जीजा साली का मिलन-1
हाय दोस्तो,
मैं रमेश जयपुर से फिर से आपकी सेवा में हाजिर हूँ, आपने मेरी कहानियाँ
भतीजी की चुदाई
व
कच्ची कलियाँ
पढ़ कर मेल किया उसके लिए धन्यवाद।
आपसे किये वायदे के अनुसार आज मैं फिर आपके लिए एक नई कहानी लेकर हाजिर हुआ हूँ, आज मैं आपको बताऊंगा कि शादी के बाद कैसे मैंने अपनी साली को पटाया। चूँकि मेरी शादी हैदराबाद में हुई थी और मेरी ससुराल राजस्थान में है, सो मैं शादी के छः महीने बाद जब पहली बार ससुराल आया तो सबसे ज्यादा खुश मेरी साली हो रही थी। अब मैं आपको अपनी साली के बारे में बताता हूँ, उसका नाम दीपा है, उस वक्त उसकी उम्र उन्नीस साल थी, कद 5 फुट 3 इंच, गोरी चिट्टी, बड़े अनार के आकार के मम्मे, जब वो अपने कूल्हे मटका कर चलती थी तो दिल पर छुरियां चल जाती थी, चूँकि शादी के बाद में पहली बार ससुराल आया था इसलिए उससे ज्यादा खुला हुआ नहीं था तथा उसके स्वभाव को भी नहीं जानता था।
ससुराल में मुझे रहने के लिए ऊपर वाला कमरा मिला, वहाँ पहुँचने के बाद आधा दिन तो बीवी और सास ने पीछा नहीं छोड़ा।
दोपहर बाद साली साहिबा सज धज कर मेरे लिए खाना लेकर आई और आते ही शुरू हो गई- आप तो बड़े अकड़ू हैं? साली के लिए आपके पास समय ही नहीं है, बीवी तो हमेशा आपके साथ रहने वाली है लेकिन साली के दर्शन तो ससुराल आने पर ही होंगे !
मैंने हाथ पकड़ कर उसे अपने पास बैठाया और बोला- देखो, साली साहिबा ! आप तो आधी घरवाली हो, इसलिए शुरू का आधा दिन बीवी के लिए था और अब बचा हुआ आधा दिन सिर्फ और सिर्फ आपके लिए है, मैं कोशिश करूँगा कि आपके दिल की हर ख्वाहिश को पूरा करूँ वो भी आपकी तसल्ली होने तक !
तो उसने कहा- देख लीजिये? आपने मेरी हर ख्वाहिश को पूरा करने का वादा किया है ! पीछे मत हटना?मैंने कहा- अजी हम तो सिर्फ आगे ही बढ़ते हैं ! पीछे हटना तो हमने सीखा ही नहीं ! आप सिर्फ अपनी ऊँगली हमें पकड़ा दीजिये बाकी तो हम खुद पकड़ लेंगे।
तो वो मुस्कुरा कर बोली- काफी बदमाश लगते हैं? खैर, अभी तो मैं जाती हूँ, जब खाना खाकर सब सो जायेंगे तो फिर सारा दिन हम साथ रहेंगे।
यह कह कर वो नीचे चली गई।
अब मुझे लगा कि मामला पट सकता है। मैं उसका इंतजार करने लगा।
करीब एक घंटे के बाद वो आई और बोली- अब मैं फ़ुरसत में हूँ ! अब मैं शाम तक पूरा दिन आपके साथ गुजार सकती हूँ।
यह कह कर वो मेरे पास चिपक कर बैठ गई और बोली- अब हम अन्ताक्षरी खेलेंगे !
तो मैंने कहा- वो तो ठीक है लेकिन जो हारेगा उसको क्या सजा होगी?
तो उसने कहा- जो आप कहें !
मैंने कहा- सोच लो ! बाद में मना मत कर देना?
तो उसने कहा- पीछे हटने वाली तो मैं भी नहीं हूँ !
मैंने कहा- फिर ठीक है !
हमने खेलना शुरू किया करीब आधे घंटे बाद जब वो पहली बार हारी तो मैंने कहा- सजा के लिए तैयार हो?
तो उसने कहा- हाँ, आप बताइए क्या करना है?
