पड़ोसन भाभी ने चूत चुदाई का खेल खेला

पड़ोसन भाभी ने चूत चुदाई का खेल खेला

दोस्तो.. उम्मीद है कि आप सब लोग ठीक होंगे!
मैं जतिन कुंवर.. एक बार फिर से आप अपनी कहानी लेकर आप सबके पास आया हूँ। दोस्तो, आप सबने मेरी पहली कहानी ‘कामसूत्र में दिलचस्पी‘ पढ़ी और मुझे काफ़ी मेल्स भी आए, आप सबके मेल्स के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद।

जैसा कि मैंने आपको बताया था कि मैंने वक्त के साथ-साथ अपने अन्दर की सेक्स की कला तो तराशा ही है और लड़कियों को पूर्ण संतुष्ट भी किया है।
यह कहानी मेरी और मेरे पड़ोसन के संबंधों के बारे में है।

मैं नागपुर में सोसायटी में रहता था.. और मेरे पड़ोस वाले फ्लैट में रोहित भइया रहते थे, हम दोनों में काफी गहरी दोस्ती थी और अकसर एक-दूसरे की मन की बातें आपस में शेयर किया करते थे, हम लोग खुल कर लड़कियों के बारे में बात करते थे।
रोहित भइया के सम्बन्ध मेरी ही तरह उनकी गर्ल-फ्रेंड के साथ भी थे और मुझे उनकी इस बात का पता था.. पर वो हमेशा अपने सेक्स से कभी खुश नहीं होते थे।

साथ में उनको रात को शराब पीने की भी बुरी लत थी.. ऐसा कोई दिन नहीं जाता था.. जब वो शराब नहीं पीते होंगे।
वो दिल्ली के रहने वाले थे और यहाँ नागपुर में नौकरी के सिलसिले में उनकी पोस्टिंग थी।
मेरी भी नागपुर में पोस्टिंग थी.. पर मेरी कंपनी दूसरी थी।

एक दिन रोहित भइया ने मुझसे बताया उनकी शादी तय हो गई है और शादी के लिए अगले महीने अपने घर जा रहे हैं, अब वो अगले महीने जब लौटेंगे तो पत्नी को साथ में ही लेकर आएंगे।
मैं खुश था कि भाभी आ जाएंगी तो कम से कम कभी-कभी घर का अच्छा खाना तो खाने को मिल ही जाएगा।

भैया शादी के लिए अपने घर चले गए और मैं उनके लौटने का इंतज़ार कर रहा था।
आखिर वो दिन भी आ गया.. जब भइया भाभी के संग वापस लौटे।
उनको कंपनी से ज्यादा छुट्टी ना मिलने के कारण उनका हनीमून का प्लान भी टल गया था।

जब मैंने भाभी को देखा तो मेरे होश उड़ गए.. भाभी एकदम दूध जैसी सफेद.. जिस्म भरा हुआ.. गुलाबी होंठ.. पतली कमर और 34 इंच का सीना.. मानो पूरी कयामत थीं वो..
ऐसा लग रहा था कि ऊपर वाले ने फुर्सत से भाभी को बनाया है।

मेरी ऐसी हालत देख कर भइया ने मुझसे पूछा- क्यों कैसी लगी तुम्हें अपनी भाभी?
मैंने कहा- भइया आपको इतनी खूबसूरत बीवी कहाँ से मिल गई?
इस बात पर वो हँसने लगे।

अभी 2-4 दिन ही हुए थे कि मैंने भाभी से पहली बार बात की। भाभी एक स्कूल में टीचर की जॉब कर चुकी थीं और उनको काम करने की आदत थी.. पर इधर वे बोर न हों.. इसलिए जब भइया घर पर नहीं होते थे तो मैं मौका देख कर भाभी का मन बहलाने के लिए उनसे बातें करता रहता था।
मेरी और भाभी की अच्छी दोस्ती हो गई थी, अब तो उन्हें कोई भी काम होता तो वो बस मुझसे ही बोलती थीं।

