मराठी मुलगी की प्यासी चूत में लंड की सेक्सी कहानी-1
यह सेक्सी कहानी एक सेक्स को तड़पती तरुणी की है जो शादी के 15 दिन बाद से ही पति का वियोग सह रही थी. ऐसे में उसके सहकर्मी ने उसकी कामवासना को भड़का कर उसकी चूत में लंड उतार दिया.
कोमल… जी हाँ कोमल नाम था उस मराठी मुलगी का! मैं उससे औरंगाबाद में मिला, 19 साल की तरुणी नवयौवना हिरणी सी मदमदाती नवयुवती शादीशुदा थी, सिर्फ एक साल हुआ था शादी को उसका पति 3 साल के लिए शादी के कुछ ही दिन बाद ट्रेनिंग के लिए चेन्नई चला गया था.
कोमल से मेरी मुलाकात औरंगाबाद के मॉल में हुई, जहाँ वो मेरी कंपनी जहाँ मैं काम करता था, उसकी सेल्स गर्ल थी, दूध सी सफ़ेद 32-28-34 साइज का बदन आँखें भूरी भूरी सुर्ख होंठ तराशा सा बदन कद 5 फुट 6 इंच वज़न तकरीबन 50 किलो!
मुझे एक बारगी तो उसको देख कर यकीन नहीं हुआ कि इतनी खूबसूरत तरुणी मेरी सेल्स गर्ल है, चंचल और नटखट स्वभाव था उसका, बचपना कूट कर भरा था उसमें… पर वो सेल्स गर्ल बहुत बढ़िया थी शायद उसकी खूबसूरती उसकी मदद करती थी.
मैं आशीष मुंबई से एक बहुत बड़ी कॉस्मेटिक कंपनी का सेल्स मैंनेजर हूँ, उम्र 45 कद 5.11 सर पर बल थोड़े कम है, पर आकर्षक व्यक्तित्व का मालिक हूँ मेरी बॉडी बिल्कुल परफेक्ट है स्लिम सी बॉडी, तोंद तो बिल्कुल नहीं थी, रंग साफ, आँखें काली, शादीशुदा हूँ, दो बच्चे भी हैं।
मेरी सेक्सुअल लाइफ थोड़ी डिस्टर्ब है मेरी जॉब की वजह से… पर जितना भी मेरी सेक्स लाइफ है वो बहुत रंगीन, कामुकता से भरी हुई है।
हाँ, मेरी बीवी थोड़ी सी सेक्स के मामले में उतनी उत्सुक नहीं रहती जितना मैं रहता हूँ।
पर मुझे इसका कोई गम नहीं.. जितनी भी सेक्स लाइफ मेरी है उसमे मैं खुश था.. पर कोमल ने मेरे अंदर की आग को भड़का दिया.. मेरा दिल उस पर आ गया.. कैसे भी उसको चोदने, कोमल के कोमल से बदन के साथ सेक्सी कहानी बनाने का मन हो गया।
मेरी और कोमल के उम्र में बहुत बड़ा अंतर था, दुगने का फर्क था पर पता नहीं क्यों मेरे दिल में एक आग सी जल उठी कि कोमल को चोदना है चाहे कुछ भी हो जाए, पर कैसे?
कोमल मात्र 19 साल की थी, उसका बायोडाटा मैंने देखा, उसकी पसंद और न पसंद भी देखी, मैंने देखा की उसको घूमना और चॉकलेट बहुत पसंद है।
उससे मैंने बहुत प्यार से बात की उससे बहुत सारी बातें की, करीब करीब हर रोज़ फोन करता.. प्यार से और फ्रेंडली बातें करता, हफ्ते में एक बार मिलने जाने लगा।
कोमल एक मदमस्त लड़की थी, जवान थी, शादीशुदा थी, सेक्सी थी।
इतना तो वो समझ ही गई थी कि मैं क्यों बार बार आ रहा हूँ.. मुझे लगता था कि कोमल भी मेरी तरफ आकर्षित थी.. पर मैं कोई निश्चय नहीं कर पा रहा था कि कैसे अगला स्टेप लूँ!
