बस में दोस्त बनी लड़की से सेक्स का मजा
दोस्तो, आपने मेरी पहली कहानी
डांस कॉम्पटीशन में मस्ती
को पढ़ा और सराहा, जिसके लिए आपका बहत-बहुत धन्यवाद. आप लोगों द्वारा भेजे गए ई-मेल हेतु भी धन्यवाद.
आज पुनः मैं आपके सामने एक नई सच्ची कहानी लेकर हाजिर हुआ हूँ, जोकि हाल ही में मेरे साथ घटित हुई.
मुझसे नए जुड़ने वाले साथियों के लिए बताना चाहता हूँ कि मेरा नाम रिक्की (बदला हुआ नाम) है. उम्र 35 साल है. मैं लखनऊ से हूँ एवं मेरा रंग गोरा, हाइट 5’7″ है. मेरे लंड का साइज औसत लगभग 5 इन्च है, लेकिन मोटा है.
यह कहानी नवम्बर 2016 से शुरू हुई. मेरी पोस्टिंग लखनऊ से 90 किमी. दूर सीतापुर जिले में हुई. चूंकि उक्त जिले में जाने हेतु साधन की अच्छी व्यवस्था थी, जिस कारण बहुत से नौकरी पेशा लोग लखनऊ से सीतापुर रोजाना अप-डाउन करते हैं. इसी कारण मैंने भी बस के माध्यम से अप-डाउन करना शुरू कर दिया. सुबह 8 से 9 के बीच में जितने भी यात्री सीतापुर जाते हैं, वे सभी रोजाना अप-डाउन करते हैं.
उन्हीं में से एक सरकारी बैंक में अदिति (बदला हुआ नाम) की नौकरी लगी, वह भी रोजाना लखनऊ से ही आने जाने लगी थी. उसकी उम्र लगभग 23 साल, रंग सांवला, हाइट 5.6 के लगभग, उसकी 32-26-34 की स्लिम फिगर थी.
एक दिन की बात है, मैं बस में अपनी मनचाही सीट सबसे पीछे विन्डो के पास बैठा था. बस लगभग चल चुकी थी, तभी वह मुझे पीछे से दौड़ती हुई आती दिखी. मैंने झांक कर देखा तो उसने मुझे बस रोकने का इशारा किया. मैंने बस रूकवा ली और वह उसमें आ गई.
फिर वह मेरे पास आई और मुझे थैंक्स कहते हुए कहने लगी कि अगर आप बस न रूकवाते, तो मुझे ऑफिस पहुंचने में देर हो जाती.
इस पर मैंने कुछ नहीं कहा और उसे बैठने के लिए कहा. वह मेरे बराबर की सीट पर बैठ गई. कुछ दूर आगे जाने पर वह मुझसे पूछने लगी कि आप कहां जॉब करते हो?
तो मैंने उसे बताया. फिर धीरे-धीरे बातें शुरू हो गईं.
लखनऊ बस स्टैंड के पास ही दो तीन दिन बाद वह मुझे फिर से दिखी, तो मैंने उसे इशारा करके अपनी बस में, जिसमें मैं बैठा था.. उसमें चलने को कहा. तो वह आ गई और मेरे साथ बैठ गई.
थोड़ी देर बातें करने के बाद उसने अपने बैग से किसी प्रतियोगी परीक्षा की किताब निकाली और पढ़ने लगी. मैं भी उसमें देखने लगा. यह देखकर वह मेरे और करीब आ गई, जिससे मैं भी पढ़ सकूं. वो अपनी किताब को पढ़ने लगी. मैंने उससे शाम को उसके ऑफिस से निकलने का समय पूछा और शाम को उसका इंतजार करने लगा.
लगभग 5.30 बजे वह आई और मुझे देखकर मुस्कराई एवं बस में जाकर बैठ गई. मैं नीचे ही खड़ा रहा. वह विन्डो से मुझे देख रही थी. थोड़ी देर बाद बस भरने लगी तो एक आदमी उसके साथ वाली सीट पर बैठने लगा, तो उसने सीट खाली नहीं होने का बताते हुए मुझे इशारा किया.
मुझे इसी पल का इन्तजार था, मैं तुरन्त बस में गया और उसकी साथ वाली सीट पर बैठ गया. कुछ दूर तक बातचीत करने के बाद मुझे नींद आने लगी, तो वह भी सोने लगी.
इसी तरह हम आने जाने लगे, जब मैं लेट हो जाता तो वह मेरा इन्तजार करती थी और हम दोनों साथ-साथ वापस लौटते.
