बड़े बंगले वाली रजनी जी की कामुकता-1
दोस्तो, मेरा नाम राजू है, उम्र 34 साल!
वैसे तो मैं बिजनेस करता हूँ पर कम्प्यूटर में भी दिलचस्पी रखता हूँ इसलिए मेरे एक दोस्त सोनू के पास, जब मैं फ्री होता हूँ, चला जाता हूँ।
वो उम्र में मुझसे छोटा है इसलिए सेक्स जैसे विषय में हमारी बात नहीं होती।
एक बार मैं उसके ऑफिस में गया तो वह कम्प्यूटर में कुछ कर रहा था। अचानक उसे उसके बॉस ने बुला लिया तो वह उठ कर चला गया। उत्सुकता से मैंने देखा कि वो कम्प्यूटर में क्या कर रहा था तो देखा कि उस टाइम उसके कम्प्यूटर में अन्तर्वासना की साइट खुली हुई थी।
अब चूंकि मैंने साइट एड्रैस तो देख ही लिया था तो वो आता, उसके पहले ही मैं अपनी सीट पर वापस आ गया।
अपने ऑफिस में आकर मैंने वही साइट गूगल में सर्च करके ओपन की। ब्लू फिल्म वगैरह तो मैं बहुत देख चुका था और शादी-शुदा भी हूँ तो अलग-अलग तरह से अपनी बीवी के साथ सेक्स भी कर चुका हूँ।
पर इस तरह से स्टोरी पढ़ने का यह मेरे पहला अनुभव था इसलिए मजा भी बहुत आया। क्या लिखते हो आप सभी लोग… कुछ तो बकवास और झूठी लगती है लेकिन कुछ तो ऐसा लगता है कि पूरी की पूरी सही ही है।
अब 2 हफ्ते से रोज़ ही पढ़ रहा हूँ तो सोचा कि अपनी भी एक स्टोरी जो सही भी है और मेरे और उस महिला के अलावा कोई नहीं जानता, यहाँ पर लिख ही देता हूँ।
तो दोस्तो, आप लोग इसे पढ़िये और मुझे पर बताइयेगा जरूर कि कैसी लगी।
बात उस समय की है जब मैं 18 साल का होने को था।
पहले मैं यह बता दूँ कि उस टाइम हम रायपुर से 60 किलोमीटर दूर जहाँ हमारी खेती-किसानी है, उस गाँव में रहते थे। मेरे पापा किसानी के साथ ही अनाज का काम भी करते थे और कपड़े की भी दुकान थी। हमारे यहाँ काम ज्यादा था तो मैं भी पढ़ाई के साथ-साथ उस काम में भी सहयोग करने लगा। तब मेरी उम्र काफी कम थी, जब मैंने काम देखना चालू किया था।
फिर तो मैं काम के सिलसिले में रायपुर भी जाने लगा। रायपुर आना-जाना मैं ट्रेन से करता था। किसानी काम के लिए मेरे यहाँ पर 2 ट्रेक्टर थे।
मई का महीना था जब एक ट्रेक्टर खराब हो गया। लोकल मिस्त्री ने बताया कि पूरा इंजन का काम ही करना होगा।
पापा ने कहा जब पूरा काम करना है तो फिर लोकल मिस्त्री से नहीं करा कर रायपुर में अच्छे से काम करना ठीक होगा।
तो ट्रेक्टर को रायपुर भेज दिया और मुझे सब समझा कर बोले- तुम रोज़ जाकर अपने सामने ही काम कराओ।
तो दोस्तो इस तरह मेरा 15 दिन रायपुर ट्रेन से आना-जाना हुआ।
मेरी यह स्टोरी इसी टाइम की है।
मेरी ट्रेक्टर कंपनी का सर्विस सेंटर रायपुर की एक पोश कॉलोनी में है। सेंटर के चारों ओर अच्छे, सुंदर और बड़े बड़े बंगले हैं।
ट्रेक्टर को तो मिस्त्री ने बनाना था और उसकी मदद करने के लिए मेरा ड्राईवर था ही तो मैं वहाँ पर बैठ कर सिर्फ काम ही देखा करता था और कुछ समान वगैरा लाने का काम ही करता था।
मुझे नहीं मालूम था कि पास के ही एक बंगले की महिला मुझे देखा करती है।