खैर इसी तरह दो महीने बीत गए, मेरे बार बार जाने से उसको बहुत फायदा हुआ, अब वो सभी सेल्स गर्ल में नंबर वन हो गई थी। उसको पाने के लिए और अपनी इच्छा को पूरा करने के लिए मैंने पैसा बहुत खर्च किया, साधारण सी बात है और मनोवैज्ञानिक तरीके से उसे सेड्यूस किया।
इतना तो पता था कि वो बहुत काम आमदनी वाले परिवार से आती है, पैसे की चकाचौंध शायद उसे मेरी बाँहों में ले आए!
आम तौर पर सेल्स गर्ल की मासिक आमदनी उस वक़्त करीब तीन से पाँच हजार होती थी, मैंने वो दस हजार कर दी। इन सब का नतीजा यह हुआ कि कोमल और कोमल का परिवार मेरे से बहुत प्रभावित हो गया था।
आखिर बहुत सोचा, फिर मैंने उसको एक दिन उसके अच्छे काम के लिए उसको बहुत सारी चॉकलेट और दो दिन का मुंबई दर्शन का गिफ्ट भेजा।
कोमल ने तुरंत मुझको फ़ोन किया- सर थैंक्स!
मैं- क्यों किस बात का?
कोमल- सर गिफ्ट का… पर मैं मुंबई अकेली कैसे आऊँगी?
मैं- ओह्ह वो… वो तो आपके अच्छे काम का रिवॉर्ड है.. और आप अकेली कहाँ हो, और भी लड़कियां होंगी.. आप ट्रेन या बस से आ जाओ, मैं आपको वहाँ से पिक कर लूंगा।
कोमल- पर मेरे पापा शायद न आने दें?
मैं- अपने पापा से मेरी बात करा देना, वो आने देंगे!
फिर उसके पापा से बात की मैंने और बताया कि और भी लड़कियाँ होंगी और आपके पास उसके होटल का डिटेल्स भी होगा। खैर किसी तरह मैंने उनको मना लिया और मेरा एक कदम बढ़ गया उसको चोदने की दिशा में!
फिर मैंने उसका और अपना स्लीपर बस में एक टिकट करा दिया पर अलग अलग, और बर्थ एक साथ थी उसको मैंने नहीं बताया कि उसके साथ मैं भी आऊंगा।
खैर उसके आने वाले दिन मैं भी औरंगाबाद पहुंच गया, कोमल मुझे देख कर खुश हो गई… उसको मैंने सिल्क चॉकलेट दी, खूबसूरत सी ड्रेस(सलवार सूट), और उसकी सैलरी के बढ़ने का लेटर… ये सब एक साथ देख कर वो खुश हो गई, खूब सारी बातें की और उसको एक बहुत महंगे से होटल में खाना भी खिलाया।
इन सब से वो मेरे साथ थोड़ा और खुल सी गई बीच बीच में मैं उसको छूता भी रहा पर वो कुछ नहीं बोली।
मैं- कोमल, आपकी शादी को कितने दिन हुए?
कोमल- सिर्फ 8 महीने!
मैं- ओह्ह आपको याद नहीं आती उसकी?
कोमल- आती है न.. पर क्या करूँ, तड़प के रह जाती हूँ..
मैं- कितने दिन साथ रहे?
कोमल- सिर्फ 15 दिन!
मैं- फिर तो मिलने का बहुत मन करता होगा?
कह कर मैंने उसकी तरफ देखा… कोमल भी शायद मेरा मतलब समझ गई थी तो उसने शरमा कए आंखें झुका ली.
मैंने उसका हाथ पकड़ा और उसकी हथेली को सहलाने लगा, कोमल के शरीर कांपने लगा- बोलो न कोमल, दिल नहीं करता क्या तुम्हारा?
कोमल ने नज़रें झुका कर कहा- हाँ करता तो है…
मैं बातों को अगले लेबल तक ले गया और पूछा- फिर क्या करती हो?
कोमल- फ़ोन कर लेती हूँ उनको… और मैं क्या कर सकती हूँ!
मैं- दिल नहीं करता तुम्हारा कि वो तुम्हारे पास हो… कब आएगा वो अब?
