दीदी का सेक्सी जिस्म और हमारी कामुकता-2
इस भाई बहन की चुदाई की कहानी के पिछले भाग
दीदी का सेक्सी जिस्म और हमारी कामुकता-1
में आपने पढ़ा था कि दीदी ने फोन पर जीजा जी से बात की और उदास हो गईं.
अब आगे..
दीदी बोलीं- कुछ नहीं.. चल जरा बाजार तक हो कर आते हैं.
मैं उनके साथ चल दिया.
दीदी ने अपने लिए ब्रा-पेंटी का एक सैट खरीदा जो कि पर्पल कलर का था.
उन्होंने मुझसे पूछा- कैसा लग रहा है?
“अच्छा है ले लो.”
घर आने के बाद मैंने कहा- दीदी वो ब्रा पेंटी पहन कर दिखाओ ना अभी.
दीदी ने गुस्से भरी नज़र से मुझे देखा और कहा- तू फिर से शुरू हो गया?
मैं कुछ नहीं बोला और कमरे में जाकर सो गया.
कुछ देर बाद उठा तो मैंने देखा कि घर में सजावट हो रही थी.
मैंने दीदी को छेड़ा तो दीदी ने कहा- अभी कुछ मत कर.
मैं- ठीक है दीदी, लेकिन एक बात तो बताओ ये आपने घर को फूलों से क्यों सजाया है?
दीदी- वो तुझे कल पता चल जाएगा. आज दर्जी आने वाला है तू अपना नाप दे देना.
मैंने कहा- ठीक है.. पर क्या बनवाना है?
दीदी बोलीं- वो खुद सब कर लेगा तू बस नाप दे देना. बाकी कल बात करूँगी.
मैंने कहा- ठीक है, अब इतने दिन इंतज़ार कर लिया है तो एक दिन और सही.
मैं घूमने निकल गया बाद में घर आया तो दीदी के साथ खाना खाया और सो गए.
सुबह जब मैं उठा तो दीदी घर में झाड़ू लगा रही थीं. दीदी ने ढीली सी टी-शर्ट पहन रखी थी और नीचे एक शॉर्ट पहना हुआ था. दीदी झाड़ू लगा रही थीं. उनके मम्मे मुझे दिख रहे थे, तो मेरा लंड एकदम से तम्बू बन गया.
मैं तुरंत ही बाथरूम में भागा और मुठ मारने लगा. फिर नहा कर बाहर आ गया. अब मैं टीवी देख रहा था.
फिर शाम को जो दर्जी मेरा साइज़ ले गया था, वो आया और उसने दीदी को एक शेरवानी दी. वो दर्जी के साथ एक पंडित भी आया था. मैं कुछ नहीं समझा.
दीदी ने पंडित जी को बिठाया, मैंने देखा कि पंडित के पास काफ़ी सारा सामान था.
दीदी ने मुझसे बोला- जा जाकर नहा कर ये शेरवानी पहन ले.
मैंने बोला- क्यों दीदी?
दीदी ने बोला- सवाल मत कर, जल्दी से जा.
मैं बाथरूम में जाकर नहा के वापस आपने रूम में आ गया और सोचने लगा कि आख़िर ये सब मेरे साथ हो क्या रहा है?
मैंने शेरवानी पहन ली और अच्छे से तैयार हो गया. थोड़ी देर बाद दीदी मेरे कमरे में आईं. मैं दीदी को देखकर एकदम से चौंक गया. दीदी ने अपनी शादी का जोड़ा पहना हुआ था और काफ़ी सारे गहने भी पहने थे.
उन्हें देखकर ऐसा लग रहा था कि आज उनकी शादी हो.
मैंने दीदी की शादी के वक़्त दीदी को इस रूप में देखा था. दीदी इस वक्त कोई परी से कम नहीं लग रही थीं.
मैं तो दीदी को देखता ही रह गया. दीदी मेरे पास आईं और मेरे माथे पर किस करके बोलीं- सागर मैं तुमसे बहुत प्यार करती हूँ. मुझे तुम्हारा लंड बहुत ही अच्छा लगता है. मैंने जब पहली बार तुम्हारा लंड देखा था, तभी मुझे तुम्हारा लंड भा गया था. मैं तुमसे चुदवाना चाहती थी. लेकिन हम आखिर हैं तो भाई बहन, इसलिए मैंने अपने आप पे कंट्रोल कर लिया. पर अब और नहीं हो सकता, वैसे भी तुम्हारे जीजाजी अब 3-4 महीने के बाद आएँगे, तो मैं कैसे 3-4 महीने में लंड के बिना रह सकती हूँ. इसलिए मैंने सोच लिया है कि मैं तुमसे शादी करूँगी और बाद में हम दोनों भाई बहन पति पत्नी बन कर सुहागरात मनाएंगे.
