दीदी की सहेली पिंकी की चुत चुदाई-1

दीदी की सहेली पिंकी की चुत चुदाई-1

सभी भाभियों और चूतों को मेरा प्यार भरा चुम्मा।
आप लोग तो मुझे जानते ही होंगे। मेरी पहली कहानी
दीदी की गांड चाटी और चोदी
में तो आप लोगों ने पढ़ा ही होगा कि कैसे मैंने अपनी दीदी को चोदा और अब तक चोदता हूँ।
जिसने नहीं पढ़ी वो पढ़ लें।

अब मैं आगे की घटना बताता हूँ। मैं दीदी को कई बार चोद चुका था। एक दिन दीदी को मैं अपनी बाईक पर ले जा रहा था, दीदी को बाजार जाना था। रास्ते में दीदी ने एकदम से मुझसे बोला- राज जरा बाईक रोक…
मैंने बाईक रोक दी, दीदी एकदम चिल्लाईं- पिंकी..!

मैंने देखा सड़क की दूसरी तरफ़ एक लड़की खड़ी है। दीदी उसके पास जाकर उसके गले मिलीं और उससे बात करने लगीं।

मैं दूसरी तरफ़ बाईक के पास खड़ा था। वो शादीशुदा थी, उसने लाल रंग का सलवार-सूट पहन रखा था। दूर से ही एकदम मस्त लग रही थी।
कुछ देर में दीदी उससे बात करके आईं और बोलीं- चल…

मैंने बाईक चालू की और हम चल दिए। दीदी ने बाजार से अपनी जरुरत का सामान लिया और हम घर आ गए।
रास्ते में मैंने दीदी से पूछा- दीदी वो लड़की कौन थी?
दीदी बोलीं- वो पिंकी थी.. मेरी कॉलेज की सहेली..
मैंने कहा- इतनी मस्त!!
दीदी बोलीं- उसकी कुछ ही महीने पहले शादी हुई है और उसका पति आर्मी में है।
बातों-बातों में हम घर आ गए।

दोस्तो, रात को मेरा लंड चुदाई के लिए फ़नफ़नाने लग जाता है। पापा और मम्मी अपने कमरे में सो रहे थे और हम तीनों भाई और दीदी अपने लड़के को लेकर एक अलग कमरे में लेटते हैं।

मैंने रात को दीदी को आहिस्ता से जगाया और ऊपर छत पर चलने के लिये इशारा किया और मैं ऊपर चला गया।

कुछ देर में दीदी भी छत पर आ गई और हम एक-दूसरे को चूमने लगे। दीदी मेरे लंड को निक्कर के ऊपर से ही मसल रही थी।
यह हमारा रोज का काम था।

मैं दीदी के होंठ चूस रहा था, मैंने दीदी की मैक्सी को ऊपर उठा कर दीदी को दीवार के सहारे खड़ा कर लिया और मैं दीदी की गांड को चौड़ा करके गांड को चाटने लगा।

मुझे दीदी की गांड चाटने की तो जैसे लत ही लग गई है। दीदी मेरे सिर के बालों को पकड़ कर अपने गांड के छेद को चटवा रही थी। जब मैं दीदी की गांड चाट रहा था तो मुझे दीदी की दोस्त पिंकी की याद आई।

मैंने दीदी से बोला- दीदी आपकी सहेली पिंकी बहुत मस्त है, उसको मैंने जब से देखा है मुझे उसकी गांड ही नजर आ रही है… दीदी किसी तरह उसकी गांड चटवा दो।

दीदी बोली- अभी तू मुझे तो चोद… उसकी बात बाद में करना।

मैंने दीदी को खूब चोदा दीदी की चुत को भी चाटा। दीदी ने मेरे लंड को भी मस्त चूसा। फ़िर हम कमरे में आकर सो गए।

अगले दिन रविवार था, सब लोग घर पर ही थे।

दोपहर में सब एक कमरे में सो गए और मैं और दीदी टेलीविजन देख रहे थे।
मैंने दीदी से कहा- दीदी… आप से मैंने रात में आपकी सहेली पिंकी के बारे मे कुछ कहा था?

