दोस्त की बीवी की मस्त चुदाई-2
कहानी के पिछले भाग में आपने पढ़ा था कि मैंने और कविता भाभी ओरल सेक्स करने के बाद चुदाई की सोच ही रहे थे कि माँ ने दरवाजे पर दस्तक दे दी.. अब आगे..
वो तो अच्छा हुआ कि बाहर का गेट बंद था.. हम दोनों ने फटाफट कपड़े पहने और एक-दूसरे को लंबा चुम्बन करते हुए रात को मिलने का तय करके अलग हो गए।
फिर मैं बाहर आ गया तो मम्मी बोलीं- आने में इतना वक्त कैसे लगा दिया?
तो मैंने कहा- मम्मी गाने बज रहे थे.. तो आवाज़ नहीं आई।
मम्मी ने मुझे बाजार से कुछ काम करके लाने को कहा और मैं घर के काम से बाजार चला गया। मैंने आते वक़्त शाम के लिए दो बियर की बोतलें ले लीं।
फिर शाम को कविता घर पर आई और हम सबने साथ में खाना खाया।
कुछ देर हम ऐसे ही बैठे-बैठे बातें कर रहे थे.. कुछ ही देर में रात हो गई तो कविता अपने घर पर सोने चली गई और मैं भी अपने ऊपर वाले कमरे में सोने चला गया।
बाकी सब लोग नीचे सो रहे थे.. जैसा कि मैंने आपको बताया कि हमारा घर कविता के घर से जुड़ा हुआ था.. तो मैंने कविता को कॉल किया और बोला- ऊपर आ जाओ.. मैं तुम्हारे ऊपर वाले कमरे में आ रहा हूँ।
मैंने बीयर की बोतलें निकाली और दीवार के ऊपर चढ़ कर कविता को पकड़ा दीं। फिर एक बार सब तरफ देख कर मैं भी कविता के कमरे में चला गया।
कमरे में जाते ही हम दोनों एक-दूसरे को बाँहों में भर कर चुम्बन करने लगे.. तभी कविता मेरे लिए गिलास और सलाद लेकर आई।
मैंने एक गिलास भर कर बियर का पैग लिया.. फिर मैंने दूसरे पैग बनाया और कविता को पीने के लिए कहा।
तो कविता बोली- मैं नहीं पीती..
मैंने कहा- पी लो ना जान.. मेरे लिए इतना भी नहीं करोगी?
तो उसने मेरे कहने पर पूरा एक गिलास बीयर पी ली।
फिर मैंने एक पैग और बनाया और मैंने एक सिप ली.. तभी कविता ने मेरे मुँह में अपना मुँह डाल कर बीयर पीने लगी।
फिर सिलसिला ऐसे ही चलता रहा.. कभी वो मेरे मुँह में अपने मुँह से बीयर डालती.. तो कभी मैं डालता..
इस तरह पूरी बीयर ख़तम होने के बाद मैंने उसके होंठों को ज़ोर-ज़ोर से चूसना शुरू कर दिया और वो भी पूरी मस्त होकर मेरा साथ दे रही थी।
मैं अपने एक हाथ से उसकी नाइटी में हाथ डाल कर उसके मम्मों को ज़ोर-ज़ोर से मसल रहा था और वो भी मेरे लोअर में हाथ डालकर मेरे लंड को सहलाने और दबाने में लगी थी। फिर मैंने उसकी नाइटी को उतार दिया और उसने भी मेरे लोवर और शर्ट को उतार फेंका।
हम दोनों एक-दूसरे से चिपक कर एक-दूसरे को चूसने और चाटने लगे.. इसी दौरान मैंने उसकी ब्रा और पैन्टी दोनों को फाड़ दिया और पागलों की तरह उसकी चूचियों को चूसने ओर काटने लगा।
वो ज़ोर से सीत्कार करने लगी..
