बहन की चूत में लंड घुसा कर बहन की चुदाई कर दी-1
हैलो दोस्तो, मेरा प्रणाम स्वीकार करें। मैं हरियाणा के एक गांव से हूँ। मैं एक मिडल क्लास का लड़का हूँ, दिखने में सुन्दर भी हूँ और हाइट 5’7″ है।
अब मैं आपको अपनी कहानी बताना चाहता हूँ।
मेरा नाम राजेश (काल्पनिक नाम) है सब मुझे राज कहते हैं। मेरी उमर 22 साल है।
मेरे घर के पास ही मेरे चाचा रविन्दर का घर है, मेरे चाचा की दो लड़की है और एक लड़का, मेरे दूसरे चाचा विजय का घर भी पास है, उनके एक लड़का, एक लड़की है।
मेरे विजय चाचा की लड़की का नाम पूनम है, उसकी उमर 18-19 साल के आस पास थी। उससे मेरी अच्छी बनती है क्योंकि मैं उनके घर काफी आता जाता रहता हूँ।
पूनम का रंग सांवला है तथा उसकी चुची की गोलाइयाँ छोटी है किसी बड़े अनार जितनी, परन्तु उसके शरीर पर बहुत फबती हैं क्योंकि वो बहुत कसे (शरीर से चिपके हुए) कपड़े पहनती है जिससे वो बहुत सेक्सी लगती है।
मैं उसका बहुत बड़ा फैन था, मैं उसको बहुत ज्यादा पसंद करता था, मैं तो उसको कई बार चोद भी चुका था पर कल्पना में! मैं उसके सामने बैठ कर कल्पना में देखता था कि मेरे लंड से गिरती वीर्य की हर बूंद उसके चहरे और चुची पर गिर रही है और वो मुझे बड़े प्यार से देख रही है।
मेरी कल्पना गलत भी नहीं थी क्योंकि मैं अपने मोबाइल में ब्लू फ़िल्म रखता था और वो हमेशा किसी न किसी बहाने से मेरा फ़ोन मांगती थी। मैं जानता था कि वो क्या देखती है और मैं उसको फोन दे कर वापस आ जाता था और अचानक वापस जाता तो वो सकपका जाती थी। उसका चेहरा देख कर कोई भी बता देता की वासना की आग में तप रही है।
इसी सपने को हकीकत में बदलने के लिए मैंने उसको प्रपोज करने की सोची और मैंने तो यह भी सोच लिया था कि उसके हाँ कहने के बाद उसको कैसे चोदना है।
कुछ दिन बाद मैंने चांदी की अंगूठी ले जाकर उसको दोस्ती के लिए प्रपोज कर दिया।
पर यहीं से मेरी कहानी में ट्विस्ट आ गया… उसने दोस्ती के लिए मना कर दिया और बोलना भी कम कर दिया।
मैं भी शर्मिंदा हो गया और उसके घर जाना बंद कर दिया।
इसी बीच मेरे रविंदर चाचा की लड़की पढ़ाई करके वापस आ गई। रविंदर चाचा की बड़ी लड़की का नाम कोमल और छोटी लड़की का नाम माही था। माही थी छोटी पर उसको देख कर कोई भी घायल हो जाए… गोरा रंग, मोटा शरीर और उसकी चुची एक बड़े आम की तरह… हर कोई यही चाहे कि ‘हे भगवान बस एक बार दिला दे!’
माही का ये शरीर और उस पर काला चश्मा… माही की ऊमर !8 साल थी। पर उसे देख कर यह कोई भी नहीं कह सकता था कि ये !8 साल की है। माही शहर में पढ़ी लिखी थी इसलिए खुले दिमाग की थी।
यहीं से मेरी सेक्स लाइफ की शुरुआत हुई।
एक दिन मैं माही के घर गया हुआ था और माही ने मुझे बातों बातों में कहा- तुमने पूनम को प्रपोज क्यों किया था?
