फूफा जी ने मेरी माँ चोद दी-1
मेरा नाम मोनू है। मैं 26 साल का लड़का हूँ। मैं सीकर का रहने वाला हूँ। मैं आज आपको मेरी मम्मी और मेरे फूफा जी के बारे में बताता हूँ। बात शायद 15-16 साल पुरानी है, मेरी मम्मी बड़ी ही सुंदर और गोरी हैं, देखने में बहुत ही मस्त लगती हैं। मुझे यह कहने में ही शर्म आ रही है, मगर क्या करूँ, मेरी मम्मी ने काम ही कुछ ऐसा किया था।
मेरी मम्मी बहुत ही लड़ाकू किस्म की महिला हैं। वो मेरे पापा और दादा-दादी से लड़ती रहती थीं। ऐसे ही एक बार मेरी मम्मी सब से लड़ कर मेरे नाना-नानी के घर पर आ गई थीं। हम लोग नाना-नानी के घर पर एक महीने से ज़्यादा समय से रह रहे थे।
एक दिन मेरे फूफा जी जो कि जयपुर में रहते हैं, हमारे घर आए। वो वहाँ पर किसी काम से आए थे और उन्हें 3-4 दिन वहीं पर ही रुकना था। उन्होंने खुद के लिए एक होटल में कमरा किराए पर ले रखा था। एक दिन वो हमारे घर आए। मेरे फूफा जी हमें बहुत अच्छे लगते हैं क्योंकि वो हमेशा हमारे लिए बहुत सा सामान लाते थे। मेरे फूफा जी 6 फुट लंबे गोरे और स्मार्ट हैं। उस समय उनकी उम्र 28 साल के लगभग रही होगी।
किस्मत से जिस दिन वो आए थे, उसी दिन मेरे नाना-नानी को बाहर काम से जाना था। जब फूफा जी हमारे घर आए तो वो हमारे लिए काफ़ी सामान लाए थे। आने के बाद वो नाना-नानी के साथ हॉल में बैठ कर बातें कर रहे थे। सारी बातों का केंद्र मेरे पापा और दादा-दादी थे। फूफा जी मेरे मम्मी को वापस चलने के लिए मना रहे थे।।
शाम को नाना-नानी फूफा जी को घर पर तीन दिन रुकने के लिए कह कर काम से चले गए थे। मैं, मेरी बहन और मेरी मम्मी फूफा जी के साथ हॉल में बैठे थे और बातें कर रहे थे। किसी बात पर मम्मी रोने जैसी हो गई थी और फूफा जी उन्हें समझा रहे थे।
तभी फूफा जी ने हमें यह कह कर बाहर खेलने भेज दिया कि बच्चों को ऐसी बातें नहीं बतानी चाहिए, इससे उनके मन पर बुरा प्रभाव पड़ेगा, पर मेरा मन तो मम्मी पर ही था। मैं वहाँ पर रुकना चाहता था और उनकी बातें सुनना चाहता था, पर मम्मी ने मुझे बाहर भेज दिया।
मैं और मेरी बहन घर के सामने पार्क में खेलने चले आए। पर मुझे उनकी बातें सुननी थीं तो मैं वापस घर आ गया और अंदर ना जाकर बाहर गेट के पास खड़ा हो कर उनकी बातें सुनने लगा।
मेरे फूफा जी कह रहे थे कि यह सब तो घर में चलता रहता है। इस पर घर छोड़ कर नहीं आते।
मम्मी- पर वो लोग मुझे पसंद नहीं करते हैं, मुझे परेशान करते हैं।
फूफा जी- भैया तो पसंद करते हैं ना ! आपको तो उनके साथ रहना है।
मम्मी- उनको मेरे साथ रहना होता तो मुझे लेने नहीं आते क्या?
फूफा जी- उन्होंने ही मुझे भेजा है।
ुमम्मी- नहीं, मुझे वहाँ नहीं जाना है। मैं वहाँ नहीं रह सकती!
और यह कह कर मम्मी रोने लगीं, फूफा जी उनको चुप कराने लगे, कभी उनके आँसू पोंछते कभी कुछ।
तभी मम्मी उनके गले से लग कर रोने लगीं। फूफा जी उनके सर पर हाथ फेर रहे थे। थोड़ी देर बाद मम्मी का रोना बंद हो गया पर मम्मी फूफा जी से चिपक कर ही खड़ी रहीं।
मम्मी और फूफा जी के हाथ दोनों की कमर पर फिर रहे थे। थोड़ी देर बाद फूफा जी मम्मी के होंठों को चूमने लगे। मुझे कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि यह क्या हो रहा है। उस उम्र में मुझे सेक्स के बारे मे कुछ भी पता नहीं था।
फूफा जी ने मम्मी को सोफे पर पटक दिया और उनका ब्लाउज खोल कर उनके स्तनों को चूसने लगे। उसके बाद उन्होंने अपने पैंट और अंडरवियर भी नीचे सरका दी। मम्मी का घाघरा ऊपर करके उनकी पैंटी उतार दी। उन्होंने मम्मी को ऊपर-नीचे किया और अपना लंड मम्मी की चूत में डाल दिया।
मम्मी तो सोफे पर बस अपनी आँखे बंद कर के लेटी हुई थीं। मम्मी के हाथ फूफा जी की कमर पर थे। थोड़ी देर बाद ही मम्मी ने अपनी दोनों टाँगें फूफा जी की कमर से जकड़ दीं। अब फूफा जी मम्मी को हचक कर चोद रहे थे। मम्मी भी पूरी तरह से उनका साथ दे रही थीं।
करीब 10 मिनट के बाद फूफा जी ने मम्मी को औंधा करके कुतिया जैसा बना दिया और अब मम्मी के स्तन सोफे की तरफ झूल रहे थे और मम्मी की चूत फूफा जी की तरफ थी। फूफा जी ने मम्मी की चूत में लौड़ा डाल दिया। अब मम्मी घोड़ी बन कर चुदा रही थीं।
कुछ देर बाद फूफा जी ने मम्मी को फिर सीधा किया और उन पर चढ़ गए और तेज धक्के मारने चालू कर दिए।
मम्मी की मुँह से लगातार चीखें निकल रही थीं। थोड़ी देर बाद फूफा जी मम्मी की चूत में अपना लौड़ा घुसेड़ कर एकदम से अकड़ गए और फिर निढाल हो कर लेट गए।
मम्मी उठीं और अपनी पैंटी पहन कर कपड़े ठीक करके बोलीं- आज जाने कितने दिनों बाद चुदाई की है। मैं तो लाख कोशिश करने के बाद भी रुक नहीं पाई।
फूफा जी- मैं तो कबसे तुम्हें चोदने की सोच रहा था, पर आज मौका मिला है। रात को और मज़े से करेंगे। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !
