बॉयज होस्टल में गर्लफ्रैंड का प्यार
दोस्तो, मैं बैडमैन आप लोगों के सामने फिर से एक बार अपनी कहानी लेकर पेश हुआ हूँ। मेरी पिछली कहानी थी
गर्लफ्रेंड की सहेली की प्यासी चूत और गांड
मेरी कहानियां कोई सीरियल से नहीं है, कोई आगे पीछे चल रही है। उसके लिए आप लोग समझ लेना और बस कहानियों का आनंद लेना।
बात 2013 गर्मी के मौसम की है, मेरी गर्लफ्रैंड जूही (बदला हुआ नाम) बाहर एम सी ए की पढ़ाई कर रही थी, मैं भी उसी शहर में रियल एस्टेट की एक कंपनी में काम करता था और एक प्राइवेट बॉयज होस्टल में रहता था, जूही एक पीजी में रहती थी.
पीजी वाले भैया बहुत सख्त थे और मेरे होस्टल में नीचे एक बेकरी की दुकान थी तो किसी लड़की को लाना मतलब बम लाने जैसा गुनाह हो जाता!
मगर क्या है ना ‘आपका प्यार अंधा हो सकता है लोग नहीं’
हम लोगों के साथ भी ऐसा ही हुआ।
नीचे बेकरी थी, जिसकी भट्टी के ठीक ऊपर मेरा कमरा था, जिसके कारण वो ज्यादा गर्म हुआ करता था और मेरे रूम का कूलर भी माशाल्लाह था बिल्कुल नहीं ठंडाता था, मेरे रूम में मेरे साथ एक मित्र और रहता था।
अब आते हैं कहानी पर, मेरे होस्टल और जूही के पीजी की दूरी ज्यादा नहीं थी, एक ही एरिया में रहते थे और लगभग रोज़ मिलते थे, मगर चुदाई की चुल्ल मुझे कुछ ज्यादा थी, पास में रह कर भी चुदाई का कोई जुगाड़ नहीं था, हम लोग कहीं न कहीं मिलते और गर्म होकर ठंडे हो जाते थे।
एक दिन की बात है मेरे रूम का लड़का अपने घर गया हुआ था और मैं चुदाई के पूरे मूड में था, मैंने जूही को प्यार भरी रात गुजारने के लिए रात में आने का निमंत्रण दिया.
यह बात रात 11 बजे की है, मौसम बहुत गर्म था और जूही नानुकुर कर रही थी। बहुत देर मनाने के बाद 12:30 बजे आने के लिए मानी. मैं उसके रूम तक उसे लेने गया, उसे मेन गेट से छलांग लगवाई, रात में 12:30 बजे मोहल्ले के गलियों से होते हुए मुख्य मार्ग से सबसे छुपते छुपाते हम दोनों अपने रूम तक आ गए।
रूम में पहुंच कर ऐसा लग रहा था जैसे किसी बहुत बड़ी समस्या को पार कर के अपनी बीवी के पास पहुंचा हूँ।
रूम में पहुंच कर हम दोनों ने एक दूसरे को 5 मिनट तक गले लगाए रहे और एक दूसरे को देखते रहे। चूंकि रूम में 2 लोहे के पलंग थे तो प्यार और चुदाई में बहुत आवाज़ होती इसलिए हमने दोनों पलंग को अलग अलग किये और गद्दों को नीचे बिछा कर कूलर चालू कर दिया जिससे हम दोनों के प्यार की आवाज़ रूम के बाहर नहीं जाए।
सभी चीजें व्यवस्थित होने के बाद हम दोनों फिर से एक बार एक दूसरे की बांहों में थे और किस करने में लगे हुए थे. मैंने अपनी आदत अनुसार उसके शर्ट के अंदर हाथ डाल कर कमर को पकड़ लिया और किस करते करते उसकी शर्ट उतारने लगा. मेरे हाथ लगते ही उसकी सांसें तेज होने लगी और जोर से आहों की आवाज़ आने लगी.
उसके शर्ट उतरते ही अब वो लोअर और सफेद ब्रा में बड़ी कामुक दिख रही थी, उसके लाल होंठ और उत्तेजना से भरे उसके चुचे उठे हुए थे जो मुझे बुला रहे थे. मैंने उसकी कमर को पकड़ कर उसकी नाभि में जीभ डाल कर उसे किस करना शुरू किया और अपनी लार से उसके नाभि और पेट को गीला करने लगा. इससे उसकी उत्तेजना और बढ़ने लगी.
