पूजा की चूत पूजा
प्रिय दोस्तो, आपने मेरी पहली कहानी सेक्सी कहानी का मजा पढ़ी। अब उसके बाद क्या हुआ उसके बारे में बताने जा रहा हूँ।
दूसरे दिन जब हम लोग पुनः आफिस पहुँचे.. तो पूजा आज ज्यादा खुश दिख रही थी। मुझे देख कर उसने मुझे आँख मारी.. मैंने भी मुस्कराकर एक फ्लाइंग किस फेंक दिया.. तो वह शर्मा गई और दौड़ कर अपने केबिन में चली गई।
लंच टाइम में हम दोनों फिर मिले और चाय पीने कैंटीन जाने लगे।
मैं- क्यों पूजा आज तुम बहुत खुश और ब्यूटीफुल लग रही हो.. आज तो कहर ढा रही हो.. क्या बात है?
तो उसके गाल लाल हो गए।
मैंने पूछा- आज का क्या प्रोग्राम है?
तो वह बोली- अभी कुछ नहीं बताती.. छुट्टी होने पर बताऊँगी।
चाय पीने के बाद हम दोनों अपने-अपने केबिन में चले गए।
लगभग एक घंटे बाद पूजा मेरे केबिन में आई.. उस समय मैं अकेला ही था।
पूजा मेरे पास आई और मुझसे लिपट गई और मेरे गालों पर चुम्बन किया.. बदले में मैंने भी उसके गालों पर चुम्बन किया और जोर से उसके मम्मों को दबा दिया.. तो वह छिटक कर दूर हो गई।
मैंने पूछा- क्या हुआ रानी?
तो वह बोली- शर्म नहीं आती.. यह ऑफिस है.. कोई देख लेता तो क्या कहता।
हम दोनों हंस पड़े.. मैंने उससे आने का कारण पूछा और उसका काम पूरा करवा दिया।
जब वह जाने लगी तो मैंने आज फिर से चुदाई करने के लिए कहा.. तो शाम का कहकर चली गई।
अब मुझे ऑफिस में पांच बजाना मुश्किल हो रहा था.. किसी तरह से पांच बजे.. तो पूजा मेरे केबिन में आई और चलने का इशारा किया।
मैं तुरंत अपना काम बंद कर बाहर आ गया.. बाहर पूजा मेरा इंतजार कर रही थी।
पूजा के घर पहुँचते ही मैंने डोर लॉक कर दिया और पूजा को पीछे से बाँहों में लेकर उसके गाल और कान के नीचे चुम्बन लेने लगा.. जिसमें वह भी मेरा साथ देने लगी।
कुछ ही पलों में वह भी गर्म हो गई और मेरा लंड पैन्ट के अन्दर ठुमका मारने लगा और मेरा लौड़ा उसके चूतड़ों के बीच की दरार में फंसने लगा।
पूजा ने तुरंत मुझे अलग कर दिया और फ्रेश होने के लिए बाथरूम में चली गई।
बाथरूम से निकलने के बाद कपड़े बदलने के लिए वह बेडरूम में जाने लगी तो मैं भी उसके पीछे-पीछे उसके बेडरूम में पहुँच गया।
पूजा- यहाँ क्यों आ गए.. हटो यार यहाँ से.. मुझे कपड़े बदलने हैं..
मैं- तो क्या हुआ.. मेरे सामने ही बदल लो.. अब काहे की शर्म.. मैं उतार देता हूँ.. तुम काहे को कष्ट करती हो।
पूजा- नहीं.. मुझे शर्म आती है, तुम बाहर जाओ।
पर मैं नहीं माना तो उसको मजबूरन मेरे सामने कपड़े बदलने पड़े।
तब मैंने उससे डिनर के लिए पूछा.. तो बोली- मैं यहीं बनाती हूँ.. पैसे किस लिए खर्च करना है।
मैंने भी उसे पहले एक-एक कप कॉफ़ी के लिए बोला तो वो कॉफ़ी बनाने के लिए रसोई में जाने लगी।
मैंने उसे रोका और कहा- तुम मेरे साथ रहो.. मैं काफी बनाता हूँ.. तुम डिनर की तैयारी करो।
काफी पीने के बाद मैंने कहा- मैं अपने रूम तक होकर अभी आता हूँ।
तो वह जल्दी आने को बोली और मैं अपने रूम पर चला आया।
आज मैंने पूजा के घर पर रात भर रहने के हिसाब से अपने कपड़े लिए और पूजा के घर चला आया। रास्ते में मार्किट से ककड़ी और कुछ फ्रूट भी ले लिए।आज मैं सारी रात पूजा की चूतपूजा करने के मूड में था।
उसके घर आकर घंटी बजाने के कुछ देर बाद पूजा ने दरवाजा खोला। मैंने कहा- इतनी देर क्यों लगी?
पूजा- तुम्हारे लिए तैयारी कर रही थी।
मैंने- कैसी तैयारी?
