दोस्त की पटाखा बहन का चुदाई नामा

दोस्त की पटाखा बहन का चुदाई नामा

हैलो दोस्तो.. दोस्तो.. मेरा नाम बिग बी है (बदला हुआ).. मैं 33 साल का हूँ.. मेरी लम्बाई 5’6″ है और मैं काफी स्मार्ट दिखता हूँ.. और मैं एक अच्छे परिवार से हूँ।
सभी अपनी-अपनी कहानियां यहाँ पर भेजते हैं.. तो मैंने सोचा क्यूँ ना मैं भी अपनी कोई चटपटी कहानी आपके समक्ष रखूँ।
मैं आज पहली बार अपनी सच्ची कहानी लिख रहा हूँ।

आपने अन्तर्वासना डॉट कॉम पर अब तक हजारों कहानियाँ पढ़ी हैं.. पर मेरी कहानी थोड़ी सी अलग है।

बात उन दिनों की है.. जब मैं कॉलेज में पढ़ता था।
मेरा एक दोस्त था रिंकू.. उसकी एक बहन थी, प्यार से सभी उसको नीतू बुलाते थे।

एक दिन रिंकू ने मुझसे कहा- यार तू मेरी छोटी बहन को पढ़ा दिया कर.. वो पढ़ाई में काफी कमजोर है।
‘ठीक है यार.. पढ़ा दिया करूँगा।’
रिंकू- तो चल अब मेरे घर चल.. वहाँ तुझको अपनी छोटी बहन से मिलाता हूँ।
मैं- ठीक है चलो.. पर आज मैं सिर्फ उसके सब्जेक्ट चैक करूँगा.. पढ़ाई तो कल से स्टार्ट होगी।

उसके बाद हम दोनों उसके घर आ गए।
उसके घर पर आते ही मेरे तो पसीने छूट गए.. मेरे सामने एक पटाखा सी बहुत खूबसूरत कमसिन कली थी.. एक बार जो भी उसको देख ले.. साले का लण्ड खड़ा हो जाए।

रिंकू- यह नीतू है.. मेरी बहन और यह मेरा दोस्त है.. बिग बी।
मैं- यार तेरी बहन इतनी बड़ी है.. मुझको तो पता ही नहीं था। खैर.. अब तक इसको स्कूल में क्यूँ नहीं भेजा।
रिंकू- यार तुझको पता है ना.. बाप के मरने के बाद.. खैर.. तू उन बातों को छोड़ दे.. बस इसको पढ़ा दे।
मैं- कोशिश करता हूँ यार..

वहाँ से चलते हुए बस.. मैं उसके फिगर के बारे मैं सोच रहा था। दूध सा सफेद रंग.. बड़ी-बड़ी कजरारी आँखें.. लम्बे बाल.. उसकी चूचियों के तीखे उभार.. नयन-नक्श.. मानो एक अप्सरा आ गई हो..

अब बस इंतजार था तो बस उसके मेरे बिस्तर पर आने का..। बस एक ही बात मेरे दिमाग में रहती थी कि वो कब मेरे बिस्तर में नंगी होकर लेटेगी.. कब मेरे लंड को उसकी चूत की गुफा में घुसने का मौका मिलेगा।
सपनों में कई बार मैं उसके मम्मों को मसल कर उसकी चूत मार चुका था.. अब इंतजार सिर्फ उसके हकीकत में बिस्तर पर लेटने का था।

इसी सोच-विचार में मैं घऱ आ गया और रात को उसके नाम की दो बार मुठ्ठ भी मारी.. पर साली नीद कहाँ थी मेरी आँखों में..

अगली सुबह मैं उसके घर गया.. उसको पढ़ने को कहा.. कुछ बताया भी.. सब कुछ ठीक रहा।
आज उसने लाल रंग का सूट पहना हुआ था.. गजब की खुबसूरत बला लग रही थी वो..

अचानक मैंने नोट किया कि वो पढ़ाई से ज्यादा मुझमें इंटरेस्ट ले रही है।
मैं- नीतू पढ़ाई में ध्यान दो।
नीतू- दे तो रही हूँ.. पर लगता है आपका ध्यान कहीं और है।
मैं- जहाँ भी है.. तुम अपना ध्यान दो बस..