दिसम्बर के आखिरी दिनों में ठण्ड बढ़ गई थी. एक दिन हम बस में बैठे तो उसमें का एक शीशा टूटा हुआ था, जिससे काफी ठण्डी हवा आ रही थी. उससे सभी को ठण्ड लगने लगी. वह भी मेरे से कुछ चिपक कर बैठ गई एवं दूसरी तरफ देखने लगी. मैं भी समझ गया कि उसे ठण्ड लग रही है तो मैंने उसे अपना मफलर दे दिया, जिसे उसने अपने सर में लपेट लिया.
थोड़ी देर बाद उसे नींद आने लगी और वह मेरे कन्धे पर सर रखकर झपकी लेने लगी. मैंने भी अपना हाथ उसके कन्धों पर रख दिया और उसे अपनी तरफ थोड़ा और खींच लिया और वह चुपचाप कन्धों पर सर रखकर बैठी रही.
लखनऊ के करीब आकर मैंने उससे उसका नम्बर मांगा तो उसने अपना मोबाइल देते हुए कहा- अपना नम्बर भी सेव कर दो.
बस से उतरने के एक घन्टे बाद मैंने उसे वाट्सएप पर मैसेज करके पूछा तो उसने कहा- वह घर पहुंच गयी है.
इस तरह हमारी मैसेज के माध्यम से भी बातचीत होने लगी.
जनवरी महीने में जब ठण्ड अपने चरम पर थी, तब वह शाल लेकर आती थी. एक दिन शाम को लौटते समय ठण्ड अधिक थी, मुझे नींद की झपकी आ रही थी. जब मैंने देखा तो उसने अपना शाल मुझ पर भी डाल रखा था और वह भी झपकी ले रही थी. उस समय उसने जींस कुर्ता और जैकेट डाल रखी थी. मेरे हाथों में ठण्ड लग रही थी, जिस कारण मैंने हिम्मत करके उसके हाथों को पकड़ लिया उसके हाथ भी बर्फ की तरह ठण्डे थे. जिस कारण उसने भी मेरे हाथों को कस कर पकड़ लिया. थोड़ी देर तक हम ऐसे ही बैठे रहे.
फिर मैंने अपना हाथ अलग करते हुए अपना दाहिना हाथ कुर्ते के ऊपर से उसके पेट पर रख दिया. उसने मुझे घूर कर देखा, फिर दूसरी तरफ देखने लगी. फिर धीरे धीरे मैंने उसका कुर्ता उठाकर अपना हाथ उसके पेट पर रख दिया, जिस पर उसने धीरे से कहा कि क्या कर रहे हो?
मैंने कहा- हाथ में ठण्ड लग रही है.. गर्म कर रहा हूँ.
वह मुस्कुरा दी, उसने अपना सिर आगे सीट पर टिका लिया और जैकेट की चेन को पूरा खोल दिया. मुझे समझते देर न लगी और मैंने अपना हाथ ऊपर बढ़ाते हुए उसकी ब्रा तक ले गया. वह मंद मंद मुस्कुराते हुए दूसरी तरफ देख रही थी. मैं ब्रा के ऊपर से उसके संतरों को मसलने लगा और वह दूसरी तरफ ही देखती रही.
कुछ देर में लखनऊ आ गया और हम अपने घर चले गए.
रात में लगभग एक बजे उसका मैसेज आया कि बस में क्या कर रहे थे?
मैंने रिप्लाई किया कि हाथों में गर्मी ला रहा था.
जिस पर उसने किस वाला स्टीकर भेजा और मैंने उससे कल के लिए बटन वाली शर्ट पहन कर आने को कहा.
अगले दिन वह ब्लू जींस पिंक शर्ट एवं ब्राउन जैकेट में आयी और स्माइल देकर मेरे साथ बैठ गई. चूंकि दिन के समय कुछ हो नहीं सकती इसलिए मैं शाम को वापस लौटने का इन्तजार करता रहा.
शाम को मैंने उसे पीछे विन्डो साइड बिठाकर उसके बराबर में बैठ गया. उसने खुद को शाल से कवर कर लिया. बस में सबके टिकट बन जाने के बाद जब ड्राइवर ने लाइट बन्द कर दी, तब मैंने धीरे से उसके ऊपर हाथ रखा तो उसने मुस्कुरा कर अपना सिर आगे की सीट पर टिका लिया एवं अपनी शाल आगे से खोल दी. मैंने अपना हाथ जब रखा तो वह सीधे उसके निप्पल से टकराया, तो वह मुस्कुरा कर धीरे से कहने लगी- कर लो हाथ गर्म.
उसने अपनी शर्ट के आगे से तीन बटन खोल रखे थे एवं ब्रा भी नहीं पहनी थी.
जब मैंने पूछा- ब्रा नहीं पहनी क्या?