मुझे 6-7 दिन हुये थे कि एक दिन उस बंगले वाली महिला ने मुझे इशारा करके बुलाया, तब दोपहर का समय था और बहुत ही गर्मी लग रही थी। थोड़ा डरा और हिचका था मैं, पर जब वो खुद ही बुला रही थी तो मैंने जाना ही उचित समझा।
वो मुझे अपने बंगले की बालकनी से बुला रही थी और मैं उसके बंगले के गेट पर जब पहुंचा तो उन्होंने ऊपर से ही आवाज़ दी कि दरवाजा खोल कर ऊपर ही आ जाऊँ। वही थोड़ा डर और हिचकते हुए मैं ऊपर पहुँचा। एक तो मैं गाँव का रहने वाला और उम्र भी महज 18 साल, तो उसके साथ सेक्स का तो सोच ही नहीं सकता था। हाँ, वो मुझे परी जैसे सुंदर लग रही थी। यदि आज की स्थिति में बोलता तो ये कि ‘क्या फिगर था उसका…
पौराणिक कथा की मेनका और रंभा भी उसके सामने पानी भरे, ऐसी थी वो!
फिर उन्होंने ही बात शुरू करते हुये मेरे बारे में जाना और अपने बारे में बताया जो इस प्रकार है। नाम- रजनी, उम्र- 25, पति की बड़ी नौकरी है इसलिए मार्केटिंग के काम से अक्सर दौरे पर ही रहते हैं। बच्चे अभी हुये नहीं और सास-ससुर गाँव में रहते हैं, जो कभी-कभी ही मिलने आते हैं।
इस तरह रजनी जी अपने बड़े से बंगले में अकेली ही रहती हैं। घर का काम, साफ-सफाई आदि के लिए एक कामवाली आती है जो सुबह और शाम को ही आती है, तो दोपहर को वे अकेली ही रहती हैं।
इस पूरी बातचीत में उन्होंने मेरे मजबूत शरीर की 3 बार तारीफ की, साथ ही यह भी बोला कि मेरा शरीर देख कर उनको लगा कि मेरी उम्र 22-23 साल की होगी, अभी मैं 18 साल का हूँ, यह जान कर उनको बहुत ही आश्चर्य हुआ।
पानी तो उन्होंने पिला ही दिया था, फिर भी ‘गर्मी बहुत है…’ बोल कर नींबू का शर्बत भी पिलाना चाहा।
अब इतनी देर से अच्छे से बात हो रही थी तो मैं भी मना नहीं कर पाया। बातचीत में मैंने उनको आंटी बोला तो पहले तो मुझे डांट दिया फिर खुद ही प्यार से बोली- अभी मेरी उम्र इतनी नहीं कि आंटी बोला जाए!
और कहा- मुझे रजनी जी बोला करो… मुझे सुन कर अच्छा लगेगा।
अब उनके मन में क्या चल रहा था, मैं तो अभी तक कुछ समझा ही नहीं था। हाँ, उनकी बॉडी लांगवेज मुझे बड़ी ही अजीब लग रही थी। इतनी देर में उनका पल्लू वैसे तो कई बार गिरा और थोड़ी देर से ही सही पर वो अपना पल्लू संभाल कर सही कर लेती थी।
बता चुका हूँ दोस्तो कि उस टाइम तक मैं सेक्स के बारे में नहीं जानता था इसलिए उनके पल्लू गिरने पर मैंने कुछ विशेष न देखा और न ही सोचा। शायद अब तक वो भी यह समझ चुकी थी कि सेक्स का विषय मेरे लिए अभी नया है, पर वो भी अभी मुझसे पूरी तरह निराश नहीं हुई थी पर कुछ करने की उनको जल्दी भी नहीं थी।
एक घंटा से ज्यादा बातचीत करते होने पर मैंने जाना चाहा तो पहले तो वो उदास हो गई, फिर बोली- जब शाम को वापस जाओगे तो फिर आना! मैं चाय अच्छी बनाती हूँ, साथ में बैठ कर चाय नाश्ता करेंगे।
मैं हाँ बोल कर वापस आ गया।
सही बताऊँ… काम और सामान लाने के चक्कर में मैं शाम को उनके पास नहीं जा पाया, शायद भूल ही गया था मैं उनको!