भैया के जॉब में उन्हें काम से बहुत अधिक बार दूसरे शहर जाना पड़ता था और वो अकसर घर से बाहर ही रहते थे, इसी बीच मैं भाभी का मन खुश कर देता था, भाभी अब मुझसे काफ़ी खुल गई थीं।

लेकिन मैंने देखा कि कुछ 2 महीनों बाद भइया ने शराब पीनी वापस शुरू कर दी है और वो अकसर मेरी सुंदर भाभी से झगड़ा भी करने लगे थे, उनके झगड़े की आवाज़ मेरे घर तक सुनाई देती थी।
भाभी काफ़ी रोती थीं.. पर भइया उनकी बात नहीं मानते थे।

एक दिन जब भइया 7 दिन के लिए बाहर गए.. तो मैंने भाभी से हिम्मत करके पूछ ही लिया- आप कल रात को क्यों रो रही थीं।
भाभी ने पहले सही जवाब नहीं दिया.. पर मेरे बार-बार पूछने पर उन्होंने बताया कि वो आज तक ठीक से भइया से प्यार नहीं पा सकी हैं और ऊपर से भइया की शराब पीने की आदत ने उन्हें उनसे और दूर कर दिया है।

मुझे भाभी पर दया आ गई.. मैंने उनके सर को पकड़ कर उनके आँसू साफ़ किए और उनसे कहा- जाने दो भाभी.. अब अगर उनकी आदत यही है तो वो जल्दी नहीं सुधरने वाले..

भाभी ने रोते हुए मेरे कंधे पर अपना सर रख दिया और मैंने उनकी पीठ के पीछे से हाथ डालकर उनको लगभग अपने गले से लगा लिया।
शायद भाभी को मेरा ये अंदाज़ अच्छा लगा और वो ऐसी ही चिपक कर खड़ी रहीं।

दोस्तो, फिर मैंने बात पलट दी और भाभी से उनके शादी से पहले की लाइफ के बारे में जाना।
भाभी ने बताया- मैं गाँव में सबसे सुंदर लड़की थी और गली के लड़के मेरी खूबसूरती में पागल थे.. पर मैंने कभी किसी के साथ कोई सम्बन्ध नहीं रखा।
इस तरह भाभी जी और मुझमें खुल कर बातें होने लगीं।

फिर भाभी ने मुझसे मेरी जिंदगी के बारे में पूछा.. तो मैंने सब साफ़-साफ़ बता दिया- मेरी पहले एक गर्ल-फ्रेंड रह चुकी है और मैंने उसके साथ सब कुछ किया है।
भाभी को जब मैं ये बता रहा था तो मुझे थोड़ी शर्म भी आ रही थी.. पर भाभी ने मुझसे और भी ज्यादा पूछना शुरू किया।

उन्होंने मुझसे कहा- जतिन सच-सच बोलो.. तुम्हें लड़की में कौन सी चीज सबसे अच्छी लगती है।
मैंने भी उनसे खुल कर कहा- भाभी वैसे तो मुझे पूरी की पूरी लड़की ही पसंद आती है.. पर उसके गले को.. उसकी बाँहों को.. और उसके पर्सनल पार्ट्‌स को चुम्बन करने में.. और चूसने में मुझे बहुत मजा आता है।

इस बात का भाभी पर ना जाने क्या असर हुआ.. उन्होंने अचानक मुझसे कहा- मैं दिखने में कैसी हूँ.. ये बता?
मैंने शर्मा कर कह दिया- भाभी मैंने आप जैसी लड़की आज तक नहीं देखी।

फिर भाभी ने मुझसे पूछा- पहली बार सेक्स करते वक्त मुझे डर लगा था क्या?
मैंने इस पर उनको बताया- भाभी मुझे तो डर नहीं लगा था। मैं बहुत ही ज्यादा जोश में था और इसी जोश की वजह से पहली बार में मेरा काम बहुत जल्दी में ही लग गया था।

भाभी जोर से हँस पड़ीं और मुझसे और ज्यादा खुल गईं।
मुझसे भी रहा नहीं गया और मैंने भाभी से उनकी सुहागरात के बारे में पूछ ही लिया।