मैं हैरान हो गया, मुझे लगा था कि ये बात पूनम अपने तक ही रखेगी पर उसने माही को बता दी क्योंकि माही और पूनम की अच्छी बनती थी।
मैं माही का जवाब देने ही वाला था कि माही बोली- मुझे चांदी की अंगूठी काफी पसंद है, मुझे भी एक लाकर देना।
तभी कोमल और उसकी माँ वहां आ गई जो बाजार गई हुई थी और मैं वहाँ से उठ कर चल दिया।
पर मेरे शैतानी दिमाग की घंटी बज चुकी थी क्योंकि पूनम की तुलना माही से करना बेमानी थी। मैंने अंदाजा लगा लिया कि माही मुझ से क्या चाहती है। मैं शाम को उनके घर गया तो मुस्कुराहट का सिलसिला चल पड़ा जो मुझे घायल कर रहा था।
मैं अगले ही दिन शहर से एक सुन्दर सी अंगूठी ले आया।
दिन में माही अकेली कमरे में पढ़ती है, यह मुझे पता था, मैं माही के घर गया और चाची से कुछ देर बात करके माही के पास चला गया क्योंकि दुनिया की नजर में तो हम भाई बहन ही थे तो मुझे किसी ने नहीं रोका।
मुझे देखते ही माही मुस्कुराई… उसकी यह मुस्कुराहट मेरे दिल को भेदने में कामयाब भी हुई।
मैं जाकर माही के पास बैठ गया कुछ देर बात करने के बाद मैंने वो अंगूठी माही की तरफ कर दी।
माही अंगूठी देख कर मुस्कुराई और बोली- इसकी क्या जरुरत थी।
अंगूठी वो मेरे हाथों से ले चुकी थी।
मैं- क्यों जरूरत क्यों नहीं थी… हमारी दोस्ती की शुरुआत हुई है तो कुछ गिफ्ट तो देना पड़ता ही है।
माही का चेहरा लाल हो गया उसकी तेज सांसों से उसकी छाती ऊपर नीचे होती साफ दिख रही थी।
तभी मैंने कहा- मुझे भी अपना गिफ्ट चाहिए।
माही- क्या चाहिए?
तभी फ़ोन की घंटी बजी, फोन दरवाजे के पास था वो उठ कर फ़ोन रिसीव करने चली गई। वो अपनी पिछाड़ी को बहुत ही मस्त अदा के साथ हिलाते हुए चल रही थी।
मेरी चचेरी बहन के चलने का यह अंदाज मेरे लिए लंड खड़ा कर देने वाला था। उसके कूल्हे मटका कर चलने के कारण उसके दोनों मस्त चूतड़ इस तरह हिलते हुए घूम रहे थे कि वो किसी मरे हुए आदमी के लंड को भी खड़ा कर सकते थे।
मेरी नजर उसकी कमर से नीचे वाले भाग पर जाकर रुक गई और मैं कल्पनाओं में खो गया।
तभी मुझे किसी ने आवाज लगाई।
माही अभी भी फ़ोन सुन रही थी… मैं जाते टाइम उसके चूतड़ों पर चिमटी भर गया। यह देख कर माही ने मुझे डांटने की नजरो से देखा और फ़ोन पर वापस बात लग गई।
यह सिलसिला कुछ दिन चलता रहा।
वो वटसऐप इस्तेमाल करती थी जिस वजह से हमारी बात सारा सारा दिन चलती रहती। मैं उसे अडल्ट मैसेज भी कर देता था जिसे वो स्माइल का चिह्न भेज कर रिप्लाई देती।
अब मेरा रास्ता साफ था, मुझे उसके मखमल शरीर को चूसना बाकी था।
एक दिन विजय चाचा के यहाँ रात को जागरण था तो मेरे लिए माही के साथ मस्ती करने का अच्छा मौका था। मैंने उसे रात को अकेले में मिलने के लिए पहले ही कह दिया था।
