बाप की हवस और बेटे का प्यार-4
मेरी हिंदी कहानी के पिछले भाग
बाप की हवस और बेटे का प्यार-3
में आपने पढ़ा कि हम दोनों चुदाई के मूड में आ चुके थे. मनोज ने मेरे सारे कपड़े उतार कर मुझे नंगी कर दिया था और वो मुझे निहार रहा था.
अब आगे..
फिर बोला- सुनो. आज से यह सब कुछ मेरा है.
इतना कहते हुए वो मेरे मम्मों पर टूट पड़ा. बोला- तुम्हें नहीं पता.. मैं कितना तरसा हूँ इनको पाने के लिए. आज वो दिन आया है. आज ना मुझे रोको, मैं नहीं रुक पाऊंगा.. अच्छा तो यही होगा कि तुम भी पूरी तरह से मेरे को सहयोग दो. जिससे तुम्हें भी आनन्द आए और मुझे भी.
पता नहीं कितनी देर तक वो मेरे मम्मों को दबाता रहा और उनके निप्पल चूसता रहा. फिर वो मेरे पेट से होता हुआ मेरी नाभि तक पहुँच गया और उसको पता नहीं.. किस तरह से चूमने लगा कि मेरा सारा शरीर हिलने लगा.
मैं उससे बोल रही थी कि ज़रा रुक जाओ. मगर वो कहाँ मानने वाला था. वो बोलता जा रहा था कि आज ना रोको मुझे.. आज का दिन नसीबों से मिला है मुझे. मेरे बाप ने मुझसे जो छीना था, उसे मैंने आज पाया है. ना छोड़ूँगा इसे आज मैं.. चाहे कोई मुझे फाँसी भी लगा दे. मेरी दौलत मुझे आज मिल गई है.. इसे कैसे मैं छोड़ दूं.
उस पर आज पूरा जुनून चढ़ा हुआ था. उसे लग रहा था पता नहीं फिर यह मौका मिलेगा या नहीं.
मैंने उससे कुछ भी कहना छोड़ दिया क्योंकि वो आज मुझे पूर चबा जाना चाहता था. मैं भी बहुत खुश थी क्योंकि सालों बाद मुझे मेरा चाहने वाला मिला है, जिसका लंड अब मेरी चूत में जाने वाला है.
जैसे ही वो मेरी चुत पर पहुँच कर अपना मुँह मारने को हुआ, तो मैंने उससे कहा- यह कहाँ का इंसाफ़ है. तुम पूरे कपड़े डाले हो और मुझे पूरी नंगी कर के रखा हुआ है.
उसने कहा- सुधा जानेमन.. लो अभी इनको भी उतार देता हूँ.
जब उसने अपने कपड़े उतारे तो उसका लंड देख कर मेरी आँखें फटी की फटी रह गईं. उसका लंड बहुत मोटा और लंबा था. उसके बाप का लंड तो दवा खाने के बाद भी इसके सामने बच्चा था. मुझे लगा कि आज इसका लंड लेने के बाद मेरी चूत पूरी फट जाएगी.
मेरी चूत को उसने इतना चूसा कि उसका पानी ही निकाल कर उसने दम लिया. चुत तो पानी छोड़ गई मगर उसका लंड तो अभी पूरी तरह से भूखा था.
उसने कहा- अब चुदाई शुरू करूँ या कोई मंतर पढ़ोगी?
मैंने हंस कर कहा- इसे ज़रा गीला तो करवा लो.
उसने लंड आगे करते हुए कहा- ठीक है मेरी मलिका.. जो चाहो कर लो मगर यह अब बिना अन्दर जाए नहीं मानेगा.
मैंने कहा- मैं कब मना कर रही हूँ लेने को.
यह कह कर मैंने उस का लंड चूसना शुरू किया.. मगर वो इतना लंबा था कि मुँह में एक चौथाई ही जा पाया. वो भी बड़ी मुश्किल से.
फिर मैंने लंड को बाहर से ही चाटना शुरू किया और पूरा गीला कर दिया. अब वो चिकना हो चुका था और मेरी चुत में घुसने को पूरी तरह से बेताब था.