मैं अपने एक हाथ से उसकी चूत में उंगली कर रहा था और दूसरे हाथ से उसके मम्मों को पकड़ कर चूसे जा रहा था।
वो भी मेरे लंड को पकड़ कर लगातार चूसे जा रही थी.. कुछ ही देर ऐसे करने के बाद मैंने उसे बिस्तर के किनारे पर लिटा दिया.. जिससे उसकी गर्दन नीचे की ओर लटक सी जाए और फिर मैंने दूसरी बीयर की बोतल खोली और अपने लंड पर गिराने लगा.. जो मेरे लंड से होते हुए उसके मुँह में जा रही थी।
कुछ पलों के बाद मैंने अपना खड़ा लंड उसके मुँह में पेल दिया.. वो भी मेरे लंड को बड़े मज़े लेकर चूस रही थी। मैं अपने एक हाथ से लगातार उसकी चूत में उंगली किए जा रहा था.. जिससे उसे एक पागलपन सा छाता जा रहा था। वो मेरे लंड को अपने हाथ में पकड़ कर ज़ोर-ज़ोर से चूसे जा रही थी।
कुछ देर ऐसे ही चलता रहा.. फिर मैंने उसे सीधा लिटाया और हम फिर 69 की अवस्था में आ गए।
मैंने अपनी बीयर की बोतल उठाई और उसकी चूत में बीयर डाल कर चाटने लगा तो कविता की चूत में चिरमिराहट लगने लगी!
वो भी मेरा लंड मुँह लेकर चूसने लगी.. जब मैं उसकी चूत को चाट रहा था तो काफ़ी मज़ा आ रहा था। एक तो बीयर और दूसरा उसकी चूत का वो नमकीन पानी.. मैं लगातार उसकी चूत को चाटता रहा। वो भी मेरे लंड को किसी रंडी की तरह सिर हिला-हिला कर चूसे जा रही थी।
कुछ देर बाद हम दोनों ने एक-दो झटके के साथ अपना-अपना पानी छोड़ दिया जिसे हम दोनों ही पी गए।
फिर ऐसे ही सीधे लेट कर एक-दूसरे को चूमते रहे। अब मैं उसे सीधा लेटाकर बीयर को उसके मम्मों पर डालकर उसके शरीर को चाटने और चूसने लगा.. जिससे कविता फिर से गरम हो गई।
वो मेरे लंड को फिर से अपने मुँह में लेकर चूसने लगी। उसने मेरे लंड के टोपे को ऐसे चूसा कि मेरा लंड फिर से टाइट हो गया।
अब मैं उसको बिस्तर पर आड़ा लेटाकर उसकी चूत पर अपना लंड रखकर रगड़ने लगा और दोनों हाथों से उसके मम्मों को दबाने लगा।
वो बोली- बस परवीन अब मत तड़पाओ.. अब डाल भी दो.. मैं तुम्हारा लौड़ा लेने के लिए कब से बेताब हूँ..
तभी मैंने अपना टोपा उसकी चूत के छेद पर रखकर एक झटका मारा.. जिससे मेरा आधा लंड उसकी चूत में घुस गया।
वो कुछ चिल्लाई और उसने अपनी मुट्ठी ज़ोर से बंद कर ली..
मैं रुक गया और उसके होंठों को चूसने लगा.. जब वो कुछ शान्त सी हुई.. तो मैंने धीरे-धीरे धक्के लगाने शुरू किए।
कुछ ही धक्कों के बाद जैसे ही मेरा लवड़ा सैट हुआ.. मैंने अपना लंड बाहर निकाल कर एक जोरदार झटका मारा.. जिससे मेरा लंड पूरा घुस गया।
वो ज़ोर-ज़ोर से चीखने लगी और मुझे गाली बकने लगी- निकाल भोसड़ी के.. फाड़ दी मेरी चूत.. मादरचोद.. मुझे नहीं चुदाना.. आह्ह..
मैं इस बार रुका नहीं और ज़ोर से अपना लंड उसकी चूत में लगातार पेलता रहा। कुछ देर बाद मेरे लंड ने अपनी जगह बना ली और अब वो भी मस्त होकर मेरा साथ देने लगी, अपनी गाण्ड उछाल-उछाल कर मेरे लंड को अन्दर बाहर लेती रही..
