भाभी की भाभी खुद चुदने चली आई
दोस्तो कैसे हो, सभी की चुत को मेरे खड़े लंड का सलाम. मैं फिर से अपने दोस्तों के लिए अपनी नई सेक्सी कहानी लेकर हाजिर हुआ हूँ. मेरी पिछली सेक्सी कहानी
पड़ोस की मस्त प्यासी भाभी की चुदाई
को बहुत से लोगों ने पसंद किया और फिर मुझे मेल भी किए. उन लोगों का बहुत धन्यवाद. उनको भी शुक्रिया जिन्होंने मेरी पिछली कहानी को पढ़ा और कोई जबाव नहीं किया.
मेरे बारे मैं आप सभी को फिर से बता दूं कि मैं गुजरात के अहमदाबाद का रहने वाला हूं. मैं अपनी पड़ोसन भाभी को बहुत अच्छी सर्विस दे रहा हूं. वो भी मेरी इस सर्विस से काफी खुश हैं.
अब बात कुछ इस तरह की है कि एक दिन मैं भाभी के घर पर सर्विस दे रहा था … मतलब कि उन्हें चोद रहा था कि तभी उनकी भाभी ने हम दोनों को सेक्स करते हुए देख लिया.
हम दोनों चुदाई में इतने मस्त थे कि हमें ये मालूम भी नहीं चला था कि कोई हमें देख रहा है.
ये तो तब मालूम पड़ा, जब भाभी की भाभी ने उन्हें कहा और मुझसे बात करने को मुझे बुलाया.
यह बात सुनकर मेरी तो जैसे फट ही गई थी. मैंने भाभी से पूछा- उन्होंने कब आकर देख लिया. आपने तो गेट और सभी खिड़कियों को बंद कर दिया था.
भाभी ने कहा कि उनकी साधना भाभी को गेट बाहर से खोलना आता है.
मेरा तो दिमाग ही काम करना बंद हो गया था. मैंने कहा- भाभी, ये बहुत बड़ी दिक्कत हो गयी है.
भाभी मेरे पास आ कर बैठीं और कहा- जो हो गया, उसकी चिंता न करके अब आगे कुछ ग़लत ना हो, उसका ध्यान रखना है. अब तो उनसे बात करके ही सब सही हो सकेगा.
फिर एक दिन भाभी की भाभी से मिलने का समय आ गया. वो आईं, तब मैं अपने ही घर पर ही था. भाभी ने मुझे बुलाया … तो मैं उनके घर आ गया. मैं थोड़ा डरा हुआ था.
मैंने आते ही माहौल को देखा और धीमे स्वर में कहा- कहिये आपने मुझे बुलाया क्यों है?
साधना भाभी कहने लगीं कि तुम ये सब जो कर रहे हो न … ये ग़लत है.
मैंने कहा- कैसे ग़लत है?
तो उन्होंने कहा- इसकी शादी हो गई है.
मैंने कहा- सही कहा … शादी तो हुई है और वो शादी से खुश हैं. पर अभी मेरी शादी नहीं हुई है.
मैंने ये थोड़ा मजाक में कहा और हंस दिया.
साधना भाभी कहने लगीं- जो भी है, तू इसको छोड़ दे.
मैंने कहा- अगर भाभी को कुछ दिक्कत नहीं, तो आपको क्यों दिक्कत हो रही है?
वो कुछ नहीं बोलीं.
फिर मैंने ही मजाक करते हुए कहा- यदि आपका मन हो तो आपको भी मजे करवा सकता हूँ … मगर भाभी कहेंगी तो.
भाभी इतनी डरी हुई थीं कि कुछ बोल ही नहीं रही थीं.
भाभी ने कुछ नहीं बोला, पर साधना भाभी ने कहा- तुम अब जाओ.
मैंने जाते वक्त उनसे यह कहा- एक निवेदन है कि अब आप ये बात अपने तक ही रखिएगा. बाकी आपकी इच्छा … और मेरे लायक कुछ काम हो तो बताइएगा.
