पति बाहर.. यार का लण्ड चूत के अन्दर
अन्तर्वासना के पाठकों को मेरा प्रणाम। मेरा नाम आँचल है.. मैं गाज़ियाबाद में रहती हूँ। मैं बचपन से काफ़ी सीधी लड़की थी। मैं दिल्ली में ही पैदा हुई और यहीं मेरा पालन-पोषण हुआ। मेरी मम्मी और पापा की लव मैरिज हुई थी.. इसलिए मेरी मम्मी काफ़ी खुले विचारों वाली थीं।
मुझे मालूम है कि आप सबको कहानी जानने की उत्सुकता है.. चलो बताती हूँ।
यह कहानी तब की है.. जब मैं 11वीं में थी। यह एक सच्ची कहानी है।
मेरे पापा के एक बहुत करीबी दोस्त थे.. जॉन्टी अंकल.. और उनका हमारे घर भी बहुत आना-जाना था।
हुआ यूँ कि एक दिन मैं स्कूल से जल्दी घर वापस आ गई.. तो मैंने देखा कि मेरी मम्मी का कमरा बंद था और पापा ऑफिस गए हुए थे। मुझे लगा कि मम्मी सो रही होंगी.. लेकिन मुझे भूख बहुत तेज लगी थी.. तो पहले मैंने थोड़ा इन्तजार करके मम्मी के कमरे के पास गई तो वहां अन्दर से ‘आह.. आह…’ की आवाज़ आ रही थी।
मम्मी बोल रही थीं- जॉन्टी प्लीज़.. निकालो ना.. बहुत दर्द हो रहा है..
मुझे कुछ समझ नहीं आया.. मैंने खिड़की से अन्दर झाँका.. तो मेरी आँखें फटी की फटी रह गईं।
मैंने वहाँ देखा.. मेरे पापा के दोस्त जॉन्टी अंकल और मेरी मम्मी एक साथ नंगे लेटे हुए थे।
मम्मी के चूतड़ मेरी तरफ थे और बिस्तर पर उनकी ब्रा गिरी हुई थी।
मेरी मम्मी कह रही थीं- जॉन्टी.. मुझे तुम्हारे साथ मुझे बहुत मजा आता है..
जॉन्टी अंकल बोले- लगता है संजय तुझे ढंग से चोदता नहीं है..
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मम्मी बोलीं- हाँ.. उन्हें तो अपने ऑफिस से ही फ़ुर्सत नहीं है.. रात को आते हैं.. कभी मन होता है.. तो लण्ड डालते हैं.. और 4-6 धक्के मार कर डिसचार्ज हो जाते हैं।
जॉन्टी अंकल- शोभा मेरी जान.. तेरे चूचे तो बहुत टाइट हैं।
वे यह कहकर मम्मी के निप्पल दबाने लगे।
मम्मी- यार जॉन्टी.. काटो मत.. प्लीज़.. मैं तुम्हारी ही तो हूँ.. आराम से चोद कर मजे लो.. अपनी रानी की चूत से.. और आज तुम मेरी झांट के बालों को भी साफ कर देना।
अंकल उठे और पास में ही रखी कोई एक क्रीम ले आए।
मुझे धीरे-धीरे समझ में आने लगा कि मम्मी और जॉन्टी अंकल आज पूरी तैयारी करके बैठे हैं।
इधर मेरी चूत का बुरा हाल हो चुका था। मुझे थोड़ा-थोड़ा मजा आने लगा था। मेरा हाथ स्कूल कू यूनिफ़ॉर्म की स्कर्ट के अन्दर चला गया था।
अंकल के उठते ही मुझे उनका 8 इंच लंबा और मोटा लंड हवा में लहराता हुआ दिखा.. तो मैं तो भौंचक्का होकर देखती ही रह गई।
तभी उन्हें एकदम से पता नहीं क्या हुआ.. उन्होंने मेरी मम्मी को बालों से पकड़ कर उठाया और अपना लंड मम्मी के मुँह में दे दिया और बोले- शोभा आज तो मेरा लवड़ा चूस कर मेरी मलाई निकाल दे।
मेरी मम्मी उनके लंड को लॉलीपॉप की तरह चूसने लगीं और लगभग 10 मिनट बाद मैंने देखा कि उनका कुछ सफ़ेद सा माल निकला और उन्होंने मम्मी के मम्मों पर लगा दिया।
अब मेरी भी एक उंगली मेरी चूत के अन्दर-बाहर जा रही थी।
फिर अंकल ने थोड़ी सी क्रीम ली और मम्मी के नीचे वाले बालों पर लगाई और हाथ से मल कर झाग सा बना दिया.. फिर रेज़र से सारे बालों को साफ़ कर दिए।
वे बोले- शोभा.. जानेमन आज तेरी चूत का भोसड़ा बना दूँगा।
मुझे उनकी यह भाषा समझ में नहीं आई।
फिर उन्होंने मेरी मम्मी को बोला- शोभा अब घोड़ी बन जा..।
फिर घोड़ी की पोजीशन में मेरी मम्मी की एकदम साफ चूत में अपना लंड घुसड़ेने की कोशिश करने लगे.. लेकिन उनका लंड निशाने पर टिक नहीं रहा था। शायद क्रीम के कारण शायद फिसल रहा था।
वो बोले- शोभा.. मेरी जान.. अपनी टाँगें चौड़ी करो.. और मेरी मदद करो.. तुम्हारी चूत बहुत टाइट है।
मम्मी बोलीं- जॉन्टी.. आज तक तुम्हारे दोस्त ने ढंग से चोदा ही नहीं.. मेरे राजा.. अब तुम ही इसे खोल दो।
इतना सुनते ही जॉन्टी अंकल को जोश आ गया और उन्होंने पूरे ज़ोर का एक धक्का मारा और उनका लंड पूरा अन्दर घुस गया।
मेरी मम्मी की बहुत ज़ोर से चीख निकल गई और वे चीखते हुए बोलीं- जॉन्टी प्लीज़ जल्दी निकालो बाहर.. वरना मैं मर जाऊँगी.. आह.. साले मुझे बहुत बहुत दर्द हो रहा है..