वो मान भी गई।
रात को जागरण शुरू हुए 3 घंटे हो गए थे। टाइम भी तक़रीबन एक के आस पास था। मैंने उसे मोबाइल पर मेसेज किया और पीछे वाले घर में आने के लिए कहा और खुद पहले ही चला गया। पीछे वाला घर ज्यादा दूर नहीं था, वो 2-3 मिनट में ही आ गई।
उसने पीले रंग की सलवार कुर्ता पहन रखा था, उसमें वो कितनी हॉट लग रही थी इस बात का अन्दाजा नहीं लगाया जा सकता।
उसके आते ही मैंने ज़ोर से माही को अपनी बाहों में कस लिया और उसके पूरे चेहरे पर चुम्बनों की बरसात कर दी। उसने भी मुझे अपनी बाहों में कस कर जकड़ लिया था और उसकी कठोर चुची मेरी चौड़ी छाती में दब रही थीं। उसकी चुची के खड़े चूचकों की चुभन को मैं अपनी छाती पर महसूस कर रहा था।
उसकी कमर और जांघें मेरी जांघों से सटी हुई थीं और मेरा खड़ा लंड मेरी पैंट के अंदर से उसकी सलवार पर ठीक उसकी चूत के ऊपर ठोकर मार रहा था। मेरी प्यारी बहना अपनी चूत को मेरे खड़े लंड पर पैंट के ऊपर से रगड़ रही थी।
हम दोनों के होंठ एक दूसरे से जुड़े हुए थे और मैं अपनी बहन के पतले रसीले होंठों का चूसते हुये चूम रहा था।
उसके होंठों को चूसते और काटते हुए मैंने अपनी जीभ को उसके मुंह में घुसा दिया, उसके मुंह के अंदर जीभ को चारों तरफ घुमाते हुए, उसकी जीभ से अपनी जीभ को चूसते हुए दोनों भाई बहन एक दूसरे के शरीर से खेल रहे थे।
उसके हाथ मेरी पीठ पर से फिरते हुए मेरी चूतड़ों और कमर को दबाते हुए अपनी तरफ खींच रहे थे और मैं भी उसके चूतड़ों को दबाते हुए उसकी गांड की दरार में सलवार के ऊपर से अपनी उंगली चला रहा था। मैंने उसे घुमाया और उसके चूतड़ मेरी तरफ हो गए।
मैं उसकी चुची को हाथों में जकड़ कर उनकी गोलाइयों को मापने लगा, यह मेरी लाइफ का सबसे बड़ा और महत्त्वपूर्ण दिन था। मैं जिन चुची को सिर्फ देखता था वो आज मेरे हाथों में थी, ऊपर मेरे हाथ उसकी चुची को जोर से दबा रहे थे, नीचे मेरा लंड सलवार के ऊपर से ही उसकी उसकी गुदा पर जोर लगा रहा था।
माही ने हाथ पीछे किया और मेरा लंड बाहर निकाल लिया। मेरा लंड काफी गर्म हो चुका था, उसे अगर कोई उस समय मोड़ने की कोशिस करता तो शायद वो टूट भी जाता।
मेरी बहन ने थोड़ा ऊपर उठ कर मेरे लंड को अपनी चूत पर सैट करने की नाकाम कोशिश की।
मुझे पता चल गया कि अब माही खुद पर कण्ट्रोल नहीं कर पा रही, मैंने माही को नीचे लिटाया क्योंकि जिस घर में हम थे, वहां कोई रहता नहीं था इसलिए वहां कोई खाट भी नहीं थी।
मैंने माही को नीचे लिटा कर सलवार के ऊपर से ही उसकी चुत पर मुँह लगा दिया। उसके शरीर में मानो बिजली लगा दी हो किसी ने… उसने मेरे सर को पकड़ लिया। मैं अपनी जीभ से उसकी चुत चाट रहा था, उसकी चुत का पानी मुझे साफ़ साफ महसूस हो रहा था।
