प्रियंवदा: एक प्रेम कहानी-4
मेरी कामुक कहानी के पिछले भाग
प्रियंवदा: एक प्रेम कहानी-3
में आपने पढ़ा:
मैंने अपने हाथ जोड़ लिए उस देवी के सामने… मेरी आँखों से आँसू निकल रहे थे, मैंने कहा- मैडम, जाने क्यों लोगों को मोहब्बत करने में जमाना लग जाता है. मैंने कुछ घंटों पहले आपसे मोहब्बत की जो कुछ घंटों बाद खत्म हो जाएंगी। मैं आपके लिए दिमाग में गंदगी नहीं ला सकता.
मैडम ने कहा- तो फिर स्विमिंग पूल पर क्यों तिरछी नजरों से बार-बार निहार रहे थे? क्यों? बोलो?
मैंने कहा- मैडम, जब आपसे कोई आपकी सबसे प्रिय छीन ले क्या आप उसे जाते जाते देखना भी नहीं चाहेंगे।
मैडम फिर जोर से हंसी और खुद की तरफ उंगली करके बोली- ओह यू मीन मैं।मैडम ने मुझे कहा- जिसे इतना प्यार करते हो, उसे छूना भी नहीं चाहोगे?
मैंने कहा- मैडम छूने से कोई चीज़ अपनी थोड़े ही होती है। यदि छूने से ही होती तो आप आज मिस्टर सहगल के साथ मिसिज सहगल बन कर खड़ी होती।शायद यह बात मैडम के दिल पर चोट कर गई और मैडम ने कहा- खबरदार यदि उस बुड्ढे का नाम लिया और मैडम दुबारा बुड्ढा कह कर हंसने लगी।
मैडम ने आगे बढ़कर मुझे गले से लगा लिया.
एक बार को तो लगा मुझे कि मानो मुझ पर किसी ने अवांछित हमला कर दिया हो पर उसके बाद मुझे इतनी संतुष्टि मिली कि मेरे जीवन की कोई हसरत शायद ही बची हो। दोस्तो, आज से पहले मैं केवल पैसे को सब कुछ समझता था क्योंकि मैंने पैसे के अभाव और गरीबी को बहुत नजदीक से देखा था।
लेकिन जैसे ही मेरी प्रेयसी ने मुझे गले लगाया मानो दुनिया की महंगी से महंगी चीज भी मुझे सस्ती दिखाई देने लगी। मैं अपने आप को दुनिया का सबसे अमीर आदमी समझने लगा था मालिक जैसे आदमी मुझे मेरे सामने गरीब दिखने लगे थे। मैं सपने को हकीकत में बदलते हुए देख भी पा रहा था और महसूस भी कर रहा था।
मेरे दिल की धड़कन इतनी बढ़ गई थी नापने वाला मीटर छोटे पड़ जाए, मेरी धड़कन मैडम महसूस कर रही थी। गले लगे लगे इस बार मैंने मैडम से पूछा- डू यू लव मी?
मैडम ने एक विदेशी भाषा में इसका जवाब दिया जिसका अर्थ मुझे बाद में नेट से पता चला, उसका अर्थ था ‘आई लव यू टू मच!’
मैंने जब मैडम पूछा- इसका क्या मतलब होता है?
तो उन्होंने कहा- ढूंढ लेना।
इसके बाद मैंने मैडम से पूछा- बुड्ढा आ गया तो?
मैडम ने कहा- सुबह 10:00 बजे से पहले बुड्ढे को यमराज भी नहीं उठा सकते!
और फिर बुड्ढा कहकर खिलखिलाने लगी।
इतना कहने पर मेरी हिम्मत कुछ और बढ़ी और मैं मैडम की पीठ को सहलाने लगा। मैडम ने तुरंत मेरे होंठों पर अपने रसीले होंठ रक दिए। दोस्तो, यकीन मानिए धरती पर उससे रसीली चीज हो ही नहीं सकती अब मैं और मैडम एक दूसरे के होंठों को चूम रहे थे, मेरे लिए यह किसी सपने से कम नहीं था, और मैं इस सपने से बाहर नहीं आना चाहता था।
प्रेमलीला पर धीरे धीरे कामलीला हावी होने लगी थी, दोनों के हाथ एक दूसरे के शरीर पर तेजी से घूमने लगे थे.