पहले तो भाभी शर्मा गईं.. फिर बोलीं- मेरा तो सुहागरात से लेकर आज तक जल्दी ही सब कुछ हो जाता है और मैं ऐसे ही रह जाती हूँ।
मैंने भाभी का हाथ पकड़ कर कहा- भाभी आप चिंता मत करो.. अब मैं हूँ तो आपकी सारी तकलीफ दूर हो जाएंगी।

भाभी ने कहा- चलो एक गेम खेलते हैं.. ये गेम हम दोनों के बीच में होगा और कोई भी तीसरा आदमी इसके बारे में कुछ नहीं जानेगा।
मैं तैयार हो गया.. भाभी की बात सुनकर मेरा लौड़ा अब धीरे-धीरे खड़ा होने लगा था।

भाभी ने कहा- गेम का रूल होगा कि दोनों एक-दूसरे से सवाल पूछेंगे और जो जवाब नहीं दे पाया.. वो अपना एक कपड़ा खोलेगा।

मैं खुश होते हुए हाँ में सर हिलाया.. साला किसी का भी कपड़ा उतरे मुझे तो अब भाभी की चूत चुदासी सी दिखने लगी थी।
उन्होंने आगे कहा- कॉलेज होस्टल में लड़कियों के साथ ये गेम उन्होंने कई बार खेला है।
मैं मान गया.. पर मैंने कहा- भाभी जीतने वाला अपने हाथ से हारने वाले का कपड़ा निकालेगा न?
भाभी हँस पड़ीं और मान गईं।

उन्होंने मुझसे पहला सवाल पूछा और मुझे जवाब नहीं आया तो उन्होंने तुरंत मेरा शर्ट निकाल दिया। फिर मैंने सवाल पूछा और मैं जीत गया। इस बात पर मैंने उनकी साड़ी खोल डाली। साड़ी खोलते वक्त मैंने उनकी कमर पर अच्छे से हाथ फिराया और उनको थोड़ी सी गुदगुदी भी की.. जो उनको बहुत अच्छा लगी.. उस मजे के वक्त उनकी आँखें बंद हो गई थीं।

अब उनकी बारी थी.. उन्होंने अपना सवाल पूछा और इस बार मेरे हार जाने पर उन्होंने मेरी जीन्स खोल दी, मेरा अंडरवियर अब एकदम भाभी की नजरों के सामने था और मेरा लौड़ा भी खड़ा हो चुका था।

भाभी मेरे लण्ड की साइज को देख कर खुश हो गईं और उनके चेहरे पर एक चमक आ गई। फिर मैंने उनसे अपना सवाल पूछा और इस बार वो जीत गईं.. उन्होंने सही जवाब दे दिया।
फिर भाभी ने सवाल पूछा और मैं फिर हार गया। भाभी ने कहा- पहले मैं तुझे पूरा नंगा करूँगी..
और उन्होंने जल्दी से मेरी चड्डी नीचे सरका दी।

भाभी की आँखें मेरा लौड़ा देखते ही चमक उठीं और उन्होंने शरारत करते हुए उसको अपने दोनों हाथों में लेकर ज़ोर से दबा दिया।
मेरी ‘आह..’ निकल गई.. मैंने कहा- भाभी मुझे कुछ हो रहा है..
इस पर उनका जवाब सुनकर मैं हैरान रह गया।

उन्होंने कहा- कुछ होने के लिए ही ये सब कुछ मैंने तुम्हारे साथ किया है।
फिर क्या था.. मैंने जोश में भाभी को गोद में उठकर पलंग पर पटक दिया और उनके ऊपर चढ़ गया।

