बॉस के साथ दुबारा चुत चुदाई का मजा-1
अन्तर्वासना की कहानी पढ़ने वाले मेरे यारो,
आप सब ने मेरी पिछली ट्रू सेक्स स्टोरी
बॉस के साथ पार्टी
पढ़ी, आपको अच्छी लगी, मेरी कहानी को सराहना देने लिये आप सभी का शुक्रिया।
अब आगे की कहानी पढ़ें और मजा लें!
पार्टी वाली रात की अगली सुबह बॉस के घर से फ़ोन आ गया तो बॉस सुबह सुबह ही निकल गए, जाते जाते उन्होंने मेरे होठों और चुत पर प्यार भरा किस किया।
उस दिन के बाद से मेरे और बॉस के बीच में एक वासना भरा रिश्ता सा जुड़ गया और बॉस मेरे कामुक अंगों के साथ ऑफ़िस में भी मौक़ा मिलते ही खेलने लगे।
अगले दिन मैं ऑफ़िस गयी पर बॉस के घर में कोई बीमार था तो वे नहीं आये थे इसलिये मैं अपना ऑफिस वर्क करके शाम को वापिस घर आ गयी।
इस तरह 3 दिन बीत गये।
फिर मेरे यार अनुराग उर्फ़ अनु ने मुझसे फ़ोन पर पूछा- कहीं घूमने चलोगी?
तो मैंने पूछा- कहाँ?
अनु- शिमला!
मैं- पर मेरी छुट्टी नहीं है।
अनु- ठीक है, मेरे दोस्त जा रहे हैं तो मैं उनके साथ जा रहा हूँ।
मैं- ठीक है, एन्जॉय करना और मेरे लिये गिफ्ट लाना मत भूलना।
अनु ने बाय बोल कर फ़ोन रख दिया।
मन तो मेरा भी था जाने का पर ऑफ़िस के काम के चक्कर में नहीं जा पायी।
अब मैं अपने रूम में अकेली थी और कुछ काम तो था नहीं इसलिये दिमाग में खुराफात सूझने लगी। मैंने अपने सारे कपड़े निकाल दिये और चुदायी की वीडियो देखते हुये चुत में उंगली करने लगी।
पर मेरी चुत को मोटे और लम्बे लंड लेने की आदत पड़ गयी थी तो अब उंगली से कम नहीं चल रहा था।
फिर मुझे याद आया बॉस मेरे लिये शैम्पेन की बोतल लाये थे। मैं शैम्पेन की बोतल को जमीन पर रख कर उसको चुत में लेकर उस पर बैठ गयी।
जैसे जैसे बोतल चुत में घुस रही थी, मेरी चुत फ़ट रही थी। पर मुझे सेक्स का नशा ऐसा लगा था कि मुझे चुत का फटना भी अच्छा लग रहा था।
अब तक 4 इंच बोतल मेरी चुत में घुस गयी थी जिसे मैं ऊपर नीचे होते हुए खुद को चोदने लगी।
फिर मैंने बोतल को पकड़ लिया और खड़ी होकर सोफे पर चली गयी। अब मैंने अपनी टाँगें ऊपर उठा ली जिससे बोतल में बची हुई शैम्पेन मेरी चुत में जानी लगी। वो बहुत ठंडी थी तो मेरी चुत को बहुत ठण्डा सा लगा और मुझे पेशाब आने लगी।
मैंने सोचा शैम्पेन अब तो कोई पियेगा नहीं, तो मैंने जल्दी जल्दी बोतल को चुत में घुसेड़ना सुरु कर दिया और फिर मेरी चुत ने पेशाब की एक तेज धार मार दी जो सीधा बोतल के अन्दर गयी।