मुझे सुंदरता से भी सुंदर वह रूपसी न्योता दे रही थी, उसके एक-एक अंग को चूमने का उसके जिस्म से खेलने का अब मैंने अपने मर्द होने का एहसास करते हुए उभरे हुए मैडम के पुष्ठ नितम्बों को सहलाना शुरू कर दिया.
जैसे ही मैंने मैडम के नितम्बों पर हाथ रखा… यकीन मानिए दोस्तो, उससे चिकनी चीज आज तक मैंने नहीं देखी थी. इससे पहले मैंने दो अविवाहित व एक विवाहित महिला से सम्भोग किया था लेकिन उनके नितम्ब खुरदरे दानेदार थे अब मैं उसी वस्त्र के अंदर हाथ डालकर मैडम की नंगी पीठ व नितम्बों को सहला रहा था जन्नत जैसे मेरे हाथों को नसीब हो गई थी। मैडम के होंठों ने चूम चूम कर मेरे पूरे मुँह को गीला कर दिया था।
मैडम की शरीर का एक-एक अंग कसा हुआ था.
अब मेरे और मैडम दोनों के लिए कंट्रोल कर पाना मुश्किल हो रहा था। मैडम अपने हाथ से मेरा लिंग तलाशने लगी.
जैसे ही मैडम ने पैंट के ऊपर से मेरे लिंग पर हाथ रखा ऐसे लगा जैसे सारी दुनिया की बिजली का करंट महबूबा के हाथ में है।
मैंने झिझकते हुए कहा- अंदर चलें?
मैडम ने तुरंत कहा- क्यों डर गए बुड्ढे से?
और फिर हंसने लगी।
मैडम बोली- जब प्यार प्यार का इजहार इस खुले आसमान के नीचे कर सकते हो तो प्यार क्यों नहीं कर सकते?
मैं समझ नहीं पाया कि मैडम खुले आसमान के नीचे अपने आप से खेलने का न्योता दे रही है या चैलेंज।
अब दोनों के हाथ और मुंह एक दूसरे को आनन्द या यूं कहें परम आनन्द की ओर ले जा रहे थे. अब मैंने मैडम को घुमाकर मेरे आगे कर लिया, अब मैडम का पिछवाड़ा मेरे लिंग से सटा हुआ था. मैंने अंदर हाथ डालकर मैडम के एक स्तन पर रखा, हाय रे… मेरी जान निकलती गयी, कहाँ हाथ रख दिया मैंने।
दुनिया में इतनी खूबसूरती भी होती है क्या?
मैं रुक गया.
तब मैडम ने कहा- रुक क्यों गए?
जैसे ही मैंने उसे सहलाना व दबाना शुरू किया, मैडम ने सिसकारी लेते हुए एक सवाल कर दिया- इस्स.. इज ईट स्पंजी?
मैंने कहा- ओह माय गॉड आई एम स्पीचलेस।
मैंने दूसरा हाथ उसके पेट पर फिराया तो उसकी हल्की सी सिसकारी निकल गई- आह ह ह!
जैसे आज कुदरत ने अपनी सारी मेहरबानी इकट्ठी करके मुझ पर लुटा दी थी।
मैडम का हाथ पैन्ट के अंदर से मेरे लिंग को सहला रहा था जिसमें उसे शायद परेशानी हो रही थी, मैंने दूसरे हाथ से पैन्ट को खोल दिया. अब मैडम ने अपने हाथ से लिंग को अंडरवियर से बाहर निकाल लिया।
मुझे वो मेरी महबूबा कम और सुहागरात पर मेरी पत्नी दिखाई देने लगी रही थी।
हम उस फार्म हाउस में खुले आसमान के नीचे प्रेम लीला में मग्न थे, कोई डर नहीं, कोई भय नहीं, बस वो मेरी जरूरत और मैं उसकी जरूरत। हम दोनों इस वक्त इतने स्वार्थी थे कि हमें एक दूसरे के अलावा पूरी दुनिया से कोई लेना-देना नहीं था।
मैडम बहुत सेक्सी अंदाज से मेरे लिंग पर अपना हाथ फिरा रही थी उसकी यह हरकत देखकर मैंने मर्दानगी दिखाते हुए उससे पूछा- केन आई मेक योर हनी पॉट वेट?
