- ये तूने क्या किया, मुझे बिल्कुल नंगी कर दिया और मेरा सब कुछ देख लिया.
मैं भाभी से माफी माँगने लगा.
भाभी ने अपना पेटीकोट उठाकर अपनी चुचियों पर ढक लिया और कहने लगीं- कोई बात नहीं, मैं जानती हूँ कि तूने जानबूझ कर नहीं किया है.
तब मेरी जान में जान आई.
फिर भाभी ने मुस्कुराते हुए कहा- जब तूने सब कुछ देख ही लिया तो चल मेरे पूरे बदन पर बॉडीलोशन लगा दे.
मुझे तो मानो मनमाँगी मुराद मिल गई, मैं बहुत खुश हुआ और बॉडीलोशन लेने के लिए आगे बढ़ा.
तब तक भाभी बेड पर जा कर लेट गईं, उनकी टाँगें घुटनों तक खुली थीं और पेटीकोट उनकी चुचियों तक था. मैं बॉडीलोशन उनके सीने पर लगाने लगा तो उन्होंने अपना पेटीकोट चुचियों पर से हटा कर कमर तक सरका दिया.
उनकी दोनों चुचियां और सपाट पेट, गहरी नाभि के साथ पूरा नंगा मेरे सामने था. मैं उनकी चुचियों और पेट पर लोशन लगाने लगा. कभी कभी उनकी चुचियों को दबा भी देता था तो उनके मुँह से सिसकारियां निकलने लगती थीं.
फिर मैं नीचे की ओर बढ़ने लगा और उनके पेटीकोट को सरकाता हुआ लोशन लगाने लगा. जब उनकी चुत नंगी हुई तो मैं हैरान रह गया. उनकी चुत बिल्कुल साफ सुथरी चिकनी और ब्रेड की तरह फूली हुई थी.
मैं चुत को सहलाने लगा तो भाभी की कामवासना, सिसकारियां बढ़ने लगीं. धीरे धीरे पेटीकोट को उनके बदन से अलग कर दिया. मैं उनके पूरे बदन को सहलाने लगा और वो मस्त सिसकारियां लेती रहीं.
मेरा 7 इंच लम्बा 5 इंच मोटा लंड बिल्कुल तन चुका था और पेंट तंबू बन चुका था. अचानक भाभी ने मुझे अपने ऊपर खींच कर लिटा लिया और मुझे किस करने लगीं. मैं भी उनका साथ देने लगा और उनके होंठों को खूब चूसा. एक हाथ से उनके चुचियों को मसलने लगा दूसरे हाथ से उनकी चुत को सहलाने लगा. फिर मैं एक उंगली उनकी चुत के अन्दर सरका कर हिलाने लगा. भाभी की चुत पूरी गीली हो चुकी थी. भाभी ने भी अपना हाथ बढ़ाकर मेरा लंड पकड़ लिया और मुठ मारने लगीं.
थोड़ी देर के बाद भाभी ने कहा- अपने कपड़े उतार दो और मेरे अन्दर घुस जाओ, मुझसे अब बर्दाश्त नहीं हो रहा.
मैं झट से अपने सारे कपड़े खोल कर नंगा हो गया. मेरा लंड एकदम लोहे की तरह तन कर खड़ा था. मैं भाभी के ऊपर जाकर लेट गया और उनकी चुचियां मसलते हुए उनको किस करने लगा. भाभी ने अपने पैरों को फैलाया और मेरे लंड को पकड़ कर अपनी चुत पर रगड़ने लगीं. फिर लंड को चुत के मुँह पर लगा कर बोलीं- अब धक्का मारो.
मैंने धक्का मारा लेकिन मेरा लंड थोड़ा ही अन्दर गया. भाभी फिर बोलीं कि जोर से धक्का मार कर लंड को चुत के अन्दर घुसा दे!
मैंने जोर से धक्का मारा, जिससे मेरा आधा लंड चुत में घुस गया. भाभी के मुँह से हल्की सी चीख निकली तो मैंने पूछा- क्या हुआ, अगर ज़्यादा दर्द कर रहा है तो लंड निकाल लूँ.
भाभी बोलीं- निकालना नहीं, तेरा लंड बहुत मोटा है.. इसलिए घुस नहीं रहा. लंड को थोड़ा सा बाहर खींच कर फिर से धक्का मार..
