पड़ोसी आंटी की चुत और गांड मारी
मेरा नाम मयूर है. मैं 22 साल का हूँ. मैं सूरत का रहने वाला हूँ. मेरे लंड की साइज़ 5 इंच है. मुझे भाभी और आंटी बहुत पसंद हैं. मैं आज आपको अपने जीवन में घटी एक मस्त देसी कहानी सुनाने जा रहा हूँ. ये देसी चुदाई की कहानी आपको पसंद आएगी ऐसी मैं आशा रखता हूँ.
जब मैं 18 साल का था तब मेरी पड़ोस में एक अंकल आंटी रहते थे. वे आंटी 40 साल की थीं, पर लगती 30 साल की थीं, उनका फिगर 36-34-38 का था. आंटी के दो बच्चे थे, वो दोनों हॉस्टल में रहकर पढ़ते थे. उनके घर का जो भी छोटा-मोटा काम होता, तो वे मेरे को बोल देती थीं. अंकल अपने बिजनेस में बिज़ी रहते थे.. तो मैं घर का छोटा मोटा काम कर देता था.
एक बार आंटी ने मेरे को फोन किया कि मार्केट जाना है. मैं फट से तैयार होकर बाइक लेकर आंटी के घर आ गया.. क्योंकि मैं आंटी को बहुत पसंद करता था.
आंटी और मैं मार्केट गए, वहां हमने सामान खरीदा और बाद में आंटी मुझे अंडरगार्मेंट की दुकान में ले गईं. वहां आंटी ने ब्रा पेंटी खरीद लिए. बाद में हम घर वापस आ गए.
तब आंटी ने मुझे चाय पीने के लिए रोका, तो मैं भला कैसे ना बोल सकता था. क्योंकि मैं तो आंटी को चोदने की फिराक में था. आंटी मेरे लिए चाय बनाने चली गईं. कुछ देर बाद आंटी ने मुझे चाय दी और रूम में चली गईं. पर मुझे आंटी को कपड़े बदलते हुए देखने की इच्छा हुई मैं रूम के पास आ गया.
पता चला कि दरवाजा तो खुला हुआ ही है. मैं दरार से देखने लगा. पहले आंटी ने साड़ी उतारी, बाद में ब्लाउज खोला, फिर आंटी ने ब्रा निकाली. पर मुझे कुछ दिखाई नहीं दे रहा था क्योंकि आंटी की पीठ मेरी तरफ थी.
जब आंटी बाज़ार से लाई गई नयी ब्रा पहन रही थीं तो वो उनको फिट नहीं रही थी क्योंकि उसकी साइज़ छोटी थी. जब आंटी से ब्रा का हुक नहीं लगा तो आंटी ने मुझे आवाज़ दी और मैं दो पल रुक कर आंटी के पास चला गया. क्योंकि मैं चाहता था उनको पता ना चले कि मैं उधर ही खड़ा था.
मैं रूम में गया, तो आंटी ने मुझसे कहा- मयूर, ये ब्रा का हुक लगा दे.
तो मैं हुक लगाने लगा.
वो फिर भी नहीं लगा तो उन्होंने मुझसे कहा- जा उसी दुकान में जाकर बदल ला.
मैं तुरंत ब्रा लेकर उसी दुकान में गया और बदल कर आ गया. मैंने थोड़ा फ्लर्ट करने के लिए कहा- आंटी चलो मैं ही पहना देता हूँ.
आंटी ना बोलती रहीं, पर ज़ोर देने पर मान गईं. जब मैंने आंटी को ब्रा पहनाने के लिए साइड में हाथ फेरा तो उनको थोड़ा झटका सा लगा. पर मैं आज उनको चोदने की फिराक में था.
मैं आराम से हुक लगाने की कोशिश कर रहा था, पर दरअसल मैं हुक लगा नहीं रहा था.
तब वो बोलीं- जल्दी लगा ना.. नहीं तो कोई आ जाएगा.
पर मैंने कहा- आपने सही से पहनी ही नहीं है.
मैंने अपना हाथ आगे ले जाकर सीधा आंटी के मम्मों पर रख दिया और ब्रा सही करने के बहाने आंटी के मम्मों को थोड़ा सहलाने लगा.
आंटी ने कुछ नहीं कहा तो मैं आंटी से बोला- आप घूम जाओ.
आंटी मेरी तरफ घूम गईं और अब मैंने ब्रा सही करने के बहाने उनके मम्मों को सहलाने लगा.
मैंने आंटी को अपनी बांहों में भरा और और अपने हाथ उनकी पीठ पर ले जाकर हुक लगा दिया. पर इस सब में मेरा लंड खड़ा हो गया था और आंटी को टच हो रहा था. शायद आंटी को उसका पता चल गया था, जिससे आंटी भी थोड़ी गरम हो गई थीं.
जब वो कुछ नहीं बोलीं तो मेरी हिम्मत बढ़ गई. मैंने आंटी के गाल पर किस कर दिया.
तब वो एकदम से गुस्सा हो गईं, मुझे बोलने लगीं- ये क्या कर रहे हो?