इस सवाल का उसने जो जवाब दिया वह मेरे लिए और भी अजीब था, उसने सिसकारी लेते हुए बड़े मादक अंदाज में कहा- इट्स ऑलरेडी फ्लोइंग हनी डार्लिंग।
उसका यह जवाब सुनकर मैं उसके अलग होकर उसके सामने आ खड़ा हुआ और घुटनों के बल उसके सामने बैठ गया उसके और मेरे बीच केवल वो टी-शर्ट नुमा कपड़ा था मैंने उसको धीरे से उठाया और देखा कि उसके हनी पॉट में से शहद बह रहा था अर्थात कामरस दोनों गोरी गोरी जांघों पर बह चला था, जैसे आमने सामने खड़े दो पहाड़ों से झरने बह रहे हों।
जैसे ही मैंने अपना मुंह उस धधकते हुए कामुक कुंड पर रखा, मैडम के मुंह से एक लंबी आह निकल गई। जितना गीला मैडम ने अपने मुंह से किया था उससे ज्यादा गीला मैडम की योनि के काम रस ने कर दिया।
उसने जोर से मेरे सर को अपने हाथों से अंदर धकेलते हुए दबाया और दोनों तरफ से संगमरमरी जांघों का दबाव बना दिया, मैं चाह कर भी उस कैद से बाहर ना ही निकल सकता था और ना ही निकलना चाहता था।
वह अंग्रेजी में ‘कम ऑन… लिक इट! यस लिक इट डीप!’ पुकारे जा रही थी।
अब उसने एक झटके से मुझे अपने से दूर कर दिया ऐसे लगा, जैसे वह होश में आ गई हो और अब मुझे छूने भी नहीं देगी।
मैं डर गया, मैंने कहा- क्या हुआ?
उसने अपनी योनि पर हाथ रखते हुए कहा- इसे कुछ और चाहिए!
और इतना कहकर चारों हाथ पैर फैला कर जमीन पर लेट गई.
आहा… मेरे लिए कितना सुखद क्षण था, जिसके लिए मैं तड़प रहा था, वह मेरे लिए तड़प रही है।
दोस्तो, यकीन मानो भगवान सबकी सुनता है. ऐसा लग रहा था कि किसी राज दरबार में आए भिखारी को राजा ने सारा राज ही दान में दे दिया हो।
मैंने बिना किसी डर के अपना अंडरवियर निकाल दिया उसने बड़े हक से मेरी शर्ट की ओर इशारा करते हुए मुझे कहा- इसे भी निकाल दो!
मैंने अपनी शर्ट और बनियान एक साथ निकाल दिए। मैं जैसे ही मैं नीचे झुका उसने अपनी टी-शर्ट पर हाथ रखते हुए कहा इसे निकालने बुड्ढा आएगा क्या?
और जोर से हंसने लगी।
मैंने उसे भी अपनी तरह निर्वस्त्र कर दिया। अब मैं और मेरी प्रेयसी पूर्ण नग्न खुले आसमान के नीचे थे, या तो खुले आसमान के नीचे कभी बचपन में यूं खड़ा हुआ था या आज उस रूपसी के कारण खड़ा हुआ था।
वो जमीन के बिस्तर मखमली हरी घास के बिछौने पर आकाश तारों जड़ी चादर ओढ़े प्रेम की अप्रतिम मूरत के जैसे, बेखौफ किसी पर लूट जाने को और किसी के अपने ऊपर लुटाने को लेटी थी, मैं ठीक उसके सामने यूँ बैठा था जैसे हजारों साल की तपस्या पूर्ण होने पर वो देवी मेरे सामने प्रकट हुई हो!
मैं उस प्रेम की देवी को समर्पित होकर प्रेम से पूजने को यूं आतुर था कि कहीं ये अंतर्ध्यान ना हो जाये।
मैं फिर एक बार उसको चूमने लगा और कहा- साले बुड्ढे की तो मां की…
वह फिर खिलखिला उठी।
दोस्तो, मेरे लिए इससे ज्यादा खुशी का क्षण ना कोई था ना कोई होगा, मेरा प्यार मुझसे प्यार पाने को बेताब था। मैं और वो दोनों खुले आसमान के नीचे निर्वस्त्र नग्न पड़े थे, दोनों के शरीर पर एक धागा भी नहीं था.