तो मैंने कहा- आपको मेरे होठों पर चूमना है !तो उसने शरमा कर कहा- यह कैसे हो सकता है?
मैंने कहा- यह तो अभी शुरुआत है ! आगे इससे भी बड़ी सजा मिल सकती है ! और वैसे भी आप आधी घरवाली तो है ही ! इसलिए इतना हक तो हमारा बनता ही है।
तो उसने शरमा कर कहा- मैं ऐसा नहीं कर सकती ! मुझे शर्म आती है।
मैंने कहा- कोई बात नहीं ! इस बार हम आपकी मदद कर देते हैं ! लेकिन आगे से नहीं करेंगे !
उसने कहा- ठीक है, लेकिन आप मेरी मदद कैसे करेंगे?
मैंने कहा- आपको तो हमें चूमने में शर्म आती है इसलिए हम ही आपके होंठों पर चुम्बन ले लेते हैं।
यह कहकर मैंने उसके चहरे को अपने हाथों से पकड़ा और उसके होंठों को अपने मुँह में लेकर चूसने लगा।
वाह ! क्या रस भरे लम्हे थे !
वो छूटने के लिए गर्दन हिलाती रही लेकिन एक बार शिकारी के जाल में आने के बाद चिड़िया फ़ड़फड़ा तो सकती है लेकिन छूट नहीं सकती।जी भर के रस चूसने के बाद जब उसे छोड़ा तो वो बोली- आप बड़े वो हो !
यह कहकर वो नीचे भाग गई लेकिन इतने में ही अपने लंड देवता तो फुफकारने लगे। मैं समझ गया कि साली की सील तोड़ने में ज्यादा समय नहीं लगेगा।
मैं चार दिन ससुराल में रुकने वाला था और इतना समय मेरे लिए काफी था।
शाम को जब हम नीचे मिले तो वो मुझे तिरछी नजरों से देख कर मुस्कुरा भी रही थी और शरमा भी रही थी। मेरा तो दिल बाग़ बाग़ हो गया।
खैर रात को बीवी को चोदते वक्त साली के ख्यालों में खोया हुआ था।
दूसरे दिन सुबह नाश्ता करने के बाद मेरी बीवी ने कहा- मुझे बाज़ार जाकर कुछ खरीददारी करनी है, आप भी साथ चलो !
मैंने कहा- मैं यहाँ कुछ जानता तो हूँ नहीं ! तुम चली जाओ।
उसने कहा- ठीक है ! मैं दीपा को ले जाती हूँ।
मैंने कहा- तुम दीपा को ले जाओगी तो मैं बोर हो जाऊंगा। तुम एक काम करो, तुम मम्मी के साथ चली जाओ, हम लोग ताश खेलकर समय बिता लेंगे।
मेरी भोली-भाली बीवी ने कहा- यह भी ठीक है ! मैं मम्मी के साथ चली जाती हूँ।
मेरी साली चुपचाप सारी बातें सुनकर मुस्कुरा रही थी।
आधे घंटे बाद जब वो लोग चले गए तो मैंने कहा- क्या बात है दीपा ? बड़ी शरमा रही हो? आज अन्ताक्षरी नहीं खेलोगी?
तो उसने कहा- आप बदमाशी करते हो !
तो मैंने कहा- यार, आधी घरवाली हो तो आधे शरीर पर तो मेरा हक़ है ! चलो इससे ज्यादा कुछ नहीं करेंगे !
वो बोली- नहीं, मुझे शर्म आती है।
मैंने सोचा- समय खराब करने में कोई फायदा नहीं है, मैं उसके पास गया और उसको पकड़ कर अपने सीने से चिपका लिया और बोला- देखो डार्लिंग ! जितना मेरा हक़ है, वो तो मैं छोड़ने वाला नहीं हूँ !
यह कहकर मैंने उसके होठों को चूमना शुरू कर दिया और एक हाथ से उसके एक मम्मे को पकड़ लिया।
कसम से क्या कसे मम्मे थे ! जिंदगी में पहली बार ऐसे कड़क मम्मों को दबाया था।
थोड़ी देर तक वो मचलती रही, फिर उसको भी मजा आने लगा और वो भी प्यार से मेरे मुँह में अपनी जीभ डाल कर मजे लेने लगी।
अपने तो लंड महाराज पैंट फाड़ कर बाहर निकलने को तैयार थे, जब जोश बढ़ा तो दूसरा हाथ उसकी सलवार की तरफ बढ़ाया।
जैसे ही उसकी चूत को हाथ लगाया तो वो छिटक कर बोली- देखिये जीजाजी ! अब आप फाउल कर रहे हैं ! आपका हक सिर्फ ऊपर तक ही है !
