जीजा ने मेरा जिस्म जगाया-1
मेरा नाम नीना है, मैं बी.सी.ए की छात्रा हूँ, मेरा काम कंप्यूटर से जुड़ा है, मैं पाँच फुट पाँच इंच लंबी हूँ, सेक्सी हूँ जवान हूँ, जवानी मुझ पर जल्दी आ गई, रहती कसर मेरे सगे जीजू ने पूरी कर दी।
हम तीन बहने हैं, मैं नंबर तीन की हूँ, कोई भाई नहीं है, दोनों बहनें शादीशुदा हैं, उनकी शादी के बाद मैं अकेली और लाडली बन गई। हम रहते तो शहर में थे मगर गाँव में हमारी काफी ज़मीन है, दादा-दादी गाँव में रहकर नौकर चाकरों पर नज़र रखते हैं, पापा सुबह गाँव जाते, शाम को लौटकर आते।
मेरे बड़े जीजा की उम्र होगी बयालीस साल की, लेकिन उनके पुरुष अंग में जो दम अभी है वो सिर्फ मैं बता सकती हूँ, या वो बिस्तर जिस पर को किसी लड़की को चोदते होंगे।
वो अक्सर हमारे यहाँ आते रहते थे, उनका कपड़े का व्यापार है, वो माल लेने के लिए दिल्ली और लुधियाना अक्सर आते जाते थे।
बात तब से शुरु हुई जब मैं अठरह की हुई, शीशे में अपने नाज़ुक कूल्हे, सफेद मलाई की तरह चिकने दूध और जांघें देख अपने पर आते तूफ़ान का अंदाजा होता। जीजा का मेरे साथ काफी हंसी मज़ाक चलता था, वो मुझसे इतने बड़े थे कि किसी ने सपने में भी ना सोचा होगा कि कभी हमारे जिस्म मिल सकते हैं।
जीजू जब आते उनकी नज़र मेरे उभारों पर रुकने लगती, उनकी आँखों में वासना रहने लगी, कभी आँख दबा देते तो मैं शर्म से लाल गाल लेकर वहाँ से भाग जाती थी। तब वो मेरी देह को आँखों से जगाने लगे इशारों से जगाने लगे।
नतीजा यह हुआ कि मेरे पाँव उनके फिसलाने से पहले ही बाहर फिसलने लगे। हमारे ही घर के पास सतीश का घर था, उसके बाप का बहुत बड़ा कारोबार था, आये दिन उसके नीचे कोई नई कार होती, जब उसके घर के आगे से गुज़रती उसकी शैतानी नज़रों से मेरी नज़र एक बार मिलती पर मैं चेहरा नीचे कर चल आती। उसने मेरा छुट्टी का समय नोट किया हुआ था। चाहती तो मैं भी उसे थी, बस मोहल्ले के डर से एक कदम आगे नहीं बढ़ा पाती थी, उसका बड़ा भाई अमेरिका में था उसके माँ पापा कभी भारत, कभी अमेरिका में रहते थे।
उन दिनों वो अकेला रहता, खूब ऐश परस्ती करता। उधर जीजा ने खुद को नहीं रोका, वासना भरी आँखों से जब मुझे देखता मेरे अंदर अजीब सी हलचल होने लगती।
एक दिन उसने ऐसे हालात बना कर मुझे बाँहों में कस लिया, मुझे सहेली की बर्थडे पार्टी में जाना था, मैंने दीदी का सेक्सी सा सूट मांगा, पहन कर तैयार हो रही थी उनके ही कमरे में ! दीदी मम्मी के साथ मार्केट गई थी, जीजा ने मुझे पीछे से बाँहों में दबोच सीधा हाथ मेरे बगलों के नीचे से मेरे दोनों मम्मों पर रख मसल दिए, ब्लोए- मोना डार्लिंग, आज मेरा मूड है !
कह मेरी गर्दन पर होंठ लगा दिए।
मैं सिसकार पड़ी- जीजा, क्या कर रहे हो?
जीजा ने मुझे छोड़ा- सॉरी, मुझे लगा तेरी दीदी है, यह उसका सूट है।
जीजा के हाथ मम्मों से नीचे चले गए थे, अचानक बोले- खैर साली भी आधी घरवाली होती है !
कमर पर हाथ डाल मेरे चिकने पेट को सहलाने लगे।
“मुझे जाना है जीजा !” मैं भाग निकली।
लेकिन अंदर से जलने लगी, मेरी जवानी जगा दी जीजा ने।
जब सतीश के घर की आगे से निकली उसने पत्थर में लपट कागज़ फेंका मेरे काफ़ी आगे, जब वहाँ से निकली तो झुकी और उठा कर पत्थर फेंक कागज़ को ब्रा में घुसा आगे निक गई।
सहेली के घर जाकर वाशरूम में घुस कर कागज खोला, उस पर उसका मोबाइल नंबर था और आई लव यू लिखा था।
जब बाहर आकर मैंने सहेली से कहा तो वो बोली- मना मत करना ! अब तू भी एडवांस बन जा बन्नो ! उड़ने वाली कबूतरी बन !
उसने मुझे कहा- मैं अभी व्यस्त हूँ, मेरे कमरे से उसको फ़ोन कर ले !
जब मैंने फ़ोन किया तो वो बहुत खुश हुआ, बोला- मिलना चाहता हूँ, जब मैं तेरे सेक्सी मम्मों को कपड़ों में कैद आजादी के लिए तरसते देखता हूँ तो मेरा अंग खड़ा होने लगता है।
“सतीश ! आप भी ना बाबा ?”
“सच कहता हूँ, यहाँ से निकल ! मैं अकेला हूँ ! आज तेरे पास सही बहाना है !”
“लेकिन दिन में आपके घर कैसे घुसूँगी? सतीश, हम एक मोहल्ले के रहने वाले हैं।”
इसमें क्या बात है, मेरी कार के शीशे काले हैं, मैं लोंगों वाले मंदिर के पीछे से तुझे ले लूंगा, कार सीदी पोर्च में और फिर कोई डर नहीं !”
मैं फिसलने वाले रास्ते पर चलने को चल निकली, उसके घर पहुंच गई।
क्या बड़ा सा मस्त घर था ! वो मुझे अपने कमरे में ले गया, मेरा हाथ पकड़ा अपने दिल पर रख कर बोला- देख रानी, कैसे तेरे लिए धड़क रहा है।
उसने पीछे से कमर में हाथ डाल एक हाथ मेरे मम्मे पर रख बोला- क्या तेरा भी? क्या तेरा तो दाना कूद रहा होगा?
“आप भी ना !”
उसने मुझे लपका और मुझे बिछा मेरे ऊपर सवार होने लगा। पहले कपड़ों के ऊपर से मेरे रेशमी जिस्म का मुआयना किया फ़िर धीरे धीरे मुझे अपने रंग में रंगते रंगते एक एक कर केले के छिलके की तरह मेरे कपड़ों से मुझे आज़ाद किया।
मैं पहली बार ऐसे नजरिये से खुलकर किसी लड़के के नीचे नंगी हुई पड़ी अपनी जवानी लुटवाने को तैयार पड़ी थी।
कहानी जारी रहेगी।
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