मैंने उसकी सलवार को खोलना उचित नहीं समझा क्योंकि मुझे पता था सेक्स करना अब मुमकिन नहीं है क्योंकि समय कम था।
उसकी चुत को पूरा गीली करने के बाद मैंने उसे बिठाया और अपने लंड की तरफ इशारा किया।
वो बहुत समझदार थी, उसने अपने होंठों पर जीभ फिराते हुए मेरे खड़े लंड को अपने हाथों में भर लिया। वो नीचे बैठ गई, लंड को हाथों में लेकर देखने लगी।
मुझे पता था कि क्या होने वाला है… मेरी प्यारी बहना अब मेरी सबसे बड़ी इच्छा पूरी करने वाली थी।
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माही ने भी ज्यादा समय ख़राब न करते हुए मेरे लंड की टोपी को उसकी चमड़ी से आजाद कर दिया। वो मेरे लंड को फटी आँखों से देख रही थी क्योंकि मेरा लंड काफ़ी लंबा और मोटा है। मैंने माही के गर्म होंठों को अपने लंड पर महसूस किया।
माही पहले तो हिचकिचाई पर शायद उसके जज्बातों ने उसकी हिम्मत बढ़ा दी। पहले तो उसने मेरे लंड की टोपी को चूमा और फिर धीरे धीरे लंड को और अपने मुँह में ले चूसने लगी।
मैंने अपने हाथ माही के सिर के पीछे रख दिए। मैं सोचने लगा कि किस तरह पूनम के मुँह को कल्पनाओं में चोदता था।
माही अब मेरे लंड को पूरा अपने गले तक लेकर चूस रही थी। ‘ऑश माही उम्म्ह… अहह… हय… याह… ऐसी हीईइ चूस…’ मेरे मुँह से अचानक ये निकल गया।
मेरी नसों का तनाव बढ़ने लगा, मैं माही के चेहरे को पकड़ जोरों से अपने लंड को उसके मुँह के अंदर बाहर करने लगा. माही के मुँह थूक उसके होठों से होता हुआ नीचे टपकने लगा था।
मैंने कहा- माही, अपनी ज़ुबान को मेरे लंड पर ऊपर से नीचे तक फिरा!
माही ने उसके लंड को अपने मुँह से बाहर निकाल दिया, उसने पहले मेरी गोलियों को मुँह में लेकर चूसा फिर अपनी ज़ुबान को मेरे लंड के नीचे से ऊपर तक फिराने लगी। एक अजीब सी गुदगुदी मेरे शरीर और लंड में पैदा हो गई।
माही अपनी ज़ुबान फिराते हुए ऊपर की ओर आई और सिर्फ़ मेरे सुपारे को अपने मुँह में ले चूसने लगी, फिर अपनी ज़ुबान नीचे की ओर कर चाटते हुए ऊपर को आई और फिर सुपारे को चूसने लगी।
गाढ़े वीर्य के पानी की बूँदें मेरे लंड से निकलने लगी थी, जिसे वो चाट गई स्वाद ज़रूर खारा सा लगा होगा उसे… लेकिन उसे अच्छा लग रहा था, अपने भाई को खुशी देने में उसे मजा आ रहा था।
माही मेरी जान लेने पर तुली थी, उसकी जीभ मेरे लंड के सुपारे के चारों ओर घूम रही थी। अब मेरे लिए रुकना नामुकिन था पर सेक्स करने का समय भी नहीं था। वो मेरे लंड को और जोरों से चूसने लगी वो मेरे रस की एक एक बूँद पीना चाहती थी।
माही के इस व्यवहार को देख मैं भी चौंक उठा- आआआआ माही… यह क्या कर रही हो डार्लिंग, तुम्हारे दाँत लग रहे हैं… थोड़ा धीरे धीरे चूसो ना आआआआ!
