पहली बार पहनी किसी लड़की की जींस
मैं अजय, आपका दोस्त, आज आप सबके साथ अपनी एक सच्ची कहानी शेयर करना चाहता हूँ. मैंने अन्तर्वासना पर कई सारी कहानियां पढ़ी हैं. इन कहानियों को पढ़ कर मुझे लगा कि मुझे भी अपनी कहानी आपको बतानी चाहिए.
मैं एक 5 फुट 10 इंच हाइट का गोरा और सुन्दर आकर्षक लड़का हूँ. वैसे तो मेरे कई लड़कियों के साथ रिलेशन्स रहे हैं लेकिन इस कहानी से पहले तक मैंने कभी किसी के साथ सेक्स नहीं किया था. तमाम हसरतों के बाद वो मौका भी मुझे मिल गया था.
ये कहानी आज से लगभग एक साल पहले की है जब मैं दिल्ली से किसी काम से बाहर जा रहा था. हमारी पहली मुलाकात मतलब मेरी और उस लड़की की मुलाक़ात, जो इस कहानी की नायिका है. उस वक्त एक ट्रेन में हुई, जब मैं अपनी रिज़र्व सीट पर बैठा था. बगल वाली दोनों बर्थ खाली थीं … तो मैं भी टांगें फैलाकर लेट गया.
अभी आँख लगी ही थी कि तभी एक सुंदर सी और बहुत ही खूबसूरत लड़की मेरे पास आई और उसने मेरी नींद खराब कर दी. उसने बगल वाली सीट पर इशारा करते हुए कहा- यह मेरी सीट है.
उसने टीसी से बोल कर वो सीट अपने लिए रिज़र्व करवाई थी, जैसा उसने मुझे बताया था. मुझे नींद खराब होने पर गुस्सा तो आया, लेकिन उसकी खूबसूरती और उसकी 32-26-34 की मादक फिगर को देख कर मजा भी आ गया.
बातचीत के बाद उसका नाम मालूम हुआ. उसका नाम पूजा (बदला हुआ नाम) था और वो आगरा की रहने वाली थी. वो दिल्ली के एक कॉलेज में पढ़ती थी. उधर वो फैमिली से दूर एक कमरा भाड़े पर लेकर रहती थी. वो अभी एक हफ़्ते की छुट्टियां लेकर अपनी फैमिली के पास रहने जा रही थी.
उसके साथ बातों ही बातों में कब उसका स्टॉप आ गया … पता भी नहीं चला.
जब वो ट्रेन से उतरकर चली गई. तब मैंने देखा कि उसकी सीट पर उसका कॉलेज वाला आईडी कार्ड गिर गया था. मैंने उसे ढूँढने की कोशिश की, लेकिन वो जा चुकी थी. ट्रेन भी स्टेशन पर थोड़ी देर ही रुकती थी … इसलिए ज़्यादा टाइम ना लगाते हुए मैं भी वापस अपनी सीट पर आ गया. मैंने उसका आईडी कार्ड सम्भाल कर रख लिया.
कुछ दिनों बाद जब मैं वापस दिल्ली आया, तब मैंने उसे कॉल किया. उसका नम्बर मुझे उसके कॉलेज के आईडी कार्ड से मिल गया. मैंने उसके आई कार्ड वाली बात उसे बताई, तो उसने मुझे फोन पर अपने रूम का पता बताया और मुझे अपने घर आने को इन्वाइट भी किया.
मैं भी इतनी खूबसूरत लड़की से मिलने का मौका नहीं छोड़ने वाला था. अगले ही दिन उसके घर जा पहुंचा. उसके साथ उसकी एक सखी भी रहती थी जो उस वक्त कॉलेज गई हुई थी. लेकिन पूजा उस दिन कॉलेज नहीं गई क्योंकि वो कमरे पर मेरा इंतजार कर रही थी. जब मैं वहां पहुंचा, तब उसने काले रंग की गहरे गले वाली नाइटी पहनी हुई थी, जिसमें से उसकी रक्तिम वर्ण की चोली यानी लाल रंग की ब्रा साफ देखी जा सकती थी.