मैं तो ख़ुशी के मारे पागल हो गया. दीदी बोलीं- लेकिन तू बता, तू मुझसे प्यार करता है न.. और मुझसे शादी करना चाहता है ना?
मैंने तुरंत ही ‘हाँ’ कह दी, फिर क्या था, दीदी ने मुझे गले लगा लिया और वो मेरा हाथ पकड़ कर मेरे बेडरूम से बाहर ले गईं.
मैंने देखा वो पंडित ने सारी तैयारी कर चुका था. फिर हम दोनों वहां पर बैठ गए. पंडित ने मन्त्र पढ़ना स्टार्ट किया.
कुछ देर बाद पंडित ने कहा- एक दूसरे को हार पहनाइए.
हम दोनों ने एक दूसरे को हार पहनाया. इसके बाद मैंने दीदी को मंगलसूत्र पहनाया और फिर आखिर में हमने फेरे लिया. हम दोनों की शादी हो गई.
दीदी ने पंडित जी को 5000 रुपए दिए और पंडित चला गया.
फिर दीदी अपने रूम में गईं.. मैं तो आज एकदम से चकित हो गया था. मैंने कभी सोचा नहीं था कि मैं अपनी सग़ी बहन से शादी करूँगा. लेकिन आज मैं खुश भी बहुत था क्योंकि मेरी बहन जैसी सेक्सी लड़की किसी तो आसानी से नहीं मिलती. दीदी संग चुदाई के बारे में सोचते ही मेरा लंड मेरी शेरवानी की पजामी में ही तम्बू बन गया था.
मैं दीदी में रूम में गया.. तो देखा रूम पूरी तरह से सजाया हुआ था और बेड भी फूलों से सज़ाया हुआ था. मैंने देखा कि दीदी अपने घूँघट में अपने मुँह को छुपाके बैठी थीं. मैंने जाकर दीदी का घूँघट ऊपर उठाया तो दीदी शर्मा गईं. दीदी ने अपना मुँह नीचे कर लिया.
मैंने दीदी की ठोड़ी पकड़ कर ऊपर की और बोला- ओह माय गॉड.. दीदी आप कितनी खूबसूरत लग रही हो.
दीदी ने मेरे होंठों पर अपनी उंगली रख दी और बोलीं- अब दीदी ना बोल.. मैं तेरी पत्नी हूँ. अब से मैं सिर्फ़ तेरी ज्योति हूँ, सिर्फ़ तेरी ज्योति हूँ.. मेरे सागर.
मैं ये सुन कर खुश हो गया. मैंने तुरंत ही दीदी के सारे गहने उतार दिए और दीदी की साड़ी भी उतार दी. दीदी वासना की देवी लग रही थीं. मैंने अपनी शेरवानी निकालनी चाही तो दीदी ने बोला- नहीं, मेरे स्वामी इसे मैं निकालूँगी.
दीदी ने मेरी शेरवानी और पजामी आदि को निकाल दिया. अब मैं सिर्फ़ अंडरवियर में था और दीदी सिर्फ पेटीकोट और ब्लाउज में थीं.
दीदी बोलीं- सागर जल्दी से मुझे इन कपड़ों के जाल में से आज़ाद करो.
मैंने तुरंत ही जोश में आकर दीदी का ब्लाउज फाड़ दिया और उनका पेटीकोट भी एक झटके में ही उतार दिया.
मैंने देखा कि दीदी ने कल जो अपनी पर्पल कलर की ब्रा और अंडरवियर दिखाई थी, वो आज उन्होंने पहनी थी.
मैं दीदी को होंठ पर किस करने लगा, तो दीदी ने भी मुझे रेस्पॉन्स देना शुरू कर दिया. उन्होंने मेरे मुँह में अपनी जीभ डाल दी और जीभ से मेरा मुँह चाटने लगीं.
मैंने भी दीदी की ब्रा और अंडरवियर निकाल दिया.
दीदी ने कहा- तुम अपना लंड निकालो नहीं तो वो तुम्हारी अंडरवियर फाड़ देगा.
मैंने अपना अंडरवियर निकाल कर फेंक दिया.
दीदी मेरा लंड देखकर बोलीं- आज तो तेरा लंड और भी बड़ा और कड़क दिख रहा है.
मैंने दीदी के ऊपर चढ़ कर कहा- मेरे पास इस दुनिया की सबसे खूबसूरत लड़की नंगी लेटी हुई है, तो लंड को तो कड़क होना ही था.