मैं उसके लोअर को धीरे से उतारने लगा तो वो रोकने लगी. मैंने उसके अनुरोध का सम्मान किया और उसकी बॉडी को सहलाते हुए उसकी ब्रा के हुक्स को खोल कर उसके 32″ के चुचों को आज़ाद कर दिया. जैसे ही उसके बूब्स बाहर आए, मैंने उसे एक हाथ से दबाना शुरू किया, आदतन मुझे बूब्स को जोर से दबाने की आदत है तो उसके एक बूब को जोर से दबाने लगा और दूसरे बूब को मुंह में लेकर चूसने लगा. और बीच बीच में एक हाथ से उसकी चूत को लोअर के ऊपर से मसलने लगा.
और वो बूब्स और चूत में हुए एक साथ हुए हमले से वो अति उत्तेजित होने लगी और मेरे बरमुडे के ऊपर से मेरा लन्ड पकड़ कर दबाने लगी, उसे कभी भी लन्ड पकड़ना और चूसना पसंद नहीं था पर उस दिन उसे दोनों चीज़ एक साथ ही करना था शायद।
जूही उठी और उठ कर मुझे नीचे लेटाया, अपनी लोअर उतारी और मेरे को पूरा नंगा कर दिया. फिर पैंटी से ढकी अपनी पनियाई चूत को मेरे लन्ड में रख कर रगड़ने लगी.
मेरी हालत खराब होने लगी, मैं उसके दोनों बूब्स को हाथों से मसलने लगा और वो मेरे लन्ड में दबाव बढ़ाने लगी।
मुझसे बर्दाश्त नहीं हुआ तो मैंने उसकी पैंटी को उतार दिया और अब उसकी चूत मेरे लन्ड में रगड़ रही थी जो उसको और भी उत्तेजित करने लगी। फिर वो नीचे सरक के मेरे लन्ड को पकड़ के हिलाने लगी और मुँह में भर कर चूसना शुरू कर दिया।
इतनी उत्तेजना के बाद मैंने पूरा वीर्य उसके मुंह में गिरा दिया और वो एकदम से खाँसने लगी और पूरा वीर्य जमीन में थूक के गुस्सा करने लगी- बता नहीं सकते थे? पूरा मुँह खराब कर दिया।
फिर 10 मिनट उसको मनाते मनाते लग गये।
जब वो मान गयी तो फिर मेरी बारी थी उसके चूत पर हमला करने की, मैं जूही को नीचे लेटा कर उसकी चूत को किस करने लगा, फिर धीरे से भग्नासा को दांतों से काटते हुए, उसके छेद में जीभ घुसेड़ दी और पूरी चूत को मुंह में भर कर चूसने लगा जैसे कोई तरबूज खा रहा हो।
जूही की सांसें और आवाज़ तेज़ होने लगी वो और जोर से करने की मांग करने लगी.
फिर मैंने उसकी चूत में 2 उंगली भी डाल दी जिससे उसकी तड़प और बढ़ने लगी और अगले एक मिनट में उसकी चूत का पूरा पानी मेरे मुंह में आ गया।
एक बार मेरा भी वीर्य निकल चुका था और उसका भी पानी निकल चुका था, दोनों थोड़ा थक गए थे तो मैंने उसे अपने ऊपर लेटा लिया और प्यार से बांहों में ले लिया। वो मेरे ऊपर ऐसे ही लेटी रही.
दिन भर के काम के बाद मुझे थोड़ी थकान थी तो मेरी नींद लग गयी और वो भी प्यार से मेरे ऊपर आराम से लेटी रही।
थोड़ी देर बाद मुझे लन्ड में फिर से गीला गीला महसूस हुआ देखा तो जूही मेरे लन्ड को पकड़ के हिला हिला के चूस रही थी. तो मैंने उसे 69 पोजीशन में लेटने को बोला और अब वो मेरा लन्ड और मैं उसकी चूत चूस रहा था.
चूत चूसने के साथ साथ मैं उसकी गांड में भी उंगली करने लगा जिससे वो थोड़ा उचकने लगी और बड़ी मस्ती के साथ लन्ड चूसने लगी।
5-7 मिनट ऐसा खेल चलने के बाद मैंने उसे नीचे लिटाया, उसके बूब्स दबाते हुए उसकी चूत चाटने लगा.
अब वो पागल होने लगी, बोलने लगी- अब बर्दाश्त नहीं होता, प्लीज जल्दी से अंदर डाल दो न!
