बस में लंड पकड़ने से खेत में चुदने तक
अन्तर्वासना के पाठकों को अंश बजाज का नमस्कार!
दोस्तो, मैं अपनी अगली कहानी के साथ हाज़िर हूँ।
बात आज से लगभग 5 साल पहले की है जब मैं स्कूल से पास होकर कॉलेज जाने लगा था।
रोज़ सुबह निकलना और शाम को वापस आना होता था.. रोडवेज की बसों की बदन-तोड़ भीड़ और गर्मियों का मौसम.. इसमें सफर करना मतलब आग के दरिया को पार करने के बराबर लगता था लेकिन कभी कभी इस सफर में कुछ ऐसी घटना घट जाती थी कि सफर में मस्त मजा भी आ जाता था।
ऐसे ही एक दिन सवारियों से भरी बस में मैं चढ़ा जो रोहतक की तरफ जा रही थी। मेरा गांव भी उसी बस के रूट पर पड़ता था।
मैं जैसे तैसे करके बस के अंदर घुसा जिसमें पहले से ही भेड़ बकरियों की तरह लोग भरे हुए थे।
मुश्किल से मुझे एक सीट के पास पैर जमाकर खड़े होने की जगह मिल ही गई जो मेरे लिए काफी सुकून की बात थी।
बस निकल पड़ी और 2-3 स्टैंड गुजरने के बाद एक पतला सा लड़का भीड़ में अंदर धक्के मारता हुआ घुसा चला आ रहा था। किसी किसी न किसी तरह फंस फंसाकर वो लड़का मेरे साथ वाली सीट के पास आकर मेरी बगल में खड़ा हो गया।
मैंने देखा तो कोई 19-20 साल की उम्र का रहा होगा.. हल्के से सांवले रंग का ठीक-ठाक शरीर का लड़का था… टी-शर्ट पूरी पसीने से तर-बतर, पीठ पर लटका हुआ बैग और नीचे नीली लोअर पहनी हुई थी.. उसने सिर पर परना(सफेद कपड़ा) डाल रखा था जो अक्सर हरियाणा के लोग गर्मी से बचने के लिए सिर पर डाले रहते हैं.. उसकी वजह से मुझे उसका चेहरा ढंग से नहीं दिख पा रहा था।
हम दोनों एक दूसरे की बगलों में बिल्कुल सट कर खड़े हुए थे जिसके कारण मुझे उसका पसीने में भीगा टी-शर्ट अपने बदन लगता हुआ महसूस हो रहा था।
वो लड़का मेरे दाहिने हाथ की तरफ खड़ा हुआ था और मेरे उसी कंधे पर मेरा बैग लटका हुआ था और मैंने अपना हाथ अपने बैग पर लटकाया हुआ था और मेरे हाथ की उंगलियाँ उसकी लोअर तक पहुंच कर उसकी जेब पर जाकर सटी हुई थीं।
लेकिन मेरे मन में ऐसा कोई ख्याल नहीं था जो मुझे उसकी तरफ आकर्षित कर रहा था क्योंकि वो मेरी पसंद का लड़का नहीं था। मुझे जरा हट्टे-कट्टे 28-30 साल के मर्द पसंद हैं इसलिए उसकी तरफ मैं कोई आकर्षण महसूस नहीं कर रहा था।
बस चली जा रही थी और भीड़ कम होने का नाम नहीं ले रही थी… जिससे गर्मी ज्यों की त्यों बनी हुई थी। गर्मी से तंग आकर उस लड़के ने अपनी टी-शर्ट पेट से थोड़ी ऊपर कर ली।
मैंने नज़र घुमाकर देखा तो मेरी आँखें वहीं उसी नज़ारे पर रुक गईं.. क्या एब्स थे उस लड़के के.. बिल्कुल मस्त और शेप में.. सपाट पेट और उस पर चार कसे हुए एब्स और उनके नीचे उसकी लोअर की इलास्टिक जिसके अंदर पसीने की धाराएँ बहकर उसकी नाभि के बगल में बनी दरारों से बहकर उस एरिया में जा रही थीं जहाँ से उसकी झांटों के एक दो बाल ऊपर की तरफ निकले हुए दिख रहे थे..
यानि किसी मर्द के जिस्म का सबसे सेंसिटिव एरिया.. और पसीने की बूंदें उसी एरिया से गुजरती हुई शायद उसके लंड के आस-पास से बहकर नीचे उसकी जांघों में जा रही थीं.. हाय… यह नज़ारा देखकर मेरी अंतर्वासना तो उबाल दे गई..