उनकी आँखों में आँसू आ गए।
लेकिन जॉन्टी अंकल को जैसे और जोश आ गया और वो दुगुनी ताक़त से झटके देने लगे और कहने लगे- बहन की लौड़ी.. बहुत मुश्क़िल से आज तुझे चोदने का मौका मिला है।
मम्मी बोलीं- हाँ.. मेरे राजा.. चोदो.. खूब चोदो.. आह्ह..
वे अपने चूतड़ उपर उठा-उठा कर अंकल का साथ देने लगीं।
ये सब देखकर मैं पागल हुई जा रही थी। थोड़ी देर बाद दोनों झड़ गए और एक-दूसरे से लिपट गए।
मम्मी बोलीं- जॉन्टी.. आज तुमने मुझे जन्नत की सैर कराई है.. अब से मैं तुम्हारी ही हूँ.. आते रहो करो.. आँचल का ये स्कूल जाने का समय रहता है और तुम्हारे दोस्त ऑफिस में रहते हैं।
जॉन्टी अंकल- हाँ शोभा डार्लिंग.. अब से ये लंड तुम्हारा ही है।
फिर दोनों एक-दूसरे के होंठ चूसने लगे।
मैं समझ गई कि जॉन्टी अंकल और मेरी मम्मी का क्या चक्कर चल रहा है.. लेकिन उनकी चुदाई देखकर मेरा भी चुदने का बहुत मन हो गया। मुझे बहुत भूख लग रही थी.. लेकिन चुदाई देखकर चुदने का मन ज़्यादा था।
फिर मम्मी बोलीं- जॉन्टी अब चले जाओ जान.. आँचल का आने का टाइम हो गया।
वो बोले- हाँ शोभा.. आज तुम्हारी चूत में मजा आ गया.. एक बार चाटने तो दो..
मम्मी ने अपनी टांगें फैला दीं और अंकल जीभ से उनकी चूत चाटने लगे।
मुझे लगा कि अब मुझे भी सावधान हो जाना चाहिए, मैं तुरंत अपने कमरे में चली गई और वहाँ की खिड़की से देखने लगी। मम्मी और जॉन्टी अंकल बाहर निकले।
मम्मी जॉन्टी अंकल से बोलीं- जॉन्टी अब कब आओगे?
वो बोले- जल्द ही आऊँगा जानेमन..
उन्होंने अपनी जेब से 2000 रूपये निकाले और बोले- ये रखो.. नई ब्रा-पैंटी ले लाना।
मम्मी ने बहुत मना किया.. लेकिन अंकल नहीं माने और पैसे देकर चले गए।
मम्मी ने बाहर मेरा स्कूल बैग रखा देखा तो वे हैरान रह गईं.. उनको एकदम से पसीना आ गया लेकिन उन्होंने नॉर्मल बनने की कोशिश की और मेरे कमरे की तरफ आ गईं, मुझे देख कर बोलीं- आँचल तू कब आई?
मैंने कहा- मैं आधा घंटे पहले आई हूँ.. मेरे सिर में थोड़ा दर्द था.. इसलिए आकर सो गई थी।
फिर मम्मी ने खाना बनाया और मैं बाथरूम गई और पैंटी बदली।
दोस्तो, मुझे उम्मीद है कि आप सबने मेरी बदचलन माँ की चुदाई को पसंद किया होगा.. तो बताना न भूलें कि कैसी लगी आपको जॉन्टी अंकल और मेरी मम्मी की चुदाई।
अगली कहानी में मैं बताऊँगी कि फिर मैं और मम्मी जॉन्टी अंकल से एक साथ कैसे चुदे।
मुझे ईमेल जरूर करना..
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