पर माही थी कि वो सुन ही नही रही थी, मुट्ठी में मेरे लंड को मसलते हुए जोरों से उसे चूस रही थी। मेरा लंड अब ऊफान पर था, ऐसा लग रहा था जैसे मेरा शरीर हल्का हो रहा है, मेरे दिमाग ने काम करना बंद भी कर दिया था।
मैंने थोड़ी हिम्मत लगाई, मैंने उसके सिर को पकड़ा और अपने वीर्य की धार उसके मुँह में छोड़ दी… माही जल्दी जल्दी मेरे वीर्य को निगलने लगी। लंड के वीर्य की आखरी बूँद निगलने के बाद भी
वो उसके लंड को चाटती रही।
‘मुझे तो बहुत मजा आया… लेकिन ऐसा लगता है कि तुम्हें मेरा लंड चूसने में मुझसे ज़्यादा मजा आया!’ मैंने कहा।
माही भी हंसी और नीचे लेटते हुए आँखें निकाल कर बोली- राज अब मेरी चूत में आग लगी हुई है।
मैंने उसे समय के बारे में याद दिलाया तो वो बोली- मैं पूनम को बोल कर आई हूँ, कोई बात हुई तो वो मुझे कॉल कर देगी।
यह सुन कर मुझे ख़ुशी महसूस हुई कि पूनम भी हमारे प्लान में शामिल है।
मैं उसके चुची को मसलते हुए उसकी टाँगों के बीच आ गया।
माही ने अपने प्यारे भाई के लिए अपनी टाँगें फैला दी। मैंने उसकी चूत पर कुछ चुम्मे दिए और उसकी सलवार खोल दी। उसने सलवार के नीचे कुछ नहीं पहना था, मैंने सलवार को उसकी टाँगों से निकाल दिया।
माही जवानी की धहलीज पर कदम रख चुकी थी… मैंने उसकी चूत को पहली बार देखा, एकदम क्लीन शेव थी, एक भी बाल उसकी चूत पर ढूंढने से नहीं मिलता।
मैंने उसकी नंगी चूत पर एक पप्पी ली और उसे गौर से देखा। मैंने अपना मुँह उसकी चूत पर रखा तो वो सिसकार पड़ी।
माही की चूत में मैंने अपनी उंगली घुसा दी और साथ में अपनी जीभ डाल उसे चाट रहा था तो कभी उसकी चूत को मुँह में भर चूसने लगता!
‘हाआँ राअज… इसी तरह… आआह आआ… कितना अच्छा लग रहा है..’ माही मादकता में चिल्लाने लगी- हाआँ राज इसी तरह चूसो… थोड़ा नीचे को चाटो नाअ… हाँ भर लो मुँह में ईईई… थोड़ा काटो ना…
मैं अपनी जीभ को पूरा फैलाते हुए उसकी चूत को ऊपर से नीचे तक चाटने लगा, साथ ही उंगलियों को अंदर बाहर कर रहा था।
‘ऑश ऑश हाआँ आईसीईइ ही…’ माही सिसक रही थी, वो छूटने के कगार पर पहुँच चुकी थी।
मेरी फुदकती जीभ अजीब सा मजा दे रही थी माही को… मैं और जोरों से अपनी उंगली अंदर बाहर करने लगा।
माही का शरीर अकड़ा और उसने अपनी कमर उठा अपनी चूत को मेरे मुँह पर दबा और पानी छोड़ दिया।
मैं उसकी चूत को मुँह में भर उसके रस को पीने लगा, आखिर एक एक बूँद चूसने के बाद मैं निढाल हो उसकी बगल में लेट गया।
कुछ ही देर हुई थी कि हमें किसी के आने का अहसास हुआ… हम घबरा गए, हमने कपड़े पहनने चालू किये।
तभी पूनम की आवाज सुनाई दी, वो ‘माही माही…’ बोल रही थी, शायद अकेली थी।
माही ने रिप्लाई किया- बोलो क्या हुआ? क्या काम है? कहा तो था कॉल कर देना!
पूनम- तुम्हारा फ़ोन नहीं मिला इसलिए बुलाने आई… चाची तुम्हें बुला रही है।
मैंने पूनम की बात सुन कर अंदाजा लगा लिया कि पूनम झूठ बोल रही है, वो हमें देखने आई थी… या फिर चुपके से देख भी लिया था और बाद में आवाज लगाई थी।
माही- अभी आती हूँ, रुको!
माही ने मुझे गले लगाया और मेरे होंठ चूसने लगी पर उसकी आँखों में नमी थी या फिर कहूँ वासना थी। माही जाने लगी और बाद में मिलने का कह कर चली गई।
चलते टाइम उसके चूतड़ों को हिलते हुए देख मेरा लंड फिर से सलामी देना लगा परन्तु अब समय जा चुका था, मुझे कुछ दिन इंतजार करना था।
कहानी जारी रहेगी।
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