मैं उठा और जूही को खींच के अपने लन्ड तक ले आया और उसके ऊपर लेट कर उसे किस करने लगा और लन्ड को उसकी चूत पर रगड़ने लगा। मेरे लन्ड अंदर न डालने के कारण वो अपनी गांड से ऊपर की तरफ झटका मारने लगी और लन्ड अंदर लेने की कोशिश करने लगी.
फिर मैंने धीरे से एक झटका दिया और लन्ड उसकी चूत में चला गया. बहुत दिन बाद चुदने में कारण चूत चिपक सी गयी थी, लन्ड अंदर जाते ही उसे दर्द हुआ, हालांकि चूत की चुसाई और पानी के काऱण ज्यादा रफ सेक्स जैसा नहीं लगा पर दर्द तो हुआ था।
फिर मैंने एक झटका और मारा तो लन्ड पूरा चूत के अंदर चला गया, लन्ड और उसकी गांड के बल ने चुदाई का मज़ा दुगना कर दिया, घर्षण तेज़ धीमा होता रहा, उसको तड़पाने के लिए मैं बीच बीच में धक्के लगाने बन्द कर देता और वो मचलने लगती अपनी गांड को जोर जोर से उठाती और चुदवाने का प्रयास करती।
5-7 मिनट में जूही ने अपना पानी छोड़ दिया और शिथिल होकर लेट गयी, मैं धक्के लगातार मारता रहा पर वो बेजान सी हो गयी तो मैं भी लन्ड बाहर निकाल के उसकी बगल में लेट गया।
10 मिनट बाद वो मेरे सीने में सर रख कर मेरे लन्ड को सहलाने लगी. मैंने फिर से चुदने के लिए पूछा तो वो ‘हां’ बोली.
इशारे में मैंने उसे घोड़ी बनने के लिए बोला और जूही धनुष आकार में घोड़ी बन गयी, मैं लपक कर उसकी चूत में अपना लन्ड घुसेड़ कर धक्के लगाने लगा और उसकी गांड में उंगली करने लगा जिससे वो अपनी चूत कस लेती और चोदने का मज़ा दोगुना हो जाता था.
मैं उसकी गांड में धीरे धीरे थप्पड़ लगाने लगा जिससे वो थोड़ा थोड़ा आह आह की आवाज़ निकालने लगी और उसकी गांड भी लाल होने लगी।
जूही की चुदाई करते करते उसके दोनों चुचों को जोर जोर से दबाने लगा और उसकी चूत में बड़ी तेज़ तेज़ धक्के लगाने लगा और उसके गले और कान में काटने लगा. चुदाई के दौरान वो एक बार झड़ गयी पर मेरा हुआ नहीं था तो मैं करता रहा और 7 मिनट की चुदाई में वो मेरे साथ दूसरी बार झड़ गयी और हम दोनों थक कर वैसे ही लेट गए।
मेरा लन्ड जूही की चूत में सिकुड़ गया और हम दोनों ऐसे ही सो गए. चूंकि मैंने कॉन्डम पहना था तो किसी डर के बिना मैंने वीर्य निकाल दिया।
सुबह 4:30 बजे के लगभग जब नींद खुली तो हम दोनों ऐसे ही नंगे लेटे थे, मैं फिर से उसके ऊपर चढ़ कर उसके दूध चूस चूस कर जगाया और चूत में उंगली डाल कर उसे उत्तेजित करने लगा, फिर से एक बार हम दोनों ने आधे घंटे भरपूर सेक्स का आनंद लिया.
फिर हल्के उजाले में 5:15 तक हम दोनों पार्क में टहलने चले गए.
चूंकि उसके पीजी का गेट 6 बजे खुलता था तो 6:15 बजे मैं जूही को उसके पीजी के पास तक छोड़ आया।
अब चुदाई करने के बाद लन्ड और चूत दोनों में खुजली तो मचती ही है, हम दोनों का हाल भी कुछ ऐसा ही था, 3-4 दिनों तक तो कैसे भी करके बर्दाश्त किया पर अब चुदाई की चुल्ल फिर बढ़ने लगी।
मैंने उसे दोपहर में रूम में बुलाया क्योंकि गर्मी का मौसम था तो लगभग सभी लोग मुँह में कपड़ा बांध कर होस्टल में आते जाते थे, नीचे गॉर्ड होता था, वो भी छुट्टी में था दो दिन की … तो कोई भी बिना पूछताछ के चला आता और चला जाता था।
मैंने उसे आने के लिए बोला तो चुदाई के नाम से वो भी आने के लिए मान गयी, बस आने से पहले मुँह ढक लेना, चश्मा लगा लेना और बिना डर के लड़कों वाली चाल में अंदर आ जाना और सीधे रूम में आ जाना, दुपट्टा ऐसे लगाना कि चुचे समझ में न आयें।
वो सीधे रूम में आयी, आकर रूम बंद किया और हमने जम के किस किया और बहुत ही उत्तेजक तरीके से कपड़े उतार कर नंगे हो गए. उसका जरा सा गेहुंआ रंग भारी धूप की तेज रोशनी के कारण रूम के अंदर एकदम सोने जैसे चमक रहा था.