उसने अपने लंड के सुपारे का माँस ऊपर करके लंड को चुत के मुँह पर रखा और फिर एक ज़ोर से धक्का मारा. मेरी चुत को आज पहली बार सही में कोई लंड मिल रहा था और वो भी बहुत लंबा और मोटा. उसके मोटे लंड को निगलने के लिए मेरी चूत अपना पूरा मुँह नहीं खोल पाई. मैं बिलख उठी. उसने एक बार फिर से धक्का मारा. मगर चूत आज पूरी अड़ियल बन चुकी थी. इस पर मनोज ने मेरी चूत को अपने थूक से भर दिया ताकि उसमें जरा फिसलन आ जाए.
अबकी बार उस ने फिर से एक जोरदार धक्का मारा और उसका लंड सीधा मेरी चुत को चीरता हुआ अन्दर जाने लगा. कुछ ही धक्कों के बाद मनोज का पूरा लंड मेरी चूत में था.
अब मनोज ने मुझसे कहा- देखो आज हमारे जिस्म दो होते हुए भी एक बन गए हैं. हम दो हैं मगर तुम्हारी चूत और मेरा लंड हम दोनों को एक कर देते हैं. इसलिए आगे से मैं तुम्हारी चूत की पूरी सेवा करूँगा और तुम मेरे लंड की किया करना. जन्मों से बिछड़ों को यह चूत और लंड की मिलवाते हैं. मैं आज सबको हाज़िर नाजिर जान कर यह कसम ख़ाता हूँ कि ए चूत मैं तेरा सेवक बन कर रहूँगा पूरी जिंदगी भर. चुत की सेवा धक्कों से की जाती है. इसलिए मैं भी पूरे कस कस कर धक्के मारता हूँ तुमको, ताकि तुम्हें कहने का मौका ना मिले कि तुम्हारी तीमारदारी पूरी तरह से नहीं की गई.
लगभग 15 मिनट तक मेरी चूत को चोदने के बाद उसने अपना रस मेरी चूत में ही छोड़ दिया और मुझसे बोला कि अगर इस उपजाऊ ज़मीन पर मेरा बीज कुछ अपना कमाल दिखाएगा तो कोई बात नहीं. उसने लंड का रस निकाल कर भी मेरी चुत से अपना लंड निकाला नहीं.. जब तक कि वो खुद ही बाहर नहीं आ गया.
जब लंड बाहर आया तो मुझे दिखा कर अपने लंड से बोला- बच्चे.. अपनी दोस्त से मिला आया आज.
फिर मुझसे बोला कि यह कह रहा है कि अभी दिल नहीं भरा.. मैं फिर से उसी के साथ रहना चाहता हूँ.
उसने अपने लंड को मुझे पकड़ा कर बोला- पूछो यह क्या मांग रहा है?
मैंने कहा- मुझे नहीं पता मगर मेरी चुत इसको अभी भी मांग रही है.
बस फिर क्या था. मेरी बात सुन कर उसका लंड फिर से खड़ा हो गया और उसने एक ही झटके में पूरा अन्दर कर दिया. मैं बहुत चिल्लाई कि ज़रा धीरे से करो.. मगर वहाँ कौन सुनता, उसे तो धक्के मारने की पड़ी थी.
दुबारा उसका लंड अपना रस निकालने में आना कानी करने लगा, जिसका नतीजा यह हुआ कि वो अपने कसे हुए धक्कों से मेरी चुत को बहुत देर तक चोदता रहा. लगभग आधा घंटा चूत की पूरी तरह से चुदाई करता रहा. फिर उसने अपना रस निकाला और लंड बाहर निकल आया.
“सुधा, मेरा दिल अभी भरा नहीं है.”
मैंने कहा- अब कभी भरेगा भी नहीं क्योंकि बहुत मुश्किलों से यह चुत तुम्हारे हाथ आई है ना. मगर अब यह तुम्हारे लंड को छोड़ कर कहीं जाने वाली नहीं.. निश्चिंत रहो. यह तुम्हारी है और तुम्हारी ही रहेगी.
बड़ी मुश्किल से मैंने उसको मनाया कि अब बाद में कर लेना, जो करना है. मैं कहीं जा थोड़ी रही हूँ.
उसने मुझे चूमते हुए कहा- ठीक है, मगर तुम कपड़े नहीं पहनोगी और ना ही मैं पहनूँगा.