कोमल- बहुत करता है.. अभी 3 महीने बाद ही वो आएंगे।
मैंने बात वहाँ ख़त्म की क्योंकि मुझे पता चल गया था कि उसको भी सेक्स की जरूरत है.. बस उसकी काम ज्वाला को भड़काना था और वो मैं आज रात सफर में करने वाला था।
मैंने उसको धीरे से बोला कि वो मेरे बारे में अपने घर में न बताए… पता नहीं उसके घर वाले क्या समझें।
दोस्तो, लड़कियों में एक खास बात होती है वो मर्द की आँखों से उसके हाव भाव से उसकी नियत को समझ जाती है, कोमल भी समझ गई थी कि मैं वहाँ क्यों आया और मैं उसको पसंद कर रहा हूँ।
कोमल अपने घर जा कर मुझे टेक्स्ट किया- मैं आपका खाना लेकर आऊँगी और आप नेक्स्ट स्टॉप से बस में चढ़ना, शायद मेरे पापा मुझको छोड़ने आएंगे!
मुझे मेरा काम आसान होने सा लगा क्योंकि मैं समझ रहा था कि वो भी जानती है कि मैं क्या चाहता हूँ।
मैंने अपनी सेक्सी कहानी को अन्जाम देने के लिए कुछ सेक्स XXX मूवी क्लिप भी अपने वीडियो फोल्डर में गाने के वीडियो के साथ बीच बीच में लगा के रख दी क्योंकि मेरा वो अंतिम हथियार था उसकी सम्भोग की इच्छा को जगाने का!
शाम को 7 बजे की बस थी हम दोनों अलग अलग स्टॉप से बस में चढ़े.. कोमल ने मुझे देखा तो मुस्कुरा कर मेरा स्वागत किया। वो टीशर्ट और ट्रैक पैन्ट में थी… ब्रा की लाइन साफ दिख रही थी मेरा लंड अंगड़ाई लेने लगा।
हम दोनों ऊपर की बर्थ में बैठ गए, पर्दा था बस में और चिल्ड भी थी AC के कारण!
मैं- कैसी हो? कैसा लग रहा है?
तभी कोमल के पापा का फ़ोन आ गया वो बस नंबर और टाइम बता रहे थे, मैंने उनको कहा कि मैं सही समय पर पहुंच जाऊँगा।
कोमल_ अजीब सा लग रहा है… मैं आज तक अकेली कहीं नहीं गई… डर लग रहा था.. पर आप अब साथ हो तो डर नहीं लग रहा..
मैंने उसका हाथ पकड़ कर कहा- मैं हमेशा तुम्हारे साथ हूँ.. ये दो दिन शायद तुम्हारी जिंदगी में फिर कभी न आएँ… तो खूब एन्जॉय करो, मस्त रहो!
कोमल ने मेरी तरफ देख कर मेरी बातों का मतलब समझने की कोशिश की, मेरी आँखों में देखा और शर्मा कर आँखें नीची कर ली।
हम दोनों ने साथ खाना खाया और बातें करने लगे, हम दोनों बार बार एक दूसरे को देखते थे.. हर बार कोमल शर्मा के आँखें नीचे कर लेती थी।
AC के वजह से कोमल को ठण्ड लगने लगी तो मैंने उसको अपनी चादर दी जो मैं हमेशा अपने साथ रखता था।
कोमल- आपको भी ठण्ड लगेगी, आप भी आ जाओ!
अब हम दोनों के बदन काफी पास पास थे, हम दोनों एक दूसरे की गर्मी को समझ रहे थे और मैं जल्दबाज़ी में कुछ नहीं करना चाहता था… तो आराम से बात करता रहा. बीच बीच में कभी उसके हाथ को पकड़ता, कभी कमर में हाथ डाल देता तो कभी उसकी बाँहों को सहला देता..