दूसरे दिन जब मैं फिर सर्विस सेंटर पहुँचा तो उनकी ओर तो ध्यान ही नहीं दिया था। दोपहर को ही उन्होंने खुद ही मुझे फिर से बुलाया। उनके घर में ऊपर पहुंच कर जब मैंने ‘नमस्ते आंटी…’ बोला तो फिर से डांट दिया- आंटी नहीं रजनी जी बोलो!
फिर ‘कल शाम को क्यों नहीं आया?’ बोल कर फिर से डाँटा।
खैर 3 दिन इस तरह निकल गए, वो मुझे रोज़ शर्बत, चाय, नाश्ता कराती तो मुझे भी अच्छा लगने लगा था, शायद सर्विस सेंटर की थकान भरी गर्मी से वहाँ की ठंडक अच्छी लगने लगी थी।
चौथा दिन, यही वो दिन था जिसे मैं नहीं भूल पाता।
उस दिन दोपहर को जब उन्होंने अपनी बालकनी से मुझे ऊपर आने का इशारा किया तब उनका सिर्फ चेहरा ही मुझे दिखा था बाकी पूरा शरीर उनका वहाँ सूख रही साड़ी के पीछे था। उनके बुलावे पर मैं जब बंगले का मेन फाटक खोल कर ऊपर जाने लगा तो उनकी आवाज़ आई- कुत्ते घुस जाते हैं… दरवाजा बंद करते हुए ही ऊपर आना।
मैं दरवाजा बंद करके जब ऊपर के रूम में पहुँचा, वो उसके और अंदर थी, वहीं से आवाज़ देकर पूछने लगी- राजू, शर्बत बना रही हूँ, या कुछ और बनाऊँ?
मैं बोला- ठीक है, वही ले आओ।
बाप रे… क्या लग रही थीं वो जब काँच के गिलास में शर्बत लेकर आई, एकदम झीनी सी नाइटी पहने थीं वो… वो भी एकदम क्रीम कलर की और उसके अंदर उनके अंदरूनी कपड़े चटक लाल रंग के, जो क्रीम रंग की नाइटी में पूरी तरह स्पष्ट दिख रहे थे। उनके काले और कूल्हे से नीचे तक बड़े लंबे बाल, एकदम गीले से, जैसे अभी ही नहा कर आई हों, आधे आगे, आधे पीछे।
पहली बार वो मुझे वैसे दिख रही थी, या ये समझिए कि मैं उनको वैसे देख रहा था जैसा कभी कभी अपने दोस्तों से सेक्सी महिलाओं के बारे में सुना था… कामुकता की देवी!
उनको इस तरह देख कर पहली बार मुझे थोड़ा अजीब सा लग रहा था, मतलब नशा जैसा…
चूंकि मैं सोफा में बैठा था, तो उनके इस तरह से सामने आने पर वहीं खड़ा होने लगा, उन्होंने कहा- राजू, बैठे रहो!