दीदी ने कहा- राज, देख में उससे बात करती हूँ अगर उसने मना कर दिया या कुछ उल्टा हुआ तो फ़िर तू देख लियो।

मैंने कहा- दीदी, आप पहले किसी और तरीके से बात करना अगर आपको लगे कि बात बन सकती है तो ही आगे बात करना… वरना मत करना।

दीदी ने उससे उसका फ़ोन नम्बर ले लिया था मैंने कहा- आप उसे फ़ोन करो।

दीदी ने पिंकी को फ़ोन किया और कहा- पिंकी कल में तुझसे मिली, पर तुझसे बातों-बातों में तुमसे ये पूछना तो भूल ही गई कि तुम कहाँ रह रही हो।

पिंकी ने बताया कि वो और उसकी सासू गाजियाबाद में विजय नगर में एक फ्लैट में रहते हैं और उसने कहा- कभी आओ।

दीदी ने कहा- कभी गाजियाबाद आना होगा तो आऊँगी।

उन्होंने बात करने के बाद फ़ोन काट दिया।

दीदी बोली- किसी दिन चलना उसके घर… तब बात करते हैं।

मैं दीदी के होंठों को चूम कर बोला- शुक्रिया दीदी।

फ़िर एक दिन हम गाजियाबाद गए, दीदी ने मुझ से कहा- तू शिप्रा मॉल चला जा और मैं जब तक फ़ोन ना करूँ, तब तक मत आना।

मैंने कहा- दीदी मैं आपके साथ क्यों नहीं चल सकता?

दीदी ने कहा- मेरे दिमाग में एक योजना है तू समझा कर।

मैं चला गया। मैंने मॉल में जा कर थोड़ा घूमा। करीब दो घन्टे के बाद दीदी का फ़ोन आया और मैं दीदी की बताई जगह पर पहुँच गया। मैंने दीदी से पूछा- क्या हुआ?

दीदी बोली- घर चल… काम हो गया, पर घर चल कर बताऊँगी।

मैं बहुत खुश हुआ और दीदी को घर ला कर दीदी से पूछा- बताओ न क्या हुआ.. दीदी कैसे बात की आपने?

दीदी ने बताया- उसका पति फ़ौज में है और शादी को आठ या नौ महीने हुए हैं। इन महीनों में वो सिर्फ़ दो बार ही घर आया है। जब बातों-बातों में मैंने उससे पूछा कि सेक्स का दिल नहीं करता.. तो उसने कहा कि यार मैं कर ही क्या सकती हूँ इतना तो सब्र करना ही पड़ता है। मैंने कहा मुझ से तो नहीं होता मैं तो घर वाला नहीं तो बाहर वाला। तो वो बोली क्या मतलब, मैंने कहा कि जब वो कुछ दिनों के लिए कहीं जाते हैं तो मैं तो कालबॉय बुला लेती हूँ, तो वो बोली कि यार ये तो गलत है तो मैंने बोला कि यार हमारी सोसायटी में तो यही होता है और किसी को पता भी नहीं चलता।

मैं बोला- फ़िर दीदी?
तो दीदी बोली- काफ़ी देर बाद साली ने बोला कि तू किसे बुलाती है, तब मैंने उसे तेरा नम्बर दिया है और सुन तू उसे अपना नाम राहुल बताइयो।
मैंने कहा- ठीक है दीदी।

दोस्तो, उसका कई दिनों में फ़ोन आया, उसने पूछा- आप राहुल बोल रहे हो?
मैंने कहा- हाँ.. जी, बोलो.. मैं राहुल ही बोल रहा हूँ.. बोलो?
वो बोली- मुझे आप की सर्विस लेनी है।
मैं बोला- हाँ जी, आप अपना नाम और पता बताओ और आप को कब सर्विस लेनी है?

मैं भी सब योजना के अनुसार किया हुआ ही बोल रहा था जो दीदी ने मुझे समझाया था।
उसने मुझे मंगलवार को बुलाया, उसने बोला कि मैं उसके घर ठीक दोपहर को बारह बजे पहुँच जाऊँ।
उसका फ़ोन रविवार को आया था और मुझे एक दिन काटना भारी हो गया।
मैं मंगलवार को ठीक बारह बजे उसके घर पहुँच गया।

कहानी जारी रहेगी।
अपने विचार मुझे अवश्य लिखें।
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