पटियाले दा पटोला भाभी चुद गई
दोस्तो मैं आशीष.. पंजाब के पटियाला जिले का रहने वाला हूँ। पेशे से एक कंप्यूटर इंजीनियर हूँ। हाल ही में मैंने नज़दीकी यूनिवर्सिटी में लेक्चरर की जॉब छोड़ी है और अभी मैंने लोगों को उनके घर में ही जाकर कंप्यूटर सिखाने का नया काम शुरू किया है। देखने में मैं एक पंजाबी गबरू हूँ.. जैसा कि मुझे होना चाहिए, पूरा 5-10″ का कद.. हट्टा-कट्टा 27 साल का बंदा हूँ।
मैंने बहुत बार सोचा कि इस वेबसाइट के ज़रिए मैं अपनी आपबीती कहानी आप लोगों तक पहुँचा सकूँ। फिर अंततः आज मैं अपनी कहानी आप तक भेज रहा हूँ उम्मीद है कि आप लोगों को पसंद आएगी।
यह बात आज से दो महीने पहले की है। मैं अपने घर में अकेला ही था.. क्योंकि मेरे घर वाले किसी की शादी में गए हुए थे। मैं अपने घर के पास ही एक भाभी को कंप्यूटर सिखाने जाया करता था।
आज मैंने उन्हे फ़ोन करके बोल दिया- भाभी मैं आज घर पर अकेला ही हूँ.. तो मैं आपको कंप्यूटर सिखाने नहीं आ सकता।
तो इस बात पर उन्होंने कहा- कोई बात नहीं.. ठीक है..
मैं सोच रहा था कि काश आज कोई लड़की चोदने को मिल जाए.. तो पूरे मज़े हो जाएंगे.. और यही सोचते हुए मैं नहाने चला गया।
मेरे घर का मुख्य द्वार अक्सर खुला ही रहता है। मैं गुसलखाने में नहा रहा था कि अचानक से मुझे आवाज़ आई- आशीष जी.. कहाँ हो?
मैंने बाथरूम के अन्दर से ही आवाज़ लगाई- कौन?
‘मैं गुरमीत कौर.. तुम्हारी स्टूडेंट..’
मैं सोच में पड़ गया कि यह भाभी यहाँ क्या करने आई हैं.. मैंने तो कहा था कि मैं नहीं आने वाला हूँ.. तो फिर ये किस काम से आई हैं।
मैंने अपना तौलिया बांधा और बाथरूम से बाहर आकर उनसे पूछा- भाभी.. आपको कुछ काम है क्या?
तो उन्होंने कहा- मैं भी घर में अकेली थी.. तो सोचा कि अगर तुम नहीं आ सकते.. तो मैं ही तुम्हारे घर सीखने के लिए चली जाती हूँ.. अगर तुम्हें कोई ज़रूरी काम है.. तो मैं चली जाती हूँ.. कोई बात नहीं..
वो बात करते-करते मेरे पूरे बदन को बड़ी कामुक निगाहों से निहार भी रही थी।
दोस्तो.. वो थी तो बड़ी सुंदर.. बड़े-बड़े मम्मे.. लाल-लाल गाल.. गोरा रंग.. बिल्लौरी आँखें.. बस कद थोड़ा छोटा था।
आख़िरकार मर्द हूँ.. सोचा कि बाथरूम में जाकर इसके नाम की मुठ ही मार लूँगा।
मैंने उनको बैठने के लिए बोला- आप थोड़ा बैठो.. मैं नहा कर आता हूँ।
उसने ‘हाँ’ में सर हिलाया और सोफे पर बैठ गई। मैं बाथरूम से नहा कर सीधा अपने कमरे में आ गया और नंगा हो कर मुठ मारने लगा ही था कि अचानक मुझे लगा कि भाभी मुझे देख रही है।
मैंने भी यह सोचते हुए कि एक औरत मुझे नंगे को देख रही है.. मैं और जोश में आ गया।
तभी भाभी कमरे में अन्दर आ गई और दीवार से कंधा लगा कर खड़ी हो गई.. और चूत खुजाते हुए बोली- अब करो, क्या कर रहे थे.. प्लीज़ मुझे देखना है।
मैंने उसको देखते हुए अपना लंड हिलाना शुरू किया.. तो उसकी आँखों में भी एक चुदास की कशिश सी दिखी।
आख़िर वो बुर सहलाते हुए मेरे पास आई.. मेरे बदन पर हाथ फेरते हुए बोली- क्या तुमने कभी लड़की के साथ ये सब किया है.. या फिर अब तक सिर्फ़ हाथ से ही हिलाते रहे हो..
वो मुझे आँख मारते हुए हँसने लगी।
मैंने कहा- नहीं..
उसने कहा- जो तुम्हारे इस लंड को चाहिए.. वो मैं इससे दे सकती हूँ।
मेरे तो ये सुन कर होश ही उड़ गए।
उसने कहा- बोलो चाहिए खुराक?
इतना सुनते ही मैंने जवाब दिया- हाँ.. अगर आपकी खुद की इच्छा है तो..
उसने झट से मेरा लण्ड पकड़ा और अपने हाथ से हिलाने लगी।
मैं तो जैसे जन्नत में आ गया था। पहली बार कोई औरत मुझे छू रही थी।
वो अपने घुटनों के बल बैठ गई और मेरा लंड अपने लबों के पास ले जाकर चूमने लगी।
हाय.. क्या एहसास था..
