पति के दोस्त ने चूत चोद कर मुझे मजा दिया-1
यह कहानी मेरे साथ हमबिस्तर हो चुकी औरत की है.. जिसे मैंने हचक कर चोदा था। उसकी सच्ची कहानी को मैंने अपने शब्दों में ढाला है.. उसी की जुबानी सुनिए।
नमस्कार दोस्तो, मैं हूँ आपकी ऋतु शर्मा.. मैं हरियाणा की रहने वाली हूँ। मेरा कद 5’5″ का है.. मैं स्लिम हूँ। मेरी उम्र अभी 31 साल है.. शादीशुदा हूँ, फिगर 34-30-34, मेरा रंग गोरा है.. मैं चूत चुदाई की बहुत भूखी रहती हूँ पर शादी से पहले मैंने कभी सेक्स नहीं किया था.. पर अब रहा नहीं जाता।
यह सेक्स स्टोरी मेरे और मेरे प्यारे देवर यानि मेरे पति के दोस्त योगेन्द्र की है। उसे हम लोग योगी कह कर बुलाते हैं।
योगी की लम्बाई 5’10” है, एकदम जिम वाली कसी हुई बनावट के शरीर का मालिक है, उम्र कोई 29-30 साल की है।
मेरे पति एक लिमिटेड कम्पनी में काम करते हैं।
जब मेरी नई नई शादी हुई थी तो मेरे पति मेरे साथ बहुत चुदाई करते थे। इससे हुआ ये कि मुझे खाने से ज्यादा सेक्स की भूख रहने लगी। फ़िर 3-4 साल बाद तो हम बस नाम के लिए ही सेक्स करते थे.. कोई उत्तेजना या रूचि वाला सेक्स नहीं था। हाँ रोज़ उनके काम पर जाने के बाद में रोज़ ब्लू फिल्म देखती थी और इससे मेरे अन्दर की आग और भी भड़क जाती थी।
फ़िर मैं अन्तर्वासना सेक्स स्टोरीज डॉट कॉम पर कहानी पढ़ने लगी.. इसमें बहुत मजा आता है।
इसी बीच हमारे घर योगी का आना जाना बढ़ गया था, वो बहुत ही हंसमुख है। वो अक्सर मेरे पति के साथ आ जाता था।
एक दिन मेरे पति ने उसे मेरे घर किसी काम से दोपहर में ही भेज दिया था, मेरे पति ने मुझे फोन करके बताया कि योगी आ रहा है।
उस वक़्त मैं नाईटी में ही थी, मेरी नाइटी रॉयल ब्लू कलर की थी जो मेरे पति को बहुत पसन्द थी। खैर.. मैं अपने रुटीन के अनुसार लैपटॉप पर अन्तर्वासना साईट खोल कर हिंदी सेक्स स्टोरी पढ़ रही थी और बहुत गर्म हो चुकी थी।
तभी योगी ने घंटी बजाई और मैंने दरवाजा खोला।
सामने योगी था।
मैंने उसे ‘हैलो..’ किया तो उसने भी मुस्कुरा कर जवाब दिया। मैंने उसे अन्दर बुलाया और हॉल में बैठने को बोल कर रसोई में चली गई।
जब मैं रसोई से आ रही थी तो मैंने गौर किया वो मेरे गोरे मांसल पैरों को देख रहा था। क्योंकि मैंने नाईटी पहन रखी थी जो कि घुटनों से थोड़ी ही नीचे थी।
वो लगातार मुझे घूर रहा था।
मैंने अपनी नाइटी के ऊपर के बटन भी थोड़े खोल रखे थे। जिस वजह से जैसे ही मैं पानी देने के लिए थोड़ी झुकी तो उसे मेरे गोरे रसीले संतरों के भी दीदार हो गए।
अब वो मेरे संतरों की साइज़ के चूचे देख कर गर्म हो रहा था। आज से पहले मैंने उसके बारे में कभी गलत नहीं समझा था.. पर आज चूँकि मैं अभी-अभी कहानियाँ पढ़ कर गर्म थी.. तो मेरा भी मन फिसल रहा था।
मैंने बहुत इत्मीनान से उसे अपने चूचों के पूरे दर्शन कराए और सीधी हो गई, अब उसके पैंट में भी उभार बन गया था।
हाय राम.. मेरा अनुमान था कि उसका कम से कम किसी मोटे खीरे जितना लम्बा लंड तो होगा ही.. और खूब मोटा भी लग रहा था। मेरे पति का लंड तो 6″ का ही होगा। मेरी नज़र भी उसने देख ली थी.. वो भी थोड़ा असहज हो गया था।
मैंने भी माहौल को हल्का करने के लिए पूछा- और भाई साहब, घर पर सब ठीक हैं ना?