मैं भी अपनी पूरी ताक़त से उसकी चूत में लंड अन्दर-बाहर कर रहा था.. और वो लगातार मुझसे कहे जा रही थी- चोद.. भोसड़ी वाले फाड़ डाल.. मेरी चूत को.. मिटा दे इसकी प्यास.. हाय रे परवीन.. तेरा लंड तो बड़ा ज़ोरदार है.. फाड़ दे आज..
मैंने भी कहा- ले रंडी.. आज तेरी सारी खुजली मिटा दूँगा.. ले मादरचोदी खा मेरा हलब्बी लवड़ा..
ऐसा कहते हुए मैंने अपनी गति बढ़ा दी.. वो जब तक दो बार झड़ चुकी थी.. मगर मैं लगातार लंड पेले ही जा रहा था।
कुछ देर बाद मैंने भी 10-12 झटकों के बाद अपना सारा पानी उसी की चूत में ही छोड़ दिया और निढाल होकर उसके ऊपर ही लेट गया।
वो मुझे अपनी बाँहों में भर कर चूमने लगी.. मेरे होंठों को अपने मुँह में लेकर चूसने लगी।
मैं भी उसका साथ देने लगा और फिर से मैं उसके मम्मों को मुँह लेकर चूसे जा रहा था।
तभी उसने मेरे लंड के साथ खेलना शुरू कर दिया और मेरे लंड को मुँह में लेकर फिर से चूसने लगी और कुछ ही पल के बाद मेरा लंड फिर से टाइट हो गया।
तभी मैंने कहा- यार मुझे तुम्हारी गाण्ड बड़ी मस्त लगती है.. अब की बार मैं अपना लंड उसमें डालना चाहता हूँ।
तो वो मना करने लगी और बोलने लगी- मैंने कभी अपनी गाण्ड में किसी का लंड नहीं लिया..
तो मैंने कहा- मेरे लिए आज तुम्हें ये सब करना पड़ेगा प्लीज़..
वो नहीं मानी.. तभी मैं वहाँ से उठकर जाने लगा तो उसने पीछे से आकर मुझे अपनी बाँहों में कस कर पकड़ लिया और कहने लगी- अब मैं तुम्हारे बिना नहीं रह सकती हूँ.. तुम्हारे लिए मैं कुछ भी कर सकती हूँ।
वो मेरे लंड को पकड़ कर मुझे बिस्तर तक वापस ले गई।
मैंने उससे कहा- तुम्हें बिल्कुल भी दर्द नहीं दूँगा.. क्योंकि मैं तुमसे प्यार करता हूँ।
अब वो मुझसे अपनी गाण्ड मरवाने को राजी हो चुकी थी, वो रसोई से तेल लेकर आई और उसने मेरे लंड पर काफ़ी सारा तेल डालकर मालिश करने लगी।
फिर मैंने उसे घोड़ी बना कर बहुत सारा तेल लेकर उसकी गाण्ड में ऊँगली से लगाने लगा और अपनी एक उंगली उसकी गाण्ड के छेद में डालकर अन्दर तक खूब तेल लगा दिया। फिर काफ़ी सारा तेल अपने लंड पर चिपुड़ कर उसकी गाण्ड के छेद पर अपना लंड सैट करके एक ज़ोरदार धक्का मारा.. जिससे मेरा लंड एक इंच तक अन्दर चला गया।
जैसे ही मेरा हलब्बी लौड़ा उसकी गाण्ड में घुसा.. वो ज़ोर-ज़ोर से चीखने लगी- उईईई…हई मार डाला मादरचोद फाड़ दी मेरी गाण्ड.. मार दिया रे.. निकाल बहनचोद इसे बाहर.. ओह्ह.. माँ..