हर बार कोमल मुझे देखती पर कुछ बोल नहीं रही थी.. आखिर वो भी कई महीनो से सेक्स से दूर थी.. मैं धीरे धीरे उसकी सेक्स भावना को भड़का रहा था।
आप लड़कियाँ समझ सकती हैं जब कमसिन उम्र में सम्भोग का आनन्द मिल जाए तो सम्भोग की ज्वाला उसके बदन को ज्यादा तड़पाती है। ऐसा ही कुछ हाल कोमल का था।
हम दोनों एक दूसरे की तरफ मुँह करके बात कर रहे थे, हमारी सांसों की गर्मी एक दूसरे को बेचैन करने लगी. मैंने उसकी कमर में हाथ डाल कर उसको अपनी तरफ खींचा तो वो खुद मेरे पास आ गई.. मैंने भी अपना मुँह उसके मुँह के पास कर लिया और गर्म सांसें उसके ऊपर छोड़ने लगा।
कोमल ने आँखें बंद कर ली और वो मेरे अगले कदम का जैसे इंतज़ार कर रही थी।
कब मैंने उसके होंठों को चूमना शुरू किया, पता ही नहीं चला… कोमल कसमसा के रह गई पर कोई रुकावट पैदा नहीं की… 19 साल की नवयौवना के शहद से भरे होंठ का मिलन सच में अद्भुत होता है, एक ऐसा अहसास जो ता जिंदगी न भूले… वैसा ही कुछ मेरा हाल था… न जाने कितनी देर उसके रसीले होंठों का रस पीता रहा!
कोमल के होंठ खुले और मैंने ऊपरी लब को मुँह में भर कर चूसना चालू कर दिया… दूसरे हाथ से उसको और नज़दीक ले आया।
अब मैं उसकी पूर्णतया विकसित चूची को अपने सीने पर महसूस करने लगा, मेरे हाथ उसके भरे भरे चूतड़ को सहलाने लगे, कोमल मेरे को समर्पित थी, उसके जिस्म को अब एक मर्द की दरकार थी.. उसकी जवानी मेरे जिस्म को अपने अंदर समेट लेना चाहती थी।
और हुआ भी ऐसा… उसके हाथ हरकत में आये और मेरी कमर में हाथ डाल कर मेरे सट गई… केबिन में, बस में अँधेरा था, बस तीव्र गति से भाग रही थी और हमारी सांसें भी एक दूसरे में समां रही थी.
केबिन में हल्की हल्की सिसकारियाँ… बदन में थरथराहट, उठती गिरती उसकी चूचियाँ, बीच बीच में आती हल्की रोशनी… माहौल बन चुका था पर जगह सही नहीं थी.
तभी बस वाले ने एक मोटेल में बस रोकी, बोला- बस 10 मिनट रुकेगी, फिर सीधे पूना रुकेगी।
लाइट जल चुकी थी, हम दोनों ही अपनी दुनिया से निकल कर वास्तविकता में आ चुके थे पर कोमल नज़र नहीं मिला रही थी.. शायद शर्म थी, उसका पहला परपुरुष संपर्क था!
पर वो गुस्सा नहीं थी या शायद बेचैन थी… आखिर वो भी जवान थी और वो संभोग भी कर चुकी थी.. सम्भोग से दूरी शायद समर्पण का कारण बनी… और मेरा केयर करने वाला स्वभाव, मेरा दीवानापन, मेरी बातों की मधुरता, मेरा मस्त मौलापन उसको अपने नज़दीक लाने में सहायक हुआ।
इसमें कोई शक नहीं कि यदि आपकी महिला, स्त्री लड़की या कुंवारी कन्या का जिस्म हासिल करना चाहते हैं तो सबसे पहले उसका दिल जीतें, फिर विश्वास और तब उसके साथ सेक्स की शुरुआत करें।
हाँ, इन सब में समय जाता है पर आपको अपना संयम बरक़रार रखना होता है।
एक बात और… सम्भोग से पहले अपनी मंशा अवश्य जाहिर कर दें कि ये रिश्ता किन जरूरतों बना है, उसको बता दें कि रिश्ता शायद शादी जैसे अंजाम तक न पहुंचे.. क्योंकि किसी को धोखा देना सही बात नहीं है, क्योंकि वही धोखा शायद आपको भी किसी और रूप में मिल सकता है।
यकीन मानें, सच बता कर जब आप सेक्स, सम्भोग करेंगे तब जो आनन्द आपको मिलेगा, वो आप जिंदगी भर नहीं भूलेंगे क्योंकि यदि झूठ की चादर के साथ जब आप किसी महिला, लड़की या कुवांरी कन्या का दिल तोड़ेंगे तो आपको कभी भी सुख नहीं मिलेगा… ऐसा मेरा मानना है।
मैं किसी के साथ भी सम्भोग से पहले सच्चाई बता भी देता हूँ। कई बार वो रिश्ता मेरा टूटा भी और कई बार सफल भी रहा पर मेरे दिल में कोई बोझ नहीं था।
ये तो था एक मशवरा सभी सम्भोग के लालायित लड़के और लड़कियों के लिए… आप मुझसे सेक्स सम्बन्धी, परिवार सम्बन्धी, वैवाहिक जीवन सम्बन्धी सलाह ले सकते हैं ईमेल के द्वारा!