कुछ दिन यूं ही बीत गए. फिर एक दिन मैं भाभी से मिला.
तब भाभी ने कहा- मेरी साधना भाभी तुझसे कुछ चाहती हैं.
यह सुनकर मुझे झटका लगा … हालांकि मुझे तो एक नई चूत मिल रही थी, मुझसे क्या दिक्कत हो सकती थी. झटका इस बात से लगा कि भाभी खुद अपनी भाभी की इच्छा बता रही थीं.
मैंने भाभी की तरफ देखा- उन्हें क्या चाहिए?
तो भाभी कहने लगीं- जो मर्द ही औरत को दे सकता है.
मैंने कुछ देर तक सोचा कि कहीं ये मुझे फंसाने की साजिश तो नहीं है.
फिर मैंने भाभी से पूछा- क्या ये सही में साधना भाभी ने कहा?
तो भाभी ने कहा- हां सही में साधना भाभी ने ही कहा.
तब मैंने कहा- आप मेरी जगह पर होतीं तो क्या करतीं?
भाभी ने भी कुछ नहीं कहा. थोड़ी देर शांत रहने के बाद भाभी कहने लगीं- तुझे उनको यह सुख देना चाहिए़.
उनके मुँह से ये सुनकर मैं पहले तो चौंक गया. फिर मेरे मन में लड्डू फूटा कि नया माल भी मिल रहा है. मैं ना तो कहना नहीं चाहता था, फिर भी मैंने उनके ऊपर छोड़ दिया कि आप जो कहेंगी, मैं वही करूंगा.
भाभी ने मुझे गले लगा लिया और कहा- ये तुझे करना ही होगा वरना मेरी इज्जत सबके सामने चली जाएगी.
मैंने कुछ ज्यादा नहीं सोचा और कहा- अब वो कब मिलेंगी.
तब उन्होंने कहा- ये मैं उनसे पूछ कर बताऊंगी.
मैंने उनको अपनी बांहों में भर लिया, पर उनकी तरफ से कुछ प्रतिक्रिया न मिलने पर मैंने कहा- क्या हुआ?
तब भी भाभी कुछ नहीं बोलीं.
मैं समझ गया कि वह अभी तक साधना भाभी के बारे में ही सोच रही हैं. मैंने भाभी को किस किया और कहा कि चिंता मत करो … मेरे रहने तक आपको कुछ नहीं होगा.
मैं चला गया.
भाभी की भाभी यानि कि साधना भाभी, भाभी के घर पर ही थीं. भाभी ने मुझे आधा घंटे बाद फिर से बुलाया. मैं गया और साधना भाभी ने मुझे अपने पास बिठाकर कहा- तेरी भाभी ने सब कुछ बता दिया न?
मैंने हां कहते हुए कहा- सब कुछ बताया, पर पहले मुझे यह बताओ कि आप अपने पति से क्यों नहीं … और मुझसे ही ये सब क्यों चाहिए.
वो बताते हुए रोने लगीं- पति ज्यादा सेक्स कर नहीं पाते हैं. मुझे अपनी उंगली से अपने आपको शांत करना पड़ता है. वो तो उनका होने के बाद सो जाते हैं. मैं तुम्हारी चुदाई देखने के बाद तुमसे चुदाई करवाना चाहती थी. पर कैसे करवाऊं, वो नहीं समझ आ रहा था. पर तुम उस दिन कह कर गए थे कि कुछ काम हो तो बताना. तब मुझे ये रास्ता सूझा.
उन्हें मैंने चुप कराते हुए कहा- आप रोओ मत.
मैंने उनके हाथ पर हाथ रखा, चुप कराने लगा. हाथ का स्पर्श पाते ही वो मुझसे लिपट गईं. मेरा कंधा भाभी जी के आंसुओं से भीग गया. मैंने भाभी जी से चुदाई के लिए इशारे से पूछा, तो उन्होंने हां में सर हिला दिया.