फिर सामने आकर और पूरा झुक कर मुझे शर्बत का गिलास पकड़ाया, बल्कि यों कहो कि खुद ही मेरे होंठों से लगा कर पिलाने लगी। अब इस रूप में उनको देख कर वैसे भी मैं कुछ नशे में तो था ही, तो जब गिलास मेरे होंठों से लगा तो मैं शर्बत पीने लगा।
नहीं जानता मैं कि उसमें कुछ मिला था या क्या बात थी… शर्बत कुछ ज्यादा ही मीठा लग रहा था।
वो बोली- 10 मिनट, किचन का कुछ काम बचा है, वो करके मैं आती हूँ।
वैसे भी किचन उनका सामने ही था, वो वह काम करती हुई, मुझे दिख भी रही थी।
आज का उनका पहनावा और शायद शर्बत में मिला हुआ कुछ, जो भी हो, मैं खुद को अपने बस में नहीं रह पा रहा था। और 10 मिनट बाद तो मुझे लगा कि मेरा लिंग बड़ा और टाइट हो रहा है।
किचन से आवाज़ आई- बस राजू, काम हो गया मैं हाथ धोकर आ रही हूँ, कुछ लाऊँ क्या?
और ज़ोर से आ….ई की आवाज करते हुये वो गिर गई।
स्वाभाविक है, मैं तुरंत उठ कर गया।
वो वही किचन में ही नीचे गिरी हुई थी, उनके कपड़े भी अस्त-व्यस्त हो गए थे, उन्होंने अपना हाथ मेरी ओर किया तो मैंने पकड़ लिया जिसे ज़ोर से पकड़ कर वो उठने लगी कि अचानक ही फिर से गिर गई, और मुझे भी अपने ऊपर गिरा लिया।
मैंने सॉरी बोला तो बोली- कोई बात नहीं, अब मुझे उठाओ तो!
और अपने हिप दिखाती हुई बोली- यहाँ बहुत दर्द हो रहा है।
मैंने जैसे तैसे सहारा देकर उनको उठाया तो बोली- मुझे बेडरूम में ले चलो।
वहाँ पहुँच कर बिस्तर में उनको लिटा दिया।
वो बोली- राजू सुनो, मुझे यहाँ (हिप) और पैर में बहुत दर्द हो रहा है, तो एक काम करो, वहाँ दराज़ में मलहम रखी है, लाकर लगा दो।
मैं मलहम लाकर उनको देने लगा तो वो बोली- प्लीज यहाँ लगा भी दो, मुझे हाथ में भी थोड़ा दर्द है, हाथ मोड़ कर नहीं लगा सकती!
अब क्या करता, मैं थोड़ा संकोच करते हुये अपना मुँह दूसरी ओर फेर कर मलहम लगाने लगा।
अब मेरा मुँह दूसरी ओर था तो बिना देखे मलहम लगाने से कहीं का कहीं हाथ जा रहा था। वो डांटती हुई बोली- क्या कर रहे हो, जहाँ चोट है, वहाँ लगाओ न, यहाँ वहाँ क्यों हाथ लगा रहे हो?
मैं डर कर सॉरी बोला तो वो बोली- सही जगह लगाना है तो जगह देख कर लगाओ न, बिना देखे लगाओगे तो यही होगा!
फिर बोली- राजू, तुम तो बहुत शरमीले हो यार, क्या कभी किसी लड़की को इस तरह नहीं देखा?
मैंने सिर्फ मुँह हिला कर ही नहीं बोल दिया, जो की सही भी था। यह पहला ही मौका था किसी लड़की या औरत को इस तरह देखने का।
उधर मैं उनके शरीर में मलहम लगा रहा था, इधर मेरा लिंग टाइट और बड़ा हो रहा था।
अचानक, दूसरी ओर मलहम लगाने के लिए वो इस तरह पलटी की उनका हाथ मेरे लिंग से टच हो गया। तो अंजान बनते हुये ‘जेब में क्या रखे हो, दिखाओ मुझे?’ बोलने लगी।
मैं उनसे मिन्नत करने लगा कि जेब में कुछ नहीं है, तो वो बोली- नहीं, मैंने कुछ टाइट सा छुआ है वहाँ पर!
मैं डर गया था, तो ‘अब जाता हूँ…’ बोल कर उठने लगा तो वो बोली- रुको, पहले यह बताओ कि जेब में क्या रखे हो जो मुझसे छुपा रहे हो?
मैं बोला- सही बोल रहा हूँ रजनी जी, मेरी जेब में कुछ नहीं रखा है.