नीतू- एक बात बताओ.. आपकी कोई गर्ल-फ्रेंड है क्या?
मैं- नहीं तो.. तुमने क्यूँ पूछा?
नीतू- बस ऐसे ही.. मुझसे दोस्ती करोगे।
मैं- नहीं कर सकता.. तुम्हारे भाई से जो दोस्ती है.. वो टूट जाएगी। वो क्या समझेगा मेरे बारे में?
नीतू- कुछ नहीं सोचेगा वो.. बोलो ना क्या मैं इस लायक नहीं हूँ क्या..?

इस वक़्त मानो ऊपर वाले ने मेरी सुन ली हो या यूँ कहूँ कि जो भी मैं रब से मांगता हूँ.. वो मुझको मिल जाता है।

मैं- यार सच कहूँ.. कल से ना जाने क्या हो गया है मुझको.. बस मेरे मन में तुम ही तुम हो।
बस मेरा इतना ही कहना था.. और वो मेरे ऊपर गिर गई और मुझको यहाँ-वहाँ चूमने लगी।
मेरे हाथ मेरे बस में नहीं रहे.. वो उसकी चूचियों को दबा रहे थे और मैंने भी उसको चूमना शुरू कर दिया था।

अब उस कमरे में कोई दूसरी पढ़ाई हो रही थी, सारा कमरा सिसकारियों से गूँज रहा था।
सबसे पहले उसके होठों को चूमा.. उसके बाद उसकी चूचियों को मसला और जी भर कर चूसा।
आहिस्ता-आहिस्ता से मैंने उसके सारे कपड़े उतार दिए.. उसके पेट को चूमते हुए मैं उसकी चूत को चूमने लगा।
सारा माहौल मादक सिसकियों में बदल गया था।

चूत को चूमना अब बंद कर दिया था.. अब तो मैंने चाटना शुरू कर दिया था। चूत चाटते-चाटते लाल सुर्ख होकर जल रही थी।
अब वो मेरे लण्ड को अपने मुँह में लेकर चूसने लगी.. मेरा लण्ड कड़क और टाइट हो गया था।

नीतू- जानू अपने लण्ड को जल्दी से मेरी चूत में डालो.. मैं जल रही हूँ। मेरी आग बुझा दो आज।
मैं- मेरी जान आज मैं तेरी सारी आग बुझा दूँगा।

अब मेरी बारी थी.. लोहा गरम हो गया था.. बस चोट करना बाकी था। मैंने अपने लण्ड पर थोडा सा थूक डाला और सीधा उसकी चूत पर टिका दिया, एक झटका दिया और आधा लौड़ा ‘पक्क..’ से चूत के अन्दर दाखिल हो गया।
वो थोड़ी छटपटाने लगी, मैं अब भी उसको चूम रहा था, वो एक अजीब सा अहसास था.. वो ‘सी.. ओह..सी..’ कर रही थी।

अचानक मैंने एक जोर का धक्का मारा.. तो वो चीख पड़ी।
मैंने पूछा- क्या हुआ?
नीतू बोली- बहुत दर्द हो रहा है.. तुम्हारा लण्ड इतना मोटा है.. तो मुझे दर्द नहीं होगा..
मैं- बस मेरी जान तुमने ही तो बोला था मजा देने को.. तो मैं दे रहा हूँ.. कुछ देर सहन कर लो फिर तुमको बहुत मजा आने वाला है।

उसको चूमते हुए मैं धकाधक झटके लगा रहा था और कुछ ही धक्कों में वो झड़ चुकी थी।

वो एकदम निढाल ही गई पर मैं धक्के लगाता रहा तो उसमें फिर से मानो जान आ गई और वो दुबारा गरम हो गई.. कुछ पल और मस्ती से चुदाई हुई और वो फिर झड़ गई.. अब मैं भी पिघल उठा था।

मैं- जान अब मेरा भी होने वाला है.. कहाँ निकालूँ..?
नीतू- आह्ह.. मजा आ गया.. मेरे अन्दर ही निकाल दो.. इस गरम पानी का तो इंतज़ार था।

बस एक झटके में मैंने अपना सारा वीर्य उसकी चूत में उड़ेल दिया।
इस चुदाई के बाद जैसे उसका मन और बदन का हर अंग खिल उठा था। वो इतनी खुश थी कि उनकी आँखों से आँसू छलकने लगे और वो मुझसे काफ़ी देर तक चिपकी रही।

आपको मेरी कहानी कैसी लगी बताइएगा जरूर।

उसके साथ चूत चुदाई का खेल शुरू हो चुका था और मेरी ये कहानी इसके आगे भी जारी रही.. आप सभी के ईमेल के बाद लिखूंगा।
आपका अपना बिग बी
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