पूजा मुस्कराकर बोली- सब पता चल जाएगा.. थोड़ा सब्र करो।
उसने यह कहते हुए मेरे सीने में चिकोटी काट ली और हंस दी।
उसकी इस शरारत पर मैंने भी उसके मम्मों को अपनी मुठ्ठी में भर लिए और दबा दिए।
पूजा- उई मांsss.. लगती है.. इतनी जोर से दबाते हैं? छोड़ो न.. खाना बन गया है.. बस रोटी भर बनानी है।
तो मैं बोला- चलो आज मेरे हाथ की बनी रोटी खाना मैं बनाता हूँ।
पूजा- क्या तुम्हें खाना बनाना आता है? चलो बनाओ।
फिर मैंने अपनी शर्त और पैन्ट उतार दी। अब मेरे तन पर मात्र बनियान और अंडरवियर था। मैंने आंटा गूँथ कर रोटी बनानी चालू कर दी। वह भी मेरे साथ खड़ी हो गई और मुझे देखने लगी।
तभी वह जोर से हँसी- हा हा हा हा हा..
मैंने पूछा- क्या हुआ.. तुम हँसी क्यों..?
तो वो बोली- देखो तुम्हारे अंडरवियर में मेंढक उचक रहा है।
मैं- तो सम्हालो उसे..
तभी पूजा ने मेरा अंडरवियर निकाल दिया ओर मेरा लंड आजाद होकर और जोर से हिलने लगा.. तो उसने तुरंत मेरे लंड को पकड़ लिया.. जिससे अब मेरा लंड उसके हाथ में अन्दर-बाहर हो रहा था। तभी वह नीचे बैठकर मेरा लंड ‘उम्म्म..म्हा’ चपड़-चपड़ कर चूसने लगी।
उसने पूरी मस्ती से 10-15 मिनट तक मेरे लौड़े को चूसने के बाद मेरे लंड का पानी निकाल दिया और पूरा रस पी गई।
आज वो कुछ ज्यादा मूड में दिख रही थी।
अब मुझसे रहा नहीं जा रहा था.. अब मैंने भी उसके कपड़े उतारने चालू किए तो वह थोड़ा कसमसाई.. परन्तु वह भी तैयार हो गई।
मैंने पीछे से उसको पकड़ कर चूमते हुए एक हाथ से मम्मों को दबाने लगा.. और दूसरे हाथ से उसकी योनि के दाने को मसलने लगा।
अब वह मुँह से आवाजें निकलने लगी। मेरा लण्ड भी उसकी गाण्ड की दरार में फंसा हुआ था.. तभी मैंने एक झटका दिया तो लंड का टोपा गाण्ड के अन्दर चला गया.. जिसके कारण वह जोर से चिल्ला उठी।
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पूजा- अरे बापsss.. रे.. ये क्या कर रहे हो.. लग रहा है.. निकालो.. इतने बेरहम न बनो.. मैं मना थोड़े ही कर रही हूँ.. पर कुछ क्रीम वगैरह तो लगाओ.. आह्ह.. नहीं तो फट जाएगी।
मैंने उसे क्रीम लाने के लिए कहा तो वह लेकर आ गई।
अब मैंने 69 की स्थिति बनाई, इस अवस्था में वह मेरे लंड को चूस रही थी और मैं उसकी चूत का रसपान कर रहा था, उसकी चूत काफी गीली हो गई थी।
वह अपनी कमर उचका रही थी.. जिस कारण मेरी जीभ सीधे उसकी चूत के अन्दर-बाहर हो रही थी।
मैंने दूसरे हाथ से क्रीम लेकर उसकी गाण्ड के छेद में लगाकर धीरे-धीरे क्रीम को अन्दर करने लगा। पहले एक उंगली अन्दर-बाहर कर रहा था.. बाद में दूसरी उंगली भी अन्दर कर दी।
जब मैंने देखा कि छेद कुछ ढीला हो गया है.. तो मैंने उससे घोड़ी बनने के लिए कहा।
अब उसकी गाण्ड ठीक मेरे सामने थी, मैंने लंड उसके गाण्ड के छेद पर रखकर एक हल्का झटका दिया.. जिससे मेरे लंड का सुपारा अन्दर चला गया।
पूजा- आआआअह.. धीरेss..
मैंने तभी एक झटका और दिया.. अब पूरा लंड अन्दर चला गया। मैं धीरे-धीरे झटके लगाने लगा। अब उसको भी मजा आने लगा।
पूजा- आआअ ईईईई.. स्स्स् स्स्स्स्स… मजा आ रहा है.. इसी तरह करो.. आह.. आज मुझे तृप्त कर दो.. आआअह.. फाड़ दो मादरचोद.. मेरे दोनों छेद.. आह्ह..
पूजा अपने एक हाथ से अपनी चूत सहलाती जा रही थी.. तभी मैंने अपना लण्ड बाहर निकला और एक जोरदार झटके में अन्दर कर दिया।
‘आआहा.. आआआआअ..’