दीदी ने अचानक मुझे अपने ऊपर से उतारा और बोलीं- रुको एक मिनट..
उन्होंने अपनी अलमारी खोल कर अन्दर से एक टेबलेट निकाल कर मुझे दी और बोलीं- इसको खा ले.
मैंने बोला- क्या है ये?
दीदी बोलीं- ये वो गोली है, जिसके खाने से तेरा लंड कल सुबह तक कड़क ही रहेगा.
मैंने जल्दी से वो गोली खा ली. फिर मैंने दीदी को अपनी गोद में उठा कर बिस्तर पर लेटा दिया और जानवरों की तरह दीदी को चाटने चूमने लगा. दीदी के मम्मे अपने मुँह में लेकर काटने लगा तो दीदी ने बोला- आह धीरे करो.. मैं तुम्हारी बीवी हूँ.. मैं कहीं भागी नहीं जा रही हूँ.
पर मैं तो वासना की भूख में पागल सा हो गया था.. तो मैंने कुछ नहीं सुना और बस दीदी के मम्मों को काटता रहा.
फिर मैंने दीदी की चुत को चाटना शुरू किया, तो दीदी ने कहा- मेरे राजा.. सागर.. मेरे पति देव, आज भर के चाट लो मेरी चुत को.. मैं अब सिर्फ़ तेरी हूँ और मैं हमेशा के लिए तेरी ही रहना चाहती हूँ.. अहह.. ओह… आईईई.. ओह राजा.. अब नहीं रहा जाता, जल्दी से डाल दे अपना लंड मेरी चुत में.. आहह..
मैं अभी भी दीदी की चुत चाट रहा था. मैंने फिर अपने लंड का सुपारा दीदी की चुत पर लगाया. दीदी की चुत पहले से ही गीली हो चुकी थी. मेरा सुपारा सट से अन्दर चला गया, लेकिन मेरा लंड था मोटा और दीदी की चुत का मुँह बंद था.
तो जब मैंने अपना पूरा लंड अन्दर घुसाने के लिए धक्का लगाया तो दीदी ज़ोर से चिल्लाईं- ओह सागर मार दिया तूने तो.. अहह.. ओह मम्ममी..
मैंने फिर एक ज़ोर का झटका लगाकर पूरा लंड अन्दर घुसा दिया, तो दीदी की ने मेरी पीठ पर अपने नाखून रगड़ दिए.
दीदी तड़फ कर बोलीं- आह सागर निकाल ले अपना मूसल लंड.. नहीं तो मेरी चुत फट जाएगी..
पर मैं कहा मानने वाला था, मैं थोड़ा रुक गया और दीदी को किस करने लगा. उनके मम्मों को अपने हाथों में ले लिया और फिर एक निप्पल चूसने लगा.
थोड़ी देर बाद दीदी ने बोला- आह.. अब लगा धक्के..
तो मैं शुरू हो गया और दीदी को चोदने लगा.
दीदी ने कहा- आह.. मजा आ रहा है सागर और तेज़ी से चोदो..
मैंने अपनी स्पीड बढ़ा दी.
अब दीदी ज़ोर ज़ोर से चिल्ला रही थीं- ओह.. माय हज़्बेंड फक मी.. अहह.. कहाँ थे तुम इतनी देर से.. आह.. मुझे पूरी ज़िंदगी ऐसे ही चोदते रहना.. मेरे पातिदेव.. ओह माँहह आहह.. क्या लंड है तेरा..
मैं अपना लंड अन्दर बाहर करता हुआ दीदी के मम्मे दबा रहा था. फिर उन्होंने मुझे जकड़ लिया, मुझे लगा कि वो झड़ने वाली हैं.
इधर मैंने गोली खाई हुई थी, तो मैं तो लगातार दीदी को चोदने में लगा रहा. दीदी झड़ गई और कुछ देर बाद फिर चुदवाने लगीं. इस बीच मैंने दीदी की चुत से लंड निकाला ही नहीं था.. बस कुछ पल के लिए रुक कर दीदी की चुत के गर्म रस का मजा अपने लंड को दिलाता रहा.
करीब एक घंटे के बाद मैं बोला- दीदी अब मैं झड़ने वाला हूँ.
दीदी बोलीं- मेरे मुँह में झड़ जाओ.
मैंने झट से अपना लंड निकाल कर दीदी के मुँह में डाल दिया. दीदी मेरा सारा माल पी गईं.. और उन्होंने मेरा लंड चाट चाट के साफ कर दिया.