तो वो चौंकते हुए बोला- जी भाभीजी, सब ठीक हैं।
अब मैं उसका गिलास वापिस उठाने के लिए फिर झुकी.. वो फ़िर मेरे संतरे देख रहा था। इस बार मैंने भी एक सेक्सी मुस्कान दी और रसोई में चली गई। जाते समय मैंने पीछे मुड़कर देखा तो वो मेरे नितम्बों को देख रहा था जो कुछ ज्यादा ही बाहर को निकले हुए हैं। उस पर मेरे पेंटी ना पहने होने के कारण मेरी नाईटी भी चूतड़ों की दरार में फँस रही थी।
इस बार वो भी मुस्कुरा दिया और बोला- भाभीजी आप अब दे ही दो!
मैं एकदम से बोली- क्क्क्या दे दूँ?
वो बोला- फाइल.. जो भाई साहब ने मंगवाई है।
मैं वो फाइल लाने बेडरूम में गई तो वो उठकर बाथरूम चला गया।
मैंने फाइल ला कर दी.. तभी मेरे पति का फोन आ गया और उसे जल्दी भेजने को बोला।
मैंने उन्हें फाइल देने के बारे में बताया और उधर योगी भी निकल गया।
खैर.. मैं वापिस अपने लैपटॉप पर कहानियाँ पढ़ने लगी। पर मन आज कहानी में नहीं, योगी में लग रहा था।
मैं लैपटॉप छोड़ बाथरूम में गई तो अहसास हुआ कि वहाँ पड़े मेरे कपड़ों के साथ छेड़-छाड़ हुई थी। मैंने गौर किया मेरी पेंटी और ब्रा जो मैंने रात को उतार कर बाथरूम में डाल दी थी वो गायब थीं।
मैं समझ गई कि अब मैं जल्दी ही बड़े लंड से चुदने वाली हूँ। फ़िर मैं योगी के बड़े लंड के सपने देखती हुई सो गई। जब उठी तो शाम हो गई थी।
तब तक पति जी के आने का भी समय हो गया था। मैं नहा कर फ्रेश हो गई और एक बड़े गले का टॉप और लोवर पहन लिया।
तभी घंटी बजी, देखा तो पतिदेव और योगी जी दोनों खड़े थे।
मेरे तो मन में लड्डू फूटने लगे।
मैंने दोनों को अन्दर बुला कर दरवाजा बन्द किया, पति आगे फ़िर योगी और आखिर में मैं थी।
हम सब हॉल की तरफ़ चल दिए। तो मुझे देखकर उसने एक मस्त सी कामुक मुस्कान दी। मैंने भी उसकी आँखों में मेरी नशीली आँखों से कामुक से इशारे में पलकें झपका दीं।
वो दोनों सोफे पर बैठ गए, मैंने दोनों को पानी दिया और चाय बनाने चली गई। फ़िर मैं चाय देने के लिए झुकी तो नशीले अंदाज़ में बोली- भाई साहब लीजिए ना..!
मेरे बेचारे पति तो नहीं समझ पाए.. पर वो समझ गया, बोला- ज़रूर भाभीजी आपकी ‘चाय’ का तो स्वाद दुनिया भुला दे!