उसने एक प्यारी और सेक्सी स्माइल देते हुए मुझे अन्दर बुलाया. फिर मुझे एक कुर्सी पर बैठा कर वो मेरे लिए चाय बनाने किचन में चली गई. इसी बीच मैं उसकी खूबसूरती के बारे में सोचने लगा और इधर मेरा लंड भी खड़ा होकर अपना साइज़ दुगना कर चुका था.
कुछ देर बाद वो एक ट्रे में चाय की केतली और दो कप लेकर वापस आई. उसने चाय की ट्रे एक टेबल पर रखी और जैसे ही कप में चाय डालने के लिए वो झुकी … हाय क्या नज़ारा था मेरे सामने … मेरे नजरें सीधी उसकी नाइटी के अन्दर उसके चूचुकों को घूरने के लिए मानो अपना आकार फैला रही हों. उसके चूचुक तो मानो जैसे उसकी ब्रा से बाहर आकर मेरे होंठों से उलझने की इच्छा व्यक्त कर रहे हों.
उसका ध्यान भी शायद चाय पर कम और मेरी जांघों के मध्य में हो रहे लंड के उभार पर ज़्यादा था, जिसकी वजह से उसने मुझे चाय देते वक्त मेरे ऊपर चाय गिरा दी. उसने सॉरी बोला और मैं तुरंत खड़ा हुआ और बाथरूम का पूछा. उसने बाथरूम की तरफ इशारा करते हुए मुझे फिर से सॉरी कहा.
मैं उठ कर बाथरूम में चला गया. मैंने अपनी पैन्ट को उतारकर साफ किया. तभी उसने मुझे आवाज़ लगाकर बाथरूम में रखा एक तौलिया लपेटने को कहा. मैंने तौलिया लपेट तो लिया लेकिन शर्म के कारण में बाहर नहीं आ रहा था. उधर उसने दो बार आवाज़ लगाकर बाहर आने को कहा. उसके बार बार कहने पर मैं तौलिया लपेट कर बाहर आ गया.
उसने मुझे फिर से सॉरी कहा.
मैंने हंस कर कहा- इट्स ओके … हो जाता है.
उसने मुझे फिर से कप में चाय दी. हम दोनों कुर्सी पर बैठकर चाय तो पीने लगे, लेकिन मेरी निगाहें बार बार उसकी नाइटी में से अन्दर झाँकने की कोशिश कर रही थीं, जिसकी सूचना पूजा को मेरे खड़े लंड ने दे दी थी … जो तौलिया में उठा हुआ साफ देखा जा सकता था.
हम दोनों बिना कुछ कहे ही एक दूसरे की मन की बात जान चुके थे. बातों ही बातों में कब उसका हाथ मेरे हाथ के ऊपर आया, पता भी नहीं चला.
मैंने अपना हाथ वापस खींचा और खड़ा होकर अपनी तौलिया ठीक करने लगा, जो मेरे लंड के उभार से अपनी पकड़ को ढीली कर रही थी. पूजा सब समझ चुकी थी, उसने मुझे हाथ पकड़ कर रोका और मेरे बिल्कुल पास आकर खड़ी हो गई. मैं भी अपने आपको रोक नहीं पाया और मौका पाते ही तुरंत उसके होंठों से अपने होंठ चिपका लिए. उसके बाद हम दोनों अनवरत दस मिनट तक एक दूसरे के होंठ चूसते रहे. धीरे धीरे हम दोनों एक दूसरे को चूसते हुए बिस्तर पर आ पहुंचे. मैंने उसे बेड पर लिटाया और अपना हाथ धीरे से उसके चूचुक तक पहुंचा दिया. उसने भी आँख बंद करके अपनी तरफ से सहमति दे दी.
मैं उसके मम्मों को नाइटी के ऊपर से ही दबाने लगा. वो भी मस्त होकर इस आनन्द के मजे ले रही थी. फिर उसने मेरी शर्ट के सारे बटन खोल कर उसे उतारकर फेंक दिया. मैंने भी उसकी नाइटी उतार दी. अब वो मेरे सामने सिर्फ़ ब्रा और पेंटी में बेड पर चित लेटी थी. उसने रेड ब्रा और ब्लैक कलर की पेंटी पहनी हुई थी. मैंने उसकी ब्रा को भी उतारा और उसके चुचों को चूसने लगा. उसने भी धीरे से अपने हाथों से मेरे लंड को पकड़ लिया. उसका हाथ लगते ही मेरा लंड बाहर खुली हवा में आने को तड़पने लगा.