अब पूजा भी मेरे साथ देने लगी अब वो भी अपने चूतड़ों को हिलाने लगी। मैं उसके मम्मों को दबाने के साथ धक्के मारता रहा।
तभी पूजा का जिस्म अकड़ने लगा- उम्म्म म्म्म्म्म म्म्म्म्म.. मेरे होने वाला है और जोर से मारो.. आआआ.. ईईईई.. हो ओहह.. गयाआआ..!!
अब मैं भी जल्दी-जल्दी झटके मारने लगा.. मेरा भी होने वाला था।
मैंने पूछा- कहाँ करूँ.. तो पूजा ने अन्दर ही करने को कहा।
तो मैंने भी अपनी पिचकारी अन्दर छोड़ दी.. और उसी अवस्था में हम दोनों लेटे रहे।
कुछ देर बाद हम दोनों ने उठ कर एक-दूसरे को साफ किया।
पूजा- हाय.. अब दर्द हो रहा है। ऐसा किया जाता है। अब मैं भी तुम्हें नहीं छोडूंगी.. तुमने मेरी गाण्ड फाड़ी है.. अब मैं तुम्हारी फाड़ती हूँ।
मैं- ठीक है.. तुम्हारे पास कौन सा लंड है.. जो तुम मेरी गाण्ड फाड़ोगी..? क्या कर लोगी?
पूजा- देखते रहो.. देखो मना नहीं करना।
मैं समझा कि पूजा मजाक कर रही है लेकिन पूजा ने अलमारी से एक मोटी सी कैंडिल निकाली… जिसको देखता ही रह गया। उस कैंडिल की शक्ल बिल्कुल लंड की तरह थी और जिसकी लम्बाई एक फुट की थी। जिसे देख कर मेरी गाण्ड फटने लगी कि यदि इसने सचमुच मेरे गाण्ड में डाल दिया.. तो मेरी गाण्ड का क्या होगा।
पर मैंने भी सोच लिया कि देखा जाएगा चलो गाण्ड भी मरवाकर देखते हैं।
पूजा कैंडिल रूपी लंड लेकर आई और मुझे पीठ के बल लेटने को कहा और मेरी दोनों टांगों को फैलाकर मेरी गाण्ड के छेद पर धीरे-धीरे क्रीम लगाते हुए अपनी उंगली डालने लगी और साथ ही साथ मेरे लंड को सहलाने लगी।
मेरी गाण्ड का छेद भी क्रीम की चिकनाई की वजह से ढीला हो चुका था। अब पूजा ने उस बनावटी लंड के ऊपर क्रीम लगाकर उसे चिकना कर मेरी गाण्ड के छेद पर रखकर अन्दर करने लगी.. जिस कारण मुझे दर्द हो रहा था।
मैंने पूजा को और क्रीम लगाने को कहा तो पूजा ने और क्रीम लगाकर लंड मेरी गाण्ड में डाल दिया। अबकी बार लंड काफी अन्दर जा चुका था। अब पूजा एक हाथ से लंड अन्दर-बाहर कर रही थी और मुँह से लंड भी चूसती जा रही थी। अब मुझे भी अपनी गाण्ड मरवाने में आनन्द आ रहा था मैंने पूजा के सर को पकड़ कर उसके मुँह को चोदने लगा।
कुछ देर पूजा मेरे लंड को चूसने के बाद उठी और केंडिल रूपी लंड के दूसरे किनारे को अपनी चूत में डाल कर चुदाई करने लगी.. जिससे उसकी भी चुदाई हो रही थी और मेरी भी गाण्ड मारती जा रही थी।
अब कमरे मैं सिर्फ ‘ऊऊऊ आआ.. आआआ ईईई.. फक.. फक..’ के अलावा कोई दूसरी आवाज नहीं आ रही थी।
मुझे भी अपनी गाण्ड की चुदाई करवाने में मजा आ रहा था।
पूजा का हाल तो और बुरा था.. उसने लण्ड अपनी चूत में सात इंच तक अन्दर कर लिया था। अब उसकी चूत से जो पानी निकल रहा था.. वह मेरे गाण्ड के ऊपर जाकर चिकनाई का काम कर रहा था.. जिससे अब मुझे दर्द नहीं हो रहा था और मजा भी आने लगा था।
करीब 20 मिनट के बाद पूजा का पानी छूट गया और एक हाथ से लंड अन्दर-बाहर करने लगी और दूसरे हाथ से मेरी मुठ मारने लगी। तभी मेरे लंड ने भी पिचकारी छोड़ दी.. तो पूजा ने अपना मुँह खोलकर सारा वीर्य पी गई और गाण्ड से लण्ड निकाल कर मेरे लंड को चाट कर साफ़ कर दिया।
इस तरह हम दोनों ने सुबह के चार बजने एक-दूसरे की चुदाई का मजा लिया।
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