अब हम कहानी पर वापस आते हैं।
हम दोनों ने एक दूसरे से नज़रें चुराते हुए अपने कपड़े ठीक किये और नीचे उतर के टॉयलेट में जाकर फ्रेश हुए।
मैं- तुम कुछ पियोगी?
कोमल- कॉफी!
मैंने दो कॉफी ली और बस के पास आकर पीने लगे।
थोड़ी देर में बस फिर चल पड़ी, सभी यात्री धीरे धीरे अपनी सीट पर जम गए, सन्नाटा भी हो गया, लाइट बुझ गई, नाईट बल्ब जल रहा था पर परदों के कारण रोशनी अंदर नहीं आ रही थी।
मैं- कोमल!
कोमल- हाँ सर?
मैं- तुम मुझे अब आशीष बुलाओगी या आशु क्योंकि अब मैं सिर्फ तुम्हारा दोस्त हूँ!
कोमल- हम्म्म ओके… पर सबके सामने आपको सर ही बुलाऊंगी!
यह सुनकर मेरा दिल हल्का हो गया क्योंकि कोमल रिश्ते को स्वीकार कर चुकी थी, मैं भी उस जैसी तरुणी को, नशीले यौवन को पाकर खुश था।
मैं- कोमल, तुमको बुरा तो नहीं लगा?
कोमल- किस बात का?
मैं- तुमको नहीं पता कि मैं किसकी बात कर रहा हूँ?
कोमल मुस्कुरा कर बोली- मुझे आप पहली नज़र में पसंद आ गए थे! पर ये सब मैंने नहीं सोचा था पर अच्छा लगा!
मैं- एक बात बोलना चाहता हूँ!
कोमल- बोलिये?
मैं- मुंबई में कोई और लड़की नहीं होगी… मैंने झूट बोला था, सिर्फ हम और तुम होंगे!
कोमल- क्यों झूठ बोला आपने? यदि आप कहते तो मैं खुद ही आ जाती..
मैं- ओके, आगे से ध्यान रखूँगा!
कह कर उसको अपने पास खींच लिया या यह कहो कि मैंने अपने पैर फैला उसको अपनी दोनों टांगों के बीच में ले लिया, उसकी पीठ मेरे सीने से लगी हुई थी, उसका सर भी मेरे सीने पर था, वो भी मेरे सीने पर सर रख कर अधलेटी से थी।
अब मेरे हाथ उसकी कमर को सहलाने लगे, उसके बदन में सिहरन सी होने लगी… मेरा लंड खड़ा होने लगा जो उसकी पीठ पर चुभने लगा था पर कोमल वैसी लेटी रही।
मेरे हाथ धीरे से उसकी टीशर्ट के अंदर जाकर उसकी नग्न कमर में अठखेलियाँ करने लगे तो कोमल ने मेरा हाथ पकड़ लिया।
मैंने धीरे से उसके कान में पूछा- कोमल करने दो न?
कोमल- नहीं.. प्लीज कुछ होता है…
मैं- होने दो न… क्या तुमको अच्छा नहीं लग रहा है?
कोमल- हम्म्म पर…
मैं- रोको मत तुम मुझको… बस इस हसीन लम्हों का तुम लुत्फ़ उठाओ!