फिर मैंने अपने आपको कंट्रोल किया. उनका सर ऊपर करके आंसू पौंछे, तब उन्होंने रोना बंद किया. भाभी जी ने मेरा हाथ पकड़ कर अपनी तरफ खींचा … जिससे मैं उनके ऊपर गिरने जैसा हो गया. मेरा मुँह उनके मुँह के सामने आ गया. उन्होंने मुझे पकड़ कर होंठों पर होंठ रख दिए. मुझसे भी कंट्रोल नहीं हुआ. मैंने भी होंठों को बहुत चूसा. उन्होंने किस करते करते मेरे बालों में हाथ डाल दिया.
कुछ मिनट बाद जब हम दोनों अलग हुए, तो मैं अपनी भाभी से आंखें नहीं मिला पाया.
मेरी भाभी जब वहां से चली गईं. तब साधना भाभी मेरे पास आकर लंड को पैंट के ऊपर से सहलाने लगीं. मैं भी भाभी के दूध दबाने लगा. वो कामुक आवाजें निकालने लगीं.
मैंने सोफे पर बैठ कर ही उन्होंने गोद में खींच लिया. वो मेरी गोद में दोनों पैर फैला कर बैठ गईं और लंड को पैंट के ऊपर से ही सहलाने लगीं. मैं भाभी के होंठों को फिर से जीभ से चूसने लगा.
वो अब तक इतनी गर्म हो गई थीं कि किस करते वक्त ही आवाजें कर रही थीं. मैंने किस करते हुए ही भाभी जी की साड़ी का पल्लू और ब्लाउज अलग कर दिया.
अब भाभी के मम्मों की बारी थी. उनके निप्पल एकदम टाईट थे, मैंने एक निप्पल को दांत से काटा. मैंने जैसे ही काटा, भाभी जी जोर से चीख उठीं और बोलीं- आह धीमे करो …
लेकिन तब तक मेरी भाभी उनकी चीख सुनकर अपनी साधना भाभी को देखने चली आईं.
मेरी नज़र मिलने पर शरारती हंसी देकर चली गईं. अब मैंने साधना भाभी को खड़ा कर दिया. भाभी ने मुझे ऊपर से नंगा कर दिया. मैंने पेटीकोट का नाड़ा खोल दिया. उनका पेटीकोट सरकते हुए जमीन पर गिर गया. वो मेरे सामने चड्डी में आ गई थीं. मैंने तुरंत वो भी निकाल डाली. मैंने साधना भाभी की चुत में उंगली डाली … उनकी चुत गीली थी इसलिए मजा आया. मेरी दोनों उंगलियां सीधे अन्दर घुस गईं.
उन्होंने मेरे मुँह को अपनी चूत से लगा लिया. मैंने भाभी की चूत को पहले कुछ जगहों पर चूमा, बाद में कमर पर काटा और भाभी की गांड पर तीन चांटे मार दिए. भाभी सिसक कर मस्त हो उठी थीं.
अब मैंने खड़े हो कर उनकी पीठ को अपनी तरफ किया और एक पैर सोफे पर रख लिया. लंड चुत की दरार पर घिसने लगा.
वो कामुक स्वर में कहने लगीं- अब मत तड़पाओ … मैं बहुत तड़प चुकी.
मैं उनसे बोला- अपने मुँह पर हाथ रख लो भाभी.
भाभी ने अपनी हथेली को अपने मुँह पर रख लिया और मुझे इशारा कर दिया. भाभी इतनी अधिक चुदासी हो उठी थीं कि लंड को खुद अपनी चूत के अन्दर दबाने को मचल उठीं. इस वक्त साधना भाभी नीचे को हुईं और एक धक्का देते हुए मेरे खड़े लंड को पूरा अन्दर ले लिया.
