तीन बुड्डों ने मेरी चूत की सील तोड़ी-3
Teen Buddon Ne Meri Seal Todi-3
मैंने कहा- दादाजी.. आप लोग बेवजह परेशान हो रहे हैं.. मैं सो जाऊँगी।
वो बोले- नहीं निकी.. तुम चुपचाप लेटो.. बाम वगैरह कुछ है?
तभी उन्हें वहीं सरसों का तेल दिख गया।
दादा जी बोले- तुम लेटो और सोने की कोशिश करो.. हम तुम्हारे सर में.. पैरों के तलवों में ये तेल लगा देते हैं.. सर भी ठीक हो जाएगा…
मैं जरा संकोच कर रही थी.. तभी जो दूसरे अंकल थे.. उन्होंने मुझे पकड़ा और बिस्तर पर लिटा दिया और बोले- तुमने कहा था.. तुम हमारी बात मानोगी…
मैं सीधे लेट गई। मैंने टी-शर्ट और लोवर पहना हुआ था। जब मैं सीधे लेटी तो मेरा पेट पूरा खुल गया।
तीन बुड्डों ने मेरी चूत की सील तोड़ी-1
तीन बुड्डों ने मेरी चूत की सील तोड़ी-2
तभी जॉन्सन अंकल बोले- जरा मुझे भी तेल दे दो.. मैं पेट में लगा दूँगा.. तो जल्दी आराम मिलेगा।
दादा जी बोले- अब निकी तुम आँखें बंद कर लो और अब आंख खोलना नहीं.. जब तक सो ना जाओ.. और मेरी बात ना काटना.. प्रोमिस..!
मैंने कहा- ओके अंकल.. मैं आँख नहीं खोलूँगी.. प्रोमिस.. पर आप लोग परेशान मत होइए…
तो वो बोले- जब हम जान जाएँगे तुम सो गई हो.. तब हम चले जाएँगे.. ये हमारा प्रोमिस है.. और अब जान लो कि वो तुम्हारी पार्क की बात राज ही रहेगी.. कभी किसी को पता नहीं चलेगी। हमारे मरने के बाद भी किसी को पता नहीं चलेगी।
मैं बहुत खुश हुई और सबको ‘थैंक्स’ बोल कर बोली- आप लोग कितने अच्छे हैं।
मैंने अपनी आँखें बंद कर लीं.. तभी तेल लेकर अंकल मेरे एक तलवे में लगाने लगे.. दादा जी सिर में और जॉन्सन अंकल मेरे पेट में तेल से मसाज कर रहे थे।
मुझे वे मुझे जब तलवों में या पेट में सहला रहे थे.. तो मुझे बहुत अच्छा लग रहा था। उधर साथ ही कुछ नशा सा शुरू हो गया था.. तो सब ठीक लग रहा था।
इतने में जॉन्सन अंकल ने मेरी नाभि में अपने होंठ रख दिए और चूमने लगे.. और साथ ही एक हाथ मेरे लोवर में पेट के नीचे से डालने लगे.. तो दादा जी ने बोला- पेट के नीचे.. थोड़ा जाँघ के पास भी लगा दो जॉन्सन.. जल्दी आराम मिलेगा और कहते हैं कि छाती में भी ठंडक या मालिश कर दो.. तो आराम होता है।
इतने में दादा जी बोले- निकी बहुत ही प्यारी है.. बेचारी टेन्शन में तीन दिन से न सोई है.. न ही कुछ खाया है.. जॉन्सन तुम आराम से हाथ डाल कर अच्छे से रानों में मालिश कर दो.. मैं सीने में मालिश कर दूँगा।
तभी जॉन्सन अंकल मेरे पेट में नाभि में अपने हाथ ज़ोर-ज़ोर से चलाते रहे।
दादाजी मेरे सर में तेल लगा कर चम्पी कर रहे थे.. मुझे बहुत अच्छा लग रहा था.. बड़ा चैन सा लगने लगा था।
वो तीन मर्द थे.. मैं अकेली 18 साल की नई अनछुई लड़की थी.. जिनके सामने में लेटी थी.. मुझे ये ध्यान में ही नहीं आया.. इसकी वजह थी कि वो सब 60 साल के ऊपर के थे।
अब इसके बाद जो हुआ.. वहाँ से मेरा जीवन बदल गया।
तभी दादा जी ने मुझसे पूछा- निकी कैसा लग रहा है तुम्हें.. सच बताओ.. कुछ आराम मिला?