रात को खाना खाने के बाद हम लोग टीवी देख रहे थे। मम्मी और फूफा जी पास-पास ही बैठे थे। फूफा जी के हाथ मम्मी की कमर पर थे और मम्मी बार बार हटा रही थीं और धीरे से कह रही थीं- बच्चे देख लेंगे।
मम्मी ने हमे सोने के लिए कहा, पर हम लोग टीवी देखने के लिए कह रहे थे। शायद दोनों से इंतजार नहीं हो पा रहा था।
तो मम्मी ने फूफा जी की तरफ देखते हुए हंस कर कहा- मैं रसोई में जाकर बर्तन साफ कर लेती हूँ। तुम टीवी देख कर सोने चले जाना।
और मम्मी रसोई मे चली गई। थोड़ी देर बाद फूफा जी भी उठे और कहा- मोनू, मैं तो सोने जा रहा हूँ।
फूफा जी को कमरा रसोई के पास वाला ही मिला था। थोड़ी देर बाद जब मैं चुपचाप रसोई की तरफ गया तो कुछ आवाजें आ रही थीं। मैंने देखने की सोची और मैं रसोई की खिड़की में से देखने लगा। मैंने देखा कि मम्मी किचन की स्लैब पर हाथ टिका कर खड़ी हैं और पीछे से फूफा जी उनका गाउन ऊपर कर के उनकी चूत में लंड डालने की कोशिश कर रहे थे।
कुछ देर बाद मम्मी ने कहा- हम लोग कमरे में चलते हैं।
फूफा जी ने कहा- अगर वो दोनों आ गए तो !
मम्मी- वो दोनों तो टीवी में बिज़ी हैं, नहीं आयेंगे, अब छोड़ो यार, एक राउंड तो कर लेते हैं, ऐसे छुप-छुप कर ही तो मज़ा आता है।
फूफा जी ने कहा- चलो !
और दोनों कमरे में चले गए। अंदर जाते ही दोनों ने दरवाजे की कुण्डी लगा दी कि कहीं हम ना आ जाएँ।
मैंने की-होल के छेद में से देखा तो फूफा जी मम्मी को अपना लंड चुसवा रहे थे और मम्मी चूस रही थीं। यह देख कर मुझे बड़ा मज़ा आ रहा था।
थोड़ी देर बाद मम्मी पलंग पर अपनी टाँगें फैला कर लेट गईं और बोलीं- जल्दी से चोद लो मेरे राजा।
फिर फूफा जी ने लंड तुरंत मम्मी की चूत में डाल कर चुदाई चालू कर दी। फूफा जी जबरदस्त झटके मार रहे थे। मम्मी के मुँह से सीत्कारें निकल रही थीं। कमरे में से उन दोनों की धकापेल चुदाई की मादक ‘आहें’ और ‘फूउक्छ फॅक’ की आवाजें भी आ रही थीं।
मम्मी फूफा जी को धीरे करने के लिए कह रही थी कि कहीं हम ना सुन लें। मगर फूफा जी पर इसका कोई असर नहीं हो रहा था। वो तो बस अपनी छिनाल सलहज को चोदने में लगे रहे और बाद में मम्मी भी उनका साथ देने लगीं।
करीब आधे घंटे के बाद फूफा जी मम्मी के ऊपर ढेर हो गए और ज़ोर से झटके मार कर झड़ने लगे। उसके बाद मम्मी उठी और गाउन ठीक करती हुई बोलीं- उन दोनों को सुला कर रात को आऊँगी।
मम्मी को बाहर आता देख मैं भी जल्दी से टीवी के पास जाकर बैठ गया। किस्मत से मेरी बहन टीवी देखते-देखते ही सो गई थी।
बाद में मम्मी ने मुझे और मेरी बहन को कमरे में ले जाकर सुला दिया और खुद फूफा जी के कमरे में चुदवाने चली गईं।
उसके बाद तो फूफा जी और मम्मी को जब भी मौका मिला उनने खूब चुदाई की। उन्होंने तो बाथरूम, किचन, हॉल, स्टोर, छत, हर जगह धकापेल चुदन-चुदाई की और हमारे घर पर लाते समय कार में भी मम्मी को लंड चुसवाते और चोदते हुए लाए।
हमारे घर पर पर भी जब भी आते, मम्मी की ढंग से चुदाई करते। यह सब मैं आपको बाद में बताऊँगा।
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