मैंने कहा- यह क्या बात हुई? अगर कोई आ गया तो क्या दरवाजा नहीं खोलोगे?
बड़ी मुश्किल से मैंने उसे मनाया कि कम से कम एक गाउन तो डालने दो, जो जल्दी से उतर भी सकता है. मगर उसे ना जाने क्या हो गया था मुझे अपनी गोद में बिठा कर मुझे चूमता रहा और साथ ही बोलता रहा कि मेरे बाप ने मेरी ज़मीन पर कब्जा कर लिया. जिस पर मुझे अपना हल चलाना था, उसी पर उस ने अपना औजार चला दिया. मनोज बार बार मुझे गोद में बैठाए हुए जोर ज़ोर से गले लगाता रहा. उसने उस दिन एक मिनट के लिए भी मुझे नहीं छोड़ा.
मैंने शाम को उससे कहा- खाना नहीं खाना?
तो बोला- मेरा खाना तो आज मेरा लंड तुम्हारी चूत से ही खाएगा.
उसकी बातों से मुझे पता लग चुका था कि आज रात वो मुझे दबा कर पेलेगा. मेरा खुद का दिल भी यही चाहता था कि मनोज का लंड मेरी चुत में ही घुसा रहे मगर मैं शरम की वजह से कुछ बोल नहीं रही थी, बस उसकी बातें सुन रही थी.
फिर मुझे याद आया कि उसने अपने कमरे में बहुत से नंगी तस्वीरें रखी हुई हैं.
मैंने उससे कहा- छोड़ो ज़रा.. मुझे तुमको कुछ दिखाना है.
उसने छोड़ा, मैं उसके कमरे में उसको ले गई और झट से पलंग का गद्दा मय चादर के ऊपर उठा दिया. नीचे जो नंगी फोटो की किताबें थीं, उसे दिखा कर उससे पूछा- यह क्या है?
वो बहुत हैरान हो गया कि मुझे कैसे इस सबके बारे में पता चल गया.
फिर मैंने उसे वो फोटो दिखाई, जिस पर उसने अपनी कलाकारी करके किसी चुदाई करते हुए लड़के और लड़की के मुँह पर अपनी और मेरी फोटो लगा रखी थी.
वो बोला- सिवा इनको देख कर अपना मैं और क्या करता.. इसी तरह अपना दिल बहलाता रहता था.. इसीलिए तो मैं तुम को आज छोड़ना नहीं चाहता. मुझे तो लगता था कि तुम मुझे इस जन्म में नहीं मिलोगी. वो तो अच्छा हुआ कि मैं बीमार पड़ गया और तुम यहाँ आ गईं.. वरना तो कोई उम्मीद नहीं थी. बस यही किताबें और ये सब पिक्चर ही मेरी तन्हाई का मेरा सहारा थीं, जो पता नहीं कब तक चलनी थी. अब मुझे इनकी कोई ज़रूरत नहीं है, तुम चाहो तो इनको जला दो. मुझे तुम मिल गई हो, इसलिए मुझे अब कुछ और नहीं चाहिए. यह कहते हुए वो फिर से मुझ से चिपक गया. अब मैं खुद भी उसकी बांहों से नहीं छूटना चाहती थी. मैं चाहती थी कि वो मुझे पूरी तरह से दबा कर अपने साथ चिपका ले.
उसने मुझे उस दिन खाना भी नहीं बनाने दिया, बस अपनी बांहों में ही जकड़े रखा. खाना भी किसी होटल से ऑर्डर कर दिया. जब खाना आया तो खा पी कर फिर से उसने मुझे जकड़ लिया और बोला कि आज ना छोड़ूँगा मैं तुमको, चाहे तुम कुछ भी कहो. यह तो मजबूरी है कि लंड अपना पानी निकाल कर चुत से बाहर आ जाता है और फिर कुछ समय बाद उसे दुबारा खड़ा होना पड़ता है, वरना मैं तो इसे तुम्हारी चूत में डाल कर निकालना ही नहीं चाहता.
फिर उसे पता नहीं क्या सूझी, वो बोला- सुधा, तुम अपनी चूत मेरे मुँह पर रख आकर बैठ जाओ, इससे मैं अपनी प्यारी चूत को पास से देख भी सकूँगा और चाट भी सकूँगा.
