बहन की सास और मेरी माँ से सेक्स

बहन की सास और मेरी माँ से सेक्स

नमस्कार दोस्तो, मेरा नाम रोहित है. मैं 27 साल का हूँ, बेंगलोर में रहता हूँ और यहीं जॉब करता हूँ. मुझे जिम जाने का बहुत शौक है और शारीरिक तंदुरुस्ती के साथ मेरे लंड का साइज भी 7 इंच का है और इंची टेप से गोलाई में नपा हुआ 4 इंच मोटा है.

मेरा परिवार दिल्ली के करोल बाग में रहता है. मेरे परिवार में मैं मेरे पापा श्री राजकिशोर जी, माँ रानी देवी हैं. मेरी माँ एक गृहणी हैं, मेरी एक बहन भी है, जिसकी शादी चुकी है.

आज मैं आपको अपने जीवन की सच्ची कहानी सुनाने जा रहा हूँ, जो मेरी माँ और मेरी बड़ी बहन की सास और मेरे बीच हुए सेक्स की है. मेरी माँ की उम्र 40 साल है और उनका फिगर 38-36-40 है.

हाँ तो हुआ यूँ कि एक दिन मैं और मेरी माँ, अपनी बड़ी बहन के घर उसका कुछ सामान पहुंचाने गए थे जो मेरी माँ ने बनाया था. क्योंकि मेरी बहन 7 माह की गर्भवती है. जिसके चलते रिवाज था कि बेबी पैदा होने से पहले कुछ पकवान लड़की की ससुराल में भेजे जाते हैं. इसी वजह से मैं अपनी माँ के साथ अपनी बहन की ससुराल गया था.

हमें वहाँ देखकर सब लोग बहुत खुश हुए. मैं पहली बार ही अपनी बहन की ससुराल गया था क्योंकि उसकी शादी पर छुट्टी ना होने के कारण बस 2 दिन के लिये आया था.
हम लोग करीब शाम 5 बजे उनके घर फरीदाबाद पहुंचे. मैंने दरवाजा खटखटाया तो एक बहुत ही खूबसूरत महिला ने दरवाजा खोला. उनके 38 इंच के चूचे, 30 की कमर और 40 के चूतड़ बड़े ही कातिल थे. वे जल्द बाजी में अपने आपको सम्भालते हुए आईं.

मैंने कहा- दीदी नमस्ते.
हमारे में जीजा की बहन को भी दीदी कहते हैं.
तो मेरी मम्मी ने कहा- दीदी नहीं हैं, ये तो तेरी दीदी की सास किरण जी हैं.
इस पर वो हँस दीं और एक कटीली स्माइल मेरी तरफ दी.

फिर हम अन्दर आ गए. हमारे पहुंचते ही उन्होंने हमारी खूब आवभगत की. मेरी दीदी भी हम दोनों को साथ देखकर बहुत खुश हुयी. मेरी दीदी की ससुराल में दीदी, जीजा जी और उनकी सास ही हैं.

शाम को हम सबने मिलकर खाना खाया और बहुत सारी बातें की. करीब 11 बजे तक हम बात करते रहे. फिर दीदी को नींद आने लगी, तो वो और जीजा जी अपने कमरे में सोने चले गए और मैं माँ और दीदी की सास एक ही कमरे में सोने की तैयारी करने लगे. उस कमरे में एक किंग साइज बेड था, उस पर ही हम तीनों आराम से सो सकते थे.
मेरी माँ को केवल पेटीकोट ब्लाउज पहन कर सोने की आदत है, इसलिये उन्होंने साड़ी उतार दी और दीदी की सास ने एक मैक्सी पहन ली.
हम सब सो गए.

करीब 2 बजे मुझे जोर की पेशाब लगी, तो मैं पेशाब करके वापस आ कर लेट गया. लेकिन मुझे नींद नहीं आ रही थी. तो बस यूँ ही लेटा था. थोड़ी देर बाद मैंने देखा कि मेरी दीदी की सास किरण जी ने अपना एक हाथ और एक पैर मम्मी के ऊपर रख लिया और थोड़ी देर बाद वो धीरे धीरे मम्मी के ब्लाउज के बटन खोलने लगीं. कुछ ही पलों में उन्होंने मेरी मम्मी के ब्लाउज के पूरे बटन खोल दिये और नीचे से पेटीकोट भी ऊपर कर दिया.

यह देख कर मैं समझ गया कि ये दीदी की सास किरण जी लेस्बियन हैं.

फिर वे मेरी मम्मी की ब्रा में हाथ डाल कर उनके चूचों को दबाने लगीं. मम्मी ने लाल रंग की ब्रा पहन रखी थी. मैं यह सब देखकर चौंक गया और समझ गया कि ये आज मम्मी के साथ लेस्बियन करना चाहती हैं. धीरे धीरे उनका जोश बढ़ता ही जा रहा था.