मैंने ऐसा ही किया और लंड थोड़ा सा बाहर खींच कर एक जोरदार धक्का मारा, पूरा लंड सरसराता हुआ चुत की दीवारों से रगड़ता पूरा अन्दर घुस गया. भाभी के मुँह से चीख निकल गई और उनकी आँखों से आँसू भी बहने लगे. मैं वैसे ही उनके ऊपर लेटा रहा, उनकी चुचियों को सहलाता मसलता रहा और निपल्स को भी बारी बारी से चूसता रहा.
थोड़ी ही देर में भाभी को राहत महसूस होने लगी और वो अपनी कमर को उठाने लगीं. मैं समझ गया कि अब भाभी को मजा आने लगा है, मैंने हल्के हल्के धक्के लगाने लगा. लंड थोड़ा बाहर निकालता और उसी तेज़ी से फिर चुत में घुसा देता. भाभी के मुँह से अब अजीब सी सिसकारियां आने लगी थीं.
अब वो ‘ऊन्ह… आहह.. हमम्म..’ करने लगीं. मैं भी अब अपनी बढ़त बढ़ा दी और जोर जोर से चोदने लगा. थोड़ी देर में भाभी का बदन अकड़ने लगा. उन्होंने अपने पैरों को मेरे कमर पर लपेट लिया और अपने बदन को ऐंठने लगीं और झटके खाने लगीं.
मैं समझ गया कि वो झड़ रही हैं क्योंकि उनकी चुत में जैसे सैलाब आ गया था और पानी की धार निकलने लगी. वो शांत होकर लेटी रहीं. मैं फिर धीरे धीरे धक्के मारता रहा. थोड़ी देर में ही भाभी फिर से साथ देने लगीं और अपनी कमर उठा उठा कर चुदवाने लगीं.
कमरे में अब ठप-ठप, फ़च-फ़च की आवाज़ गूंजने लगी.
लगभग दस मिनट ऐसे धक्के मारने के बाद मुझे लगा कि मैं झड़ने वाला हूँ. मैंने भाभी से कहा- मेरा निकलने वाला है.
उन्होंने मुझे और जोर से पकड़ लिया और कहा- धक्के मारते रहो. मेरा भी निकलने वाला है.
मैं धक्के पे धक्का लगाता रहा. थोड़ी देर में मेरा फव्वारा छूट गया और सारा वीर्य उनकी चुत में गिर गया. भाभी भी झटके खाने लगी थीं और उनका भी पानी साथ में ही निकल गया. मैं वैसे ही उनके ऊपर निढाल होकर लेट गया.
कुछ देर ऐसे पड़े रहने के बाद, एक बार फिर से चुदाई का कार्यक्रम शुरू हो गया. इस बार चुदाई करते करते, भाभी ने अचानक हटने को कहा तो मैंने पूछा- क्या हुआ?
उन्होंने कुछ कहा नहीं, बस धक्का देकर मुझे अलग किया और खुद उठकर घोड़ी बन गईं और बोलीं- अब आओ.
मैं समझ गया कि भाभी को नये नये आसन पसंद हैं. मैंने पीछे से लंड उनकी चुत पर थोड़ी देर रगड़ा और फिर लंड को चुत के अन्दर घुसा कर उनकी कमर पकड़ कर धक्के मारने लगा.
हम दोनों तूफान मेल की तरह चुदाई करते रहे. भाभी की मुँह से ‘आआअहह.. ऊओह..’ की आवाज़ आती रही. कुछ देर ऐसे ही चुदाई करते करते हम दोनों एक साथ झड़ गए और निढाल होकर लेट गए.
थोड़ी देर बाद हम उठे और बाथरूम में जाकर सब साफ किया. फिर बेडरूम आकर हमने कपड़े पहने. भाभी के चेहरे पर संतुष्टि के भाव थे. उसके बाद से तो मैं भाभी के साथ ही दिन-रात सोता था और चुदाई का मज़ा लेता रहा, जब तक सुरेंदर भैया नहीं आ गए.
अब मैं और भाभी मौके की तलाश में रहते और जब भी हमें मौका मिलता, हम चुदाई कर लेते.
कुछ दिनों बाद ये सिलसिला बंद हो गया क्योंकि भैया का तबादला दूसरे शहर में हो गया और वो लोग वहां शिफ्ट हो गए.
कामवासना से भरी इस सेक्स स्टोरी पर अपने विचार मुझे मेल करें.
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