दशहरा मेले में दमदार देसी लंड के दीदार-2
कहानी का पिछला भाग : दशहरा मेले में दमदार देसी लंड के दीदार-1
दोस्तो, मैं लव शर्मा अपनी सच्ची और मज़ेदार गे सेक्स कहानी का दूसरा भाग लेकर हाज़िर हूँ.
अब तक आपने पढ़ा कि मैं दशहरा मैदान में रावण देखने के लिए गया था, जहाँ पर एक जवान मर्द को देखकर मेरा दिल फिसल गया और मैं उसके बिल्कुल सामने जाकर खड़ा हो गया. उस वक्त वह अपने 6 इंच के मोटे लंड से मोटी धार से मूत रहा था. मुझे अपनी हवस और लंड की प्यास ने पागल कर दिया था.
>साला उसका तो अंदाज़ ही कातिलाना था… हल्की मुस्कान, काली शर्ट की खुली बटन से दिखती फूली मर्दाना छाती और चेहरे पर हल्की दाढ़ी मूँछ उसे पक्का मर्द बना रही थी. और 6 इंच का लटकता लंड… बताओ अब क्या कमी थी उसमें… दिल तो कर रहा था कि उसका एक फोटो खीच लूँ.
हालाँकि वह नया नवेला मर्द था… उम्र होगी करीब 22 साल की… उसकी जवानी नयी थी और फूट फूटकर बाहर आ रही थी और उसकी जवानी के ताजे ताजे कामरस को मैं पीना चाहता था.मेरे मुँह की ज़बरदस्त चुदाई की तैयारी में था. मैं भी काफ़ी खुश था, वह इतनी तैयारी कर रहा था.. तो मुख मैथुन वाली चुदाई भी मस्त होनी थी.
वह तैयार था.. तभी मैंने कहा कि वह अपना शर्ट मेरे सर पर डाल दे, जिससे मुँह चुदाते समय मुझे उसके शर्ट से जिस्म की खुशबू आती रहे.
अब उसने अपने हाथ मेरे पीछे की दीवार पर टिका दिए और मेरी ओर थोड़ा झुक गया, जिससे उसका खीरे जैसा झटके मारता हुआ लंड मेरे होंठों के सामने आ गया.
मैंने ऊपर देखा तो उसके हाथों के बाईसेप अलग ही मज़बूत आकार ले चुके थे, क्योंकि उसने अपना पूरा वजन अपने हाथों पर दे रखा था. उसके हाथ दीवार पर टिके हुए थे और वह अब किसी जिम में लगाये जाने वाले पुश-अप वाली स्थिति में था. मतलब अब उसके हर पुश के साथ उसका लंड मेरे गले तक उतरने वाला था. मैंने उसका लंड जुबान से चाटना शुरू किया ही था कि वह तेज गुस्से में बड़बड़ाने लगा और उसने मेरे गले तक लंड उतार दिया.
अब तो वह मानो हवस के दरिया में डुबकी लगा रहा था. उसने तो मेरे दोनों कान पकड़ लिए थे और ज़ोर ज़ोर से एक के बाद एक झटके दिए जा रहा था.
उसके हर झटके में लंड मेरे गले तक जा रहा था.. पीछे दीवार थी और आगे लंड के ज़ोरदार धक्के लग रहे थे. मेरे लिए बचने की कोई जगह नहीं थी. सर पर पड़ा हुआ पसीने से सना शर्ट सरकते हुए नाक तक आने लगा था, जिससे उस जवान मर्द के बदन की मस्त महक आ रही थी. इससे उसके लिए मेरा प्यार बढ़ता ही जा रहा था.. और आँखें बंद करके उसकी हर खूबसूरती की कल्पना कर रहा था.. जिससे मुझे उसके झटके सहन करने की ताकत मिल रही थी.
मैंने अपने हाथ ऊपर उठाए और उसकी मज़बूत भुजाओं (डोलों) को पकड़ लिया और उसकी फूली हुई मर्दाना छाती पर भी हाथ फ़ेरने लगा, जिससे वह और भी जोश में आ गया और उसके झटके काफ़ी तेज हो गए. मुझे सब कुछ मिल चुका था.. मैं बस इसी पल में ठहर जाना चाहता था. वह मादक खुशबू, ऐसा जिस्म, मूसल लंड.. यह मुझे पता नहीं कब मिलेगा, यही सोचते हुए मैं उसकी ताबड़तोड़ मुखचुदाई का आनन्द ले रहा था.
तभी उसने एक ज़ोर की आह भरी और अपना पूरा वजन मेरे मुँह पर देते हुए लंड गले के टाँसिल तक घुसा दिया. इसी के साथ एक गर्म पिचकारी की धार ने मेरा गला भर दिया. उसके लंड की धार बहुत तेज थी, जिससे आधा वीर्य अपने आप पेट में चला गया. मैंने लंड मुँह से निकाला और गरमागरम कामरस को मैं स्वाद लेते हुए पी गया.. सच में काफ़ी टेस्टी माल था. मैंने उसके लंड को जुबान से साफ़ किया.. वह निढाल हो गया और गिरने लगा. मैंने उसे पकड़ा और खुद खड़े होकर उसी पत्थर पर उसे बिठा दिया. इसके बाद उसके कसरती जिस्म की थोड़ी मालिश की.
काफ़ी समय हो चुका था इसलिए वह खड़ा हो गया. मैंने उसे शर्ट पहनाई और आखिरी बटन लगाने से पहले उसकी मर्दाना छाती पर एक किस की और हम वहाँ से बाहर निकल आए.
अच्छी बात यह थी कि रावण अभी जला नहीं था. हमने साथ में रावण देखा, जहाँ मैं रावण को कम और उसे ज्यादा देख रहा था और बेझिझक होकर उसके जिस्म की खुशबू भी ले रहा था. इसके बाद मैंने उसका मोबाइल नंबर लिया और हम दोनों अपने अपने रास्ते चल दिए.
जब वह भीड़ में था, तब मैंने उसका एक फोटो भी खींच लिया था. अब जब भी उस फोटो को देखता हूँ तो उसका वह सेक्सी देसी अंदाज़ मुझे खुश कर देता है.. साला.. था तो फाड़ू लौन्डा यार!
तो आपने मेरी सच्ची गे सेक्स कहानी जानी.. आप अपनी प्रतिक्रियाएं मुझे इस मेल आईडी पर अवश्य भेजें, जो मुझे नई कहानियों के लिए प्रेरित करती रहें.
आपका लव.
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