ये कह कर मनोज रसोई में चला गया और उधर से वो शहद ले कर आ गया, जिसको उसने मेरी चूत के अन्दर बाहर सब तरफ अच्छी तरह से लगा दिया. इसके बाद जैसे ही चूत को ले कर मेरे मुँह पर रखा तो वो दोनों हाथों से उसको खोल कर देखने लगा, जैसे कि वो कोई बहुत बड़ा जौहरी हो, जो हीरे की पहचान कर रहा हो.
फिर मनोज ने उस पर अपनी ज़ुबान से चाटना शुरू कर दिया. जैसे जैसे उसकी ज़ुबान मेरी चूत के अन्दर जाती थी, मैं मस्ती से अपनी चूत को हिलाती थी.
फिर मैंने मनोज के सिर पकड़ कर अपनी चूत पर दबा दिया ताकि वो हिल ना पाए. इस तरह से कोई एक घंटे तक मनोज ने लगातार बार बार शहद लगा कर मेरी चूत को चूसा, जिसका नतीजा यह हुआ कि मेरी चूत के दोनों होंठ फूल गए. चूत देख कर ऐसा लगता था कि जैसे कोई पकौड़ा चूत पर रखा हुआ हो. इसके बाद उसने उस पकौड़े जैसी चूत के अन्दर अपना लंड पेल दिया और उसको दबा दबा कर चोदने लगा.
चूत चुसवाई में ही कई बार झड़ चुकी थी अब तो शायद चुत में रस ही नहीं बचा था. मनोज के लंड का पानी भी शायद खत्म हो चुका था, जिसका नतीजा यह हुआ कि अब लंड भी बाहर तभी आता जब वो अपना पानी छोड़ता.
बहुत देर तक उसने मेरी चूत को चोदा.
अगले एक हफ्ते तक हम दोनों ने चुदाई का मजा लिया, फिर अदालत में जा कर शादी कर ली. शादी के बाद मनोज मुझे योरोप में कई जगह ले गया और लगभग पन्द्रह दिनों तक मुझे खूब घुमाता रहा और चोदता रहा. योरोप में तो कोई किसी की तरफ़ देखता भी नहीं.. क्योंकि वहाँ पर सभी लोग अपने में ही मस्त रहते हैं.. इसलिए मनोज को मेरे साथ चुदाई करने की पूरी आज़ादी मिली हुई थे. जहाँ भी जाता था, वहाँ पर वो मुझे अपनी गोद में बिठा कर मेरे मम्मों को दबा दबा कर मजा लेता रहता था.. चाहे कोई देख रहा हो या नहीं.. वो टैक्सी हो या पब्लिक बस.. या मेट्रो ट्रेन.. वो तो बस मेरे साथ मस्ती करते हुए मुझे अपनी गोद में बिठाए हुए मेरे मम्मों को मसलता रहता था. मैं यह तो नहीं कहूँगी कि मुझे मज़ा नहीं आता था मगर पहले कुछ दिनों तक मुझे यह सब खुले में करने में बहुत शरम आती थी. मगर एक दो दिनों बाद मैंने देखा कि यहाँ तो सभी यही कुछ कर रहे हैं. फिर मैं भी बेशरम होकर ज़ोर जोर से उसका लंड पकड़ कर दबा देती थी. पूरी मस्तियां करके हम लोग वापिस आ गए.
अब तो मनोज मुझे किसी दिन भी बिना चोदे हुए नहीं छोड़ता था. जब वो तीन दिन चूत लाल झंडी दिखाती थी, तो वो मेरे मम्मों के बीच में अपना लंड को डाल कर चुदाई करता था. मतलब कि उसने कसम खाई हुई थी कि किसी दिन भी मुझे नहीं छोड़ना है.
मुझे भी बहुत आनन्द था और मैं ऊपर से कहा करती थी कि छोड़ो ना जी.. आपको तो बस यही काम सूझता है.
मगर अन्दर से कहा करती थी ‘और करो दबा दबा कर.’
दोस्तो, यह सच्ची कहानी है या नहीं.. यह मानना आप पर निर्भर है कि आप इसे किस तरह से लेते हैं .
लेकिन जिस सुधा ने मुझे ये कहानी भेजी थी, वो इस सेक्स स्टोरी को एकदम सही कह रही थी.
आपके मेल का इन्तजार रहेगा.
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