क्या नजारा था… यदि कोई देखे तो देखता रह जाए।
उसके शरीर के एक-एक अंग की खुशबू लेता हुआ चाट रहा था, चूम रहा था, उसे पागलों की तरह यहाँ वहाँ हर जगह काट रहा था, या यूं कहें मैं उसका जिंदा मांस खाकर मांसाहारी हो रहा था।
वो नीचे लेटी हुई मेरे लिंग को अपनी योनि-मुख से सटा कर रगड़ रही थी। वो मेरे लिंग को यूं सहला रही थी जैसे आज उसकी बलि दी जानी हो, मानो आज काम कुंड में मेरे लिंग की आहुति दी जानी हो।
उसने अपने दोनों हाथों से पकड़ कर लिंग का मुख या अग्र भाग काम अग्नि से जलते हुए काम कुंड में डाल दिया। मेरा लिंग उस काम कुंड को चीरता हुआ उसके अंदर समा गया मेरी आह निकल गई और मैं कुछ पलों के लिए लिंग को उसकी योनि में डाले हुए ऐसे ही उसके ऊपर पड़ा रहा।
मैं मेरे प्रेम, मेरी किस्मत और ऊपर वाले की रहमत को महसूस कर रहा था।
अब उसने अपने दोनों हाथों से मेरे पिछवाड़े पर इस अंदाज में थपकी मारी जैसे कोई निपुण घुड़सवार घोड़े के पुट्ठों पर थपकी मारकर इशारे से कहता है कि ‘दौड़… तुझे बहुत दूर जाना है।’
थपकी नुमा आदेश मिलते ही मैंने कामक्रीड़ा को आरंभ किया तो वह साक्षात रति बनकर मुझसे चिपक गई। अब उसके मुंह से जोर-जोर से आह और ऊँह की सिसकारियां निकल रही थी और वह कम ऑन… कम ऑन… चिल्ला रही थी।
उसके मुंह से मादक आवाजें उम्म्ह… अहह… हय… याह… निकल रही थी, उसके नाखून मेरी पीठ को नोंच रहे थे, तो कभी वह अपने दोनों हाथों से मेरे नितम्बों को दबाकर अपने अंदर गाड़ रही थी। नीचे के हाल तो कुछ ऐसे थे जैसे मेरा लिंग काम रस के समंदर में डूब रहा हो। मेरा लिंग उस चिकनाहट से बार-बार अंदर बाहर हो रहा था।
बार बार ‘आई लव यू… आई लव यू…’ कह कर ‘फक मी… फक मी… यस टेक इट… आई एम आल योर्स…’ चिल्ला रही थी।
काम और प्रेम के मद में चूर मैंने भी उसे प्रतिउत्तर में कहा- आई लव यू मैडम!
जैसे ही मैंने कहा, वो रुक गई और उसने मुझे अपने आलिंगन में वही दबा लिया, कहा- प्रियंवदा नाम है तुम्हारी मैडम का।
और दोस्तो, अपना नाम तो दुनिया दुनिया को बताती है, लेकिन उसके तो नाम बताने में भी मादकता और प्रेम बरस रहा था। उसका नाम उसके शरीर से भी सुंदर प्रतीत हुआ और मैंने उसके होंठों पर एक चुम्बन लेते हुए कहा- यस… आई लव यू माई प्रियंवदा…. यस यू आर माईन।
फिर नीचे से लिंग महाराज ने जोर मारना शुरू कर दिया और लिंग ने पुनः योनि मर्दन शुरू कर दिया।
सुना था धरती आकाश नहीं मिलते लेकिन आज मिलते हुए महसूस कर रहा था। सुना था वक्त किसी के लिये नहीं रुकता लेकिन आज मेरे लिए ठहर गया था। ऐसा लग रहा था वह मेरे बरसों की तपस्या का फल मुझे मिला हो।
कुछ क्षणों बाद उसका आलिंगन और सख्त हो गया, वह मुझसे किसी बल खाई नागिन की तरह लिपट मुझमें सिमट गई और उसने अपने काम रस की धार से मेरे लिंग को फिर से नहला दिया। प्रेम के नशे में थी, वह जवानी के नशे में थी और वह शराब के नशे में भी थी.
