बिन्दास माल की बिन्दास चूत
हाय दोस्तो.. मेरा नाम निम्मी शाह है और मेरी उम्र 27 साल है। मैं दिल्ली से हूँ। यह मेरी पहली और सच्ची कहानी है, यह कहानी उस समय की है.. जब मैं एक एयरलाईन्स में जॉब करता था।
एक बार मैं दोपहर की डयूटी कर रहा था और मेरी डयूटी ‘आगमन’ हॉल में थी। उसी दिन शाम को बैंगलोर की फ्लाइट आई.. मैं सब लोगों की मदद कर रहा था। उसी समय मेरे कान में एक आवाज़ आई ‘Excuse me..’
मैंने पलट कर देखा.. तो देखता ही रह गया। एक 32-35 साल की औरत मुझे बुला रही थी। जब मैं उसके पास गया तो उसने बताया कि उसका एक बैग आ गया है और एक नहीं आया है। मैंने वॉकी पर ख़बर की.. तब मुझे पता चला कि उस लेडी का बैग दूसरी ट्राली पर आ रहा है और जब तक मैं उससे बात करने लगा।
फिर उसने मुझे बताया कि वो एक बड़ी कम्पनी में जॉब करती है और ऑफिस के काम से वो बैंगलोर गई थी। वो मुझे बहुत कुछ बता रही थी.. पर मेरा पूरा ध्यान उसके फिगर पर था.. एकदम तराशा हुआ बदन.. 34-30-36 के कटाव.. और उसने जो शर्ट पहनी थी.. उसके ऊपर के दो बटन खुले हुऐ थे.. जिसकी वजह से उसकी ब्रा में कैद उसके मम्मे आधे खुले दिख रहे थे और मेरा पूरा ध्यान तो सिर्फ़ उसकी शर्ट के अन्दर का नजारा देखने में लगा हुआ था।
तभी एक खनकती सी आवाज़ आई- अगर देख लिया हो तो मेरे बैग का भी मालूम कर लो..
मुझे ऐसा लगा जैसे मैं नींद से जागा होऊँ और मैं तेज़ी से उससे सॉरी बोलता हुआ आगे चला गया। जब मैं बैग का मालूम करके आया.. तब तक उसका बैग भी आ गया था..
वो मुझे देख कर मुस्कुरा रही थी, उसने जाते हुऐ अपना कार्ड मुझे दिया और इशारे से ‘कॉल मी’ कह कर चली गई।
मैं भी बहुत ख़ुश था.. जब अपने घर पहुँचा.. तो मैंने उसका नम्बर अपने फ़ोन में सेव किया और whatsapp पर उसको चैक किया।
उसका नम्बर whatsapp पर दिखते ही मैंने उसे ‘हाय’ भेजी.. उसने पहले मेरी फ़ोटो को देखा फिर जवाब दिया।
उस रात हम लोगों ने 3 बजे तक बात की.. फिर तो हम दोनों रोज़ बात करते थे। क़रीब एक हफ़्ते के बाद उसने पूछा- एयरपोर्ट पर अन्दर क्या देख रहे थे?
तो मैंने भी जवाब दिया- वो हैं ही इतने सुन्दर.. मैं उन्हें बिना देखे रह ही नहीं पाया।
वो ख़ुश हो गई और मुझसे बोली- इनकी सुन्दरता को सही से देखना नहीं चाहेंगे?
मैंने कहा- जहे नसीब.. ज़रूर..
फिर हमने रविवार का प्रोग्राम बना लिया.. उसने अपने फ्लैट पर मुझे बुलाया। उसका घर मेरे घर से ज़्यादा दूर नहीं था.. और हाँ मज़े कि बात यह है.. कि मैं अभी तक उसका नाम नहीं जानता था।
फिर भी मैं रविवार को गुड़गाँव पहुँचा.. और उसको फ़ोन किया। उसने अपने घर का पता भेजा.. मैंने बताई हुई जगह पर पहुँच कर दरवाज़े की घन्टी बजाई.. तो उसने दरवाज़ा खोला।
जैसे ही मैंने उसे देखा.. तो मैं देखता ही रह गया.. उसने बहुत ही हल्के कपड़े का गाउन पहना हुआ था.. जिसमें से पूरा बदन साफ़ दिख रहा था।
उसने मुझे अन्दर आने को बोला.. मैं अन्दर आकर सोफ़े पर बैठ गया और वो रसोई से कुछ लेने चली गई।
जब वो आई तो उसके एक हाथ में बोतल और दूसरे में दो गिलास थे। मैंने उससे साफ़ बोल दिया- मैं नहीं पीता हूँ..