कह कर मैं उसके बदन से टीशर्ट को थोड़ा उठा कर अच्छे से सहलाने लगा।
कोमल ने अपने बदन को ढीला छोड़ दिया। साथ ही साथ मैं उसकी गर्दन पर अपने होंठ रगड़ने लगा, किस करने लगा।
‘आअह्ह्ह कुछ हो रहा है आशु…’
मेरी हरकत बढ़ने लगी, अब मैं खुल कर उसके बदन पर हाथ फेर रहा था, धीरे धीरे उसकी चूचियों तक पहुंच गया, उसकी ब्रा के ऊपर से ही उसको सहलाया।
कोमल- उफ्फ आअह… मत करो प्लीज, यह जगह सही नहीं है, कोई देख सकता है।
अब रुकना संभव नहीं था, मैंने उसको बाँहों में भर लिया और दोनों हाथ टीशर्ट में डाल के उसकी सुडौल चूचियों को पकड़ कर मसलने लगा… साथ ही उसकी गर्दन पे चुम्बन लेने लगा…कानो की लौ को चूसने लगा।
पल भर में ही कोमल ने समर्पण कर अपना जिस्म ढीला छोड़ दिया, मैं आराम से उसके जिस्म को सहला रहा था, मसल रहा था।
कोमल के हाथ मेरे को कस के पकड़ के रखे थे, हर दबाव पर उसके बड़े नाख़ून मेरे जिस्म पर महसूस होते, मीठा सा दर्द देते!
उसको ठीक से चादर में कवर करके उसकी टीशर्ट को ऊपर करके उसकी चूचियों को गिरफ्त में ले लिया और फिर…
कोमल- उफ्फफ्फ्फ़ आअह्ह्ह धीरे…रे…
पर मैं अपनी धुन में उसकी चूचियों को मसलता रहा। कोमल की हल्की हल्की सिसकारियाँ मेरे में तनाव पैदा कर रही थी।
मैंने उसकी गर्दन को चूमना चालू किया था कि- आअह ओह्ह्ह्ह आशु…शु मत करो! आह… आह… आह…
पर आशु कहाँ रुकने वाला था, मेरे हाथों का मचलना जारी था, धीरे धीरे मेरे हाथ नीचे बढ़ने लगे गोरे सपाट पेट पर रेंगते हुए जैसे ही ट्रैक पेंट के मुहाने पर पहुंचे, कोमल ने मेरा हाथ पकड़ लिया- नहीं आशु…
मैं- क्यों? मत रोको!
कोमल- ये गलत है… मैं अपने को रोक नहीं पाऊँगी..
मैं.. मत रोको न!
कोमल- नहीं.. ये मत करो प्लीज आशु!
मैं- कोमल मुझे करने दो.. तुमको अच्छा लगेगा और मैं जानता हूँ कि तुमको भी जरूरत है…
कोमल- नहीं.. बहुत अच्छा लग रहा है… बर्दाश्त नहीं हो रहा है.. ये क्या कर दिया आपने… क्यों कर रहे हो..
कह कर वो पलट के मेरे से लिपट गई और मेरे होंठों को कस के चूसने लगी… पागलों की तरह!
इसी पागलपन में मैं अपना हाथ पीछे से उसकी पैंट में डाल कर उसके मस्त चूतड़ों को अपनी हथेली में भर कर मसल दिया। उफ्फ क्या गुदांज भरे हुए चूतड़ थे मुलायम से… मैं पैंटी के ऊपर से ही मसलने लगा।
अब कोमल का जिस्म कांपने लगा, मेरे हाथ और अंदर जाकर उसकी गुदांज, मसल जांघों को सहला रहे थे।
कोमल भी मदहोश थी और मैं भी!
वो पलट कर मेरे को चुम्बन कर रही थी, उसकी जीभ मेरे मुँह के अंदर तक जाकर मुझे में सनसनाहट पैदा करने लगी… मेरे हाथ उसके चूतड़ों को मसलने लगे।
‘आह.. उई… आह उम्म्ह… अहह… हय… याह… उ..ई उ.ई.. उई.. आह.. आह.. उई..’