देखते ही देखते लन्ड ने फनफनाना शुरू कर दिया और जूही ने लन्ड पकड़ के चूसना शुरू कर दिया. 5 मिनट बाद लन्ड और आंडों को चूस कर लाल कर दिया.
फिर हम पलंग को किनारे कर के गद्दों को नीचे बिछा कर 69 पोजीशन में लन्ड और चूत चुसाई करने लगे. फिर मैंने उसे सीधा करके लन्ड सीधे उसकी चूत में डाल कर चुदाई शुरू कर दी।
हमें जल्दी थी क्योंकि कभी भी कोई भी आ सकता था.
हालाँकि सारे लड़के अपने काम में या कॉलेज गए हुए थे, होस्टल में कोई नहीं था, पर किस्मत खराब हो तो कोई कुछ भी कर सकता है।
उसकी चूत चुदाई करते करते वो झड़ गयी तो मैं उसे घोड़ी बना कर ठोकने लगा. उसे दिन के समय ऐसे नंगी दिखना शर्मनाक लग रहा था पर मुझे ज्यादा उत्तेजक कर रही थी जिससे मुझे चुदाई करने में ज्यादा मज़ा आ रहा था।
मैं उसे चोदते चोदते उसके ऊपर चढ़ कर कर कुत्ते की स्टाइल में कमर हिला हिला कर चोदने लगा। फिर हम दोनों एक साथ झड़ कर साथ में चिपक कर लेट गए और मैं उसकी बॉडी पर किस करने लगा. इस चुदाई के खत्म होने के 10 मिनट बाद मैंने भेज दिया।
अब अगर आप को ध्यान दिया होगा तो मैंने कहानी के शुरू में कहा था कि ‘आपका प्यार अंधा हो सकता है, लोग नहीं।’
दो बार चुदाई की भरपूर मस्ती हम दोनों को तड़पाने से बाज़ नहीं आ रही थी. और जूही का तो पता नहीं, मैं चुदाई की आग में जल जा रहा था.
दोपहर की चुदाई को 10 दिन से ज्यादा होने को थे, और दो बार बॉयज होस्टल में लाने के बाद मेरी हिम्मत ओवर कॉन्फिडेंस में बदल गयी.
शनिवार की रात थी, रूममेट अपने किसी दोस्त के यहाँ चला गया, मोहल्ले की लाइट बार बार आ जा रही थी, नीचे बेकरी बंद हो गयी थी और सामने का पंजाबी ढाबा बस खुला था, वो भी बंद होने वाला था।
मैंने जूही को बुलाने के लिए फ़ोन किया, वो बोली- आज नहीं … आज मन नहीं मान रहा! घबराहट हो रही है।
मैं माना नहीं जबरदस्ती आने की जिद करने लगा।
अब शुरू हो गयी ट्रेजेडी।
1- हम उसके पीजी से निकले तो पीजी के कुत्ते ने भोंकना शुरू कर दिया, पीछे की गली से छुपते छुपाते होस्टल की गली तक पहुंचे।
2- गली के पार्क में कुछ लड़के खड़े थे, उन्होंने हमें देख लिया।
3- ढाबा बंद नहीं हुआ था, मुझे जूही को अंदर ले जाते किसी ने देख लिया और होस्टल मालिक को फ़ोन कर के बता दिया.