फिर वो ख़ुद ही अकेले पीने लगी और मेरे पास आकर बैठ गई और अचानक से मेरे होंठों पर अपने होंठ रख दिए।
मैं भी उसका पूरा साथ दे रहा था.. पता नहीं कब हम दोनों के कपड़े बदन से अलग हो गए।
हमें पता ही नहीं चला.. हम दोनों तो बस एक-दूसरे के साथ ख़ूब चूमा-चाटी कर रहे थे।
मैंने उसे वहीं सोफ़े पर लिटा दिया और आराम से उसके दोनो पैरों को खोला तो उसकी बाल रहित चूत मेरे सामने थी और एक अजीब सी मस्त ख़ुशबू आ रही थी।
मैं अपने को रोक नहीं पाया और उसकी चूत को चाटने लगा और एक हाथ की दो उंगलियों को उसकी चूत में डाल दीं।
मैं इसी के साथ अपने दूसरे हाथ से उसके मम्मों को बारी-बारी से सहला रहा था।
उसके मुँह से सिसकारियाँ ‘अहहह हहह.. हहमनमम.. आहह हहह..’ निकल रही थी, वो मस्त होकर अपनी चूत चुसवा रही थी।
मैं भी अपनी जीभ से उसकी चूत में अन्दर तक चाटता.. तो कभी चूत के दाने को चूसता.. वो मेरे सर को ऐसे दबा रही थी.. जैसे वो मेरे सर को ही अपनी चूत के अन्दर ले लेना चाहती हो।
मैं उसकी चूत को चूस भी रहा था और हाथ दो उँगली को अन्दर-बाहर भी कर था। कभी-कभी मैं उसकी चूत के दाने को दाँतों से दबा देता.. तो वो एकदम से उछल जाती।
क़रीब 10 मिनट के बाद वो झड़ गई.. मैंने उसकी चूत को अपनी जीभ से चाट कर साफ़ किया और उसके मम्मों को चूसने और दबाने लगा।
फिर उसने मेरी तरफ़ देखा और मेरे होंठों को बहुत प्यार से चूसने लगी, साथ ही वो अपने एक हाथ से मेरे लन्ड को सहला रही थी।
फिर जब मैंने उसे अपने लन्ड की तरफ़ इशारा किया.. तो वो लपक कर उठी और मेरे लन्ड को चूसने लगी.. बहुत ही प्यार से वो मेरे लन्ड को अपने मुँह में अन्दर तक मेरे पूरे लन्ड को ले रही थी।
क़रीब 15 मिनट के बाद जब मेरा माल निकला.. तो वो सारा का सारा माल पी गई.. उसने एक भी बूँद नीचे नहीं गिरने दी और लगातार वो मेरे लन्ड को चूसती रही।
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इससे मेरा लन्ड फिर से अपनी औक़ात पर आ गया और मेरे ऊपर आकर मेरे लन्ड पर बैठने लगी।
उसकी अब लगातार सिसकारियाँ निकल रही थीं- अहहह.. अहह हहहह.. आई लाइक इट.. आई लाइक इट.. यस..फक मी यस.. फक मी हार्ड!
वो बहुत ही तेज़ी से मेरे लन्ड पर उछल रही थी, क़रीब 5 मिनट के बाद वो मेरे सीने पर गिर गई.. वो एक बार और झड़ गई थी।
फिर मैंने उसे नीचे किया.. और जैसे मैंने लन्ड डाला.. उसकी चूत में उसकी एक ‘आह..’ निकल गई।
मैं पहले तो उसको आराम-आराम से चोद रहा था.. फिर धीरे-धीरे अपनी गति बढ़ाई और अब वो बहुत तेज़-तेज़ सिसकारियां ले रही और बड़बड़ा रही थी ‘आआह.. आआहहह.. औरर तेज.. ज़ोररर से.. फाड़ डालो मेरीइइ चूत को.. और.. तेज़ज जज..’
मैं भी अपना पूरा लन्ड बाहर तक निकालता और एकदम चूत में डालता। ऐसा करने से मेरा लन्ड उसकी बच्चेदानी में घुस रहा था.. जिसकी वजह से उसकी चीख़ निकल जाती थी।
वो अब तक दो बार झड़ चुकी थी।
मैंने उसे उठाया और घोड़ी बनने को बोला.. वो उठी और घोड़ी बन गई।
मैंने पीछे से उसकी चूत में अपना लन्ड डाल दिया और उसे ज़ोर-ज़ोर से चोदने लगा, वो भी पूरी मस्ती से मुझसे चुद रही थी।
हमारी पूरी चुदाई काफी देर तक पूरे ज़ोर-शोर से चली।
फिर जब मेरा माल छूटने को हुआ.. तो मैंने पूछा- कहाँ निकालूँ?
उसने बोला- मेरे मुँह में..
अब वो मेरे लन्ड को चूसने लगी.. और सब माल वो पी गई.. एक बूँद भी नहीं गिरने दी।
उस दिन मैंने उसे रात को 1 बजे तक क़रीब 4 बार चोदा।
उसके बाद मैंने उसे बताया कि मैं जा रहा हूँ.. क्योंकि कल सुबह मुझे एयरपोर्ट जाना है।
वो उठी और मुझे कुछ पैसे दिए.. मैंने उसे बहुत मना किया.. मैंने बोला- सेक्स सिर्फ़ तुम्हें ही नहीं.. मुझे भी करना था।
फिर भी वो नहीं मानी.. उस दिन के काफ़ी दिन बाद उसका फ़ोन आया.. पर मैंने उसे मना कर दिया और बोला- मैं सेक्स सिर्फ़ अपने मजे के लिए करता हूँ.. पैसों के लिए नहीं..
फिर उसने मुझे ‘सॉरी’ बोला।
उसके बाद हम लोगों ने अलग-अलग जगह और अलग-अलग तरीक़े से चुदाई का पूरा मज़ा लिया।
अब वो हमेशा के लिए बैंगलोर शिफ्ट हो गई है।
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