मैंने कहा- हाँ दादा जी बहुत अच्छा लग रहा है.. बहुत आराम सा लग रहा है.. पर आप लोग बहुत परेशान हो रहे हैं।
दादा जी बोले- नहीं.. ये तो हमारा फ़र्ज़ है.. एक बात बोलूँ.. तुम बहुत सुन्दर हो.. बहुत प्यारी दिखती हो.. मैंने अपने बचपन से आज तक इतनी सुन्दर लड़की नहीं देखी…
मैं मुस्करा दी और अपनी आँखें खोल दीं।
तो दादा जी बोले- नहीं.. नहीं.. आँखें बंद करो.. जो बोलना है.. बोल सकती हो.. पर आँखें तो नहीं खोल सकती.. तुम हमसे प्रोमिस कर चुकी हो…
ऐसा कहते हुए दादाजी ने मेरी दोनों आँखें चूम लीं।
मैंने कहा- ओके दादा जी.. अब नहीं खोलूँगी…
फिर दादा जी ने कहा- मन तो करता है निकी.. मैं भी यहीं तुम्हारे साथ सो जाऊँ…
मैं उनका मतलब समझे बिना बोली- तो सो जाइए न दादा जी…
तो वो बोले- नहीं निकी.. तुम बहुत जवान हो.. कुछ हो गया तो?
मैंने बिल्कुल अनजानों की तरह कहा- कुछ नहीं होगा…
‘तो ठीक है फिर.. सच में हम भी बहुत थक गए हैं.. थोड़ा यहीं आराम कर लें.. अभी 5 बजे हैं.. 2-3 घंटे हैं अभी.. जॉन्सन जी.. आप लोगों को भी आराम करना हो तो कर लो.. यहीं सो जाओ.. किसी को जाना हो तो चला जाए… क्यूँ निकी ठीक है ना…’
तो उन दोनों ने कहा- नहीं.. हम भी फ़ुर्सत में ही हैं.. कोई काम नहीं है.. यहीं सो जाते हैं.. डबलबेड है.. बन तो जाएगा ही…
‘फिर चलो आराम कर लो.. कोई तौलिया होगी निकी?’ दादा जी ने पूछा।
‘देख लीजिए.. मैं ढूँढ दूँ क्या?’
बोले- नहीं तुम तो लेटी ही रहो.. आँख मत खोलना.. कोई बात नहीं हम ढूँढ लेंगे।
‘तौलिया नहीं मिल रही.. मैं तो पैंट ही उतार देता हूँ.. कभी पैंट पहन कर नहीं सोया.. आदत नहीं है न…”’दादा जी ने बोला।
मैं बोली- मेरे बाबा भी कभी पैंट पहन कर नहीं सोते…
उन दोनों ने कहा- हम भी ऐसे ही हैं।
दादा जी अपनी शर्ट-पैन्ट दोनों उतार दिए और मेरे बगल से लेट गए.. और मुझे अपने आप से लिपटा सा लिया।
जैसे ही उन्होंने मेरे ऊपर मेरी जाँघों पर अपनी टांग रखी कि तभी मेरी जाँघों में कुछ सख़्त सी चीज़ गड़ी और वो लगातार उस सख्त चीज को मेरी जाँघ में रगड़ रहे थे।
अब जैसे ही मैंने सोचा कि ये क्या चीज है.. वैसे ही मेरे दिमाग़ में आया कि ये तो दादा जी का लण्ड होगा और दादा जी उसे मेरी जाँघ से रगड़ रहे हैं.. और मैं उनके साथ लेटी हूँ।
ये सोचते ही मेरा दिमाग़ सुन्न हो गया.. एकदम से जाम हो गया.. अभी मैं यह सोच ही रही थी कि पीछे मुझसे जॉन्सन अंकल लिपट गए और पीछे मेरी गाण्ड में उनका भी वही सख्त सा लण्ड चुभने लगा।
मैं अब समझ गई और ये सोच कर कि मेरे साथ मैंने एक नहीं तीन मर्दों को सोने के लिए बोल दिया है।
बस फिर जो मेरे अन्दर चलने लगा एक एक सेकेंड जैसे पहाड़ों सा.. इतने में दादा जी ने बगल वाले अंकल को कहा-यार तेल तो देना.. थोड़ा सा निकी के सीने में लगा दूँ।
मैं यह सोच कर ही पसीना-पसीना हो रही थी कि इतने में उन्होंने हाथ में तेल ले भी ले लिया और मेरी टी-शर्ट के गले से अपना हाथ अन्दर डाल दिया।
मेरी उत्तेजना से साँसें बहुत उखड़ने लगीं।
जैसे ही मेरे मम्मों के ऊपरी हिस्से में दादा जी का हाथ गया.. मुझे न जाने क्या हो गया.. और दादा जी मेरी चूचियों की मालिश करते हुए मेरे गालों को चूमने लगे और बोले- तू बहुत मस्त है निकी..