तो वो बोली- ठीक है, जब कुछ भी नहीं है तो फिर डर क्यों रहे हो? मुझे देखने दो।
अब मैं उनको क्या बताता, कि उनको इस हालत में देख कर मेरा लिंग अचानक बड़ा और टाइट हो गया है, उसको ही उनका हाथ लग गया था।
अब मुझे समझ में आ रहा है कि शर्बत में उन्होंने कुछ दवाई मिला दी थी जिसके कारण ही मेरा लिंग एक बार टाइट और बड़ा होने के बाद वैसे का वैसे ही था।
और वो तो जानती थी इसलिए ही जिद करने लगी- मैं तो खुद ही देखूँगी, फिर मानूँगी कि कुछ नहीं है।
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मेरी हालत तो मेमने जैसे हो गई थी। अब मैं तो ‘उनके मन में क्या है’ ये जानता नहीं था, इसलिए डर रहा था उनको दिखने के लिए। जब नहीं मानी तो मैंने उनको बोला- आप गुस्सा तो नहीं होंगी न?
तो वो बोली- नहीं। अब तो दिखा दो, या एक काम करो तुम आँख बंद कर लो, मैं खुद ही देख लूँगी.
तो मुझे ये सही लगा, बोला- ठीक है, मैं आँख बंद कर रहा हूँ, आप देख लो, पर वादा करो कि गुस्सा नहीं होंगी।
वो बोली- पक्का वादा!
फिर उन्होंने पहले मेरी एक जेब में हाथ डाला, फिर दूसरी में… इस दौरान उनका हाथ मेरे लिंग पर टच तो हुआ पर उन्होंने उस पर तो कुछ कहा नहीं और बोली- अरे जेब में तो कुछ नहीं, फिर वो कड़ा कड़ा क्या था, देखो सही बताओ, नहीं मैं नाराज़ हो जाऊँगी।
साथ ही जेब के अंदर से ही लिंग को छूते हुये बोली- ये क्या है, कड़ा सा, दिखाओ इसे?
अब मुझे तो न कुछ बोलते बन रहा था और न ही कुछ करते… मैंने शर्माते हुये ही कहा- आपको जैसे देखना है खुद ही करो, मुझसे कुछ नहीं होगा।
‘ठीक है…’ बोल कर उन्होंने पहले मेरी जींस खोली, फिर मेरे अंडरवीयर में हाथ डाल कर मेरे लिंग को पकड़ लिया.
बाप रे… जैसे ही उनका नर्म और गर्म हाथ लगा, मेरा लिंग और अधिक कड़ा हो गया और बड़ा भी।
हँसते हुये वो बोली- क्यों राजू, ये क्या है, क्या ये हमेशा ऐसा ही रहता है?
मैं- नहीं रजनी जी।
वो- तो फिर अभी ऐसा क्यों है?
मैं- आप नाराज़ मत होना… क्या है न, जब से आपको इस तरह देखा वो अपने आप ही ऐसा हो गया, मुझे खुद ही समझ में नहीं आ रहा है, पहले तो यह छोटा ही होता था।
वो- अच्छा ये बताओ, क्या पहले कभी और ऐसा हुआ था?
मैं- हाँ, पर कभी-कभी ही, कुछ देर के लिए, खास कर जब मैं सोता रहता हूँ तब।
वो- फिर तुम क्या करते हो?
मैं- कुछ खास नहीं, बस हाथ में पकड़ कर थोड़ी देर रहता हूँ, फिर धीरे धीरे वो शांत हो जाता है।
वो- और कुछ नहीं करते तो?
मैं- नहीं मैं कुछ नहीं करता।
वो- अच्छा ये बताओ, तुमको मालूम लड़का और लड़की सेक्स करते है?
मैं- हाँ, ‘करते हैं’ यह जानता हूँ, पर ‘कैसे’ ये नहीं जानता।
वो- तूमने कभी किया नहीं?