मैं डर गया.. मेरी फट गई, पर आंटी बोलीं- ये सही नहीं है.
तब मैंने कहा- आंटी मैं आपको प्यार करता हूँ.
पर वो बोलीं- ये सही नहीं है.
मैंने कहा- आंटी सिर्फ़ एक बार किस करने दो.
वो नहीं मानी, फिर मेरे ज़ोर देने पर वो मान गईं, पर उन्होंने कहा- ये बात किसी को बताना मत.
मैंने कहा- ठीक है.
अब मैं आंटी के होंठ पर किस करने लगा और धीरे धीरे उनकी पीठ पर हाथ फिराता रहा. इसके बाद मैं उनके गले पर किस करने लगा. अब वो भी गरम हो रही थीं, पर मुझे हटाने की कोशिश कर रही थीं.
मैंने अपनी पकड़ मजबूत बना दी और किस करने लगा और सहलाने लगा.
आंटी थोड़ा साथ दे रही थीं, मैंने आंटी मम्मों पर हाथ चलाना शुरू किया. अब वो भी मेरे बालों को सहलाने लगीं. मैंने मैंने आंटी की ब्रा खोल दी और उनके मम्मों को चूसने लगा. मैंने एक हाथ से ऊपर से ही उनकी चुत सहलाने लगा. बाद में मैंने पेंटी में हाथ डाल कर चुत सहलाने लगा. बाद में मैंने आंटी की पेंटी निकाल दी. तब आंटी भी मेरे कपड़े उतारने लगीं और मेरे अंडरवियर के सिवाय सब निकाल फेंका. मैं आंटी के चूतड़ सहला रहा था और मम्मों को चूस रहा था. मैंने आंटी को बेड पे लेटा दिया और उनकी टाँगें खोल कर उनकी झांटों भरी चुत पर अपना मुँह रख कर चुत चाटने लगा. मैंने अपनी जीभ को आंटी की चुत में डाल दी और अन्दर बाहर करने लगा. दस मिनट चुत चूसने के बाद वो झड़ गईं और शांत हो गईं.
मुझे लग रहा था कि मेरा लंड फट जाएगा, मैं बहुत गरम हो गया था. मैंने तुरंत अपना अंडरवियर निकाल कर अपना लंड आंटी की चुत की फांकों पर रखा और एक ही झटके में अन्दर पेल दिया.
आंटी थोड़ा चिल्लाईं और बोलीं- आराम से नहीं डाल सकते थे क्या?
मैंने उनकी बात ना सुनते हुए उनको चोदने लगा. पूरे 20 मिनट की धकापेल चुदाई के दौरान आंटी 3 बार झड़ चुकी थीं, फिर भी मैं आंटी को चोदता रहा.
थोड़ी देर बाद मैं झड़ने को हुआ तो जल्दी जल्दी धक्के देने लगा. फिर आंटी और मैं दोनों एक साथ झड़ गए.
आंटी ने बोला- जो मज़ा तुम्हारे साथ आया है.. वो मैं अपने पति साथ कभी नहीं ले पाई.
कुछ मिनट आराम करने के बाद फिर से मेरा लंड खड़ा हुआ तो मैंने आंटी की गांड मारने की इच्छा जताई. मैंने आंटी को गांड मरवाने के लिए बोला तो उन्होंने ना बोल दिया, पर मेरे ज़ोर देने पर मान गईं.
उन्होंने कभी गांड नहीं मरवाई थी तो मैंने आंटी को घोड़ी बनने को बोला और लंड गांड के छेद पर रखकर पेलने की कोशिश की. पर लंड अन्दर नहीं जा रहा था तो मैंने आंटी से तेल की बोतल माँगी.
आंटी ने तेल की शीशी निकाल कर दी. मैंने बहुत सारा तेल उनकी गांड के छेद में डाला और अपने लंड पर लगा लिया. इसके बाद में मैंने लंड को गांड के छेद पर रखा और एक करारा झटका दे मारा. मेरा आधा लंड आंटी की गांड में चला गया.
आंटी ज़ोर से चिल्ला पड़ीं और लंड को बाहर निकालने को बोलने लगीं, पर मैं नहीं माना और मैंने दूसरा झटका दे मारा. अब पूरा लंड आंटी की गांड में चला गया. आंटी फिर चिल्लाईं और उनकी आँखों में आँसू आ गए.
बाद में मैं आंटी को किस करने लगा और जब आंटी का दर्द थोड़ा कम हुआ तो मैं झटके मारते हुए आंटी की गांड मारने लगा. करीब 20 मिनट के बाद मैं झड़ गया.
तब से मेरे आंटी के साथ यौन सम्बन्ध बन गए. पर अब आंटी दूसरे शहर में रहने चली गईं. अब सिर्फ़ आंटी के साथ फ़ोन पर बात होती है. अब मैं चुदाई के लिए कोई नई आंटी ढूढ रहा हूँ.
आपको मेरी आंटी की चुदाई की कहानी पसंद आई या नहीं, मुझे मेल ज़रूर करें.
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