ट्रेन में मिली चुदासी चुत को उसके घर में चोदा
नमस्कार दोस्तो, मैं कृष्णा, बिहार सीतामढ़ी से आपके सामने हूँ. मैं आप सभी के सामने अपनी एक सच्ची कहानी लेकर हाज़िर हूँ. सबसे पहले मैं आपको अपने बारे में बता दूँ. मेरी उम्र 22 वर्ष, हाइट 6 फिट और रंग सांवला है. जिम करने से मेरा बदन काफी मजबूत हो गया है और बाकी सब सामान औसत है.
मैं सामाजिक टाइप का आदमी हूँ और लोक लाज के चलते इच्छा होते हुए भी किसी को जल्दी लाइन नहीं मार पाता हूँ, लेकिन किसी लड़की या आंटी को भोगने की इच्छा हमेशा मेरे मन में मचलती रहती है.
ये कहानी बस दो साल पहले की है, जब मैं कॉलेज के लिए रोजाना मुज़फ़्फ़रपुर से सीतामढ़ी ट्रेन से आना जाना करता था. मैं एक दिन कॉलेज से जल्दी स्टेशन पहुँच कर ट्रेन में बैठ गया और आदतन खिड़की साइड की सीट पर बैठ कर बगल में अपना बैग रखकर एक सीट एक्सट्रा काबू कर ली, ताकि कोई हसीना सीट नहीं मिलने पर आए, तो उसे यह सीट देकर पूरे सफ़र में आंखों की सिकाई कर लूँ.
ट्रेन जब छूटने पर हुई, तब मैं निराश हो गया और अपना ध्यान ट्रेन की खिड़की से बाहर की ओर लगा दिया.
तभी मेरे कानों में एक खनकती हुई आवाज़ आई- यह सीट खाली है क्या?
मैंने आवाज़ की तरफ देखा तो पाया कि वह एक खूबसूरत महिला थी, जिसकी उम्र चालीस के आसपास रही होगी. उसने साड़ी ब्लाउज पहन रखा था और उसके ऊपर काले रंग की चादर ओढ़ रखी थी. उसके बाल करीने से बँधे थे और उसने हल्की लिपस्टिक लगा रखी थी.
उसे देखते ही मैं उसे भोगने के ख्याल में खो गया.
जब उसने दुबारा पूछा तो मैंने हल्की मुस्कुराहट से उसे हां कहा और अपना बैग उठाकर अपनी गोद में रख लिया. वो मेरे बगल में बैठ गयी. उसके बैठते ही मुझे अहसास हुआ कि उसने बेहद हल्की लेकिन बेहद अच्छी किस्म की कोई पर्फ्यूम लगा रखी थी, जिसकी खुशबू मुझे पल पल मदहोश बना रही थी.
उससे बातचीत शुरू होने पर पता चला कि वह मेरे शहर सीतामढ़ी की रहने वाली है और उसका नाम मीना है. वह मुज़फ़्फ़रपुर अपने पति के साथ चल रहे तलाक़ वाले मुक़दमे के सिलसिले में अक्सर आती जाती रहती है.
यह सुनकर मैं खुश हो गया कि चिड़िया फंस सकती है. बस माल मिलने की उम्मीद में मेरे पैंट में तंबू बनना शुरू हो गया, लेकिन मैं कोई भी पहल करने से डर रहा था.
उससे बातचीत के दौरान मैंने उससे साथ सहानुभूति जताई और कहा कि आपका पति नादान है, जो आप जैसी खूबसूरत बीबी से तलाक़ चाहता है. कोई और होता तो आपको सात जन्मों तक नहीं छोड़ने की सोचता.
मेरी इस बात पर वो मुस्कुराई और बोली- आपका ख्याल अच्छा है. आपकी बीवी किस्मत वाली होगी.
बात के दौरान मैं उसकी अन्दर की जिस्मानी प्यास को समझ चुका था और मैं पहल करने की हिम्मत जुटा रहा था. मैंने नींद का बहाने सिर खिड़की पर टिका दिया और थोड़ी देर बाद अपना एक हाथ मीना की जांघों पर रखा, तो उसने मुझे अज़ीब सी नज़रों से देखा. लेकिन शायद उसने मुझे नींद में समझकर कुछ नहीं कहा. इससे मेरी हिम्मत और बढ़ गई और मैं अपने हाथों को उसकी जांघों पर फिराने लगा.
