टीचर ने चोद कर कली से फूल बनाया
मेरा नाम रश्मि है, मैं बंगलोर की रहने वाली हूँ. अब मेरी शादी हो चुकी है और मेरा एक क्यूट सा बेबी भी है. मेरे हज़्बेंड बंगलौर में ही एक मल्टीनेशनल कम्पनी में जॉब करते हैं.
अब मैं 24 साल की हो चुकी हूँ. मैं बचपन से ही दिखने में गोरी और काफ़ी खूबसूरत हूँ.
आज मैं जो सेक्स स्टोरी आप सबसे शेयर करने जा रही हूँ, उसकी शुरुआत उन दिनों हुई थी जब मैं 11 वीं क्लास के फाइनल एग्जाम दे चुकी थी. मैं उन दिनों में जवानी दहलीज पर थी.
पहले मैं आपको अपनी स्कूल लाइफ के बारे में बता दूं. उन दिनों मेरी एक बेस्ट फ्रेंड अवि थी. हम 4 लड़कियों का ग्रुप था जिसमें मनीषा और अंकिता भी थीं. पर मेरी बेस्ट फ्रेंड अवि ही थी, वो भी दिखने में काफ़ी सुन्दर थी.
उन दिनों मनीषा और अंकिता के ब्वॉयफ्रेंड्स थे, वो दोनों भी दिखने में काफी हॉट थीं. अवि और मेरा कोई ब्वॉयफ्रेंड नहीं था हम दोनों सिंगल ही थे.
सच कहूँ तो मेरी इन लफड़ों में कोई रूचि नहीं थी.
मेरी क्लास में 4 मैडम और 4 सर अपने अपने सब्जेक्ट पढ़ाने के लिए आते थे. उन चारों सर में से एक काफ़ी यंग और स्मार्ट थे. दूसरे करीबन 49-50 साल के रहे होंगे. वो हमको इकनॉमिक्स पढ़ाते थे. मगर वो मुझे कुछ अच्छे नहीं लगते थे और उनका चरित्र भी कुछ ठीक नहीं था. वो लड़कियों से थोड़ी गंदी मतलब डबल मीनिंग जैसी बातें भी करते थे.
एक दिन जब मैं उनके पीरियड में अपनी बोतल से पानी पी रही थी. तभी अचानक उन्होंने मेरी बोतल में हल्का सा हाथ मारा और कहने लगे- जब मैं पढ़ा रहा होऊं तो कोई बीच में किसी तरह से डिस्टर्बेंस ना करे.
उनके हाथ के झटके से लगने के कारण मेरी शर्ट पानी से भीग गई और मेरे मम्मों तक शर्ट गीली हो चुकी थी. जिससे मेरी लाल ब्रा काफ़ी हद तक गीली हो चुकी थी. इससे मुझे काफ़ी बुरा फील हो रहा था क्योंकि क्लास में बैठे लड़के और मेरे वो हरामी टीचर, पढ़ने के बहाने मुझे देख रहे थे. उन लड़कों को देख कर मैं भी शर्म से लाल हो चुकी थी.
वो दिन मुझे अच्छी तरह से याद है. किसी भी सवाल को पूछने के लिए सर बार-बार मुझे ही खड़ा कर रहे थे और मैं शर्म की वजह से किसी भी सवाल का उत्तर नहीं दे पा रही थी. पर कुछ देर बाद उनका पीरियड ख़त्म हो गया और नेक्स्ट पीरियड के बाद छुट्टी हो गई.. तब मुझे कुछ राहत मिली.
फिर कुछ दिनों तक स्कूल नॉर्मली चलता रहा और मैं भी उस घटना को भूल चुकी थी. कुछ दिनों के बाद एग्जाम स्टार्ट हो गए. मेरे दो एग्जाम हो चुके थे, मेरे वो दोनों एग्जाम काफ़ी अच्छे गए थे लेकिन अगला एग्जाम ईको का होना था, जिसमें मैं इतनी अच्छी नहीं थी.