लेकिन फिर भी मैं चुपचाप खड़ा रहा।
कुछ देर बाद बस में और ज्यादा भीड़ चढ़ गई.. और धक्के अंदर तक आने लगे.. लोग घुसने लगे.. और इस धक्का मुक्की में वो लड़का थोड़ा मेरी तरफ घूम गया जिसके कारण आगे लंड की तरफ से उसकी लोअर का बीच वाला हिस्सा बैग पर रखी मेरी उंगलियों को छू गया।
उसकी लोअर के छूने से ही मेरे अंदर कामवासना जागने लगी.. भीड़ में एक धक्का और लगा तो उसकी लोअर के बीच में उभरा हुआ उसका सोया हुआ गुदगुदा लंड मेरे हाथ से टकरा गया और मेरी सिसकारी निकल गई।
अब मैं खुद चाह रहा था कि उसकी लोअर में लटक रहा सोया हुआ उसका लंड बार-बार मेरे हाथ से टकराए.. इसलिए मैं भी जान-बूझकर कोशिश करने लगा कि मेरा हाथ उसके लंड तक पहुंचने लगे.. और उसको टच करता रहे!
दिल में घबराहट भी हो रही थी और हाथ भी कांप रहा था लेकिन हवस और वासना में ये सब करना अच्छा लग रहा था.. अब तो जब भी पीछे से कोई व्यक्ति गुजरता मैं जानबूझकर अपना हाथ उसकी लोअर की तरफ बढ़ा देता और इस तरह मेरा हाथ तीन बार उसके लंड को टच कर चुका था।
अब उसका ध्यान भी इस तरफ जाने लगा था और वो मेरी उंगलियों की हरकत को ध्यान से देख रहा था जो बार-बार उसके लंड की तरफ बढ़ने के लिए मचल रही थीं।
अबकी बार जब अगला धक्का लगा तो मैंने फिर से उसके लंड की तरफ हाथ बढ़ाया और मेरे हाथ की उंगलियों के बीच में जगह बनाते हुए मैंने उसके लंड को उंगलियों के अंदर आने दिया.. उसने भी अबकी बार अपने सोये हुए लंड को उंगलियों के अंदर ही डाले रखा।
लेकिन एक मिनट के अंदर ही उसके लंड का आकार बढ़ना शुरु हो गया और अगले 30 सेकेन्ड में उसका लंड तन गया।
लंड के तनते ही मैंने अपना कंट्रोल खो दिया और बैग की आड़ में पूरा हाथ उसके तने हुए लंड पर रख दिया।
मैंने ज़रा सी नज़र उसकी तरफ घुमाई तो हवस के कारण उसके होंठ खुले हुए थे और वो आँखों ही आँखों में जैसे कह रहा हो कि चूस ले इसको..
उसको देखकर मेरी हिम्मत और बढ़ी और मैंने उसके लंड पर हाथ फिराना शुरु किया।
अचानक उसने मेरा हाथ पकड़ा और अपनी लोअर के अंदर डाल दिया.. लंड सीधा मेरे हाथ में था और मैंने पसीने से भीगे उसके लंड को हाथ में भर लिया, उसको दबाने के लिए मचल रहा था।
अब उसके कूल्हों की हरकत भी शुरु हो चुकी थी.. और वो तनाव से फट रहे अपने लंड को मेरे हाथ में हल्के हल्के आगे पीछे करने लगा।
उसका दबाव थोड़ा बढ़ा तो उसके लंड की टोपी खुल गई और उसने पूरा जोर लगाकर अपना लंड मेरे हाथ में घुसा दिया जिसको मैंने कसकर अपनी मुट्ठी में भर रखा था।
वो भी मज़े में काबू खोता जा रहा था और मैं भी..
कभी मैं उसके आंडों को सहलाता और कभी उसके लंड की टोपी को खोलकर उसके मूतने वाले रास्ते को उंगली से छेड़ कर अंगूठे से मसल रहा था.. कभी उसके झांटों में हाथ फेर रहा था और कभी उसकी जांघों पर.. बहुत मजा आ रहा था।
अब वो मेरे हाथ में लंड को सहलाता हुआ दूसरे हाथ से मेरी गांड को पैंट के ऊपर से ही सहला रहा था और मेरे चूतड़ों को दबा रहा था। उसकी गर्म सांसें मेरी गर्दन पर लग रही थीं, मैं भी पागल सा हो रहा था और उसके लंड को आंडों समेत हाथ में भर कर मसले जा रहा था।
उसने पूछा- कहां जाएगा?
मैंने कहा- बहादुरगढ़ के पास उतरना है!
वो बोला- चूसेगा मेरा लंड?
मैंने हां में सिर हिला दिया।
वो बोला- गांड में भी डलवा लेगा..
मैंने ना कह दिया..
उसने कुछ सोचा और बोला- ठीक है मैं भी तेरे साथ उतर जाता हूँ..