मैंने एक गिलास के बराबर शैम्पेन की बोतल में अपना शूशू भर दिया और झड़ कर सोफे पर ही लेट गयी।
फिर मेरी नीन्द 2 घन्टे बाद खुली जब माँ का फ़ोन आया।
उन्होंने बताया कि अजय जो मेरी मौसी का लड़का है, मुझसे 2 साल छोटा भाई, उसका कोई एग्ज़ाम है, वो तीन दिन के लिये दिल्ली आ रहा है। उससे बात कर लेना और अपने फ्लैट पर रोक लेना।
मुझे लगा कहीं अजय को मेरी सारी हरकतें पता चल गयी और वो माँ को बता देगा तो प्रोब्लम होगी इसलिये मैंने माँ को मना कर दिया अजय को अपने फ्लैट पर रोकने के लिये।
मां ने सोचा अकेली लड़की है कहीं कुछ गलत ना हो जाये, इसलिये वे मेरी बात मान गयीं।
अगले दिन मैं ऑफ़िस गयी तो बॉस आये हुए थे। उनकी नजर मेरी चुची पर थी जिसे मैंने देख लिया और बॉस को देख कर मुस्कुरा उठी।
थोड़ी देर में बॉस ने मुझे अपने केबिन में बुलाया। मैं जब गयी तो बॉस ने मुझे बाहों में ले लिया और मेरे होंठों को चूम लिया।
मैंने भी बॉस को बांहों में लेकर किस किया।
बॉस- नेहा मेरी जान, तुम्हारे लिये लंड तड़प रहा है।
मैं- क्यूँ सर? बीवी के मुँह का छेद भी ढीला कर दिया क्या आपने?
बॉस- तुम्हारी चुत चोदने के बाद इसको कोई और छेद अच्छा नहीं लग रहा है। तुम्हारी चुत बहुत टाइट है नेहा रानी। बहुत खूबसूरत चुत की मल्लिका हो तुम!
बॉस का इस तरह मेरी चुत की तारीफ करना मुझे अच्छा लग रहा था और मेरी चुत गीली होने लगी। मैंने शर्मा कर अपना चेहरा नीचे कर लिया।
बॉस ने मेरे चेहरे को ऊपर उठाया और मेरे होठों पर किस करते हुए मेरे हाथों को अपने लंड के ऊपर रख दिया। उनका लंड खड़ा हो गया जो मुझे पैंट के उपर से ही टाइट लग रहा था।
अब बॉस ने मेरे कान में कहा- नेहा, ये लंड तुम्हरा दीवाना है और हर समय तुम्हारे अन्दर रहना चहता है। मेरे लंड को प्यार करो।
मैं बॉस के लंड की दीवानी थी इसलिये मैं मना नहीं कर पायी और बॉस की पैंट की जिप खोल कर लंड बाहर निकाल लिया और बॉस के होठों को चूमते हुए लंड सहलाने लगी।
बॉस ने कहा- नेहा, चूसो मेरे लंड को!
मैंने कहा- सर, ऑफ़िस में कोई आ सकता है, आप शाम को घर आ जाइए।
बॉस ने कहा- ठीक है, पर मेरे लंड को तुम बहुत पसंद हो इसलिये लंड तुमको कुछ देना चहता है।
मैंने फिर लंड की तरफ देखा तो उसमें एक धागा सा बन्धा हुआ दिखा, पर क्या था मुझे नहीं दिखा।
बॉस- नेहा, मेरे लंड का गिफ्ट लोगी?