मैं- अभी तो मेरी शादी नहीं हुई, वो तो शादी के बाद करते है।
वो हंसने लगी, तब बहुत ही सुंदर लग रही थी हँसते हुये… बोली- तो तुम नहीं जानते कि शादी के बाद कैसे करते हैं?
मैं- नहीं।
वो- अच्छा तो फिर जब शादी होगी तुम्हारी तो कैसे और क्या करोगे, बोलो?
अब इस सवाल पर मैं चुप हो गया, बल्कि उनको ही टुकुर टुकुर देखने लगा।
वो- मेरे साथ करोगे, इसी बहाने सीख भी जाओगे।
मैं फिर चुप ही था। अभी तक मेरा लिंग उसके ही हाथ में था। उसका नर्म और गर्म हाथ में, ऐसा लग रहा था कि वो हमेशा ही पकड़े रहे।
मैं अभी सोच ही रहा था कि उन्होंने अचानक से मेरे होंठों पर अपने होंठ लगा कर मुझे कस के पकड़ कर किस करने लगी। लिंग अभी भी उन्होंने पकड़ रखा था।
किस करते हुये ही मेरी जीभ को अपने होंठ और दांत से पकड़ लिया। मैंने महसूस किया, मेरा लिंग अब साँप की तरह फुफकार रहा था।
फिर वो हंसने लगी और मुझसे पूछने लगी- क्यों राजू, कैसा लग रहा है? और कुछ करूं?
मैं- और क्या करोगी?
वो- वो मैं खुद कर लूँगी, तुम पहले हाँ बोलो, और साथ में ये वादा करो कि यहाँ जो भी होगा तुम उसके बारे में किसी को और कभी भी, कुछ भी नहीं बताओगे।
मैं- ठीक है, पर मुझे कुछ होगा तो नहीं?
वो हंसने लगी।
फिर अचानक बोली- अच्छा राजू, मैं जैसा बोलूं, तुम वैसा ही करते जाना।
मैं- हाँ।
वो- चलो, अपनी आँखें बंद करो।
मैंने की।
कुछ रुक कर बोली- अपनी आँखें खोलो।
आँखें क्या खोली, वो तो खुलते ही मेरी आँखें फटी की फटी रह गई, रजनी जी अब सिर्फ छोटी सी ब्रा और पेंटी में ही खड़ी थी। उनका गोरा चिट्टा शरीर लाल रंग की ब्रा और पेंटी में… बाप रे… मैं शब्दों में बता नहीं सकता कि उस टाइम मैं कैसा महसूस कर रहा था। मैं तो बस उनको देखता ही रहा और वो इठलाते हुये चलकर आई और मुझे ज़ोर से पकड़ कर अपने गले से लगा लिया। और मुझे किस करते हुये फिर से मेरी जीभ को अपने होंठ और दांत से पकड़ लिया।
इधर मेरा लिंग अपने ही आप और कड़ा व बड़ा होकर ऊपर-नीचे होने लगा।
यह महसूस कर वो हँसती हुई बोली- ये ऐसा क्यों हो रहा है?
मैं- नहीं जानता रजनी जी, जब आप कुछ भी इस तरह से करती हो, तो वो अपने ही आप ऐसा होने लगता है।
वो अपने सफ़ेद दांत दिखाते हुये ज़ोर से हंसने लगी और बोली- फिक्र मत करो, आज जब तुम यहाँ से वापस जाओगे तो एक नया अनुभव लेकर ही जाओगे। बस जैसा मैं बोलूं, वैसा ही करते जाना… ठीक?
मैंने तो बस अपनी मुंडी ही हिला दी और वो हंसने लगी।
मैंने उनसे पूछा- आप इतना हंस क्यों रहीं हैं?
कुछ जवाब देने की बजाय उन्होंने मेरे लिंग से मुझे पकड़ा और अपनी ओर खींचने लगी, मैं जैसे ही आगे बढ़ता वो खुद पीछे होने लगती, इस तरह से पकड़े हुये उन्होंने पहले रूम का एक चक्कर लगाया और मैं नशे की हालत में वैसा ही करता रहा, मेरे दिमाग में बस इतना था, जैसे वो बोले और करे, मुझे बस वैसा ही करना है।
वो- क्या तुमको डर लग रहा है?