मैंने कहा- ठीक है।
मैं उसके खड़े लंड को लोअर में हाथ डाले हुए सहलाता रहा और वो मेरे हाथ को चोदता रहा.. और पीछे से एक हाथ से मेरी गांड पर हाथ फेरता रहा।
यह सब चल ही रहा था कि स्टैंड नजदीक आने वाला था.. मैंने कहा- स्टैंड आने वाला है..
हम भीड़ को हटाते हुए निकलने की कोशिश करने लगे.. मैं आगे था और वो पीछे.. बस में लोगों के बीच से निकलते हुए वो मुझसे सट कर चल रहा था और लोअर में से तने हुए अपने लंड को मेरी गांड में घुसाने की कोशिश कर रहा था।
वो मेरी कमर को दोनों हाथों से पकड़े हुए था और कभी कभी बहाने से गर्दन पर किस भी कर रहा था।
उसकी हवस को देखकर लग रहा था जैसे मुझे अभी बस में ही चोद देगा।
हम बस से नीचे उतर गए.. उसने पूछा- तुम्हारा नाम क्या है?
मैंने कहा- अंश! और आपका?
वो बोला- आशीष (बदला हुआ नाम)
उसने पूछा- ये शौक कब से लगा तुझे?
मैंने कहा- बहुत पहले से!
‘कितनों के लंड ले चुका है अब तक?’
मैंने कहा- अभी तो ऐसा कोई मिला ही नहीं जिसका लेने के लिए तैयार हो जाऊं..
उसने कहा- क्यों.. लंड तो किसी का भी ले ले.. लंड तो लंड ही होता है।
मैंने कहा- नहीं ऐसा नहीं होता.. मैं तो अपनी पसंद के लड़के का ही लूंगा!
उसने पूछा- कैसे लड़के पसंद हैं तुझे?
मैंने कहा- हट्टे कट्टे ..लंबे कद काठी वाले.. जैसे हरियाणा के जाट होते हैं।
सुनकर वो हंसने लगा और बोला- मतलब मैं तेरी पसंद का नहीं हूँ..
मैंने कहा- नहीं, ऐसी बात नहीं है.. आपका लंड पकड़कर मुझे भी अच्छा लग रहा था.. और आपने मुझे भरी बस में गाली वगैरह नहीं दी इसलिए आप मुझे अच्छे लगे।
वो बोला- ठीक है, चल अब मेरे लंड की प्यास बुझा दे.. बहुत मन कर रहा है तेरे मुंह में देने का…
मैं भी मुस्कुरा दिया और हम खेतों की तरफ निकल गए।
शाम भी होने वाली थी और अंधेरा होने को चला था.. जल्द ही गेहूँ के एक खेत में घुस गए.. लेकिन वहाँ चूसना मुश्किल था.. पौधे छोटे थे।
साथ में ही सिंचाई करने के लिए पानी वाली मोरी थी.. जो सूख चुकी थी..वो जल्दी से उसमें अपना परना बिछाकर लेट गया और लोअर नीचे सरका दी।
उसका कामरस में सना हुआ लंड नंगा हो गया जो उसके आंडों पर पड़ा हुआ था।
मैंने भी देर न करते हुए उसको मुंह में भर लिया और उसके नमकीन पानी को जीभ से चाटते हुए उसके लंड को चूसने लगा।
कुछ ही पलों में उसका लंड तनकर लौड़ा हो गया और मेरे मुंह में भर गया.. करीब 6.5 इंच का था और 2 इंच मोटा..
उसकी काली काली बड़ी जंगली झाटों से पसीने की महक आ रही थी।
मैंने उसकी लोअर उसके घुटनों के नीचे तक उतार दी जिससे उसकी जांघें नंगी हो गईं और उनके बीच में फनफना रहा था मेरे थूक से सना हुआ उसका गर्म लंड.. जो झटके पर झटके मार रहा था।
मैंने उसकी जांघों को उसके आंडों के पास से चूमना शुरु किया तो उसकी आहें निकलने लगीं।
अगले ही पल मैंने उसके आंडों को मुंह में ले लिया और चूसने चाटने लगा..
वो वहीं लेटा हुआ तड़पने लगा और अचानक मेरे सिर को पकड़ कर लंड मेरे मुंह में दे दियाऔर पूरा गले में घुसा दिया..
और बोला- चूस मेरी जान..चूस जा इसको पूरा..पी जा इसका रस!
मैं भी नशे में होकर उसके लंड को जोर जोर से चूसने लगा..