मैं- सर, आपका लंड ही मेरे लिये सबसे बड़ा गिफ्ट है।
बॉस- जाओ अपने गिफ्ट से गिफ्ट ले लो।
मैं नीचे को बैठ गयी और लंड को उठा कर देखा तो उसमें एक सोने की अंगूठी बंधी हुई थी। यह देख कर मैं बहुत खुश हुई और बॉस के लंड को मुँह में लेकर चूसने लगी। बॉस ने अपने लंड से मेरे मुंह को चोदना स्टार्ट कर दिया और मेरे मुंह में अपना वीर्य गिरा दिया, जिसे मैं पी गयी।
फिर बॉस ने मुझे खड़ा किया और अंगूठी को मेरी उंगली में पहना दिया। अंगूठी बिल्कुल फिट आयी जिसे देख कर मैं बहुत खुश हुई और बॉस से पूछा- उनको मेरी उंगली का साइज़ कहाँ से मिला तो उन्होंने बताया कि उस रात जब मैं उनकी बाहों में सो रही थी तो बॉस ने मेरी उंगली का साइज़ ले लिया था।
मुझे बॉस का गिफ्ट और उनका तरीका बहुत अच्छा लगा, मैंने खुशी से उनको गले से लगा लिया।
मैं- तो सर आपने सिर्फ उंगली का ही साइज़ लिया था, और भी बहुत कुछ था आपके पास जिसका साइज़ ले सकते थे।
बॉस ने मेरी चुचियों को पकड़ लिया और दबा कर कहा- जानेमन, तुम्हारी चुची और गांड का साइज़ तो मैंने बहुत पहले ले लिया था। बस कन्फर्म करना था नाप कर। जो उस रात को कर लिया।
मैं- तो मेरी गांड और चुची का गिफ्ट कहाँ है?
बॉस- तुमको जो भी गिफ्ट मिलेगी वो तुम्हें तुरन्त पहन कर दिखानी है। बोलो तो दे दूं?
मैं समझ गयी कि मेरी चुची और गांड के लिये क्या गिफ्ट है और ऑफ़िस था इसलिये मैंने बॉस को बोला- घर पर लेकर आइए, फिर जो देखना हो, देख लेना।
बॉस- ओ के मेरी जान।
और फिर मैं अपना काम निपटा कर शाम को घर आ गयी।
बॉस भी अपने घर चले गए।
शाम को मैं अपने फ्लैट में बैठ कर टीवी देख रही थी, तब डोरबेल बजी। मैं जल्दी से खोलने को गयी तो देखा बॉस थे और उनके हाथ में एक गिफ्ट का पैकेट है।
मैं- सर बहुत जल्दी है गिफ्ट देने की।
बॉस- नहीं, गिफ्ट लेने की जल्दी है।
मैं- क्या मतलब?
बॉस- मतलब तुमको देखने की जल्दी थी।
मुझे लग रहा था कि बॉस के इरादे नेक नहीं हैं पर मैंने सोचा कि चुत में उंगली लेने से अच्छा है कि बॉस का लंड ही ले लूं।
फिर मैंने बॉस को चाय पिलाई और फिर हम बैठ कर बात करने लगे।
बॉस- नेहा, तुमसे दूर रहने का मन नहीं करता है।
मैं- सर आपके सामने ही तो हूँ।
बॉस- सामने हो पर दूर हो।
मैं उठ कर बॉस की गोद में बैठ गयी। अब बॉस ने मेरी चुची को पकड़ लिया और दबाते हुए मेरे होठों का रस पीने लगे।
फिर बॉस ने कहा- नेहा, तुम्हारी चुची 34 इंच की हैं ना?
मैं- जी सर… और अगर छोटी हुई तो आपके हाथों में हैं, बड़ी कर दीजिए!
बॉस ने मेरी टी शर्ट को ऊपर उठा दिया। मैं घर में ब्रा पेंटी नहीं पहनती हूँ इसलिये मेरे बूब्ज़ बॉस के सामने नंगे थे जिन्हें बॉस ने चूसना शुरू कर दिया।
मैं- चूस लीजिये सर मेरे निप्पलों को… जोर से काट लीजिये।
मैंने बॉस के सर को पकड़ लिया और उनके मुँह में अपने निप्पल डाल कर चुसवाने लगी।
बॉस: नेहा मेरी जान, मुझे तुमको इन कपड़ों में देखना है!
बॉस ने मुझे वो गिफ्ट पकड़ाते हुए कहा.
मैं- सर ये अंडरगार्मेण्ट्स हैं ना?
बॉस- हां… तुम पर अच्छे लगेंगे!
मैं- अंडरगार्मेण्ट्स तो नंगे होकर पहनते हैं पर अभी मैं नंगी नहीं हूँ सर!