मैं समझ गई थी कि यह मेरी कौन सी चाय के बारे में कह रहा है। मैंने अपनी चाय उठाई और उनके सामने वाले सोफे पर बैठ गई।
तभी मेरे पतिदेव बोले- ऋतु.. आज योगी यहीं रहेगा.. इसके परिवार वाले बाहर गए हैं।
यह सुन कर तो मेरे मन के दो लड्डू फूट गए।
कुछ समय बाद योगी बाथरूम में गया और नहा कर फ्रेश हो कर आ गया। उसने मेरे पति का पजामा और शर्ट पहन लिया था। पर मेरे पति के कपड़े उसको कुछ ऊँचे थे क्योंकि उसकी लम्बाई मेरे पति से ज्यादा है।
फ़िर मैंने रसोई में काम करते-करते एक योगी को अपने पैरों के दीदार कराने की तरकीब लगाई।
मैंने अपने लोवर पर थोड़ी चाय गिरा ली जो मैंने अपने पतिदेव और योगी जी के लिए बनाई थी।
उसे चाय देने के बाद मैं मेरे बेडरूम से एक कैपरी लाई.. जो मेरे घुटनों से थोड़ी ही नीचे थी। मैं कैपरी लेकर बाथरूम में चली गई।
मैंने बाथरूम में देखा कि मेरे पेंटी और ब्रा वापिस रखे हुए थे। मैं समझ गई देवर जी ने ही उठाई थी और अब वापिस रख दी थी। मैंने उन्हें ध्यान से देखा तो मेरी पेंटी पर गाढ़ा माल लगा था।
शायद उसने मुठ मार कर लगाया था।
मैंने ब्रा पेंटी को छुपाया और कैपरी पहन कर वापिस आ गई।
अब तक मैं यह तो समझ गई थी कि आग दोनों तरफ़ लगी है, पर मैं चाहती थी कि पहल वो ही करे।
जैसे ही योगी ने मेरी तरफ़ देखा उसकी कामुक निगाहें मेरे गोरे मांसल चिकने पैरों पर टिक गई थीं.. जो उसे विचलित कर रही थीं।
अब मेरे चिकने पैर लेकर मैं बार-बार उसके सामने जा रही थी.. और वो उत्तेजित हो रहा था। फ़िर मेरे पतिदेव भी नहाने चले गए। अभी योगी हॉल में ही बैठे टीवी देख रहा था।
फ़िर मैं उसके सामने से गुजरी.. तो वो बोला- भाभीजी आपके पैर बहुत ही खूबसूरत हैं। आपने जो एक पैर में पायल पहनी है.. वो कहर ढा रही है।
मैं सिर्फ मुस्करा दी और रसोई में खाना बनाने चली गई।
अब मेरे दिमाग में सिर्फ यही चल रहा था कि इसको कैसे सिग्नल दूँ कि मैं भी चुदासी हूँ।
यह हिंदी सेक्स स्टोरी आप अन्तर्वासना सेक्स स्टोरीज डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं!
जब तक मेरे पति नहीं आ गए.. उसने मेरे सेक्सी पैर और बाहर को निकली गांड पर से नज़र ही नहीं हटाई।
उसके बाद मैंने खाना लगाया और हम सबने खाया.. पर इधर कुछ खास नहीं हो पाया।
मैं और मेरे पतिदेव हमारे बेडरूम में आ गए और योगी का हॉल में ही सोफे पर सोने का निर्णय हुआ।
रात को मुझे नींद आ नहीं रही थी। एक तो मैं उत्तेजित ज्यादा थी.. उम्म्ह… अहह… हय… याह… ऊपर से आज भी पतिदेव ने कुछ किया नहीं था।
मुझे करवटें बदलते-बदलते रात के 12 बज गए। मुझे एक उपाय सूझा.. मैं खड़ी होकर बाथरूम में गई। चूंकि मैं हॉल में से ही गुजरी तो मुझे लगा कि योगी भी सोया नहीं था।
वो शायद मेरा ही इन्तज़ार कर रहा था।
यह सेक्स स्टोरी जारी रहेगी।
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कहानी का अगला भाग : पति के दोस्त ने चुत चोद कर मुझे मजा दिया-2
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