4- मालिक ने बेकरी की टीम को होस्टल की तलाशी लेने भेज दिया। हालांकि किसी तरह मैंने उसे अलमारी और पलंग के नीचे छुपा के नज़र में आने से बचा लिया।
5- किसी ने बता दिया था कि जो लड़का लड़की लाया है, उसने पीले रंग की टीशर्ट पहनी थी. इत्तेफ़ाक़ से मैंने वो टीशर्ट उतार दी थी तो मैं बच गया।
6- सब नार्मल होने के बाद होस्टल का मालिक फिर से आया और 12:30 बजे फिर से छानबीन करने लगा।
चूंकि मैं जॉब में था तो मुझ पर शक नहीं गया उसका और मैं खुद बाहर निकल कर उससे बात करने लगा तो वो चला गया।
7- जाते जाते वो नीचे मेन गेट में ताला मारने बोला और दूसरे लड़के को चाबी रखने बोल कर चला गया। किसी तरह मैंने उससे स्टेशन जाने का बहाना बना कर चाबी ले ली।
8, 9, 10 नम्बर की ट्रेजेडी आगे बताऊंगा।
इसलिए दोस्तो चुदाई की चुल्ल में अपनी लुल्ल न करवाना कभी।
सारा मामला ठंडा हुआ 11:30 बज चुके थे किसी तरह मैंने जूही को शांत किया फिर भी वो चुदाई के लिए मना करती रही, मैंने उसे शांत करके अपनी बांहों में भर कर किस करना शुरू किया. वो शांत हुई और मेरे चुम्बन का जवाब देती हुई मुझे किस करने लगी।
मैं फिर धीरे धीरे उसे नग्न अवश्था में ले आया और उसके बूब्स चूसने लगा और अपने भी कपड़े उतार कर अंडरवियर में आ गया और उसकी चूत चाटने लगा।
तभी होस्टल मालिक आ गया(ट्रेजिडी नं 6)। मैंने उसे ऐसे ही नंगी पलंग के नीचे छुपा कर मालिक को रवाना किया, फिर जूही अशांत हो गयी और उसने कपड़े पहन लिए। फिर किसी तरह मैं उसे मनाता रहा और आखिर में बेमन से चुदाई के लिए मानी और हम दोनों फिर से आलिंगन में आ गए।
चुदाई के पहले मैंने कॉन्डम चढ़ाया, और चुदाई चालू हो गयी.
8- नार्मल पोजीशन में चुदाई करते करते फट की आवाज़ आयी और कॉन्डम फट गया, आवाज़ आयी पर समझ में नहीं आया और दूसरी मेंढक पोजिशन में ज्यादा मज़ा आने लगा, क्योंकि कंडोम नहीं था, हम लोग पूरा मज़ा लेते हुए चुदाई करते रहे, जोर जोर से धक्के लगाने में और मज़ा आता रहा और बिना जानकारी के रहे कंडोम के धोखे में मैंने पूरा वीर्य उसकी चूत की गहराई में उतार दिया।
जब लन्ड बाहर निकाला तो वो कंडोम देख कर डर गई कि कहीं बच्चा न ठहर जाए. मैंने किसी तरह उसे समझाया, बोला- जाकर मूत कर आ, चूत को पानी से धो ले!
पर नहीं मानी, होस्टल में हुए हंगामे के कारण डरी हुई थी, मैं भी ज्यादा जोर नहीं दिया, बोला कल- आई पिल ला दूंगा, खा लेना कुछ नहीं होगा।
9- रूम ठीक कर के हम दोनों अलग अलग पलंग में सो गए। सुबह 5 बजे अंधेरे में मैंने उसे उठाया सबकी नजर से बच कर जैसे ही मेनगेट से बाहर निकले एक बुजुर्ग जोड़े ने हमे देखा, हम उन्हें नमस्ते कर निकल गए। और जैसे ही उसके पीजी पहुंचे तो पीछे से एक ऑटो वाले ने मुझे उसे गेट के ऊपर से कुदाते देख लिया.
मैंने उसे बाय किस किया और आने रूम में चल गया।
10- उसके पीजी के रूम का दरवाजा बंद था, वह अपनी रूम मेट को फोन कर के उठाने की कोशिश करती रही तब जाकर दो घंटे बाद दरवाजा खुला और वो रूम में जाकर सो गई और दोपहर 2 बजे उठी थी।
मैं भी सुबह उठा नहा धो के ऑफिस चला गया, और वहां से साइट पर जाकर सो गया।
किसी तरह मामला रफा दफा हो गया।
तो दोस्तो, चुदाई करो पर जान की खतरे में डाल कर नहीं।
मेरी कहानी कैसी लगी, मेल जरूर कर के बताइयेगा।
आप लोग के आशीर्वाद से मुझे कहानी लिखने की प्रेरणा मिलती रहेगी.
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