भाभी पूरी गर्म हो चुकी थीं.. मैंने उनके होंठों को बड़े प्यार से छुआ और अपने होंठों से उन रसीले अधरों का रसपान करने लगा।
भाभी के जिस्म से बहुत ही मादक सुगंध आ रही थी।
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दोस्तो, भाभी गर्म होती जा रही थीं और मैं उनके पूरे जिस्म को मानो किस नहीं कर रहा था.. बस पीते जा रहा था।
सबसे ज्यादा मैंने उनके गले पर और उनकी बाँहों पर चुम्बन किए।
धीरे से मेरे हाथ उनके मम्मों के तरफ़ आ गए और मैंने उनकी जम कर मालिश भी की।

भाभी मानो सातवें आसमान पर उड़ रही थीं.. मैंने देखा कि भाभी की पैन्टी पूरी गीली हो चुकी है और वहाँ से बहुत प्यारी महक आ रही थी।
मैंने उनकी चड्डी के ऊपर से ही उनको किस किया तो वो और पागल हो गईं। फिर मैंने भाभी की चड्डी को पूरा बाहर निकाल फेंका और जम कर उनकी चूत को चूसने लगा।

भाभी अब पूरी पागल और चुदास में दीवानी हो चुकी थीं। उन्होंने झट से मेरे लौड़े को पकड़ लिया और मुझसे विनती करने लगीं- अब सहा नहीं जाता जतिन.. जल्दी से मेरी चूत में इसको गाड़ दो..

मेरे लिंग का आकार 6” लंबाई का है और थोड़ा अधिक ही मोटा है.. जिसके वजह से वो अन्दर आसानी से जाने वाला नहीं था.. पर मैंने पहले उसके ऊपर नारियल का तेल लगा दिया।

अब मैंने अपना लौड़ा अपने हाथ में लिया और भाभी की गोरी चूत से चिपका दिया। उनकी आँखों में देखा तो भाभी लण्ड लीलने को आतुर दिखीं।

मैंने पहला झटका लगाया ही था कि भाभी ने दर्द के मारे आँखें बंद कर लीं और मुझसे बोलीं- रुकना मत.. क्योंकि आज बहुत दिनों बाद एक मर्द का असली लौड़ा मेरी चूत को फाड़ रहा है।
फिर धीरे-धीरे सब ठीक हो गया और भाभी कुछ ही पलों में ही झड़ गईं.. पर मैंने अपना काम चालू रखा।

काफ़ी देर की जबरदस्त चुदाई के बाद मैंने कसके उनकी चूत में अपना सारा रस छोड़ दिया।
मेरे दोनों पैर और पूरा लौड़ा और साथ ही भाभी का बिस्तर.. हम दोनों के जवानी के रस से भीग चुके थे।
भाभी के चेहरे पर एक खुशी की चमक थी और उन्होंने मुझे कुछ इस तरह से पकड़ा हुआ था कि मानो अब मुझे कभी नहीं जाने देंगी।
फिर मैं और भाभी शांत हो गए और बिस्तर पर एक-दूसरे को प्यार करते रहे।

उस दिन के बाद जब भी मौका मिलता.. वो मुझसे सेक्स का पूरा मजा लेती थीं।
क़रीब 2 सालों से उनको खुश कर रहा हूँ दोस्तो.. कसम से उनकी खूबसूरती की कशिश आज तक मेरे दिल को घायल किए हुए है।

दोस्तो, सेक्स तो एक ऐसी कला है.. जिसको जितने प्यार से किया जाए उतना ही मजा देती है।
भाभी के साथ मैंने लगभग हर उस अंदाज़ में सेक्स किया.. जो मैंने सोचा भी नहीं था।

मेरा मानना है कि अगर हम नए-नए अंदाज़ में सेक्स करते रहें और नई-नई जगह पर करते रहें.. तो इसका मजा इतना अधिक होता है कि आपका कभी भी इस काम से मन नहीं भर सकता है।

दोस्तो, अगर आप अपने जीवन में अपनी सेक्स लाइफ से खुश नहीं है तो खुल कर मुझे अपनी समस्या के बारे में मेल करें, शायद मैं अपने अनुभव से आपकी कोई मदद कर सकूँ।

आप सबको मेरी कहानी कैसी लगी.. जरूर बताना।
आपका प्यारा जतिन कुंवर
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