थोड़ी देर हाथ फिराने पर उसने अपने चादर से मेरे हाथ को ढक दिया. उसकी इस हरकत से मेरे मन में लड्डू फूटने लगे. मैंने सोचा कि आज एक हसीन जिस्म भोगने को मिलेगा. उसने अपनी जाँघों को फैला सा दिया था, जिससे मुझे उसकी चूत पर हाथ फेरने में आसानी हो रही थी. तभी मैंने उसके हाथ को अपने हाथ पर महसूस किया. मैंने मैं एक पल के लिए थम गया. लेकिन मेरे हाथ रुकते ही उसके हाथ ने मुझे उसकी चूत पर लगातार फिराते रहने की कसक दिखाई और मेरा हाथ फिर से उसकी चूत की दरार में रेंगने लगा. उसकी चूत ने रस छोड़ना शुरू कर दिया था, जिससे उसका वो इलाका गीला होने लगा था.
अब मेरे हाथ धीरे धीरे तेज़ चलते हुए कपड़ों के ऊपर से ही मीना के दोनों जांघों के बीच मौज़ूद उसके यौवन द्वार की ओर बढ़ रहे थे. साथ ही मैंने भी महसूस किया कि मीना मुझसे चिपक रही है. मैंने नींद का बहाना छोड़ उसकी ओर देखा, तो पाया कि उसकी आंखें लाल और अधखुली वासना की वजह से हो रही हैं.. और वो तेज़ सांसों के साथ मेरी ओर देख रही थी.
मैंने साड़ी के ऊपर से ही उसके यौवन द्वार को सहलाना जारी रखा, साथ ही उसके मुकुट यानि क्लिट को छेड़ने लगा.
थोड़ी देर बाद मीना के हाथों को मैंने अपने पैंट के ऊपर फिरते हुए महसूस किया, तो मैंने समझदारी दिखाते हुए अपनी पेंट की चैन खोलकर अपने लंड को, जो कि बाहर निकलने को बेताब था, बाहर निकाल दिया. मीना ने अपनी चादर को मेरी पेंट पर फैला दी. जिससे मेरा लंड उस चादर की छाँव में मस्त होने लगा था.
लंड को परदे में करते ही मीना उसे अपने हाथों में लेकर उसका टोपा ऊपर नीचे करने लगी और मैं ज़न्नत में पहुंचने लगा. उधर मीना की क्लिट पर मेरा हाथ तेज़ से तेज़ होने लगा.
अचानक मीना के बदन में कंपन होने लगा और वो ज़ोर से मेरे लंड को पकड़ कर निढाल हो गयी.
आंखों के इशारों में उसने बताया कि उसका काम हो गया. लेकिन मेरा अभी नहीं हुआ था. मैंने उससे कहा तो वो बोली कि यहां इससे ज़्यादा नहीं हो सकता. फिर किसी दिन हम मिलेंगे.
हम लोगों ने अपने मोबाइल नंबर एक्सचेंज किए. कुछ देर बाद सीतामढ़ी आ गया, तो हम दोनों उतर अपने अपने घर चले गए.
कुछ दिनों तक उससे बातें होती रहीं और हम लोग फोन सेक्स करते रहे. मिलने की बात पर वह कहती कि मैं तुम्हें खुद एक दिन मिलूंगी.
ऐसे ही कुछ दिन बीतने के बाद उसका कॉल आया कि आज मेरे घर पर सभी लोग शादी में गए हैं, दो दिन बाद लौटेंगे. तुम आज रात 9 बज़े मेरे घर पर पहुँच जाओ.
मैं तय समय पर उसके घर पहुँचा और दरवाजे की बेल बजाई. मीना ने दरवाजा खोला. मैंने उसे देखा तो देखता ही रह गया. उसने झीनी सी नाइटी पहन रखी थी, जिसमें से उसका मादक बदन कयामत बरपा रहा था. उसने मेरा हाथ पकड़कर मुझे अन्दर खींच लिया और दरवाजा बंद करते ही मेरे ऊपर भूखी शेरनी की तरह टूट पड़ी.