मैं- नहीं।
वो- तो तुम कुछ कर क्यों नहीं रहे हो, क्या तुम्हारा मन नहीं कर रहा कुछ करने का? अच्छा ये बताओ, अभी तक तुमको क्या अच्छा लगा?
मैं- नहीं ऐसा नहीं है, थोड़ा झिझक रहा हूँ, और जब आप मेरे लिंग को पकड़ती हो और मुझे किस करती हो तो मुझे बहुत ही अच्छा लगता है, जैसे नशा सा हो जाता है और लगता है कि आप ऐसा ही करती रहो।
वो- और?
मैंने अपनी मुंडी नीचे कर ली।
वो- मेरी मुंडी ऊपर करते हुये बोली- देखो राजू, पहली बात, जब इतना देख और कर लिया है तो पहले तो इस तरह शर्माना छोड़ो, और जो भी तुम कहना चाहते हो, करना चाहते हो मेरे साथ, बेझिझक करो, यदि तुमको असली मजा लेना है तो ये जरूरी है, ठीक? तो चलो, अब तुम्हारे मन में जो करने का हो रहा है मेरे साथ करो। ओके चलो रेडी.. अब करो बिल्कुल बिंदास और वो करो जो भी तुम्हारे मन में करने का हो रहा है।
उनकी इस तरह की बात सुन कर और अब तक जो हुआ, तो मेरी भी झिझक अब दूर होने लगी थी तो मैंने भी झट से उनको अपने गले से लगाया और अब खुद ही उन्हें किस करते हुये अपनी जीभ को उनके मुँह में डालने लगा और अपनी पूरी ताकत से उनको अपने में ही चिपटा लिया।
वो- गुड राजू… वेरी गुड… वाह मजा आ गया, और ज़ोर से!
नहीं मालूम ऐसा ही क्या क्या बोलते हुये वो भी मेरे से लिपटने-चिपटने लगी।
वो अभी भी सिर्फ ब्रा और पेंटी में ही थी और मैं पूरे कपड़ों में… वो बोली- राजू, मैं तुम्हारे कपड़े उतारूं?
मेरा जवाब सुने बिना उन्होंने मेरी टी-शर्ट उतार दिया, फिर बनियान और जींस भी।
अब मैं सिर्फ अंडरवियर में ही था। मतलब अब वो ब्रा और पेंटी में और मैं अंडरवियर में…
अब फिर से हम दोनों आपस में लिपटने-चिपटने लगे, दोनों ही एक-दूसरे के मुँह में अपनी जीभ डालते।
उन्होंने तो मेरा लिंग पकड़ा ही था।
उन्होंने अपनी ब्रा कब और कैसे उतारी मुझे पता ही नहीं चला कि अचानक मेरा एक हाथ पकड़ अपने सीने पर रख दिया और बोली- राजू, अब यहाँ भी ज़ोर से अपनी पूरी ताकत से मसलो, दबाओ।
जब मैं वैसा करने लगा तो बोली- हाँ… वाह, ऐसे ही… ज़ोर से… और ज़ोर से!