इतने में जॉन्सन अंकल ने मेरा हाथ पकड़ा और सीधे हथेली पर हथेली रख दी और चूमने लगे।
ये सब होने लगा तो अब मैं क्या बोलती मैंने ही तो उन्हें अपने साथ सोने को कहा था।
मुझे उनकी उम्र के अलावा कोई ध्यान कैसे नहीं आया ये गलती मुझसे न जाने कैसे हो गई।
मैं तो ये समझ रही थी कि वे सब मुझे समझाने आए थे.. और सब मेरे बाबा की उम्र के थे। मैं अपने बाबा के साथ कभी भी लिपट जाती.. सो जाती थी… वही मैंने इनके लिए सोचा था।
मैं कैसे इतनी बड़ी ग़लती कर गई कि ये उम्र में तो बूढ़े हैं.. मेरे बाबा की उम्र के भी हैं, तो क्या.. ये हैं.. तो मर्द ही.. और ये मेरे सगे भी कोई नहीं थे।
अब तो कुछ नहीं हो सकता था। सब मेरी गलती थी.. सब मेरी ग़लती थी.. ना पार्क में जैक्सन के साथ चुम्बन करते पकड़ती.. ना ये सब होता। अब तो आगे बस क़यामत ही आने वाली है।
तभी मुझे जॉन्सन अंकल ने हाथ के पंजे की अपनी ऊँगलियों में मेरी ऊँगलियों को फिर से फँसा लिया और उसको सहलाने लगे.. अपने मुँह से चूमने लगे।
तभी उधर दादा जी ने एक हाथ से मेरी टी-शर्ट के गले से अन्दर हाथ डाल कर मेरे सीने की मालिश कर रहे थे। तभी एकाएक उन्होंने सीधे मेरे मम्मों पर हाथ रख दिया और उन्हें बिना ताक़त के अन्दर ब्रा के ऊपर था।
अब मुझसे रहा नहीं जा रहा था और कुछ-कुछ सुरसुरी होने लगी थी.. मैं खुद को बहुत रोक रही थी.. पर मुझे जाने क्या होने लगा।
तभी दादाजी ने ज़ोर से बाँयां वाला मम्मा दबा दिया.. मेरे मुँह से ‘अहह’ निकल गया…
तो दादा जी ने कहा- क्या हुआ निकी?
मैंने जाने कैसे कह दिया- कुछ नहीं…
उसके बाद तो जॉन्सन अंकल और दादा जी तो जैसे खुल ही गए और दादा जी ने ज़ोर-ज़ोर से मेरे मम्मों को दबाना चालू कर दिया.. और मैं ‘अहह.. उहह.. सी..’ की आवाज़ निकालने लगी।
मुझको बहुत गर्मी और न जाने कैसा अजीब सा लग रहा था.. पर मैं उन्हें मना नहीं कर पाई।
तभी जॉन्सन अंकल ने, जो मेरा हाथ पीछे से पकड़े हुए थे.. उन्होंने उसी हाथ को और पीछे ले जाकर मेरे हाथ में सीधा एक बहुत मोटा और लंबी रॉड जैसी चीज़ के ऊपर रख दिया।
वो चीज इतनी गरम थी कि जैसे लोहा तप रहा हो… इतना मोटा कि मेरी मुट्ठी में नहीं आ रहा था। मुझे समझ में आ गया कि यह उनका लण्ड है…
मेरा आपसे निवेदन है कि मेरी कहानी के विषय में जो भी आपके सुविचार हों सिर्फ उन्हीं को लिखिएगा।
मेरी सील टूटने की कहानी जारी है।
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