फिर मैंने अपना अंडरवियर उतारा और अपना लंड उसके हाथों में सौंप दिया. उसने भी देर ना करते हुए लंड को अपने मुँह में लिया और लम्बी लम्बी सांसें लेते हुए लंड चूसने लगी. कुछ देर बाद मैंने उसके मुँह से लंड बाहर निकाला और उसकी ब्लैक कलर की पेंटी को उतार कर साइड में रख दिया.
अब मैंने उसे 69 की पोज़िशन बनाने को कहा. वो राजी थी. पहले मैं बेड पर चित लेट गया, उसके बाद वो मेरे ऊपर आकर नीचे की तरफ मुँह करके लेट गई.
अब उसकी एकदम क्लीन शेव चुत बिल्कुल मेरे मुँह के पास थी, उसमें से एक अजीब मनमोहक खुशबू आ रही थी. वो शायद अपनी चूत पर कोई खुशबू लगाती थी. मैंने तुरंत उसकी चुत को चाटना शुरू कर दिया था. वो भी मेरे लंड को अपने मुँह में ले रही थी. हम दोनों बड़ा ही असीम आनन्द का अनुभव कर रहे थे. कुछ देर बाद हम दोनों का पानी निकल गया और हमने उसे एक दूसरे का चाटकर साफ किया.
इसके बाद बारी मेरे लंड और उसकी चूत के बीच होने वाले युद्ध की थी. हम दोनों खड़े हो गए क्योंकि इस बार पूजा को नीचे लेटना था. मैंने पूजा के चुचों को दबाते हुए उसे बेड पर लेटने को कहा.
वो मेरे सामने एकदम नंगी बेड पर लेटी हुई थी. मैंने भी देर ना करते हुए अपने लंड को उसकी चुत के छेद की मोरी पर रखा और जोरदार धक्का लगा दिया. पहले ही शॉट में मेरा लगभग आधा लंड उसकी चुत में चला गया. वो भी मीठे दर्द के मारे चिल्लाने लगी. उसकी पीड़ा जान कर मैं कुछ देर रुक गया और उसके ऊपर लेटे रह कर फिर से उसके होंठों को चूसने लगा. कुछ देर बाद जब उसका दर्द कम हुआ तो मैंने फिर से धक्के लगाने शुरू किए.
अब वो आह आह … उम्म्ह… अहह… हय… याह… अया आह … की आवाज़ निकालते हुए चुदाई के मज़े ले रही थी. मस्त चुदाई के साथ वो अपने मुँह से चिल्लाए जा रही थी- आह … और ज़ोर से करो …
उसकी चुदास से भरी आवाज़ मुझे और अधिक उत्तेजित करने का काम कर रही थी. मैं धकापेल उसकी चुदाई में लगा रहा. वो जल्द ही झड़ गई. उसके झड़ने के कुछ देर बाद मैं भी उसकी चूत में ही निकल गया.
चुदाई के बाद हम दोनों यूं ही नंगे जिस्म चिपके पड़े रहे. फिर उठ कर हम दोनों ने बाथरूम में जाकर एक दूसरे को साफ़ किया. बाथरूम से मैं उसको अपनी गोद में उठा कर बाहर बिस्तर पर लाया और हम दोनों फिर से चुम्बन में लग गए.
कुछ देर बाद फिर से उत्तेजना बढ़ गई और चुदाई का खेल फिर से शुरू हो गया.
इस तरह से उस दिन हम दोनों ने 2 बार सेक्स किया. उसके बाद उसने मेरे लिए नाश्ता बनाया. हम दोनों ने साथ में नाश्ता किया.
तब तक उसकी फ्रेंड जो कॉलेज गई हुई थी, उसके भी आने का समय हो रहा था. इसलिए मैंने वहां से निकलने का फ़ैसला किया. उसने मुझे अपनी एक ढीली सी जीन्स लाकर पहनने को दी, क्योंकि मेरी जीन्स चाय गिरने से गंदी हो गई थी … जो उसके बाथरूम में गीली पड़ी थी. उसके बाद मैंने उसकी जींस पहनी और उसे एक किस देते हुए वापस अपने घर आ गया.
यह मेरी पहली सेक्स कहानी थी, आपको सबको कैसी लगी, जरूर बताना.
धन्यवाद.
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