फिर धीरे से उसने मेरा लंड अपने मुँह में डाला और चूसने लगी।
मेरे तने हुए कड़क लंड को बार-बार देख कर वो बोली- हाए.. ओये अज्ज एह करेगा मेरी तसल्ली..
मुझे कहने लगी- आज मुझे बहुत दिनों बाद ऐसा लग रहा है कि मेरी प्यास बुझने वाली है..
मुझे बाद में उसने बताया कि उसके पति उसको संतुष्ट नहीं कर पाता है।
मैंने भी उसके सारे कपड़े उतार दिए।
वाह.. क्या गोरा बदन था..
मैंने उसको चूमना शुरू किया, वो ‘आहह.. आहह..’ करती जा रही थी।
मैंने उसको बिस्तर पर लिटाया और उसके मम्मे चूसने लगा। फिर उसके लबों को चूमने लग गया, उसने मेरा सिर पकड़ कर अपनी फुद्दी पर लगा दिया और कहने लगी- प्लीज़ आशीष मुझे यहाँ चाट लो.. एक बार मेरा पानी निकाल दो..
पर मुझसे रहा नहीं जा रहा था, मैंने अपना 6″ का लंड उसकी फुद्दी में जैसे ही डालना चाहा.. वो दर्द से चीख उठी.. कहने लगी- छ: महीने से मैंने लण्ड नहीं लिया है.. तो प्लीज़ जरा तेल लगा लो.. फिर धीरे से अपना मोटा हलब्बी डालना।
मैंने तेल की शीशी उठाई और अपने लंड पर तेल लगा लिया.. कुछ उसकी फुद्दी पर भी लगा दिया।
फिर लौड़े को चूत के मुँह पर लगा कर धीरे से अन्दर डाला।
उसने एक प्यारी सी चीख के साथ मेरे लण्ड को अन्दर ले लिया और मुझे बाँहों में लेकर बेतहाशा चूमने लगी और कहने लगी- आज मुझे पता चला है कि मर्द का लण्ड कैसा होता है..
मैं धीरे-धीरे धक्के लगा रहा था.. पर वो चाह रही थी कि मैं ज़ोर-ज़ोर से उसकी फुद्दी मारूँ।
वो भी नीचे से अपनी बुंड उठाकर लंड को अन्दर तक लेना चाह रही थी।
फिर उसने कहा- मुझे घोड़ी बन कर चुदवाने में बड़ा मज़ा आता है।
फिर मैंने उसको घोड़ी बना कर चोदा।
जब मैं उसे चोद रहा था.. तो मुझे उसकी गाण्ड मारने की इच्छा हुई।
मैंने उससे कहा- भाभी मैंने सुना है कि गाण्ड मारने में बड़ा मजा आता है।
उसने कहा- हाँ.. मर्दों को आता है.. पर औरत को बहुत तकलीफ़ होती है। इसलिए मैं भी तेरा लण्ड अपनी बुंड में नहीं सहन कर सकती हूँ।
फिर अचानक पता नहीं उसके मन में क्या आया.. कहने लगी- मैं तेरे मजे के लिए तुझे अपनी गाण्ड मारने दूँगी।
अब वो मेरा लंड अपनी गाण्ड में लेने को राजी हो गई थी।
उसने कहा- मैं भी आज पहली बार पीछे ले रही हूँ.. धीरे से डालना।
पर मैंने भी अपने शैतान जगा दिया, अब मैं उसको अपनी मर्ज़ी से चोदना चाहता था।
मैंने उसको उल्टा लिटाया.. उसकी दोनों बाजू पीछे की तरफ करके पकड़ लीं और लंड को गाण्ड के छेद पर रख कर ज़बरदस्ती डालना शुरू कर दिया।
वो दर्द से छटपटा रही थी.. उसकी चीखें मेरा और जोश बढ़ा रही थीं।
मैंने 2-3 झटकों में पूरा का पूरा लंड गाण्ड में डाल दिया।
वाह.. क्या नज़ारा था.. कसी हुई गाण्ड का.. वो रो रही थी.. मुझसे छूटना चाह रही थी। मैंने उसे नहीं छोड़ा और 10 मिनट तक भयंकर चुदाई की।
आख़िर मैं उसकी गाण्ड में ही छूट गया।
वो दर्द से कराह तो रही थी.. पर मुझसे खुश भी थी और नाराज़ भी।
उसने थोड़ा नाराज़ होते हुए कहा- नाभि तक डाल दिया तुमने.. तब भी तुम्हारी ज़बरदस्ती में मुझे मजा तो आया। अब सुबहा टट्टी करते वक़्त जो हाल होगा उसका क्या होगा?
और हम दोनों हंस दिए।
‘तुम सच्ची में किसी भी औरत की रेल बना सकते हो।’
फिर हम दोनों ने अपने अपने कपड़े पहने।
दोस्तो, कहानी मेरी सच्ची है.. बस लिखने में कुछ दिक्कत हुई। फिर भी बताइएगा कि कैसी लगी।
सेक्स तो इसके बाद मैंने और भी कई औरतों से किया.. कब और कैसे.. यह तो आपके ईमेल पढ़ने के बाद ही बता सकूँगा।
आपको कहानी कैसी लगी मुझे ईमेल जरूर करें।
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