हम दोनों एक दूसरे को लिप किस कर रहे थे, साथ ही मेरे हाथ मीना के बदन पर जगह जगह फिसल रहे थे. वो मुझे सीधे अपने बेडरूम में लेकर गयी और एक झटके में उसने अपनी झीनी नाइटी उतार फेंकी. तब जाकर पहली बार मुझे मीना के जवानी के पर्वत चोटियों के दर्शन हुए. वे दूध समान उजले और रूई की तरह मुलायम थे. उसने अपना फिगर काफ़ी अच्छे से संवारा हुआ था.
मीना ने मुझे बेड पर पटक दिया और सीधे मेरे कपड़े उतारने लगी. अगले ही पल मैं जन्मजात अवस्था में पहुंच गया.
मीना ने मुझे अपनी बांहों में भर लिया और कहा- उस दिन ट्रेन में तुमने जो आग मेरे जिस्म में लगाई थी, आज़ उसे तुम ठंडी करो.
वो पागलों की तरह मेरे जिस्म के हर हिस्से पर चुंबन की बरसात करने लगी.
उसके द्वारा की जाने वाली चुंबन के बरसात से मेरे तन में वासना की आग ज़ल उठी और मेरा लंड इस्पात की तरह कठोर होता चला गया.
अब मेरी बारी थी. मैंने मीना को अपने आगोश में इतनी कस कर पकड़ा कि मुझे उसकी हड्डियां चटकती हुई महसूस हुईं. उसको जकड़ कर मैंने अपने होंठ उसके निप्पल पर लगा उसके दूध को ज़ोर ज़ोर से चूसने लगा. साथ ही अपने एक हाथ से उसकी चूत में फिंगरिंग करने लगा.
कुछ देर में मीना अचानक मुझे नीचे पटककर मेरा लंड अपने मुँह में ले लिया और उसे अपनी जीभ से चुभलाने लगी. लंड पर मीना की जीभ का अहसास पाते ही मैं अपने आपको हवा में उड़ता हुआ पाने लगा.
कुछ देर के मुख मैथुन के बाद मैंने मीना को मिशनरी पोज़िशन में लिटाया और गौर से उसकी यौवन की घाटी को देखा. बिल्कुल क्लीन शेव्ड और फूली हुई थी, अब मैं उसकी यौवन की घाटी में प्रवेश करना चाहता था.
मैंने अपना सुपारा मीना की यौवन की घाटी के मुहाने पर रखा और आदतन पूरी ताक़त से ज़ोरदार धक्का लगा दिया. मेरी चोट से मीना की एक जोरदार चीख उस कमरे में गूँज गयी ‘उम्म्ह… अहह… हय… याह…’
वो कराहते हुए बोली- आराम से डालो जान.. मैं पूरी रात तुम्हारी ही हूँ.
मैंने धीरे धीरे अपना लंड बाहर निकाला और हल्के हल्के धक्के लगाते हुए अपनी कमर चलाता रहा. थोड़ी देर में मीना अपनी पिछवाड़ा ऊपर की तरफ उछालने लगी और एक ज़ोरदार प्यार की जंग उस कमरे में छिड़ गयी. अब पूरा कमरा, मीना की आनन्दमयी सीत्कारें और मेरे शॉट की आवाजों से गूँज़ रहा था.
लगभग बीस मिनट की ज़ोरदार प्यार की जंग के बाद मीना एक ज़ोरदार चीख के साथ झड़ गयी, पर मुझमें अभी भी जान बाकी थी और मैं लगातार धक्के लगा रहा था. वो भी मेरा साथ दे रही थी. पाँच मिनट के बाद मेरे अन्दर का ज्वालामुखी फट पड़ा और ढेर सारा लावा उसमें से निकलकर मीना के अन्दर समा गया, जिस पर तुरंत मीना ने अपनी शबनमी बूँदों की बरसात कर दी और हम दोनों इसी तरह दस मिनट तक एक दूसरे से चिपके रहे.
उस रात हम दोनों ने जी भरकर सात बार प्यार का खेल खेला और आज तक जब भी मौका मिलता है, खेल लेते हैं.
अब मीना को उसकी पति की याद नहीं सताती है और मैं भी उसे पाकर खुश हूँ.
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