अब वो मम्मी के गाल पर किस करने लगीं और मम्मी की लाल रंग की पेन्टी को थोड़ा साइड में करके उनकी चूत में उंगली करने की कोशिश करने लगीं. इतने में मम्मी जाग गयीं और चौंक कर उठ गयीं. मेरी मम्मी कहने लगीं- बहन जी, ये क्या कर रही हो … लड़का पास में सो रहा है.
वो कहने लगीं- क्या करूँ यार … मुझसे रहा ही नहीं जा रहा था. आपकी याद आ रही थी, तभी तो आपको बुलाया था.
इस पर मम्मी कहने लगीं- याद तो मुझे भी आ रही थी. पिछली बार जब किया था … तो कितना मजा आया था.

यह सुन कर मैं सब समझ गया कि क्या चक्कर है.

किरण- अब क्या करें … रोहित तो यहीं सोया है?
मम्मी- कोई बात नहीं. मैं अपने बेटे को जानती हूँ. वो एक हमेशा गहरी नींद में सोता है.
किरण- तो फिर आ जाओ यार … अब मुझसे नहीं रहा जा रहा है.
इसके बाद दोनों ने अपने अपने कपड़े उतारे और एक दूसरे के गले लग गयीं.

किरण जी ने मम्मी को पूरी नंगी करके बिस्तर पर लिटा दिया और उनके चूचों को चूसने लगीं. मम्मी को भी मजा आने लगा और वे अपनी आँखें बन्द कर के मजा लेते हुए ‘आहहह … आअअ अअहह …’ करने लगीं.
वे अपने चूचों को किरण के मुँह में देकर कहने लगीं- लो समधन जी चूसो … और चूसो काटो ले लो अआअ … अहहहह!

ये सब देख कर मेरा लंड खड़ा हो गया. लेकिन मैं अभी और देखना चाहता था कि आगे क्या क्या होगा.

फिर मैंने देखा कि किरण ने मम्मी की चूत में दो उंगलियां डाल दीं. अब मम्मी पूरे मजे में आ चुकी थीं और टाँगें चौड़ी करके मजे लेते हुए कहने लगीं- आहह किरण मेरी जान … आआहहह … मेरी डार्लिंग समधन … आह … मारो मेरी चूत मारो अहह … उउ उउहह हहह …

कुछ ही देर में मम्मी की चूत का पानी निकलने लगा. फिर मम्मी ने उनको अपने नीचे डाल लिया और पूरा नंगी करके कहने लगीं- आजा साली भोसड़ी की … अब तेरा पानी निकाल दूँ.
किरण जी कहने लगीं- हाँ मेरी चुद्दो … आजा चढ़ जा मेरे ऊपर …
मम्मी ने किरण जी की दोनों टागें चौड़ी करके उनकी चूत को अपने मुँह में भर लिया और कसके चूसने लगीं. ऐसा करने से किरण जी को बहुत मजा आने लगा और वो ‘सीइइ … उउउम्म अहहह …’ करने लगीं.

मम्मी किरण जी की चूत को 15 मिनट तक चूसती रहीं. फिर मम्मी ने उनकी चूत पर अपनी चूत रखी और कस कर रगड़ने लगीं. ये देख कर मैं तो चौंक गया … मुझे नहीं पता था कि मेरी मम्मी इस खेल की इतनी बड़ी खिलाड़िन होंगी.

मैंने सोच लिया कि अब तो दोनों को चोद के ही रहूँगा. मेरा बुरा हाल था और मुझे रूका नहीं जा रहा था. मेरा लंड पूरा खड़ा था, बिस्तर के अन्दर ही मैंने अपने कपड़े भी उतार दिये थे, केवल अंडरवियर पहना था.
उनकी चूत रगड़ायी चल ही रही थी कि मैं उठ खड़ा हुआ और बोला- मैं कुछ मदद करूँ.

यह देख कर दोनों के होश उड़ गए और दोनों ने अपने ऊपर चादर डाल ली.
मैं बोला- रूक क्यों गए आप दोनों … चालू रखो यार.
इतने मैं मम्मी बोलीं- नहीं बेटा, हम मजबूर थे … तेरे पापा अब कुछ कर नहीं पाते और इनके पति नहीं हैं, इसलिये हम …
ये कह कर वो चुप हो गईं.

मैं बोला- कोई बात नहीं … अब मैं तुमको कभी अकेला महसूस नहीं होने दूँगा.
इतने में मम्मी बोली- नहीं, तू मेरा बेटा है, मैं ऐसा नहीं कर सकती़.
उनके ऐसा बोलने पर किरण जी बोलीं- नहीं रोहित … अगर तुम तैयार हो तो मैं भी तैयार हूँ.