पर दवा के प्रभाव से मेरा लंड अभी भी कड़क था. तो मैंने दीदी को पीछे मुड़ने के लिए कहा और उनकी गांड पर एक ज़ोर का थप्पड़ लगाया.
तो दीदी ने बोला- सागर, मेरी गांड मारने के बारे में मत सोचना, मैं तुम्हें गांड नहीं मारने दूँगी, तेरे जीजा जी भी मेरी गांड मारना चाहते हैं, पर मैंने उनको भी मना कर दिया.
मैंने बोला- जीजू तो साला गे है, लेकिन मैं एक मर्द हूँ और तू मेरी बीवी है. समझी साली रंडी.. चल आज गांड तो क्या तेरे शरीर के हर एक छेद में अपना लंड पेलूँगा, मैं तेरा पति हूँ, मुझे तू नहीं मना कर सकती मेरी ज्योति डार्लिंग.
वो घबरा गईं..
तो मैंने बोला- शुरू शुरू में दर्द होगा, पर बाद में अच्छा लगेगा.
दीदी ने बोला- सागर एक तो तेरा लंड ही इतना बड़ा है कि मेरी चुत में अभी दर्द हो रहा है और तू मेरी गांड में भी घुसाना चाहता है. मैं मर जाऊंगी.
मैंने बोला- अरे मेरी प्यारी दीदी ज्योति, माय डार्लिंग.. कुछ नहीं होगा.
मेरे मनाने पर वो मान गईं. मैंने उनकी गांड के छेद पर बहुत सारा तेल लगाया साथ ही अपने लंड पर भी लगा लिया. फिर मैंने उन्हें कुतिया बनने को कहा, वो कुतिया बन गईं. मैंने फिर उनकी कमर पकड़ कर उनकी गांड के छेद पर अपना सुपारा रख कर एक ज़ोर का झटका मारा. मेरा सुपारा सटाक से अन्दर चला गया. दीदी दर्द के मार आगे को भागने की कोशिश करने लगीं, लेकिन मैंने दीदी को कमर से जकड़ रखा था और मेरी पकड़ मजबूत थी. फिर मैंने एकदम से मेरी पूरी ताक़त लगाई और ज़ोर का एक झटका दे मारा, मेरा लंड पूरा का पूरा दीदी की गांड के अन्दर हो गया. दीदी बहुत ही ज़ोर से चिल्लाईं- ओह.. भैनचोद.. कुत्ते.. निकाल अपना लंड, तेरी माँ की चुत.. भोसड़ी के निकाल जल्दी.. नहीं तो मेरी गांड फट जाएगी.
मैंने कहा- मेरी रंडी बीवी.. चल साली अब मज़े ले.. अपने सैंया बने भैया के लंड का..
मैं थोड़ी देर रुका, दीदी की आँखों में आंसू आ गए थे.
फिर कुछ देर बाद दीदी का दर्द कम हुआ तो मैंने झटके मारने शुरू किए. दीदी भी अब उछल उछल कर अपनी गांड मरवा रही थीं, उनकी भी मज़ा आ रहा था.
दीदी प्यार से बोलीं- ओह माय डियर हज़्बेंड फक मी हार्ड.. ऐसे ही पूरी रात तक चोदते रहना.. ओह आहह सागरर.. फक मी..
गोली के असर के चलते करीब एक घंटे तक दीदी की गांड मारी इसके बाद मेरा माल निकल गया. दीदी ने सारा माल आपने मुँह में ले लिया. फिर हम दोनों बांहों में बाँहें डाल कर सो गए.
रात को जब मेरी आंख खुली तो घड़ी में 3 बज रहे थे और मैंने महसूस किया कि दीदी मेरा लंड चूस रही थीं. मैंने फिर से उनकी चुत की चुदाई की.
अब मैं और दीदी घर में पति पत्नी की तरह रहते हैं. जब मेरे जीजू घर पर नहीं होते तब मैं और दीदी नंगे ही घूमते हैं.
मेरी दीदी अब मुझसे प्रेंगनेंट हैं, लेकिन मेरी बेवकूफ़ फैमिली को लगता है कि ये बच्चा जीजू का है. असल में ये मेरा है.
अब दीदी रोज मुझसे चुदवाती हैं और मैं भी अपनी दीदी यानि मेरी पत्नी को ज़म कर चोदता हूँ.
दोस्तो, आपको मेरी बहन की चुदाई की कहानी कैसी लगी. अगर पसंद आई तो भी और पसंद नहीं आई तो भी कमेन्ट करें. आपका सहयोग मिला तो आगे भी कहानी लिखता रहूँगा.
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