उस एग्जाम में मुन्नालाल सर (मेरे ईको के टीचर) की ड्यूटी लग गई और जब सर सभी स्टूडेंट्स की चैकिंग कर रहे थे तो वे मेरे पास आए और मेरी चैकिंग करने लगे. वो मुझे काफ़ी अजीब तरह से चैक कर रहे थे, वो कभी मेरी गांड पे हाथ लगाते तो कभी मम्मों को छूने की कोशिश करते.
उन्होंने मुझे ऐसे ही करीब एक मिनट से चैक किया. ये सब मुझे वैसे तो बहुत बुरा लग रहा था, लेकिन अन्दर से मजा भी आ रहा था. तभी मेरी फ्रेंड अवि ने ये देखा और मुझे बचाने के लिए उनका ध्यान नीचे पड़े काग़ज़ की तरफ कर दिया- सर देखिए ये क्या पड़ा है?
तो उन्होंने मुझे बैठने को कहा और मैं अपनी सीट पर जा कर बैठ गई.
मैंने अपनी फ्रेंड को थैंक्स कहा, पर मैं इस बात को भूल नहीं पा रही थी. कुछ देर बाद एग्जाम स्टार्ट हुआ. मेरी सोच के विपरीत एग्जाम पेपर काफ़ी मुश्किल आया था. मैं ठीक तरह से एग्जाम नहीं कर पाई.
जब एग्जाम छूटा तो सब बाहर निकलने लगे. जब मैं अपने घर जा रही थी, तभी सर ने मुझे अकेला देख कर मेरा हाथ पकड़ा और बोले- तुम्हारा फिगर बहुत अच्छा है.
यह मुझे बर्दाश्त नहीं हुआ और मैं बोली- मुझसे ऐसी बातें मत किया कीजिए, वरना मैं प्रिन्सिपल सर से आपकी कंप्लेंट कर दूँगी.
इस बात पर उन्होंने मेरा हाथ छोड़ दिया और आगे कुछ नहीं कहा.
मैं अपने घर आ गई. मैं घर जाकर काफ़ी परेशान सी रही. ये देख कर मेरी मम्मी ने मुझसे पूछा- क्या हुआ मेरी बेटी?
मैंने उन्हें शर्माते हुए कहा- मुन्नालाल सर बहुत गंदे हैं, उन्होंने मेरे साथ आज ये सब किया.
और मैंने स्कूल में हुआ सारा मामला मम्मी को बता दिया.
मेरी माँ ने मुझे पुचकारते हुए कहा- मत रो मेरी बहादुर बेटी.. मैं कल तेरे साथ उस मुन्ना के घर चलूंगी.
मेरी माँ ने मुझे हाथ मुँह धोने को कहा और मुझे खाना परोसा.
फिर अगले दिन करीब 11 बजे हम दोनों सर के घर गए.
सर हमें देख कर हैरान रह गए. उन्हें लगा कि मैंने उनकी सारी हरकतें अपनी माँ को बता दी हैं.
उन्होंने हमें अन्दर आने कहा तो हम दोनों उनके घर में अन्दर गए. उनकी वाइफ ने हमें पानी लाकर दिया. फिर मेरी माँ ने उन्हें कहा- सर आप स्कूल की लड़कियों के साथ ये कैसी हरकतें करते हो?
मेरी माँ ने उन्हें खूब सुनाईं, इस बात से सर का चहरा नीचे हो गया और उनकी वाइफ ने भी ये सब सुन लिया था.
इसके बाद मैं और मेरी मम्मी घर आ गए. फिर जब कुछ दिनों के बाद जब लास्ट एग्जाम था तो मैं एग्जाम देने थोड़ी देर से पहुँची, एग्जाम ईज़ी था इसलिए ज्यादातर छात्र एग्जाम दे कर जा चुके थे. लेकिन मैं लेट आने की वजह से थोड़ा देर से एग्जाम पूरा दे पाई. मैं क्लास में अकेली रही गई थी. कुछ देर बाद जब मैं एग्जाम देकर घर आने लगी, तभी मुन्नालाल सर कहने लगे कि तुम्हारा ईको का एग्जाम बहुत बुरा हुआ है और तुम ईको में फेल हो.
मैं थोड़ा घबरा गई और मेरी आँखों में थोड़े आँसू भी आ गए.