तो उसने कहा कि आते समय उतार कर रख ली है.. ताकि तुम आराम से हाथ गर्म कर लो.
उसका साथ पाकर मैंने उसके दोनों चूचों को बारी बारी से खूब मसला एवं बीच बीच में शाल में मुँह घुसा कर उसके निप्पलों को मुँह में लेकर चूसा. ऐसा करने से वह भी गर्म होने लगी, तो मैंने अपने हाथ से उसका दाहिना हाथ लेकर अपने लंड पर रख दिया और उसके हाथ को अपने हाथ से दबाने लगा.
कुछ ही देर में वह खुद मेरे लंड को पैन्ट के ऊपर से मसलने लगी.
अब यही क्रम लगभग रोज होने लगा. फिर एक दिन हमने कहीं जाकर मस्ती करने का प्लान बनाया एवं रविवार के दिन हम लोग 11 बजे निकले. मैं उसे सीधे कुकरैल के आगे फारेस्ट कैम्प लेकर गया, जो कि एक छोटा सा रिसार्ट था. वहां पर मैंने एक रूम 3 घंटे के लिए बुक किया और हम लोग रूम में चले गए.
रूम में जाते ही मैं उससे लिपट गया और चूमने लगा. उसने मुझे अपने से अलग किया और कहा कि तुम बहुत कुछ कर चुके हो.. अब आज मेरी बारी है.
यह कहकर उसने मेरी जींस और अण्डरवियर उतार दिया. मेरे लंड को पकड़कर सहलाने लगी एवं कहने लगी- बहुत दिनों से केवल ऊपर से महसूस किया… आज देखने का मौका मिला है.
यह कहकर वह घुटनों पर बैठकर मेरे लंड पर किस करने लगी और धीरे धीरे चूसने लगी. मुझसे खड़ा नहीं हुआ गया, तो मैं बेड पर बैठ गया और वह आराम से लंड चूसने लगी.
बस 5 मिनट बाद मेरा माल निकलने का हुआ तो मैंने उसे बताया, तो वह हाथ से तेज तेज हिलाने लगी और मेरा माल निकल गया.
मैंने उसे अपनी बांहों में ले लिया और उसका नंगा शरीर सहलाते हुए उसके कपड़े निकाल कर नंगी कर दिया. कुछ देर बाद वह फिर से मेरे लंड को चूसने लगी और मैं उसकी चूत सहलाने लगा. जब उसकी चूत पूरी गीली हो गयी तो मैं उसके ऊपर आ गया और उससे इशारों में लंड डालने को कहा तो उसने सर हिलाकर हां कहा.
मैंने लंड का टोपा उसकी चूत में फंसाया और धीरे से धक्का दिया, चूत गीली होने के कारण मेरा टोपा अन्दर घुस गया तो उसके चेहरे पर दर्द के भाव आ गए. मैं वहीं रूक गया और उसके चूचे चूसने लगा. कुछ देर बार वह कमर हिलाकर लंड अन्दर लेने की कोशिश करने लगी. यह देखकर मैंने एक जोर का झटका मारा और मेरा पूरा लंड अन्दर घुस गया. उसकी चीख निकल गयी तो मैंने उससे चुप रहने का इशारा किया और धकाधक चोदने लगा. वह भी गांड उठा उठा कर साथ देने लगी. कुछ देर की चुदाई के बाद वह झड़ने लगी. उसी के साथ मैं भी उसकी चूत में झड़ गया.
फिर हमने कपड़े पहने और मैं कैन्टीन से कुछ खाने का सामान लेकर आया. खाने के बाद मैंने उसे फिर से तैयार किया और वह बिना कुछ कहे नंगी हो गयी. इस बार मैंने उसे खड़े होकर बेड पर झुकने को कहा और खड़े खड़े चोदने लगा.
जब मैं थक गया तो बेड पर लेट गया तो वह मेरे लंड के ऊपर बैठकर सवारी करने लगी और मैं उसके चूचों को मसलने लगा. कुछ देर बाद मैंने उसे घोड़ी बनाकर चोदा और चूत में ही झड़ गया.
कुछ देर लेटे रहने के बाद उसके चूचों पर टमाटो सॉस लगाकर मैंने उन्हें चूसा, तो उसे बहुत मज़ा आया. फिर हमने कपड़े पहने और घर के लिए चल पड़े.
उस दिन के बाद से हमने कई बार चुदाई का मजा लिया और आज भी मौका मिलने पर सेक्स का मजा ले रहे हैं.
तो दोस्तो, कैसी लगी मेरी यह कहानी जरूर बताइयेगा. मेरी ई-मेल आईडी है [email protected]
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