यकीन मानो दोस्तो… तीनों नशों ने मिलकर मेरी हालत खराब कर दी थी। मैं आसमान से भी ऊपर उड़ रहा था और इस पल के बाद जीना भी नहीं चाहता था, इस पल को जाने भी नहीं देना चाहता था, डरता था कि कहीं दुबारा पल मेरे जीवन में आएगा या नहीं।
उसके के बाद उसकी पकड़ कुछ ढीली हो गयी और उसके रसीले होंठों ने मेरे होंठों पर, गालों पर चुम्बनों की झड़ी लगा दी, मैं भी उसके गालों गर्दन व कन्धों को चूम चूम कर दांतों से पागलों की तरह काट रहा था।
मैं फिर से अपनी काम क्रीड़ा में मगन हो गया और अब उसकी योनि कुछ संकुचित सी होती हुई प्रतीत हो रही थी, उसने बस एक बार थोड़ा सा कहराते हुए कहा- इट्स पेनिंग नाओ!
और मैंने कामलीला को फिर जोश और जोर से शुरु कर दिया और उस रूपसी की बाहों में नीचे दुनिया की सबसे खूबसूरत योनि में मैंने अपने लिंग रूप में अपना सर्वस्व न्यौछावर कर दिया। लिंग योनि में किसी जहरीले सांप की तरह अपने जहर को फेंके जा रहा था और मैं उस कामिनी की प्रेम अग्नि में अपने आप को समर्पित कर चुका था।
अब मैं निढाल सा होकर उसके ऊपर पड़ा था, दोनों के चेहरों पर तृप्ति का भाव झलक रहा था, ऐसा लग रहा था बरसों का कोई प्यासा अपनी प्यास बुझा कर पड़ा हो, ऐसा लग रहा था जैसे कोई योद्धा एक बहुत बड़ा युद्ध जीतकर लड़ते लड़ते थककर गिर गया हो, ऐसा लगता था जैसे बरसों से खोये हुए किसी पथिक ने अपनी मंजिल पा ली हो।
उसने फिर एक हल्का सा चुम्बन मेरे गालों पर जड़ दिया और इस तरह से पूछा जैसे कोई किसी बच्चे को उसका मनपसंद खिलौना दिलाकर पूछता है, उसने कहा- खुश?
मैं शब्दों से जवाब नहीं दे पाया और प्रत्युत्तर में मैं उसकी गर्दन को चूमने लगा।
अब मैंने उसे उठ कर कहा- चलें? नहीं तो बुड्ढा आ जाएगा.
वह फिर हंसी और किसी मदमस्त मस्त हथिनी की तरह अंगड़ाई लेती हुई बोली- आने दो… किसे परवाह है।
मैंने उसकी घनी जुल्फों में हाथ फिराते हुए उसको समझाया कि अब हमें चलना चाहिए।
वो किसी शिकार से लौटी थकी हुई शेरनी की तरह ऊंघती हुई बड़ी बेरुखी से खड़ी हुई। उसने वहाँ पड़ी मेरी शर्ट से अपनी योनि को साफ किया और अपना एकमात्र वस्त्र पहनकर अंदर की ओर चलने लगी, कमरे के दरवाजे तक मैं उसे छोड़कर आया और कमरे पर दरवाजे पर आकर उसने फिर एक चुम्बन मेरे होंठों पर रसीद कर दिया, और अंदर की ओर देखते हुए फिर से धीरे से हंसते हुए बोली- बुड्ढा!
और हा हा हा करके खिलखिलाती हुई कमरे में चली गयी।
मैंने इस कहानी में अन्य लेखकों की तरह एक भी अपशब्द नहीं लिखा और यकीन मानिए उस रूपसी से संभोग के दौरान भी नहीं कहा क्योंकि मैं उसे प्रेम करता था, वह मुझसे प्रेम करती थी। मैं उसकी और उसके प्रेम दोनों की पूजा करता था। मेरे लिए उसका प्रेम आज भी पवित्र और निर्मल है इसलिए उसके और उसके प्रेम के लिए अपशब्द या यूं कहें गंदे शब्द उपयोग करना उस देवी के प्रेम की तौहीन होगी।
यदि आपको उन अश्लील शब्दों के बिना इस सच्ची कहानी में मजा ना आया हो तो मैं आपसे क्षमा प्रार्थी हूं क्योंकि मैं आपके झूठे आनन्द के लिए उस देवी के प्रेम को अश्लील शब्दों से गंदा नहीं कर सकता।
वह मुझ पर लुटी थी मैं उस पर लुटा था यही इस कहानी का सार था!