अब मैंने उसकी टी-शर्ट को ऊपर उठा दिया जिससे वो छाती तक नंगा हो गया और उसके निप्पल भी दिखने लगे।
मैंने चुटकी से उनको मसलना चाहा लेकिन उसने हाथ हटा दिया.. लेकिन फिर भी मैं उसकी छाती पर हाथ फेरता हुआ उसके लंड को जोश के साथ चूस रहा था।
फिर वो बोला- चल तू भी लेट जा, मैं तेरी भी मुट्ठी मार देता हूँ..तेरा भी तो दिल कर रहा होगा..
मैंने खुशी खुशी उसकी बात मान ली और अपनी पैंट को अंडरवियर समेत जांघों तक नीचे सरका कर उसकी जगह लेट गया।
उसने मेरा लंड हाथ में लेकर एक दो बार हिलाया जिससे मुझे काफी अच्छा लगालेकिन अगले ही पल अचानक उसने मुझे जबरदस्ती दूसरी तरफ पलट दिया और एकदम से मेरे ऊपर आकर गिर गया और उसका लंड सीधा मेरी गांड पर आ लगा।
उसने सिसकारी ली- ..आह… क्या नरम मुलायाम गांड है मेरी जान.. चोद दूंगा आज तो तुझे मैं बुरी तरह..
उसका लंड मेरे चूतड़ों में घुस रहा था और वो पूरा मेरे ऊपर लेटा हुआ मुझे कमर पर से चूम रहा था।
उसने धक्के मारने शुरु किए।
मैंने कहा- नहीं यार.. ये गलत बात है… पहले ही सब बात हो चुकी है.. मैंने मना किया था गांड मरवाने के लिए!
वो मेरी किसी बात का जवाब नहीं दे रहा था और मुंह से आह.. आह… की आवाज करते हुए अपना तना हुआ लंड मेरी गांड में रगड़े जा रहा था.. कभी अपनी उंगली मेरे मुंह में डालकर चुसवा रहा था और कभी मेरे नर्म चूतड़ों को हाथों में जोर से भींच रहा था।
उसकी जांघों वाला हिस्सा बिल्कुल मेरी गांड से चिपका हुआ था और वो अपने नंगे चूतड़ हवा में ऊपर नीचे करते हुए मुझे चोदने की कोशिश कर रहा था।
जब उसकी जांघें मेरी गांड से टकरा रही थीं तो खेत के सन्नाटे में पट्ट-पट्ट की आवाजें आ रही थीं।
मैंने उसको हटाने की कोशिशें तेज कर दीं..
वो बोला- बस-बस रुका जा मेरी जान.. कहां भाग रही है… एक बार ले ले मेरा लंड अंदर फिर तू बार-बार लेगी!
कहते हुए वो लंड को अंदर घुसाने की कोशिश करने लगा… उसने मुझे दोनों हाथों से दबोचा हुआ था.. उसका लंड मेरी गांड के छेद के पर आकर अटक जा रहा था क्योंकि मैंने अपनी गांड बहुत टाईट कर ली थी।
लेकिन वो जोर लगाए जा रहा और लंड अपना रास्ता बनाने ही वाला था कि मैंने जोर-जोर से उससे मिन्नत करना शुरु कर दिया- छोड़ दो मुझे.. प्लीज.. जाने दो.. छोड़ दो मुझे.. जाने दो..
वो बोला- शोर क्यूं कर रहा है.. साले.. ले ले ना एक बार अंदर!
‘नहीं, मुझे जाने दो प्लीज़!’
मैं ज़ोर जबरदस्ती करके उठ गया और अपनी पैंट ऊपर कर ली..
‘चल साले सारा मूड खराब कर दिया!’
‘चूस तो ले अब..’
मैंने कहा- नहीं, आप फिर से जोर जबरदस्ती करोगे..
वो बोला- नहीं करूंगा.. अब चूस ले जल्दी!
मैंने घुटनों के बल बैठकर उसका लंड फिर से मुंह में ले लिया लेकिन अब मैं सिर्फ अपना पीछा छुड़ाने के लिए चूस रहा था.. मुझे कोई मजा नहीं आ रहा था।
वो बोला- अच्छी तरह चूस.. जैसे पहले चूस रहा था!
मैंने जल्दी-जल्दी मुंह चलाना शुरु किया और 2 मिनट के अंदर ही वो मेरे मुंह में झड़ गया.. मैंने उसका वीर्य नीचे थूक दिया और वो अपनी लोअर ऊपर करके बाहर रोड की तरफ निकल लिया।
मैं भी उसके पीछे कुछ देर बाद रोड पर पहुंच गया।
मैंने यहां वहां देखा तो वो कहीं नहीं था।
फिर मैं भी अपने घर के रास्ते निकल पड़ा और उसके बाद वो मुझे कभी नहीं टकराया!
कहानी पर अपनी राय देना न भूलें..
धन्यवाद
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