मेरे मोटे लंड का दर्द भाभी जी सहन ही नहीं कर पाईं. भाभी अपनी दर्द भरी आवाज़ को दबाते हुए लंड का दर्द सहने लगीं. साधना भाभी की आंखों में से पानी निकल आया था.
मैंने भाभी का चेहरा अपनी तरफ किया और उनके आंसू को पी लिया. कुछ देर भाभी को चूमा … और उनके मम्मे भी सहलाए.
भाभी का दर्द कम होने पर वे खुद आगे-पीछे होने लगीं. भाभी ‘उम्म्ह… अहह… हय… याह…’ की जोर से आवाज करने लगीं. भाभी की आवाज कम करने के लिए मैं उनको लगातार किस करता रहा. इस वक्त मेरा ध्यान भाभी की चुदाई से ज्यादा उनके मुँह से निकलने वाली चीखों पर था.
मैंने एक हाथ से भाभी के मम्मे भी दबाए. थोड़ी देर बाद मैं सोफे पर बैठ गया और उन्हें अपने ऊपर ले लिया. ज्यादा गर्म होने की वजह से जल्दी ही भाभी जी अपना पानी छोड़ दिया.
मेरा अभी हुआ नहीं था, इसलिए मैं उनको सैट करके नीचे से धक्का मारने लगा. चुदाई से पच पच की आवाज आने लगी. वो फिर गर्म हो गई थीं और ऊपर नीचे हो रही थीं.
मुझे बहुत मजा आ रहा था.
अब मैंने उन्हें नीचे लिटा दिया और उनके ऊपर चढ़ गया. लंड की ख़ुशी कितनी अधिक है, ये भाभी की आंखें और चेहरा बता रहा था. मैंने उन्हें किस की, उन्होंने भी जीभ से जीभ मिला कर मेरा साथ दिया. मैं भाभी के मम्मे भी हाथ से दबा रहा था.
कोई दो मिनट बाद भाभी की चुदाई फिर से चालू हो गई. मैं धमाकेदार जोर के धक्के मार रहा था. उनके पैर मेरे कंधे पर थे. वो बड़बड़ाने लगीं- आ … आ … मजा आ रहा है. … जोर से …
मैं उनके बोबों पर चमाट भी मार रहा था. मैंने भाभी के दूध चांटा मार मार के लाल कर दिए थे.
कुछ ही देर में वो फिर से अकड़ने लगीं. इस बार मेरा भी होने को था. मैं इतना तेजी से भाभी की चुदाई कर रहा था कि उनसे पूछने से पहले ही मेरा माल छूट गया.
वो भी मस्त आवाज में बोलीं- आह करते रहो … मैं भी आने वाली हूँ.
मैंने अभी पांच धक्के ही मारे होंगे कि भाभी ने भी रस छोड़ दिया.
मैं उनके ऊपर ही लेट गया. हम दोनों की सांसें तेज़ चल रही थीं.
आवाजें शांत होने पर मेरी भाभी अन्दर आ गईं. वो पानी की बोतल लिए हुए थीं. हमें नंगा देख कर भाभी शरमा कर अन्दर चली गईं. मैंने भाभी की भाभी की तरफ देखा, वो भी शरारती हंसी हंस दीं.
मैंने उन्हें पानी दिया, उन्होंने थोड़ा पिया और मुझे दे दिया. मैंने भी उसी गिलास से ही मुँह लगा कर पानी पिया.
जैसे ही मैंने गिलास नीचे रखा, उन्होंने मुझे पकड़ कर फिर से एक किस कर दी. समय ज्यादा हो जाने की वजह से मैंने उनको रोका और अपने कपड़े पहन कर वहां से निकल गया.
इसके बाद साधना भाभी का आगे क्या हुआ … उसके लिए आपको थोड़ा इन्तजार करना पड़ेगा.
दोस्तो, भाभियो और आंटियो … कैसी लगी मेरी सेक्सी कहानी. मुझे बताइएगा जरूर.
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