मैं तो यही चाहता था. अब किरण जी मेरे गले से चिपक गईं, मेरे लंड को हाथ में पकड़ कर दबाने लगीं. मम्मी यह सब देख कर कसमसा रही थीं. मैंने किरण जी को पकड़ कर नीचे किया और उनके चूचे पीने लगा. उन्हें मजा आ रहा था और मैं मन में सोच रहा था आज तो एक साथ दो दो चूत मारने को मिलेंगी.

उनके चूचे पीने के बाद नीचे आके मैं उनकी चूत को चाटने लगा. अब वो अपना आपा खो बैठीं और गरम सिसकियां लेने लगीं- अहह … उम्म्ह… अहह… हय… याह… उउउम्म … अअयाह …
ये सब देख कर मम्मी की चूत में भी पानी आ गया और वो भी बिना कुछ कहे मेरे लंड को पकड़ कर दबाने लगीं. मेरे लंड को मम्मी मुँह में लेने लगीं.

यह देख कर मैं तो सातवें आसमान पर पहुंच गया. कुछ पल इसी तरह से सेक्स का मजा लेने के बाद मैंने चुदाई की शुरुआत की तो पहले किरण जी अपनी चूत चुदाई के लिए कहा.

मैंने भी सबसे पहले किरण जी को अपने नीचे खींचा और उनकी चूत पर अपना लंड रगड़ते हुए घुसाने की कोशिश की. लेकिन उनकी चूत बहुत दिनों से बिना चुदी थी, इसलिये टाईट थी.
किरण जी कहने लगीं- राजा, तेरे मोटे लंड से मेरी चूत फट न जाए … जरा आराम से चोदना़.
मैं बोला- चिन्ता ना करो मेरी जान … आज तो आपकी चूत को फाड़ ही डालूँगा.

मैंने अपने लंड के टोपे पर थूक लगा कर चूत में जोर का झटका दिया तो आधा लंड अन्दर चला गया. किरण जी दबी आवाज में चीख पड़ीं- अअह … मर गई … आआह … आअअअअ साले मादरचोद फाड़ दी!

मेरी मम्मी अब उनके चूचे दबाने लगीं थोड़ी देर में वो नॉर्मल हो गईं और मैंने चूत में धकापेल लंड पेलना चालू कर दिया. वो मजे लेती हुई बोलने लगी- अअअहह … उहह … उम्म … पेल देदे पूरा … मजा आ गया …

करीब बीस मिनट तक मैंने किरण जी को ठोका … इस दौरान वो दो बार झड़ चुकी थीं. इसके बाद हम दोनों पसीने से लथपथ एक दूसरे से चिपक गए.

अब बारी मेरी मम्मी की थी. सारी चुदायी देखने के बाद वो बहुत गर्म हो चुकी थीं. कुछ देर बाद मेरी मम्मी सीधे बोलीं- आअअअअ जल्दी पेल अपनी माँ की चुत में लंड …
माँ की चूत चुदाई के ख्याल मात्र से मेरा लंड दोबारा सलामी देने लगा और मैंने भी आव देखा ना ताव, एक बार में ही अपना लंड मम्मी की चुत में पूरा डाल दिया. मम्मी की आँखों में आंसू आ गए. वे कहने लगीं- इतना बड़ा तो तेरे पापा का भी नहीं है … साले चोद ले अपनी माँ को चोद … और चोद भोसड़ी के मादरचोद चोद.

मैं भी जबाव में तेज तेज झटके लगाने लगा और कहने लगा- ले मेरी जान लंड खा ले … आह और ले पूरा ले अपनी भोसड़ी में … आज इस चूत का भोसड़ा बना दूँगा ले रंडी और ले …
मेरी मम्मी जोर जोर से नीचे से अपने चूतड़ उठा उठा कर झटकों में मेरा साथ दे रही थीं. मेरी मम्मी जोश में ‘आहहह … उहहम्म … अअअइइ …’ कर रही थीं.

वे 15 मिनट की चुदाई में ही झड़ चुकी थीं और मैं भी अब तक 2 बार झड़ चुका था.

दोनों औरतों को चोदने के बाद वे दोनों मेरे आजू बाजू में लेटी थीं और मेरे लंड से खेल रही थीं.

फिर एक एक बार यही दौर चला और सुबह के 6 बजे तक हमने चुदायी की. मेरी मम्मी और जीजा जी की मम्मी दोनों पहले से ज्यादा खुश थीं.

सुबह मैं 11 बजे सो कर उठा, वे दोनों पहले ही उठ चुकी थीं.

मैं आज भी अपनी माँ को चोदता हूँ और जब भी दीदी के यहाँ जाता हूँ, तो किरण जी को भी पेलता हूँ.

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