सर ये देख कर बोले- तुम परेशान मत हो.. तुम कल मेरे घर बिना किसी को बताए आना.
मैंने पूछा- मैं बिना किसी को बताए क्यों आऊं?
सर ने कहा कि तुम अगर अपनी माँ को बताओगी तो वो तुम्हें आने नहीं देंगी और अगर तुम नहीं आओगी तुम्हारा काम 35 हो जाएगा.
मैंने पूछा- सर ये काम 35 मलतब क्या हुआ?
सर- मतलब तुम फेल हो जाओगी.
मैंने कहा- ओके सर..
इसके बाद मैं घर आ गई और इस बारे में सोचने लगी कि सर ने मुझे अपने घर क्यों बुलाया होगा. मुझे कुछ कुछ होने भी लगा कि ज्यादा से ज्यादा क्या करेंगे. कुछ छुएंगे या किस वगैरह लेंगे.
फिर जब अगले दिन जब मैं सर के घर किसी बहाने से जाने लगी तो माँ ने मुझसे पूछा- किधर जा रही हो?
मैंने माँ से कहा कि मैं अवि के घर जा रही हूँ और 2-3 घंटे में आऊंगी.
आज मेरे मन में भी पाप था. उस दिन मैंने वाइट टॉप और नीचे थोड़ी नीचे तक लंबी वाली ब्लैक स्कर्ट पहन रखी थी.
जब मैं सर के घर गई तो मुन्नालाल सर ने गेट खोला. उन्होंने मुझे देखा और बोला- आज तुम बहुत माल (खूबसूरत) लग रही हो.
मैंने जबरन हंसते हुए नमस्ते कहा और अन्दर आ गई.
फिर उन्होंने मुझे सोफे पे बैठने को कहा और पानी ला कर दिया. मैंने पूछा कि सर आंटी (सर की वाइफ) दिखाई नहीं दे रही हैं?
सर ने कहा- वो 2-3 दिनों के लिए अपने मायके गई हैं. आज घर में बस मैं और तुम ही हो.
यह सुन कर मैं थोड़ा घबरा गई, मैंने सर से पूछा- आपने मुझे क्यों बुलाया है?
उन्होंने कहा- मैं तुम्हें पास तो कर दूँगा लेकिन मुझे भी कुछ चाहिए.
उनकी इस बात मुझे और घबराहट होने लगी. मैंने कहा- सर आप क्या चाहते हो?
उन्होंने कहा कि अब तुम इतनी मासूम भी नहीं हो जो मेरी बातें समझ ना सको. तुम भरपूर जवान हो गई हो और तुम समझ सकती हो कि मेरा इशारा क्या है.
ये बातें सुन कर मेरा पसीना छूटने लगा. मैं तो सोच रही थी कि ऊपर से ही कुछ होगा.. पर इधर तो काम 35 होने का मतलब कुछ और ही दिखाई दे रहा है.
मैंने कहा- सर मैं कुछ ऐसा वैसा नहीं करूँगी.
तो वो कहने लगे- ठीक है, तो तुम फेल हो जाओगी.
वे मेरे पास आकर बैठ गए और मुझे समझाने लगे और कहने लगे कि तुम अच्छी पढ़ने वाली लड़की हो, अगर तुम फेल हो जाओगी तो तुम्हारा भविष्य भी खराब हो जाएगा.
ये सब सुनकर मेरी आँखें झुकी रहीं.
सर समझ गए कि मैं अब उनके जाल में फंस चुकी हूँ. वे अपने हाथ से मेरे हाथ को छूते हुए मेरे गले तक आए और धीरे धीरे वो मेरे सीने पर हाथ लगाने लगे.
मैंने पहले 2-3 बार उनका हाथ हटा दिया. वो फिर से मुझे समझाने लगे कि तुम अपने भविष्य की चिंता करो.. जवान शरीर का क्या है.. आज नहीं तो कल किसी न किसी से रौंदी ही जाओगी. तुम समझदार हो सब जानती हो कि एकाध बार ये सब करवा लेने से कुछ फर्क नहीं पड़ता है.
उनके हाथ मेरे शरीर पर लगातार चल रहे थे.. जिससे मुझे भी कुछ कुछ होने लगा.