उसकी दोनों चूचियाँ मेरी छाती से दब गई थीं, वो मुझसे पूरी तरह लिपट गई थी।
यह हिंदी सेक्सी कहानी आप अन्तर्वासना सेक्स स्टोरीज डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं!
समय बीत रहा था, हर पल हम दोनों मदहोश हो रहे थे।
मैंने उसकी ब्रा का हुक खोल दिया, टीशर्ट को पहने पहने ही मैंने उसकी ब्रा निकाल कर लिटा कर उसकी टीशर्ट को ऊपर कर दिया।
हम दोनों काफी देर तक चुम्बन करते रहे, फिर मैंने अपने हाथ को उसकी नंगी चूची पर रख दिया।
‘आअह्ह्ह… क्या अहसास था.. कितने नर्म.. जैसी रुई का गोला हल्के से दबाया हो।’
आप सब समझ सकते हो कि 19 साल की जवान लड़की के विकसित चूचियाँ कितनी कठोर और वेल शेप होती हैं।
मैं चूची को मसलने लगा.. दबाने लगा और झुक कर एक चूची को मुँह में भर कर चूसने लगा, कभी काटता, कभी सहलाता, कभी मसलता!
कोमल की हल्की आवाज़ें- आह उफ्फ्फ ओह धीरे रे ए… काटो मत, दर्द होता है…
पर मैं रुका नहीं.. चूसता ही चला गया। मैंने फिर अपना हाथ उसके लव ट्रैंगल की ओर बढ़ाया, इस बार भी कोमल ने मेरा हाथ पकड़ लिया पर अबकी बार मैंने उसकी चूची में जोर से दांत गड़ा दिए, वो दर्द से मेरा हाथ छोड़ कर मेरे बाल खींचने लगी.. और मैं पैंटी के ऊपर से हाथ फेरने लगा उसकी चूत पर, चूत के ऊपर पेंटी गीली सी थी, उसकी चूत के रस में भिगो कर मैंने अपना हाथ निकाल कर जैसे ही मुँह में रखा, कोमल ने बंद आँखें खोल कर मेरी ओर देखा और शर्मा गई..
मैंने एक चटकारा लगा कर फिर से हाथ अंदर डाल दिया और इस बार पैंटी के अंदर जैसे हाथ गया, मुझे लगा ‘क्या मखमल सी साफ़ चूत है उसकी..’
धीरे से मैं उंगली उसकी चूत में डाल कर अंदर बाहर करने लगा।
कोमल ने भी अब शर्म छोड़ दी थी और उसके हाथों ने मेरे लंड को पकड़ के मसलना शुरू किया। मैंने देर नहीं की, लंड को बाहर निकाल दिया जो आसानी सी उसके हाथ में आ गया।
अँधेरा था तो खुल कर तो देख नहीं सकते थे फिर भी अंदाज़ा लगा सकते थे.
अब तूफान चरम पर था और हम दोनों की बेचैनी उबाल पर थी.. मेरी उंगली चूत में अंदर बाहर हो रही थी तो कोमल मेरे लंड की स्किन को आगे पीछे कर रही थी।
थोड़ी ही देर में उसका जिस्म थरथराने लगा, उसके हाथों की रफ़्तार बढ़ गई, लंड पर पकड़ मज़बूत हो गई। मैं समझ गया कि इसके क्लाइमेक्स का टाइम आ गया, मैंने भी उंगली की रफ़्तार बढ़ा दी और कुछ ही पलों में हम दोनों ने एक दूसरे को जकड़ते हुए अपने अपने चरम को पा लिया!
काफी देर से चल रहे उस आनन्द का अंत सा हो गया.. बाकी था तो सिर्फ सांसें, गहरे पसीने से लथपथ जिस्म और दिली सकून जो बेहतरीन था!
कोमल मुझे बाँहों में भर कर चिपक सी गई, मैं भी उसके बालों को धीरे धीरे सहलाता रहा, पता ही नहीं चला कब हम नींद की आगोश में चले गए।
प्यासी चूत में लंड की सेक्सी कहानी जारी रहेगी।
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मराठी मुलगी की प्यासी चूत में लंड की सेक्सी कहानी-2
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