मैं कुछ पल ऐसे ही रुका रहा और उसके मम्मों को सहलाते हुए उसकी कमर पर चुम्मियाँ करता रहा। जब उसका दर्द कुछ कम हुआ तो मैंने धीरे-धीरे धक्के लगाने शुरू किए.. कुछ देर उसे और दर्द हुआ फिर जैसे ही गाण्ड ने मेरे लौड़े को जगह देकर बैठा सा लिया.. तब उसे भी मज़ा आने लगा।
फिर मैंने अपने लंड को बाहर निकाल कर एक और ज़ोरदार धक्के के साथ अपना पूरा लंड उसकी गाण्ड में पेल दिया.. इससे वो ज़ोर से रोने ओर चिल्लाने लगी। उसकी आँखों से आँसू बहने लगे।
एक बार तो मैं डर गया और कुछ देर के लिए ऐसे ही रुक गया। मैंने फिर से उसको चूमना-चाटना शुरू किया और उसकी चूत में उंगली करने लगा।
धीरे-धीरे वो नॉर्मल हो गई तो मैंने फिर उसकी गाण्ड चुदाई करना शुरू किया.. फिर तो वो भी मेरा साथ देने लगी और किसी रंडी की तरह वो अपनी गाण्ड को हिला-हिला कर मुझसे चुदवाने लगी।
मैं भी अपनी पूरी ताक़त से उसकी गाण्ड को चोद रहा था और मैंने उसके चूतड़ों पर चांटे लगा-लगा कर गाण्ड लाल कर दी। मेरे मुँह से अपने आप गाली निकलने लगी- ले रंडी.. चुदवा माँ की लौड़ी.. अपनी गाण्ड मरवा साली कुतिया.. बड़ी मस्त है रे तेरी गाण्ड.. मैं तो इसका दीवाना हो गया हूँ.. आज से तू मेरी रंडी है.. ले हरामिन.. आह्ह..
वो भी ज़ोर-ज़ोर से ‘आह्ह.. अहहहहाहा..’ की आवाजें करते हुए बोलने लगी- हाँ मैं आज से तेरी रंडी हूँ.. चोद साले मुझे.. फाड़ दे मेरी गाण्ड को.. बड़ा मस्त है रे तेरा लौड़ा.. मैं तो तेरे लंड की दीवानी हो गई हूँ..
ऐसे ही चुदाई करते-करते हमें 30 मिनट हो गए थे। अब मैं भी अपनी चरम सीमा पर आने वाला था.. तो मैंने अपनी रफ़्तार बढ़ा दी और 8-10 धक्कों के बाद मैंने अपना सारा पानी उसकी गाण्ड में छोड़ दिया।
अब हम दोनों काफ़ी थक चुके थे.. तो मैं उसे चूमते उसी के बगल में वहीं पर लेट गया और हम दोनों एक-दूसरे को चूमते-चाटते हुए वहीं पर ही सो गए।
उसने मुझे सुबह 5 बजे उठाया.. भोर का हल्का उजाला सा हो गया था.. तो मैं फ्रेश होने बाथरूम में गया। तभी वो मुझसे आकर चिपक गई और मेरे लौड़े को हाथ मे लेकर हिलाने लगी.. मैंने उसे बाथरूम में ही उसकी एक टांग को ऊपर उठा कर अपना लंड पेल कर चुदाई करना शुरू कर दिया और कुछ देर की चुदाई के बाद हम दोनों ने अपना पानी छोड़ दिया।
मैंने आपने आपको साफ किया और कपड़े पहन कर उसके कमरे से निकल गया। फिर जैसे आया था वैसे ही दीवार पर चढ़ कर अपने कमरे में चला गया।
उस दिन हम दोनों ने जी भर कर चुदाई का आनन्द लिया और इसी तरह हम दोनों ने एक हफ्ते तक चुदाई का मजा लेते रहे।
दोस्तो, आपको मेरी ये पूर्णतः सच्ची कहानी कैसी लगी.. आप मुझे ईमेल पर जरूर लिखिएगा।
धन्यवाद।
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