बॉस मेरा मतलब समझ गये और मेरी टीशर्ट के साथ मेरी लैगी को निकाल दिया। अब मैं बॉस के सामने बिल्कुल नंगी खड़ी थी, मेरी चुत बिल्कुल गीली हो गयी थी।
बॉस ने मेरी चुत को सहलाया और उंगली डाल कर चुत का रस निकाल लिया और चाट लिया ‘उम्माह’
बॉस ने दोबारा मेरी चुत में उंगली घुसा कर मेरी चुत का रस निकाला और इस बार उन्होंने वो उंगली मुझे कहता ड़ी, मैं अपनी ही चुत का रस चाट गई.
इसने बाद बॉस ने मेरे होंठों पर अपने होंठ रख दिए और मुझे फ्रेंच किस करने लगे.
करीब पांच मिनट बाद बॉस ने मुझे छोड़ा और बोले- नेहा, अब तो तुम बिल्कुल नंगी हो अब इन्हें पहन कर दिखाओ।
मैं- ओके सर।
मैंने वो गिफ्ट उठा लिया और अन्दर के कमरे में चली गयी. जब मैंने गिफ्ट खोला तो देख कर दंग रह गयी, उसमें एक डोरी वाली ब्रा थी जिसमें दो तिकोने छोटे छोटे से कपड़े लगे हुए थे।
मैंने उस ब्रा को पहन लिया तो उससे मेरे निप्पल तो ढक गये और बाकी सब कुछ यानि मेरी पूरी चुचियाँ नंगी दिख रही थी।
फिर मैंने पेंटी उठायी जिसमें नीचे की साइड जहाँ चुत का छेद होता है वहाँ 6 इंच सा प्लास्टिक का लंड जुड़ा हुआ था और पीछे कमर तक एक मोतियो की डोरी थी।
जब मैंने उसे पहना तो वो लंड मेरी चुत में घुसने लगा, मैंने उसे अपनी चुत के अन्दर सेट कर लिया और मोतियों वाली डोरी मेरी गांड के छेद से चिपक गयी।
वो ब्रा और पेंटी रेड कलर में थी जो मेरे गोरे जिस्म पर बहुत खूबसूरत लग रही थी।
मैंने अपने आप को शीशे में देखा तो मैं बहुत सेक्सी लग रही थी।
प्लास्टिक का लंड मेरी चुत में एकदम सही फिट हो गया और मुझे बहुत अच्छा लग रहा था।
फिर मैंने अपने बदन पर ऊपर से गाऊन डाल लिया बॉस के पास जाने लगी। जैसे ही मैंने एक पैर उठाया, प्लास्टिक लंड थोड़ा सा ऊपर हूआ। और दूसरा पैर उठते ही वो और अन्दर घुस गया और मोतियों वाली डोरी मेरी गांड के छेद को रगड़ रही थी जो एक अजीब सी मस्ती दे रही थी मुझे।
मैं चलते चलते कमरे से बाहर निकली तो देखा कि अब तक बॉस ने अपने सारे कपड़े निकाल दिये थे और सिर्फ चड्डी में बैठ कर मेरा इन्तजार कर रहे थे। उन्हें देख कर मैं समझ गयी कि आज बहुत चुदने वाली हूँ।
मैं जब चल रही थी तो पेंटी वाला लंड मेरी चुत में घुस जाता और कभी थोड़ा बाहर को निकल जाता। इस तरह मैं उम्म्ह… अहह… हय… याह… प्लास्टिक के 6 इंच के लंड से चुदते हुए चल रही थी।
मुझसे ठीक से चला नहीं जा रहा था जिसे बॉस देख कर मुस्करा रहे थे। और फिर बॉस मेरे पास आ गये और मेरे होठों को चूम लिया।
मेरे अन्तर्वासना के प्यारे पाठको, मेरी ट्रू सेक्स स्टोरी आपको कैसी लग रही है? मुझे मेल करें!
मेरे बॉस के साथ सच्ची चुदाई कहानी जारी रहेगी.
लव यू आल!
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मेरी ट्रू सेक्स स्टोरी का अगला भाग : बॉस के साथ दुबारा चुत चुदाई का मजा-2
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