दोस्तो, आगे भी यह कहानी एक बहुत रोचक मोड़ तक जारी रहेगी।
दोस्तो, एक औरत भगवान से ज्यादा भरोसा करके अपने आपको किसी मर्द को सौंपती है. या यूं कहें कि अपना सर्वस्व लुटाने को समर्पण करती है। उस समर्पित लड़की या महिला के लिए या कामक्रीड़ा के दौरान उसको कहे जाने वाले रंडी, कुतिया, छिनाल, रांड जैसे शब्द प्रयोग करके आप उस उस महिला का शरीर तो पा सकते हैं लेकिन आत्मा या पूर्ण समर्पण नहीं। यदि वो आपके भरोसे की कद्र करती है तो आप भी उसके समर्पण की कद्र करें।
मैं तेरी फाड़ दूंगा, चोद दूँगा, चोद चोद कर भोसड़ा बना दूँगा जैसे शब्दों से आप केवल झूठी मर्दानगी का अहसास करते हैं क्योंकि चमड़ी से चमड़ी कभी नहीं कटती या फटती है, मानव लिंग मूत्र व सम्भोग तो अवश्य करता है परंतु चीर फाड़ नहीं।
और ये आप बार बार मनगढ़ंत कहानियों में लिखते हैं कि आपका लिंग अंदर जाते ही वो रोने लगी, चिल्लाने लगी उसके आँसू आ गए तो समझिए या तो वो जबरदस्ती है या झूठ है। औरत केवल जबरदस्ती में रोती है, रजामंदी में तो प्रेम के हिलौरें खाती है।
कुछ लोग लिखते हैं कि वो मेरा लन्ड देखते ही चुदने को तैयार हो गयी… भाइयो, यूँ देख कर कोई औरत तैयार होती हो तो सबसे ज्यादा मौज सड़क पर मूतने वाले की हो जाती।
कुछ लिखते हैं मेरे कमरे में आते ही उसने साड़ी उठा दी या सलवार खोल दी या यूं बोली- चोद ले मेरे राजा!
तो आपकी गलतफहमी दूर कर दूँ कि मजबूरी में वेश्यावृत्ति करने वाली हिंदुस्तानी औरत भी कभी पहल नही करती।
और एक भ्रम जो कुछ लोग फैलाते हैं कि उसकी तो इतनी टाइट थी मेरा अंदर ही नहीं जा रहा था, दोस्तो, यह गलतफहमी निकाल दीजिये, एक बार योनि गीली होने के बाद आसानी से लिंग को अंदर ले लेती है।
एक और देखा देखी सभी गुदा यानि गांड मारने के शौकीन हुए जा रहे हैं और औरत का चित्रण भी ऐसे पेश करते हैं कि वो तो गांड मरवाने को तैयार ही बैठी रहती है.
गुदा मैथुन पूर्णतया अप्राकृतिक है व अपराध की श्रेणी में आता है. और ना ही किसी औरत को गुदा मैथुन से मजा आता है अपितु इससे उसे तकलीफ ज्यादा होती है, और फिर भी यदि आपको यकीन ना आये तो गुदा यानि गांड तो आपके पास भी है एक बार प्रयोग करके देख लो खुद समझ आ जायेगा.
और यदि केवल गांड मारने से ही सम्भोग होता तो महिला की जरूरत ही क्या थी, ये तो पुरुषों में सम्भव था।
आप यदि अपनी महिला साथी से प्यार करते हैं तो क्यों उसे बाजारु बनाकर पेश करते हैं। औरत इस कुदरत की सबसे अनमोल और सुंदर कलाकृति है, उसे प्यार की जरूरत है। रही बात कुछ लोगों के झूठे मर्दानेपन और सुपरमैन बनने के झूठ की… तो मैं केवल ये कहना चाहूंगा कि यदि औरत अपनी वाली पे आ जाये तो एक औरत एक साथ कई मर्दों को संतुष्ट कर सकती है लेकिन एक मर्द एक औरत को भी सन्तुष्ट नही कर सकता।
मेरा आप सभी से निवेदन है कि अपनी महिला साथी को प्रेम दें इज़्ज़त दें और उसके विश्वास को कभी ना तोड़ें और ना ही उसे बाजारू बनाने की कोशिश करें।
आगे अन्य रोमांचक तथ्यों के साथ कहानी जारी रहेगी। आपके हौसला अफजाई ईमेल के द्वारा जरूर चाहूंगा।
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