तभी उन्होंने मुझे अपनी तरफ घुमाया और मेरे होंठों पर अपने होंठ रख दिए. शुरू में तो मुझे भी खराब सा लगा, पर न जाने क्या हुआ कि मेरा मन भी वासना से भर गया.
मैंने समर्पण कर दिया और सर ने मुझे सोफे पर ही लिटा दिया.
उनके हाथ मेरे मम्मों को मसलने लगे और मुझे नीचे अपनी चुत पर उनका कड़क लंड चुभने लगा. तभी सर ने मेरी शर्ट को हटा दिया और अपने कपड़े भी उतार दिए. अगले कुछ मिनट में ही हम दोनों एकदम नंगे हो चुके थे.
अब मुझे सर का सानिध्य मजा देने लगा था, मैंने भी सर को चूमना शुरू कर दिया. सर ने नीचे होते हुए मेरी चुत को अपनी जीभ से चाटना शुरू कर दिया. उनकी जीभ ने बुर में आग लगा दी और मैं बिन जल मछली से तड़फ उठी.
मैंने कहा- सर अब मुझसे रहा नहीं जा रहा है.. जल्दी से कुछ कीजिएगा.
सर ने मुझे अपनी गोद में उठाया और अपने बेडरूम में ले गए.
उन्होंने मुझे बिस्तर पर चित्त लिटाया और मेरे ऊपर चढ़ गए. अब उन्होंने मिशनरी पोजीशन में आकर मेरी टांगों को फैलाया और मेरी बुर पर अपना मोटा लंड टिका दिया. लंड की गर्मी से मुझे और आग सी लगने लगी. मैं जल्दी से सर के लंड को अपनी चुत में ले लेना चाहती थी.
सर ने मेरे होंठों को अपने होंठों से दबाया और लंड को धक्का दे दिया. लंड अन्दर क्या घुसा, मेरी चुत चिरने सी लगी. मेरी चीख निकलने को हुई, पर सर का मुँह मेरे मुँह पर ढक्कन जैसा लगा हुआ था.
सर ने पूरी बेदर्दी से अपना लौड़ा मेरी नन्हीं सी बुर में पूरा पेल दिया. मेरी आँखें आंसुओं से भर उठीं और मैं बेहोश सी होने लगी.
सर अपना पूरा लंड घुसेड़ने के बाद रुक गए और मेरे मम्मों को सहलाने लगे.
कुछ देर बाद मुझे दर्द कम होता हुआ सा लगा और चुत में एक मीठी सी चुभन सी होने लगी. मैंने अपनी गांड को मटकाना शुरू किया तो सर समझ गए और उन्होंने मेरी चुत चोदना शुरू कर दी. कुछ ही देर में चुदाई का मीठा मजा मुझे आनन्द देने लगा. करीब बीस मिनट बाद मेरे शरीर में ऐंठन सी होने लगी और मैं एकदम से शिथिल सी हो गई.
सर अब भी मेरी चुत में लंड ठोके जा रहे थे. शायद उन्होंने समझ लिया था कि मैं झड़ चुकी हूँ तो उन्होंने भी जोर जोर से ठापें लगाना शुरू कर दीं और मेरी चुत में ही अपने लंड का लावा उगल दिया.
सर झड़ जाने के बाद मेरे ऊपर ही ढेर हो गए और मैंने भी उनको अपनी बांहों में समेट लिया.
कुछ देर बाद सर ने मुझे बाथरूम में ले जाकर मुझे साफ़ किया, मुझे खून भी निकला था. सर ने मुझे एक दर्द निवारक गोली दी और एक आईपिल भी दे दी.
इसके बाद मैं घर आ गई. जब रिजल्ट आया तो मैं ईको में पास हो गई थी.
अगर मेरी इस स्टोरी को अच्छा रिस्पॉन्स मिलेगा तो मैं इस स्टोरी का सेकेंड पार्ट भी पोस्ट करूँगी कि जब एक बार चुत चुद जाती है तो क्या होता है.
मेरी चुत चुदाई की कहानी पर आपके कमेंट्स का मुझे इन्तजार रहेगा.
रश्मि राय
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