फिर मेरा मुँह भी वहाँ रख दिया, बोली- अपने हाथ से, मुँह से, यहाँ पर जो करना है, जैसा करना है, करो, जितनी ताकत लगा सकते हो लगाओ।
मैं तो उस टाइम उनके आदेश का ही गुलाम हो गया था, जैसा वो बोलती, मैं करते जाता। और वो बस, ‘उम्म्ह… अहह… हय… याह… आई ऊई…’ इसी तरह की कामुकता भरी आवाज़ करती जा रही थी।
फिर एक बार अचानक से मेरा हाथ पकड़ा और अपनी पेंटी के अंदर मेरा हाथ डाल कर अपनी योनि पर रख दिया।
बाप रे… वो जगह तो मुझे इतनी गर्म लगी, और गीली भी, मेरा हाथ वहाँ पर जहाँ भी लगता फिसलने लगता। एक प्रकार से मेरा हाथ उस जगह को रगड़ने लगा था और ऐसा होने पर वो वाह… आई… आह… ऊई… की आवाज़ करने लगती।
इसी दौरान उन्होंने अपनी पेंटी भी उतार कर फेंक दी और अब मेरे मुँह को मेरे सिर के पीछे से पकड़ कर अपनी योनि के पास लगा दिया।
वैसे तो वहाँ पर मुझे भीनी भीनी महक ही आ रही थी, पर थी तो वो पेशाब वाली जगह तो मैंने अपनी मुंडी थोड़ी टाइट कर ली।
वो चूंकि जानती थी कि मेरा यह पहली बार है, तो उन्होंने जबर्दस्ती नहीं की।
अब वो दूसरे तरीके से चालू हो गई, फिर से मुझे होंठों पर किस करने लगी और किस करते हुये ही धीरे-धीरे मेरी गरदन पर, फिर सीने पर, फिर नाभि के पास किस करने लगी, फिर इस तरह थोड़ी देर बाद, मेरे अंडकोश के साथ खेलते हुये मेरे लिंग को किस करने लगी।
मैं बता चुका हूँ दोस्तो, उस टाइम मैं किस नशे में था, मैं खुद ही नहीं समझ पा रहा था, और मेरे साथ जो भी हो रहा था, वो मुझे अच्छा ही लग रहा था, इसलिए, कब उन्होंने मेरे लिंग को अपने मुँह के अंदर लिया पता ही नहीं चला। मुझे तो बस ऐसा लगा की मेरा लिंग किसी गर्म गुफा में घुस गया है।
अपने मुँह में मेरे लिंग को लेकर रजनी जी अपना मुँह हिलाने लगी, साथ ही मेरा एक हाथ अपने सीने में और दूसरा हाथ अपनी योनि में रगड़वाने लगी।
करीब, 10 मिनट ऐसा ही करते रही कि अचानक मुझे ऐसा लगा कि उनका मुँह मेरे लिंग के अंदर से कुछ खींचने का प्रयास कर रहा है, मेरा शरीर पूरा ऐंठने लगा… लगा कि मेरी पूरी ताकत मेरे लिंग में आ गई है।
और फिर अचानक मेरा लिंग पिचकारी बन गया और मुझे लगा उसमें से रूक-रूक कर कुछ निकला।
अब मेरा लिंग तो रजनी जी के मुँह में था, तो उसमें से क्या निकला वो तो मैं नहीं देख पाया, पर मुझे बहुत ही सुकून मिला और कुछ ही देर में मेरा लिंग थोड़ा सुस्त हो गया.
तब जब उन्होंने मेरे लिंग से अपना मुँह हटाया, मैंने देखा कि उनके मुँह में गाढ़ा-गाढ़ा सफ़ेद सा कुछ लगा हुआ है जिसे वो मुझे दिखा दिखा कर चाटते हुये पी गई।
दोस्तो, अभी तक हम बिस्तर के बाज़ू में ही खड़े-खड़े ही ये सब कर रहे थे, तो रजनी जी ने मुझे एकदम प्यार से पहले बिस्तर पर बिठाया और हँसते हुये बोली- राजू, कैसा लगा?
मैं बोला- रजनी जी, मुझे तो बहुत ही अच्छा लगा।
फिर वो हँसने लगी।
चूंकि मैं थोड़ा सुस्त हो गया था, वो बोली- तुम थोड़ी दे आराम करो, मैं तुम्हारे लिए कुछ लेकर आती हूँ!
और फिर वो किचन की ओर चली गई।
सुस्ती के साथ थोड़ा नशा तो था ही, तो नर्म बिस्तर में लेटने से मुझे थोड़ी झपकी सी आ गई।
कामुकता भरी कहानी जारी रहेगी.
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बड़े बंगले वाली रजनी जी की कामुकता-2
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