मैंने कहा- यार, यह तो बहुत गलत है ! अब मैं इस लंड महाराज को कैसे शांत करूँ ? कुछ तो करना पड़ेगा।
यह कह कर मैंने उसे गोद में उठाया और सीधा बिस्तर पर ले जाकर उसे सीधा लिटा कर कपड़ों के सहित ही उस पर चढ़ गया और दोनों हाथों से उसके दोनों मम्मों को पकड़ कर दबाने लगा और उसके होठों को चूसने लगा। मेरा लंड सलवार के ऊपर से ही उसकी चूत को रगड़ रहा था, वो मुझे अपने ऊपर से धकेलने की कोशिश कर रही थी।
मुझे लगा वो अभी रो देगी, उसकी हालत देख कर मैं उठा और सीधा बाथरूम में जा कर मुठ मारकर अपना पानी निकाला, उसके बाद ऊपर कमरे में जाकर बैठ गया।
थोड़ी देर में दीपा आई और बोली- आप ऊपर आ कर क्यों बैठ गए?
मैंने मुँह फुला कर कहा- आपको तो हमारी कोई फ़िक्र है नहीं ! इसलिए क्या करें ? आप जाईये और अपना काम कीजिये !
इतना कहते ही उसका मुँह उतर गया, वो मेरे पास आई और मेरा हाथ पकड़ कर बोली- जीजाजी, आप तो नाराज हो गए ! अब आप जैसा कहेंगे, मैं वैसा ही करूंगी !
मैंने कहा- वो तो हमने देख लिया ! हम तो सिर्फ आपको प्यार करना चाहते थे, लेकिन आपने मेरा मूड ही ख़राब कर दिया है, क्या यह सब आपको अच्छा नहीं लगता है?
वो एकदम मेरे पास आई और मेरे गले में बांहें डाल कर बोली- सॉरी जीजाजी ! मुझे अच्छा तो लगता है लेकिन डर भी लगता है कि कुछ हो गया तो या फिर दीदी को पता लग गया तो क्या होगा?
मैं बोला- जीजा और साली तो ऐसे मौके की तलाश में रहते हैं ! और एक तुम हो कि भाव खा रही हो?
तो वो बोली- सॉरी बाबा ! गलती हो गई ! अब आपको जो अच्छा लगे !
यह कह कर उसने मेरे होठों को चूमना शुरू कर दिया।
मेरा दिल तो बाग़ बाग़ हो गया, मैंने पहली बार सीधे उसकी कुर्ती में हाथ डाला और ब्रा के ऊपर से उसके मम्मे को दबाने लगा।
उसने कुछ नहीं कहा तो मैंने अपना एक हाथ पीठ के पीछे ले जाकर उसकी ब्रा का हुक खोल दिया और उसकी कुर्ती को ऊपर उठा दिया।
वाह ! क्या नजारा था !
उसके दूधिया मम्मों को देख कर तो मैं पागल हो गया, मैंने उसे वहीं लिटाया और उसके एक मम्मे को मुँह में और दूसरे को हाथ से मसलने लगा। मेरा लंड तो एकदम फुफकारें मारने लगा।
मैंने उसका एक हाथ पकड़ कर अपने लंड पर रख दिया। उसने कांपते हाथों से उसे पकड़ लिया। मैंने दूसरा हाथ सीधा उसकी चूत पर रखा और सलवार के ऊपर से ही उसकी चूत को सहलाने लगा।
उसके मुँह से सिसकारियाँ निकलने लगी। उसकी सलवार भी गीली होने लगी।
चूँकि मेरी बीवी के वापस आने का वक्त हो गया था, इसलिए मैंने उसे कहा- दीपा, तुम्हारी दीदी के आने का वक्त हो रहा है, जल्दी जल्दी…
शेष कहानी दूसरे भाग में !
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कहानी का अगला भाग: जीजा साली का मिलन-2
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